जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/2012/17
प्रस्तुति दिनांक:- 11/05/2012
अशोक कुमार तम्बोली वल्द बंषीलाल तम्बोली
निवासी ग्राम करनौद तहसील चाॅंपा,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. ...................आवेदक/परिवादी
( विरूद्ध )
न्यू इण्डिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड
डिवीजनल कार्यालय कोरबा
जिला कोरबा छ.ग. .........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
///आदेश///
( आज दिनांक 16/09/2015 को पारित)
1. आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत अनावेदक के विरूद्ध यह परिवाद वाहन मरम्मत के लिए 11,10,057/-रू. तथा उक्त राषि पर 12 प्रतिषत की दर से दिनांक 10.05.2010 से वसूली दिनांक तक ब्याज, 20,000/-रू. क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय दिलाए जाने हेतु दिनांक 11.05.2012 को प्रस्तुत किया है ।
2. परिवाद के अंतर्गत यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी/आवेदक के स्वामित्व की वाहन क्रमांक सी.जी. 11-ए-7322 का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी ने किया था और बीमा पाॅलिसी प्रभावी था। यह भी अविवादित तथ्य है कि दिनांक 27.03.2012 को अनावेदक ने आवेदक के मोटर दुर्घटना दावा प्रपत्र को निरस्त कर दिया ।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक यात्री वाहन क्रमांक सी.जी. 11-ए-7322 इंजन क्रमांक 497 टी.सी. 93 बी.एस. 281500 चेचिस नंबर 386513-बी.एस.-2804710 का पंजीकृत स्वामी है, जिसका बीमा अनावेदक ने किया था, जिसका पाॅलिसी नंबर 45090031090100201932 है, जो दिनांक 14.01.2010 से दिनांक 13.01.2011 तक प्रभावी था। उक्त अवधि में दिनांक 16.05.2010 को रात्रि 13 बजे लखाली लखुर्री मार्ग पर वाहन स्टेयरिंग के फेल हो जाने पर दुर्घटनाग्रस्त हाने के कारण जलकर राख हो गया, जिसकी सूचना आवेदक ने अपने फायनेंसर बैंक को दी तथा बैंक ने दिनांक 17.05.2010 को अनावेदक को दी, जिस पर घटना की जाॅच करने अनावेदक का एक जाॅच अधिकारी दिनांक 17.05.2010 को फोटोग्र्राफ आदि करके ले गया। अनावेदक का एक एजेंट या कर्मचारी आया उसने एक क्लेम फार्म भरवाया और लेकर चला गया। उक्त घटना की रिपोर्ट थाना सारागांव में दिनांक 16.05.2010 को की गई थी। आवेदक ने अनावेदक द्वारा मांगे गए सभी कागजात यथासमय जमा करा दिए थे, जिसमें वाहन मरम्मत का कोटेषन दिनांक 15.07.2010 भी था, किंतु अनावेदक ने आवेदक को वाहन की क्षति का भुगतान नहीं किया। आवेदक ने दिनांक 31.03.2011 को पत्र दिया था, जिसका जवाब भी अनावेदक ने नहीं दिया था। वाहन को अर्जुन कुमार उर्फ रामकुमार वैध ड्रायविंग लायसेंस धारी दुर्घटना के समय चला रहा था। वाहन का वैध परमिट और फिटनेस आदि कागजात भी थे, जिसे क्लेम फार्म सहित तत्काल आवेदक ने जमा कर दिया था, जिसे दिनांक 27.03.2012 को अनावेदक ने एक पत्र दिया और आवेदक के दावे को निराधार रूप से खारिज कर दिया। वाहन को मरम्मत करने में 7,70,057/-रू. एवं बाडी बनाने में 3,40,000/-रू. व्यय होना अनुमानित है। आवेदक को फायनेंसर के कर्ज को जमा करना पड़ रहा है। अनावेदक ने जानबूझ कर लापरवाही करके 2 वर्शों तक भुगतान को रोक दिया । इस प्रकार विरोधी पक्षकार ने सेवा में कमी की है । अतः आवेदक ने अनावेदक से वाहन मरम्मत के लिए 11,10,057/-रू. तथा उक्त राषि पर 12 प्रतिषत की दर से दिनांक 10.05.2010 से वसूली दिनांक तक ब्याज, 20,000/-रू. क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय दिलाए जाने दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
