Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/275

Shyam Bahadur Singh - Complainant(s)

Versus

New India Insurance - Opp.Party(s)

H K Srivastava , H.K. Shukla

17 Dec 2008

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/275
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Shyam Bahadur Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. New India Insurance
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-275/2001

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या- 214/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-01-2001 के विरूद्ध)        

श्‍याम बहादुर सिंह पुत्र श्री स्‍व0 राम लखन सिंह साकिन दुहवॉ तप्‍पा गौर, परगना बस्‍ती पश्चिम तहसील हरइया जिला- बस्‍ती

                                                                .अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1-न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, बस्‍ती जिला- बस्‍ती।

2- कमर अली पुत्र श्री सहादत साकिन अम्‍बरपुर पोस्‍ट व थाना गौर जिला- बस्‍ती।

                                                                     ...प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संदीप कुमार, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : श्री दिनेश कुमार, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक03-07-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या- 214/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-01-2001 की विरूद्ध प्रस्‍तुत की है। उपरोक्‍त निर्णय द्वारा परिवादी का परिवाद खारिज किया गया है।

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि मूल परिवादी राम लखन की मृत्‍यु हो चुकी है, उसने परिवाद न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी के विरूद्ध दायर किया था, जिसमें कहा गया है कि विपक्षीसं0-2 महिन्‍द्रा ट्रैक्‍टर का ड्राइवर था। ट्रैक्‍टर को दिनांक 22-04-1993 को लापरवाही से चलाये जाने के कारा परिवादी पुत्र जीतेन्‍द्र बहादुर सिंह, घायल हो गया और ट्रैक्‍टर भी क्षतिग्रस्‍त हो गया और परिवादी के लड़के जीतेन्‍द्र बहादुर सिंह की मृत्‍यु दिनांक 26-04-1993 को हो गई। परिवादी ने पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज

(2)

कराई, लेकिन सही तथ्‍य नहीं नोट किये गये और 85,000-00 रूपये ट्रैक्‍टर के मरम्‍मत में खर्च हो गये। परिवादी अनुतोष के लिए मांग किया, लेकिन उसे अदा नहीं किया गया। परिवादी ने जीतेन्‍द्र बहादुर सिंह का मृत्‍य प्रमाण पत्र दाखिल किया है। परिवादी ने गवाह श्‍याम बहादुर सिंह और राजकुमार सिंह का भी दाखिल किया है।

     प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी के तरफ से शाखा प्रबन्‍धक, अनिल कुमार का शपथ पत्र दाखिल किया कि और परिवाद के सभी तथ्‍यों से इंकार किया है और यह भी कहा गया है कि 86,000-00 रूपये रिपेयर में खर्च नहीं हुए है और फोरम के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती दी गई और समय-सीमा को भी चुनौती दी गई है। बीमा कम्‍पनी ने क्‍लेम खारिज किये जाने के सम्‍बन्‍ध में तथा सर्वेयर की जॉच रिपोर्ट भी दाखिल किया है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि काफी नुकसान ट्रैक्‍टर में हुआ है। दोनों पक्षों को दिनांक 18-12-2000 एवं 19-12-2000 को सुना गया। जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपने निर्णय में यह कहा है कि विस्‍तृत तथ्‍यों की जॉच होनी है, जो कि विस्‍तृत कार्यवाही इस फोरम के समक्ष सम्‍भव नही है और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह पाया कि परिवाद जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष विचारणीय नहीं है और इसलिए परिवाद खारिज कर दिया।

     अपील के आधार में अपीलकर्ता के तरफ से कहा गया है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम का आदेश दिनांक 09-01-2001 अवैधानिक है और भारतीय परिसीमा अधिनियम के विषय को वाद का विधिक बिन्‍दु बनाकर निस्‍तारण किया जाना विधि संगत नहीं है। जिला उपभोक्‍ता फोरम का आदेश अवैधानिक है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। जिला उपभोक्‍ता फोरम ने परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पत्र में वर्णित समस्‍त तथ्‍यों, प्रपत्रों

 

(3)

का पूर्ण रूप से अवलोकन किये बिना व विपक्षी के जवाबदावा को आधार मानकर निर्णय पारित किया है, वह गलत है, निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।   

     केस के तथ्‍यों परिस्थितियों एवं जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्‍ता फोरम ने इस केस को विस्‍तृत साक्ष्‍य आने के तथ्‍य को कहकर खारिज कर दिया कि फोरम के द्वारा केवल संक्षिप्‍त विचारण के मामले ही सुने जा सकते है और ट्रैक्‍टर के नुकसान के सम्‍बन्‍ध में काफी छानबीन व विवेचना की आवश्‍यकता है, इसलिए जिला उपभोक्‍ता फोरम इस मामले को तय नहीं कर सकता।

     केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए जिला उपभोक्‍ता फोरम ने उक्‍त निर्णय में जो निष्‍कर्ष दिया है, वह त्रुटिपूर्ण है और जिला उपभोक्‍ता फोरम का निर्णय/आदेश निरस्‍त होने योग्‍य है और इस प्रकरण को पुन: गुणदोष के आधार पर सुनवाई हेतु रिमाण्‍ड किये जाने योग्‍य है।     

     आदेश

     अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या- 214/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-01-2001 को निरस्‍त करते हुए उक्‍त केस को रिमाण्‍ड किया जाता है और जिला उपभोक्‍ता फोरम, बस्‍ती को निर्देशित किया जाता है कि उक्‍त प्रकरण में उभय पक्ष को पुन: साक्ष्‍य/सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए केस का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।

     उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 (राम चरन चौधरी)                      ( राज कमल गुप्‍ता )

  पीठासीन सदस्‍य                            सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु. कोर्ट नं0-5

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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