Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/153/2016

MURARI LAL - Complainant(s)

Versus

NEW KOHINOOR WATCH & CHASHMA CENTER - Opp.Party(s)

SANJAY KUMAR PANDEY

11 Jan 2021

ORDER

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 153 सन् 2016

प्रस्तुति दिनांक 02.09.2016

                                                                                             निर्णय दिनांक 11.1.2021      

मुरारी लाल S/o स्वo अभिनन्दन लाल, साo- कोलबाज बहादुर, पोस्ट- भंवरनाथ, शहर व जिला- आजमगढ़, उoप्रo।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. न्यू कोहिनूर वाच एण्ड चश्मा सेन्टर, तकिया, आजमगढ़, टिन नं. 09585200816 द्वारा प्रोपराइटर।
  2. लावा इण्टर नेशनल लिमिटेड, कार्पोरेट ऑफिस- ए- 56, सेक्टर- 64, नोएडा- 201301 (उoप्रo) टेलीफोन नं. 120-4637100 द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्टर।  
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि दिनांक 13.06.2016 को वह मोबाइल खरीदने के लिए विपक्षी संख्या 01 की दुकान पर गया। विपक्षी ने उसे यह बताया कि आजकल लावा मोबाइल अच्छा चल रहा है। अतः उसके बातों को विश्वास करके उसने एक लावा की मोबाइल ए.आर.सी.285 मुo 1500/- रुपए में उसी दिन खरीद लिया। जिसमें 12 महीने की वारण्टी दी गयी थी। दो माह बाद ही मोबाइल खराब हो गयी। जिसकी सूचना विपक्षी संख्या 01 को अगस्त माह की 15 तारीख को दिया तो उन्होंने शिकायतकर्ता को दो दिन बाद अपनी दुकान पर आकर अपनी मोबाइल को जमा करने के लिए कहा। दो दिन बाद शिकायतकर्ता उसकी दुकान पर पहुंचा तो उन्होंने बताया कि अभी कम्पनी के इंजीनियर नहीं आया है आप दो दिन बाद आईए। परिवादी विपक्षी के दुकान पर बार-बार जाता रहा, लेकिन उसने अन्त में मोबाइल लेने से इन्कार कर दिया। अतः याची की मोबाइल की मरम्त विपक्षीगण से करवाई जाए। वाद खर्च 2000/-, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 25000/- रुपया दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 मोबाइल क्रय करने की रसीद, कागज संख्या 5/2 राशनकार्ड की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।  

    P.T.O.

2

विपक्षी संख्या 02 द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत कर यह कहा है कि परिवाद पत्र इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। फोरम द्वारा भेजी गयी नोटिस के साथ केवल परिवाद पत्र की प्रति प्राप्त हुई और कोई संलग्नक प्राप्त नहीं है। शेष धाराओं से उसने इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि लावा मोबाइल में कोई भी खराबी उत्पन्न होने पर ग्राहक को स्वयं सर्विस सेन्टर पर ले जाना होता है। मोबाइल के साथ दी जाने वाली यूजर मैनुअल में इस बात का स्पष्ट उल्लेख रहता है कि यदि मोबाइल में कोई खराबी उत्पन्न होती है तो ग्राहक को स्वयं निकटतम अधिकृत लावा सर्विस सन्टर ले जाना होगा एवं मरम्मत केवल अधिकृत लावा सर्विस सेन्टर में ही करायी जा सकती है। परिवाद पत्र में कथन किया गया है कि विपक्षी संख्या 01 व 02 लावा कम्पनी का सर्विस सेन्टर नहीं है एवं रिपेयरिंग के लिए अधिकृत नहीं है। विपक्षी संख्या 02 का यह कहना है कि अधिकृत लावा सर्विस सेन्टर में मोबाइल रिपेयरिंग के लिए दिए जाने पर सर्वप्रथम मोबाइल जमा करके जॉबशीट जारी की जाती है जिसका एक नम्बर होता है जिसमें उपभोक्ता का नाम व पता एवं मोबाइल नम्बर के साथ खराबी आदि का उल्लेख रहता है। परिवादी ने मोबाइल खराबी के सम्बन्ध में जॉबशीट दाखिल नहीं किया है जिससे यह साबित हो सके कि परिवादी का मोबाइल खराब हुआ व रिपेयर हुआ। परिवादी द्वारा लावा सर्विस सेन्टर पर कभी कोई शिकायत नहीं की गयी। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। खराबी सिद्ध करने की बात परिवादी के ऊपर है। परिवादी कोई भी अनुतोष पाने के लिए अधिकृत नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र कथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथनों में यह कहा है कि प्रश्नगत मोबाइल के अद्यतन ज्ञान में किसी भी रूप में दूषित नहीं है। प्रश्नगत मोबाइल का संचालन सुचारू रूप से परिवादी कर रहा है। क्योंकि परिवादी द्वारा न तो परिवाद प्रस्तुत करते समय उक्त कथित दूषित प्रश्नगत मोबाइल को न तो सम्माननीय फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया औ न ही कोई पुष्ट प्रमाण ही अधिकृत सर्विस सेन्टर तथा स्वतन्त्र विशेषज्ञ की आख्या अथवा प्रमाण अद्यतन प्रस्तुत किया है। परिवादी ने वास्तविक तथ्यों को जानबूझकर छिपाया है। परिवादी द्वारा खराब मोबाइल की सूचना विपक्षी को नहीं है। मोबाइल क्रय करने के बाद उसने सही ढंग से रखने का दायित्व परिवादी का था। परिवाद संधार्य नहीं है। परिवादी ने गलत कथन किया है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।

  P.T.O.

3

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

पत्रावली जब दिनांक 30.12.2020 को पेश हुई तो परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित थे। बहस सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया। परिवादी ने जब मोबाइल क्रय किया था तो उसकी क्रय रसीद कागज संख्या 5/1 प्रस्तुत किया है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी को 12 महीने की वारण्टी दी गयी थी और परिवादी ने परिवाद पत्र के पैरा 3 में भी कहा है कि 12 माह की वारण्टी दी गयी थी, उसके पहले ही उसका मोबाइल खराब हो गया। परिवादी खराब हुई मोबाइल को विपक्षी संख्या 01 के पास ले गया था। विपक्षी संख्या 01 ने मोबाइल सर्विस सेन्टर पर ले जाने के लिए लिया लेकिन सर्विस सेन्टर नहीं भेजा और न ही मरम्मत कराया। इस प्रकार हमारे विचार से परिवाद पत्र स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

    परिवाद-पत्र स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर 30 दिन परिवादी को मुo 1,500/- (रु. एक हजार पांच सौ मात्र) रुपया अदा करे, जिस पर परिवाद दाखिला के दिन से अन्तिम भुगतान तक परिवादी 09% वार्षिक ब्याज पाने का हकदार होगा। परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए मुo1,000/- (रु. एक हजार मात्र) रुपया भी अदा करें। 

 

 

 

 

                                                                   गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

                                                 (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

        दिनांक 11.01.2021

                                        यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

                                   गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                     (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

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