Oral
State Consumer Disputes Redressal Commission
U.P., Lucknow.
Appeal No.1539 of 2018
New Okhla Industrial Development Authority,
Main Administrative Building, Secto-8, Noida
District, Gautam Budh Nagar through Chief
Executive Officer. ….Appellant.
Versus
Deen Dayal Gupta s/o Late Ved Prakash Gupta,
R/o D-2, Sector-22, Noida, District Gautam
Budh Nagar. ….Respondent.
&
Revision Petition No.186 of 2018
Deen Dayal Gupta s/o Late Ved Prakash Gupta,
R/o D-2, Sector-22, Noida, District Gautam
Budh Nagar U.P. ...Revisionist.
Versus
New Okhla Industrial Development Authority,
through C.O. Noida District, Gautam
Budh Nagar. ...Respondent.
Present:-
1- Hon’ble Mr. Justice Ashok Kumar, President.
2- Hon’ble Mr. Vikas Saxena, Member.
None for appellant/ New Okhla Industrial Development Authority.
Sri Anil Kumar Mishra, Advocate for respondent/revisionist.
Date 8.10.2024
JUDGMENT
Per Mr. Justice Ashok Kumar, President: The instant appeal is pending since last more than 6 years. Previously on various dates Sri Waseeq Uddin Ahmad, counsel for the appellant Noida Authority has sending adjournment applications and getting the appeal adjourned. Previously, on 22.8.2023 following detailed order has been passed:
“22.08.2023
प्रस्तुत अपील विगत साढ़े पांच वर्ष से लम्बित है। विगत पचास तिथियों पर सुनवाई हेतु सूचीबद्ध हुई। पूर्व में अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला लगातार उपस्थित हो रहे थे। दि0 26.09.2022 को निम्न विस्तृत आदेश पूर्व आदेशों को उल्लिखित करते हुये पारित किया गया:-
‘’दिनांक-26.09.2022
वाद पुकारा गया। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित हुए। प्रस्तुत अपील विगत 04 वर्षों से अधिक समय से लम्बित चल रही है। पूर्व में अनेकों तिथियों पर अनेकों विस्तृत आदेश पारित किये गये। दिनांक 01-08-2022 को निम्न आदेश पारित किया गया:-
01-08-2022
Heard Sri Ashok Shukla, Counsel for the appellant, New Okhla Industrial Development Authority (Noida Authority) and Counsel for the opposite party.
The instant appeal is heard alongwith Revision No. 186/2018.
The brief facts of the case are that a complaint has been registered by the opposite party/complainant before the learned District Consumer Commission, Gautam Budha Nagar being Complaint No. 244/2001 which was decided by the learned District Consumer Commission vide judgment and order dated 14-06-2002 directing the appellant/New Okhla Industrial Development Authority (hereinafter referred as NOIDA Authority) to allot the Kiosk for which the complainant has applied in May, 1995 by issuing the following directions:-
‘’शिकायतकर्ता की शिकायत विपक्षी के विरूद्ध क्योस्क के मूल्य अंकन 104599.50 पैसे तथा उस पर मई 1995 से अदायगी की तिथि तक 15 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित दिलाए जाने हेतु स्वीकार की जाती है। विपक्षी शिकायकर्ता को अंकन 1000/- रूपय वाद व्यय के रूप में अदा करेगा।
विपक्षी आज से एक माह के अन्दर अध्यक्ष जिला उपभोक्ता फोरम, गौतमबुद्धनगर के नाम बैंक ड्राफ्ट/पे आर्डर द्वारा करेगा यदि भुगतान इस अवधि में नहीं किया जाता है तो शिकायतकर्ता भुगतान की जाने वाली धनराशि पर उससे आगे 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करेगा। ‘’
Against the said judgment and order dated 14-06-2002 an appeal being Appeal No. 1685/2002 has been preferred by the NOIDA Authority before this Court which was finally disposed of by this Court vide judgment and order dated 12-12-2008 by passing the following order/directions:-
