(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-101/2015
शिव पूजन सिंह पुत्र स्व0 रामपति सिंह, निवासी प्लाट नं0-131, यूनाइटेड नगर, सराय, पोस्ट रावतपुर, जिला कानपुर।
परिवादी
बनाम
दि न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0, टी.पी. नगर, कानपुर नगर।
विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : सुश्री सताक्षी शुक्ला।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री आईपीएस चड्ढा।
दिनांक: 04.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्ध अंकन 20,00,000/-रू0 बीमित राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने ट्रैक्टर संख्या यू.पी. 78 सी.एन. 5664 का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी से दिनांक 27.7.2013 से दिनांक 26.7.2014 की अवधि के लिए कराया था, जो दिनांक 16.6.2014 को चोरी हो गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना औंग, जिला फतेहपुर में कराई गई, जिसका अपराध संख्या 85/2014 धारा 379 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ। बीमा कंपनी को सूचना दी गई, परन्तु क्लेम अदा नहीं किया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. इस परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्जर 1 लगायत 6 प्रस्तुत किए गए।
4. बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में बीमा पालिसी जारी करने से इंकार नहीं किया गया है। आगे उल्लेख किया गया है कि चोरी की घटना दिनांक 16.6.2014 को घटित हुई है, जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 31.7.2014 को दर्ज कराई गई। इस प्रकार एक माह 15 दिन पश्चात रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, जो बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। बीमित वाहन चोरी होने के पश्चात तुरन्त प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए थी। बीमा कंपनी को भी दिनांक 12.8.2014 को सूचित किया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है। पुलिस द्वारा विवेचना में पाया गया कि चोरी की कोई घटना घटित नहीं हुई है।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्जर 1 लगायत 5 प्रस्तुत किए गए।
6. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
7. परिवाद पत्र में यह उल्लेख है कि बीमित वाहन दिनांक 16.6.2014 को चोरी हुआ, इसके पश्चात अपराध संख्या का उल्लेख किया गया है, परन्तु यह उल्लेख नहीं है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट किस तिथि को लिखाई गई। अत: इस तथ्य को आश्यपूर्वक छिपाया गया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की तिथि क्या है। चूंकि एफआईआर की प्रति अनेक्जर सं0 1 है, जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 31.7.2014 को दर्ज कराई गई है। एफआईआर के अवलोकन से ज्ञात होता है कि मजिस्ट्रेट के आदेश पर यह रिपोर्ट दर्ज हुई है। चूंकि 156 (3) सी.आर.पी.सी. के अंतर्गत प्रस्तुत आवेदन को स्वीकार करते हुए आदेश मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया गया है, परन्तु परिवाद पत्र में उन परिस्थितियों का उल्लेख करना आवश्यक था कि किस कारण से प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित रूप से पुलिस द्वारा नहीं लिखी गई, इसलिए 156 (3) का आवेदन प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होना पड़ा, परन्तु परिवाद पत्र में इन सभी तथ्यों का उल्लेख नहीं है। अत: बीमा कंपनी का तर्क ग्राह्य है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित रूप से लिखाने का कोई प्रयास नहीं किया गया और ऐसा आश्यपूर्वक किया गया। बीमा कंपनी का यह भी कथन है कि पुलिस द्वारा विवेचना के पश्चात यह पाया गया कि चोरी की घटना साबित नहीं है। पुलिस रिपोर्ट की कापी को दाखिल करने का दायित्व परिवादी पर था, जिसे परिवादी द्वारा पूर्ण नहीं किया गया, इसलिए उपधारणा की जा सकती है कि विवेचना के पश्चात प्रस्तुत की गई रिपोर्ट परिवादी के कथन को असत्य साबित कर सकती है, इसलिए इस रिपोर्ट को इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। अनेक्जर 2 विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किया गया है, जो अंतिम रिपोर्ट की प्रति है, इसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि किसी प्रकार का अपराध होना नहीं पाया गया। इस पुलिस रिपोर्ट को चुनौती दिए जाने का कोई सबूत परिवादी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। नजीर, IV (2011) CPJ 30 (NC) Gyarsi Devi & Ors Vs United India Insurance Co. Ltd & Anr में दी गई व्यवस्था के अनुसार जब बीमित वाहन के चोरी होने की रिपोर्ट अत्यधिक विलम्ब से लिखाई गई है तब बीमा क्लेम नकारने का आधार विधिसम्मत है। अत: प्रस्तुत केस में उपरोक्त वर्णित तथ्यों तथा उपरोक्त नजीर में दी गई व्यवस्था के अनुसार प्रस्तुत परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3