4. विरोधी पक्षकार/अनावेदक ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ षेश तथ्यों को स्पश्टतः इंकार करते हुए अभिकथन किया है कि अनावेदक द्वारा घटना की जाॅच कराए जाने पर सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दुर्घटना के समय वाहन के चालक के पास लाईसंेस में वैज नंबर दिखाई नहीं पड़ता था, चालक के पास वैध वाहन चालन लायसेंस नहीं मिला, वैध, प्रभावी एवं सक्षम ड्रायविंग लायसेंस नहीं हाने के कारण बीमा पाॅलिसी की षर्तों का उल्लंघन हुआ। आवेदक षिक्षित व्यक्ति होकर वाहन को जानबूझकर लावारिष छोड़ दिया वाहन की कीमती पाटर््स निकलवा लिया । आवेदक ने नुकसानी के असेसमेंट में सहयोग नहीं कर कर्तव्य का पालन नहीं किया । वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के लिए वाहन स्वामी द्वारा किया गया रखरखाव और ड्रायवर की त्रुटि है । दावा पत्र तथा दस्तावेज उपेक्षापूर्वक दिनांक 04.03.2011 को प्रस्तुत किया गये थे। दावा पत्र अधिक विलंब से प्रस्तुत किया गया था जो आवेदक की उपेक्षा को दर्षाता है, से आवेदक का दावा सद्भावनापूर्ण नहीं है, पाॅलिसी षर्तों का उल्लंघन हुआ है । अतः आवेदन निरस्त किए जाने का निवेदन किया गया है ।
5. आवेदन पर पक्षकारों के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेख का परिषीलन किया गया।
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि-
क्या अनावेदक ने आवेदक के दावे का भुगतान नहीं करके सेवा में कमी और प्रमाद किया है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्नों का सकारण निष्कर्ष:-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज आवेदक द्वारा सीनियर डिवीजनल द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड षाखा कोरबा को दी गई जानकारी दिनांक 15.04.2011, द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड डिवीजनल आॅफिस कोरबा का आवेदक को लिखा गया पत्र दिनांक 31.03.2011, तथा द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा आवेदक को दिया गया पत्र दिनांक 27.03.2012 की फोटोप्रति तथा आवेदक ने अपना षपथ पत्र प्रस्तुत किया है ।
8. अनावेदक बीमा कंपनी ने जवाबदावा के समर्थन में आर.के. आचार्य वरिश्ठ मंडल प्रबंधक द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड कोरबा, तुशार चैहान सर्वेयर एण्ड लाॅस असेसर तथा अमर चैरसिया ईन्वेस्टीगेटर का षपथ पत्र सहित सूची अनुसार दस्तावेज, प्रस्तुत किया है।
9. अविवादित तथ्य अनुसार परिवादी अषोक कुमार तंबोली ने अनावेदक द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड की षाखा कोरबा में वाहन क्षतिपूर्ति दावा (व्क् ब्स्।प्ड) अपने वाहन क्रमांक सी.जी. 11 ए. 7322 का प्रस्तुत किया था, जिसे अनावेदक बीमा कंपनी ने उनके पत्र क्रमांक ज्ञक्व्ध्ब्स्।प्डैध्2012 दिनांक 27.03.2012 से आवेदक का व्क् ब्स्।प्ड इंकार/खारिज कर दिया ।
10. अनावेदक बीमा कंपनी के पत्र दिनांक 27.03.2012 में आवेदक का उसके वाहन का व्क् ब्स्।प्ड को निरस्त करने का निम्नलिखित कारण उल्लेख किया है:-
1. आवेदक की ओर से दावा प्रस्तुत करने में अनावष्यक/अनुचित विलंब किया गया है ।
2. ड्रायवर का नाम राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार बताया गया है, किंतु प्रस्तुत प्रथम सूचना रिपोर्ट में ड्रायवर का नाम राम कुमार है । ड्रायविंग लाइसेंस में अर्जुन कुमार तंबोली का ही नाम उल्लेखित है, जिसका आवेदक द्वारा दिया गया स्पश्टीकरण स्वीकार करने योग्य नहीं है।
3. वाहन को दुर्घटना स्थल पर बिना रखवाली के असुरक्षित छोड़ दिया, जिससे वाहन के कई पाट्र्स चोरी हुआ, जो आवेदक का सुविचारित उपेक्षा प्रकट करता है।
उक्त आधारों पर अनावेदक बीमा कंपनी ने आवेदक का वाहन दुर्घटना दावा नामंजूर किया।