“प्रश्न एक यह उठता है कि क्योस्क यदि प्राधिकरण द्वारा अन्यत्र आवंटित किया जा रहा है क्या वह पूर्व के क्योस्क के समान है और यही वह मानक होगा जो परिवाद का निस्तारण करेगा। तकनीकी दृष्टिकोण में तो यह उचित हो सकता है कि उद्योगपति को सक्षम न्यायालय नियंत्रित करे, लेकिन जहॉं तक सेवा प्रदायक और उपभोक्ता का प्रश्न है, स्पष्ट ही प्राधिकरण और परिवादी में सेवा प्रदायक और उत्तरदाता का सबंध माना जायेगा औरप्राधिकरण ने उक्त पार्क को उद्योग पति को बेचा जिससे प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न हुई। अत: निश्चित ही किसी अन्य स्थान पर परिवादी की व्यवसायिक स्थिति एवं सुविधा को देखते हुए प्राधिकरण क्योस्क का आवंटन करें जहॉं पर उस क्योस्क की व्यवसायिक स्थिति पूर्व में आवंटित क्योस्क के समान हो और यह करते समय प्राधिकरण के द्वारा परिवादी के निवास से दूरी एवं अन्य सभी सम्यक परिस्थितियों पर विचार किया जायेगा। यह क ऐसा छोटा प्रकरण है जो किसी भी न्यायप्रिय प्राधिकरण के अधिकारी द्वारा चुटकियों में सुलझाया जा सकता है। प्राधिकरण से अपेक्षा की जाती है कि इस निर्णय में वर्णित विचारों के अनुसार परिवादी को एक समुचित क्योस्क उपलब्ध कराये, क्योंकि हमारी समझ में परिवादी को यह क्योस्क अपने तथा अपने परिवाद के जीविकोपार्जन के लिए चाहिए। अगर किसी प्रकार स्पष्ट ही परिवादी न्यायालय असफल होते हैं तो विचार की स्थिति उत्पन्न होगी और उस समय विचार व्यक्त किये जायेंगे। उस स्थिति में आयोग से पुन: विचातार्थ आग्रह हो सकता है।
आदेश
तदनुसार इस अपील का निस्तारण किया जाता है।
परिस्थितिजन्य उभय पक्षकार व्यय-भार स्वयं अपना-अपना वहन करेंगे।
दोनों पक्षों को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार दी जावे।“
An execution application has been filed being Execution Case No. 39/2009 Ved Prakash V/s New Okhla Industrial Development Authority for compliance of the order passed by the learned District Consumer Commission, confirmed by this Court in which the following order has been passed on 20-07-2009.
“आदेश
20.7.2009
परिवादी ने माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा पारित आदेश के प्रकाश में मूल आवंटित कियोस्क (खोखा) के स्थान पर समान व्यवसायिक स्थिति का क्योस्क दिलाये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने विभागीय टिप्पणी की प्रति प्रस्तुत कर निवेदन किया है कि परिवादी को मूल रूप से आवंटित सैक्टर-7 का क्योस्क अभी भी परिवादी के कब्जे में है। अत: दूसरा क्योस्क दिलाये जाना सम्भव नहीं है। विपक्षी का यह निवेदन माननीय आयोग द्वारा पारित आदेश के विपरीत ही नहीं बल्कि माननीय आयोग के आदेश की अवहेलना करना है।
परिवादी द्वारा विभागीय टिप्पणी की गई प्रकिया पत्रावली पर उपलबध करायी है, जिससे यह पाया जाता है कि विपक्षी के पास सामान व्यवसायिक स्थिति का क्योस्क सैक्टर-18 में विद्यमान है। परिवादी ने उक्त क्योस्क जो कि सैक्टर-18 में स्थित है को सामान व्यवसायिक की स्थिति मानते हुये परिवादी ने अपनी सहमति प्रकट की है, चूंकि विभागयी टिप्पणी से सैक्टर -18 में कियोस्क पाया जाता है और परिवादी भी उसके लिए सहमत है। ऐसी दशा में विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि सै0-18 में रिक्त क्योस्क परिवादी को एक माह के अन्दर देकर कब्जा प्रदान करे। यह उक्त आदेश का पालन एक माह के अन्तर्गत नहीं किया जाता है तो विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-25/27 के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी। अग्रिम तिथि दिनांक 21.8.09 को अग्रिम आदेश हेतु पेश हो।“
Against the order dated 20-07-2009 a revision petition has been filed by the NOIDA Authority before this Court which was finally dismissed by this Court vide judgment and order dated 24-08-2009.
Against the said judgment and order dated 24-08-2009 a Revision Petition No. 4009/2009 has been preferred and filed before the Hon’ble National Consumer Disputes Redressal Commission, New Delhi which was initially entertained, however, vide judgment and order dated 22-12-2016 the said revision petition filed by the NOIDA Authority was dismissed. The relevant directions/observations of the Hon’ble National Commission are quoted hereinbelow:-
“19. The Complainant seeks allotment in Sector-9 which he has initially prayed for as it was conducive for his running of the Tea Stall for his livelihood. Technically speaking, the Complainant, having accepted the direction of the State Commission for allotment of Kiosk in Section-18 is now stopped from making a request for allotment in Sector-9.
