(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
पुनरीक्षण सं0 :- 172/2010
(जिला उपभोक्ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0-93/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06/09/2010 के विरूद्ध)
Managing Director, Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. 4-A, Gokhale Marg, Lucknow and others
New Pioneer Montessory Junior High School, Rasoolpur, Mainpuri Wali Gali, Barabanki through its Director Karuna Nigam.
समक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति:
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री मनोज कुमार
विपक्षी की ओर विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:-28.04.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
- यह निगरानी धारा 17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जिला उपभोक्ता फोरम, बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0 93 सन 2010 न्यू पायनियर मांटेसरी स्कूल बनाम विद्युत में पारित आदेश दिनांक 06.09.2010 के विरूद्ध योजित किया गया है।
- संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने जीविकोपार्जन हेतु बच्चों को शिक्षा देने के लिए 02 किलोवाट का विद्युत कनेक्शन सं0 746/1082/112098 लिया था। प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने विद्युत कनेक्शन से संबंधित बिल की अदायगी कर दिया दिनांक 14.03.2004 को विपक्षी के अधीनस्थ कर्मचारी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के यहां मीटर स्थापित किया और उसी समय सीलिंग प्रमाण पत्र दिया। मीटर स्थापित करते समय बॉडी सील व टी0बी0 सील मीटर में नहीं लगायी थी, परंतु विपक्षी के कर्मचारियों ने अवांछनीय रूप से पैसा वसूली के लिए दिनांक 30.07.2010 को प्रत्यर्थी/परिवादिनी के परिसर में आये और प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा पैसा न देने पर विद्युत कनेक्शन इस आधार पर काट दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा उपरोक्त बाक्स सील व टी0बी0 सील नहीं लगायी गयी है। इसी आधार पर विद्युत चोरी मानते हुए विद्युत कनेक्शन काट दिया गया। परिवादिनी के अनुसार विद्युत कनेक्शन लगाते समय ही उपरोक्त दोनों सील लगाये ही नहीं गये थे।
- प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
- पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री मनोज कुमार को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया गया।
- आदेश दिनांकित 06.09.2010 में यह निर्देश दिया गया है कि वह परिवादी का कनेक्शन वाद लम्बन की अवधि में विद्युत विच्छेदन से संबंधित निर्धारण के संबंध में वसूली न करे। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में कथन किया गया है कि विद्युत कनेक्शन लगाते समय बाडी सील व टी0बी0 सील नहीं लगायी गयी थी, किन्तु विपक्षी कर्मचारियों ने अवांछनीय रूप से पैसा वसूलने के लिए दिनांक 30.07.2010 को विद्यालय के परिसर में आये और परिवादिनी द्वारा पैसा न दिये जाने पर विद्युत कनेक्शन इस आधार पर काट दिया कि बाडी सील व टी0बी0 सील नहीं लगायी गयी है। इस आधार विद्युत चोरी मानते हुए विद्युत कनेक्शन काट दिया गया है।
- इसके विपरीत अपीलकर्ता द्वारा अभिलेख प्रस्तुत किये गये हैं, जिसमें विद्युत प्रबंधन दल के द्वारा चेकिंग रिपोर्ट दिनांकित 30.07.2010 प्रस्तुत की गयी है, जिसमें मीटर की बाडी सील व टी0बी0 सील नहीं है तथा स्कूल के टैरिफ में परिवर्तित करने का उल्लेख किया गया है।
- यह संभव प्रतीत नहीं होता है कि मीटर लगाते समय विद्युत विभाग द्वारा बाडी सील न लगायी जाये। अपीलकर्ता की ओर से प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांकित 30.07.2010 इस कनेक्शन के संबंध में योजित की गयी है एवं प्रत्यर्थी स्कूल पर विद्युत चोरी का अभियोग लगाया गया है। अत: अभिलेखों से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी पर विद्युत चोरी का आरोप विद्युत विभाग द्वारा लगाया गया है एवं इस संबंध में एसेसमेंट विद्युत मूल्य का प्रस्तुत किया गया है, जिसके विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाद पोषणीय एवं संधारणीय नहीं है।
- इस संबंध में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0 बनाम अनीस अहमद III (2013) C.P.J. I (S.C.) के वाद में पारित निर्णय के अनुसार उपरोक्त वाद पोषणीय नहीं है।
- विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग ने गलत प्रकार से उक्त माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को नजरअंदाज करते हुए वाद का संग्रहण एवं निस्तारण किया है, जो उचित नहीं है। तदनुसार निगरानी स्वीकार किये जाने योग्य एवं प्रश्नगत आदेश अपास्त होने योग्य है।
निगरानी स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत आदेश अपास्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)