राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
विविध वाद संख्या-393/2022
राजकुमार पुत्र श्री बी0 लाल
बनाम
न्यू लीलामणि हास्पिटल प्रा0लि0 व दो अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
प्रार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अभिषेक तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 21.02.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत प्रार्थना पत्र द्वारा प्रार्थी/परिवादी राजकुमार इस न्यायालय के सम्मुख निम्न प्रार्थना के साथ योजित किया गया:-
- To decide the complaint in Expeditious Manner, in accordance with law.
- Not to allow/grant any unnecessary adjuournments to the opposite parties.
- Cost of Litigation expenses be allowed in favor of petitioner for this petition.
- Any other relief which the Hon’ble commission deemed fit and proper in the facts and circumstances of the present case.
दौरान वर्चुअल सुनवाई प्रार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी को विस्तार से सुना, जिनके द्वारा यह कथन किया गया कि परिवाद संख्या-279/2013 राजकुमार बनाम न्यू लीलामणि हास्पिटल आदि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर के सम्मुख विगत 11 वर्षों से अधिक समय से लम्बित है तथा यह कि विपक्षी पक्षकार के अधिवक्तागण द्वारा नियत तिथि पर स्थगन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद अनेकों तिथियों पर पूर्व में स्थगित कराया जाता रहा है। तदनुसार
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इस न्यायालय द्वारा समुचित आदेश वास्ते परिवाद शीघ्र निस्तारण हेतु पारित किया जाये।
मेरे द्वारा प्रार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी को सुनने व पत्रावली का परीक्षण व परिशीलन करने के उपरान्त यह पाया जाता है कि विगत 11 वर्षों से परिवाद लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर विपक्षी पक्षकार के अधिवक्तागण द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र के अनुपालन में स्थगित किया जाता रहा है। कुछ तिथियों पर परिवाद पीठ की अनुपलब्धता के कारण भी स्थगित किया गया है।
समस्त तथ्यों को विचारित करते हुए बिना गुणदोष पर कोई व्याख्या करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर से आग्रह किया जाता है कि उपरोक्त परिवाद संख्या-279/2013 राजकुमार बनाम न्यू लीलामणि हास्पिटल आदि यथासम्भव 06 माह की अवधि में पक्षकारों को बिना किसी उचित कारण के स्थगन प्रदान न करते हुए गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया जावे।
तदनुसार प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1