20. Having regard to the 25 year old chequered history and the fact that the Complainant was running a Tea Stall at the Kiosk for his livelihood and that the State Commission has directed for allotment in Sector-18, on the basis of the order dated 16-05-2008, this Commission does not find any jurisdictional error or illegality in the impugned order which was passed by the State Commission against the Execution proceedings of the District Forum. Also, keeping in view the limited revisional jurisdiction envisaged by the Hon’ble Apex Court in Mrs. Rubi (Chandra) Dutta sVs. United India Insurance Co. Ltd., (2011) 11 SCC 269, this Revision Petition is, accordingly, dismissed. No order as to costs.”
Since the order passed by this Court is not complied with, nor the order passed by the Hon’ble National Commision, an execution petition No. 34/2017 has been filed by the complainant/opposite party in which the learned District Consumer Commission has passed the following order dated 17-10-2017.
“17.10.2017
वाद पुकारा गया। उभय पक्ष उपस्थित हैं। परिवादी ने बताया है कि मा0 राज्य आयोग व मा0 राष्ट्रीय आयोग के द्वारा सैक्टर-18 में आवंटन करने के लिए आदेश दिये गये हैं। विपक्षी नोएडा अथारिटी भी सैक्टर-18 में प्लाट देने के लिए प्रस्ताव किया है, परन्तु अथारिटरी का कहना है कि वर्तमान रेट पर ही यह आवंटन किया जा सकेगा और पूर्व में आवंटित क्योस्क के रेट में जो अंतर आयेगा, वह परिवादी को देना होगा। परिवादी का कहना है कि अथारिटी द्वारा सैक्टर-18 में आवंटन हेतु स्थान चिन्हित किये गये थे, यदि अथारिटी उन्हें स्पष्ट रूप से चिन्हित स्थान को बताये और यह भी बताये कि उसे कितनी धनराशि अन्तर के रूप में अदा करनी है तब वह अथारिटी के प्रस्ताव को स्वीकार कर सकेगें। अत: आदेशित किया जाता है कि अथारिटी अग्रिम तिथि पर स्पष्ट व पूर्ण प्रस्ताव न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें कि सैक्टर-18 में किस स्थान पर आवंटन किया जाना है। परिवादी को कितनी धनराशि का अन्तर अदा करना होगा, ताकि परिवादी को अथारिटी के प्रस्ताव को कार करने में सहुलियत हो सके और सम्पूर्ण परिवाद का निस्तारण हो सके। वाद वास्ते दिनांक 17.11.2017 को पेश हो।“
Thereafter the appellant NOIDA Authority has submitted a proposal dated 15-11-2017, a copy of which is enclosed as Annexure-11 Page-43. In the said proposal letter the NOIDA Authority has specifically offered Kiosk measuring 6.20 square meter at Sector-18 providing two options to the complainant for which an amount of Rs.4,45,000/- per square meter was demanded whereas in the original offer for the Kiosk at Sector-7 th rate was indicated at the rate of Rs.3,15,000/- per square meter, therefore, the difference is asked to be paid by the complainant to the tune of Rs.8,06,000/-.
The complainant thereafter approached the learned District Consumer Commission and filed an application bringing on record and to the notice of the learned District Consumer Commission with regard to the orders passed by learned District Consumer Commission, this Commission as well as Hon’ble National Commission time to time. The learned District Consumer Commission has passed the impugned order in the said Complaint No. 34/2017 (wrongly mentioned complaint whereas it is an execution case No. 34/2017). By the said impugned order the execution application/petition was allowed and the NOIDA Authority was directed to allot/provide the Kiosk on the basis of initial terms and conditions which are initially provided by the NOIDA Authority. The learned District Consumer Commission has further directed the NOIDA Authority to comply with the order by providing Kiosk to the complainant at Sector-18 near McDonald’s.
During the pendency of appeal this Court has heard the matter on different dates and since the NOIDA Authority has not complied with the orders passed by the learned District Consumer Commission, this Court as well as Hon’ble National Commission, with the consent of learned Counsels for the respective parties an Advocate Commissioner was appointed who has visited the proposed site of the Kiosk and has submitted his report dated 04-04-2022. The Advocate Commissioner’s report clearly indicates that the Advocate Commissioner has found no construction at the proposed site. He has also mentioned that on asking by the complainant Deen Dayal Gupta the NOIDA Authority officers has pointed out a temporary Kiosk which was made by the ply board. The person representing the NOIDA Authority has informed the Advocate Commissioner that on the said place no permanent construction can be made for the reason that the said place is the part of the layout plan of a high rise building and at that place underground electric wire is installed.
