Shri Charan Singh filed a consumer case on 03 Feb 2018 against New.U.C & Sons in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/69/2016 and the judgment uploaded on 19 Feb 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/69/2016
Shri Charan Singh - Complainant(s)
Versus
New.U.C & Sons - Opp.Party(s)
Shri Ankur Sharma
03 Feb 2018
ORDER
परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 30-8-2016
निर्णय की तिथि: 03.02.2018
कुल पृष्ठ-3(1ता3)
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
परिवाद संख्या- 69/2016
चरन सिंह निवासी आवास विकास कालौनी, बुद्धि विहार मझौला, तहसील व जिला मुरादाबाद। ….....परिवादी
बनाम
1-न्यू यू.सी. एण्ड सन्स मन्डी समिति के सामने मझौला लाईन पार मुरादाबाद।
2-स्पाइस मोबाइल सर्विस श्री बालाजी इन्फोटेक द्वितीय तल विकास मंजिल, जीएमडी रोड, निकट शराब गोदाम, मुरादाबाद।
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे परिवाद के पैरा-1 में उलिलखित मोबाइल के बदले में नया मोबाइल दिलाया जाये अथवा मोबाइल की कीमत अंकन-3600/-रूपये वापस दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-12000/-रूपये और परिवाद व्यय उसने अतिरिक्त मांगा है।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल दिनांक 06-5-2015 को विपक्षी-1 से अंकन-3600/-रूपये में खरीदा था। मोबाइल की एक साल की वारंटी थी। विपक्षी-2 इस मोबाइल का सर्विस सेंटर तथा विपक्षी-3 इसकी निर्माता कंपनी है। मोबाइल खरीदने के लगभग 4-5 महीने बाद ही उसकी डिसप्ले चलना बन्द हो गई, टच लगातार खराब रहने लगा। परिवादी मोबाइल की शिकायत लेकर कई बार विपक्षी-2 के पास गया, किन्तु उसने परिवादी को यह कहकर टाल दिया कि कंपनी का कोई अधिकारी आया तो आपको बता दिया जायेगा। अन्तत: सर्विस करने के लिए दिनांक 18-9-2015 को परिवादी से विपक्षी-2 ने मोबाइल ले लिया। सर्विस के बाद भी मोबाइल में समस्यायें ज्यों की त्यों रहीं। विपक्षी-2 को मोबाइल सही करने के लिए उसने पुन: भिजवाया किन्तु मोबाइल ठीक नहीं हुआ, उसने मोबाइल की डिसप्ले भी नीचे गिराकर तोड़ दी। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण ने सेवा प्रदान करने में कमी की है। अत: परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से उसे दिलाया जाये।
परिवाद के साथ परिवादी ने प्रश्गनत मोबाइल की कैशमीमो कागज सं.-3/3ए दाखिल की।
विपक्षी-1 व 2 तामील के बावजूद भी उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने अपना प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं किया। अतएव विपक्षी-1 व 2 के विरूद्ध क्रमश: आदेश दिनांकित 07-11-2016 और 03-4-2017 के अनुपालन में परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय हुई।
विपक्षी-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/4 दाखिल हुआ। जिसमें यह कहते हुए कि परिवाद आधारहीन है और असत्य कथनों पर आधारित है, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई। अग्रेत्तर यह भी कथन किया गया कि मोबाइल की एक साल की वारंटी केवल निर्माण संबंधी दोषों हेतु थी। मोबाइल में टूट-फूट की कोई वारंटी नहीं थी। मोबाइल की वारंटी दिनांक 05-5-2016 को समाप्त हो गई है। अतएव वारंटी अवधि के बाद मोबाइल ठीक करने का दायित्व उत्तरदाता का नहीं है। विपक्षी-1, जिससे परिवादी ने मोबाइल खरीदा था, प्रश्गनत मोबाइल का अधिकृत विक्रेता भी नहीं है। परिवादी ने अभिकथित रूप से मोबाइल खराब हो जाने तथा उसे ठीक करने हेतु सर्विस सेंटर पर दिये जाने संबंधी कोई अभिलेखीय प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया है। अग्रेत्तर भी कथन किया गया कि प्रश्गनत मोबाइल की डिसप्ले भी लगता है, परिवादी से स्वयं टूटी है और अब वह टूटे हुए मोबाइल के बदले में नया मोबाइल लेना चाहता है, जिसकी अनुमति उसे नहीं दी जानी चाहिए। अन्त में यह कहते हुए कि परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं हुई है, परिवाद को विशेष व्यय सहित खारिज किये जाने की प्रार्थना विपक्षी-3 की ओर से की गई।
परिवादी ने अपने साक्ष्य में अपना शपथपत्र दाखिल किया है।
अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी-3 की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हुआ।
हमने परिवादी के अधिवक्ता को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षीगण की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुए।
पत्रावली में अवस्थित मोबाइल की कैशमीमो के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी ने प्रश्गनत मोबाइल दिनांक 05-5-2015 को विपक्षी-1 से खरीदा था। विपक्षी-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि मोबाइल की निर्माण संबंधी दोषों के लिए एक साल की वारंटी थी, प्रकट है कि यह वारंटी दिनांक 06-5-2016 तक थी। परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र के माध्यम से यह प्रमाणित किया है कि माह सितम्बर,2015 में ही मोबाइल में समस्या आनी शुरू हो गई थी, उसकी डिसप्ले चलना बन्द हो गई थी और टच लगातार खराब रहने लगा था। विपक्षी-2, जो मोबाइल का सर्विस सेंटर है, ने इसे ठीक करने का प्रयास भी किया किन्तु यह ठीक नहीं हुआ। परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र के माध्यम से यह भी कथन किया कि विपक्षी-2 ने गिराकर मोबाइल का टच भी तोड़ दिया था। परिवादी की ओर से किये गये उक्त कथनों का खण्डन विपक्षीगण की ओर से नहीं हो पाया, क्योंकि विपक्षी-1 व 2 के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चला और विपक्षी-3 की ओर से कोई साक्ष्य दाखिल नहीं हुआ। ऐसी दशा में परिवादी की ओर से जो कथन किये गयें हैं, उनपर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल में उसके क्रय किये जाने के लगभग 5 माह बाद से ही तकनीकी खराबियां आनी शुरू हो गई थीं, जो निरन्तर बनी हुई हैं, उसका टच भी विपक्षी-2 द्वारा गिराकर तोड़ा गया था। उक्त परिस्थितियों में उचित यह दिखायी देता है कि परिवादी को उक्त मोबाइल का मूल्य अंकन-3600/-रूपये विपक्षी-2 व 3 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस दिलाया जाये। तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी-2 व 3 स्वीकार किया जाता है। विपक्षी-2 व 3 को आदेशित किया जाता है कि विपक्षी-2 व 3 इस आदेश से एक माह के अंदर प्रश्गनत मोबाइल की कीमत अंकन-3600/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि ता वसूली परिवादी को अदा करें।
विपक्षी-2 व 3 अंकन-2500/-रूपये परिवाद व्यय भी परिवादी को अदा करें। परिवादी प्रश्गनत मोबाइल विपक्षी-2 व 3 को वापस करेंगे।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 03-02-2018
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