The Advocate Commissioner has further reported that the officials/employees of the NOIDA Authority thereafter shown a toilet which was situated at northern side of the triangle green place and proposed to allot the said toilet to the complainant. The AdvocateCommissioner has clearly mentioned in his report that the said toilet is functional and further that the authorities asked the complainant for demolition of the said toilet and construction of Kiosk for which they directed the complainant to pay sum of Rs.10,83,351/- apart from the difference of the amount deposited by the complainant with regard to the initial allotment at Sector-7 that was calculated to the tune of Rs.8,06,000/-. The employee of the NOIDA Authority has also placed a paper and has informed the Advocate Commissioner that the complainant has agreed for the said proposal of toilet to be dismantled and the Kiosk is constructed at that place.
The learned Advocate Commissioner has submitted that the complainant has stated before him that he is a poor man and is fighting for his rights since last 30 years. During this period of 30 years his father died and therefore it is difficult for him to fight the case any more because of his poor financial condition.
From the perusal of the report of the Advocate Commissioner this Court finds that the act of the NOIDA Authority is wholly illegal, arbitrary and nothing but to harass the complainant and to disregard the orders of the Courts.
We have further noticed that the NOIDA Authority is deliberately not complying the orders passed by the learned District Consumer Commission, this Court as well as Hon’ble National Commission.
Having such a peculiar situation we direct the CEO, NOIDA Authority to appear before this Court alongwith the original records of this case. We further direct the NOIDA Authority, the appellant to pay sum of Rs.5,00,000/- (Rupees Five Lacs Only) to the complainant on the next date fixed as a penalty/cost. We will pass the judgment and order after hearing the Chief Executive Officer of the appellant authority as well as the Counsel for the respepctive parties on the next date fixed.
List this appeal before this bench on 10-08-2022 at 02.00 P.M.
Counsel for the appellant will provide copy of this order to the Chief Executive Officer, NOIDA Authority within 48 hours.
तदोपरान्त अगली निश्चित तिथि पर अर्थात दिनांक 10-08-2022 को निम्न आदेश पारित किया गया:
दिनांक :10-08-2022
वाद पुकारा गया।
इस न्यायालय द्वारा पारित निम्न विस्तृत आदेश दिनांक 01-08-2022 के अनुपालन में प्रस्तुत अपील इस पीठ के सम्मुख आज सूचीबद्ध है साथ ही उपरोक्त अपील के साथ संबधित पुनरीक्षण संख्या-186/2018 भी आज सुनवाई हेतु सूचीबद्ध है।
दिनांक 01-08-2022 के उपरोक्त उल्लिखित आदेश के विरूद्ध अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा एक रिट याचिका Writ-c No-5220/2022 मा0 उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ के सम्मुख योजित की गयी है जिसमें मा0 उच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त रिट याचिका के प्रत्यर्थी संख्या-1 दीन दयाल गुप्ता को दस्ती/पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस प्रेषित किये जाने हेतु आदेशित किया है तथा उपरोक्त रिट याचिका को दिनांक 12-09-2022 के सप्ताह में सूचीबद्ध किये जाने हेतु भी आदेश किया है।।
इस न्यायालय द्वारा दिनांक 01-08-2022 के आदेश द्वारा मा0 उच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की उपस्थिति इस न्यायालय के सम्मुख आज निश्चित तिथि पर स्थगित की गयी है तथा इस न्यायालय द्वारा दिनांक 01-08-2022 में पारित आदेश अर्थात पेनाल्टी/हर्जाने के रूप में रू0 5,00,000/- राज्य आयोग के निबन्धक के सम्मुख जमा किये जाने हेतु आदेशित किया है, जिसके अनुपालन में प्राधिकरण की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला द्वारा एक चेक संख्या-127488 केनरा बैंक , न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी दिनांक 08-08-2022 का प्रस्तुत किया गया जिसे निबन्धक राज्य आयोग विधि के अनुसार अपनी सुरक्षा में रखेंगे इसके साथ ही मा0 उच्च न्यायालय द्वारा यह भी आदेशित किया गया है कि उपरोक्त जमा धनराशि रू0 5,00,000/- प्रस्तुत अपील के निर्णय के पश्चात यदि प्रत्यर्थी संख्या-1 दीन दयाल गुप्ता को देय हो, तो विधि अनुसार प्राप्त करायी जावे।
तदनुसार उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया।
अपीलार्थी प्राधिकरण के विद्धान अधिवक्ता द्वारा दौरान बहस कथन किया गया कि प्राधिकरण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को दो स्थानों में से एक स्थान पर सेक्टर-18 में क्योस्क संख्या-एम-1 दिया जा सकता है जो कि प्राधिकरण के कब्जे में है और क्योस्क संख्या-एम-02 विवादित है और उस पर अनाधिकृत रूप से अराजक तथ्यों द्वारा अवैध कब्जा किया गया हैं जिसे खाली कराये जाने हेतु कार्यवाही की जा रही है।
तदनुसार अपीलार्थी प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि वह प्राधिकरण के उपरोक्त विवादित स्थल एम-2 का कब्जा विधि अनुसार यथा सम्भव शीघ्रातिशीघ्र अपने कब्जे में लेना सुनिश्चित करें ताकि उपरोक्त दोनों प्रस्तावित स्थलों (क्योस्क संख्या-एम-1 एवं एम-2) का निरीक्षण प्रत्यर्थी संख्या-1 दीन दयाल गुप्ता अथवा उनके परिवारीजन/पुत्र द्वारा दिनांक 01-09-2022 को कर अपने अधिकवक्ता द्वारा उपरोक्त स्थल के रंगीन चित्र व आख्या प्रस्तुत की जावे साथ ही अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता प्रश्गनत अपील में अपना पक्ष लिखित रूप में यदि चाहें तो दो सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत कर सकते हैं।
तदनुसार उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण की सहमति से प्रस्तुत अपील को संबंधित पुनरीक्षण वाद के साथ सुनवाई हेतु दिनांक 21-09-2022 को सूचीबद्ध किया जावे।
अपीलार्थी प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मा0 उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में आज उपस्थित नहीं हैं तदनुसार अगली तिथि पर इस न्यायालय द्वारा विधि अनुसार तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए आदेश पारित किया जावेगा।
तदोपरान्त प्रस्तुत अपील आज संबंधित पुनरीक्षण याचिका संख्या- 186/2018 के साथ सूचीबद्ध है।
पिछली तिथि के पश्चात प्रत्यर्थी द्वारा अपने अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा से अनुरोध कर उन्हें वास्तविक स्थिति के निरीक्षण हेतु तैयार किया गया तदनुसार प्रत्यर्थी के अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा द्वारा अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित जगह/स्थान का निरीक्षण किया गया साथ ही स्थल निरीक्षण के 20 रंगीन चित्र/फोटोग्राफ्स पत्रावली पर प्रमाण पत्र दिनांक 23-09-2022 के माध्यम से प्रस्तुत किये गये जिनकी प्रति प्राधिकरण के अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला को दिनांक 23-09-2022 को ही प्राप्त करायी जा चुकी है।
अपीलार्थी प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला द्वारा उपरोक्त प्रमाण पत्र सचित्र प्राधिकरण के संबंधित वरिष्ठ अधिकारी को प्रेषित किये जाने हेतु दो सप्ताह का समय प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गयी साथ ही प्रार्थना की गयी कि प्राधिकरण दो सप्ताह में उपरोक्त शपथ-पत्र व चित्र के सम्बन्ध में अपना उत्तर उक्त अवधि में प्रस्तुत किया करेंगे।
प्रार्थना स्वीकृत।
तदनुसार अपीलार्थी प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि अगली तिथि पर अपीलार्थी प्राधिकरण के वरिष्ठ सम्पत्ति अधिकारी इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित होकर प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत शपथ-पत्र 23-09-2022 के साथ संलग्न चित्र के सम्बन्ध में समुचित उत्तर प्रस्तुत करें।
प्रथम दृष्टया इस न्यायालय द्वारा यह तथ्य पाए गये कि अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा इस न्यायालय को भ्रमित करने के लिए फ्लैट संख्या-1 व 2 के बैनर जगह-जगह फिक्स किये गये तथा उन जगहों पर फिक्स किये गये जहॉं पर विद्युत विभाग का ट्रांसफार्मर था, जहॉं पर नाला था, जो स्थान कदापि प्रत्यर्थी द्वारा प्रतिष्ठान हेतु स्वीकृत होने योग्य नहीं कहा जा सकता है।
अगली निश्चित तिथि पर अपीलार्थी द्वारा उपरोक्त समस्त तथ्यों का संज्ञान लेते हुए अपना पक्ष यदि इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया जावेगा तब उस स्थिति में अपीलार्थी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जावेगा।
प्रस्तुत अपील को सुनवाई हेतु दिनांक 25-11-2022 को इस न्यायालय के सम्मुख इसी संबंधित पीठ (मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष, एवं माननीय सदस्य श्री विकास सक्सेना) के समक्ष संबंधित पुनरीक्षण संख्या-186/2018 के साथ सूचीबद्ध किया जावे।‘’
तदोपरांत अपेक्षित नोटिस प्रेषित की गई। विगत कुछ तिथियों से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला या तो अनुपस्थित रहे या उपस्थित होने पर उनके द्वारा कथन किया गया कि अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा उन्हें समुचित दिशा-निर्देश एवं सहयोग प्रदान नहीं किया जा रहा है, जिस कारण वे अपील में पक्ष रखने में असमर्थ हैं। आज वे पुन: अनुपस्थित हैं। तदनुसार अपीलार्थी न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चीफ एक्जीक्यूटिव आफीसर (सी0ई0ओ0) को आदेश की प्रति कार्यालय/निबंधक द्वारा एक सप्ताह की अवधि में पंजीकृत डाक से प्रेषित की जावे। अगली तिथि की सूचना हेतु आदेश प्रति प्रेषित किया जाना उपयुक्त है। अगली तिथि पर यदि अपीलार्थी की ओर से पक्ष प्रस्तुत नहीं किया जायेगा तब अपील गुण-दोष के आधार पर निस्तारित करते हुये भारी दण्ड भी योजित किया जावेगा। तदनुसार प्रस्तुत अपील सम्बन्धित पुनरीक्षण सं0- 186/2018 के साथ इसी पीठ (मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष एवं मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य) के सम्मुख पुन: दि0 31.10.2023 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध की जावे।
Thereafter, continuously the counsel for the appellant is getting the matter adjourned on one pretext or the other. On 28.5.2024 following order has been passed:
“8-05-2024
The case is called out.
Counsel for the appellant is not present.
Pass Over.
List along with RP/186/2018 before this bench for final hearing on 30-07-2024.”
Again on 30.7.2024 following order has been passed:
“30.07.2024
विगत कई तिथियों से श्री वसीक उद्दीन अहमद विद्वान अधिवक्ता नोएडा अथारिटी की ओर से स्थगन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रश्नगत अपील व अन्य वाद इस विशेष पीठ के सम्मुख आज सूचीबद्ध है। चूँकि अपीलार्थी नोएडा प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्ता श्री वसीक उद्दीन अहमद द्वारा वाद स्थगित कराया जा रहा है। अतएव अन्तिम रूप से एक अवसर प्रदान किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। इस आदेश की प्रति प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 मिश्रा द्वारा पंजीकृत डाक से सी0ई0ओ0 मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अपीलार्थी न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी, मेन एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग, सेक्टर-6, नोएडा जिला गौतमबुद्ध नगर, द्वारा चीफ एक्जीक्यूटिव आफीसर को एक सप्ताह की अवधि में प्रेषित की जावेगी। तदनुसार कार्यवाही अपेक्षित है। अत: प्रस्तुत अपील सम्बन्धित पुनरीक्षण सं0- 186/2018 के साथ पुन: इसी पीठ के सम्मुख दि0 03.09.2024 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध की जावे।”
Instead of complying the previous orders referred herein above Sri Waseeq Uddin Ahmad again failed to appear before the bench on the next dated i.e. 3.9.2024. Today again, he has sent illness slip/adjournment referring therein that since he is out of station, therefore, cannot appear before this court. The said adjournment application is rejected.
In view of above, the instant appeal is dismissed for want of prosecution on account of continuous adjournments sought by the counsel for the appellant Noida Authority.
Accordingly, the connected revision petition no.186 of 2018 is also dismissed.
Interim order, if any, is automatically vacated.
If any amount is deposited by the appellant at the time of filing of this appeal under section 15 of the Consumer Protection Act, 1986, may be remitted to the ld. District Consumer Commission, concerned for satisfying the decree as per rules alongwith accrued interest upto date.
A certified copy of this order be placed on the record of Revision petition no.186 of 2018.
The stenographer is requested to upload this order on the Website of this Commission today itself.
Certified copy of this order be provided to the parties in accordance with rules.
(Justice Ashok Kumar) (Vikas Saxena)
President Member
Jafri PA-I
Court-1