11. परिवादी द्वारा परिवाद में उल्लेखित तथ्यों, जिसके समर्थन में आवेदक द्वारा प्रस्तुत षपथ पत्र, अनावेदक का जवाब, तुशार चैहान का षपथ पत्र दिनांक 10.07.2015 से परिवादी द्वारा दिनांक 16.05.2010 की रात्रि करीब 1 बजे ग्राम लखुर्री व सारागाॅंव के बीच हुई दुर्घटना की सूचना दिए जाने पर अनावेदक बीमा कंपनी ने ब्रिजेष कुमार सर्वेयर एण्ड लाॅस असेसर ने दिनांक 10.11.2011 को सर्वे किया था और अपना सर्वे रिपोर्ट दिनांक 19.02.2012 अनावेदक बीमा कंपनी को दिया था। वाहन के कागजात उपलब्ध कराए गए थे, जिसके अनुसार वाहन का बीमा दिनांक 14.01.2010 से 13.01.2011तक के लिए प्रभावी था तथा वाहन चालक अर्जुन तंबोली का ड्रायविंग लाइसेंस क्रमांक ए. 360/जेसी/2002 एल.एम.व्ही. एवं ट्रांसपोर्ट वाहन के लिए अनुज्ञप्ति दिनांक 08.02.2013 तक के लिए वैध पाया गया था ।
12. इस तरह आवेदक के वाहन की दुर्घटना की सूचना अनावेदक बीमा कंपनी को दी गई थी, जिस पर अनावेदक ने तुशार चैहान को नियोजित कर सर्वे हेतु भेजा था।
13. अनावेदक बीमा कंपनी ने सूची अनुसार दस्तावेज में परिवादी अषोक कुमार तंबोली द्वारा मोटर दावा प्रपत्र की फोटोप्रति प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार परिवादी ने दिनांक 04.03.2011 को अनावेदक के समक्ष उक्त दावा प्रस्तुत किया था।
14. तुशार चैहान सर्वेयर एण्ड लाॅस असेसर ने दिनांक 10.07.2015 को दिए गए षपथ पत्र में उसने बताया है कि उसे दिनांक 18.05.2010 को द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड मण्डल कार्यालय कोरबा ने नियोजित किया और उसने दिनांक 19.05.2010 को सर्वे किया था स्थल पर जले हुए वाहन का अवलोकन कर दुर्घटना में वाहन को हुई क्षति (बाहरी क्षति) का उल्लेख किया है। घटना की रिपोर्ट थाना सारागांव में प्रथम सूचना दिनांक 16.05.2010 को किया गया था । इस प्रकार तुशार चैहान के षपथ पत्र से परिवादी के वाहन की दुर्घटना हुई की सूचना समय पर अनावेदक को दी गई थी/प्राप्त हो गई थी, तब उसने अपने सर्वेयर तुशार चैहान को दिनांक 18.05.2010 को नियोजित किया था, जिसने जले हुए वाहन का अवलोकन कर अपना रिपोर्ट दिया। इस प्रकार परिवादी ने अनावष्यक/अनुचित विलंब के अनावेदक बीमा कंपनी को वाहन दुर्घटना होने की सूचना दे दिया था हम पाते हैं।
15. परिवादी मोटर दावा प्रपत्र में दुर्घटना के समय वाहन को राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार तंबोली चला रहा था की जानकारी दिया है तथा परिवाद पत्र में भी वाहन को राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार तंबोली चला रहा था बताया गया है, जबकि अनावेदक बीमा कंपनी ने जवाब दावा तथा उनके समर्थन में षपथ पत्र, सूची अनुसार दस्तावेज एवं लिखित तर्क में बताया है कि अनावेदक द्वारा आवेदक को उसके चालक के संबंध में जानकारी लिए जाने पर वाहन को अर्जुन उर्फ राम कुमार दुर्घटना के समय चला रहा था बताया गया है तथा दस्तावेज ड्रायविंग लाइसेंस क्रमांक ए. 360/जेसी/2002 जारी दिनांक दिनांक 08.02.2013 प्रस्तुत किया है, जिसमें अर्जुन कुमार तंबोली पिता बंषी लाल तंबोली के नाम का आर.टी.ओ. बिलासपुर द्वारा जारी चालन अनुज्ञप्ति है, जिसमें राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार उल्लेखित नहीं है ।
16. अनावेदक बीमा कंपनी ने दुर्घटना से संबंधित घटना की लिखाई रिपोर्ट एवं पुलिस की रिपोर्ट की फोटोप्रति प्रस्तुत कर तर्क किया है कि षरद कुमार थवाईत द्वारा दुर्घटना की, की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट में वाहन चालक राम कुमार होना बताया है तथा घटना की विवेचना दौरान साक्ष्यों के केष डायरी कथन लिया गया है, जिसमें मादन दास यादव, गजाधर धीवर ने वाहन को दुर्घटना के समय तंबोली बस का चालक राम कुमार होना बताया गया है, जिससे राम कुमार तथा अर्जुन कुमार बंबोली एक ही व्यक्ति है प्रकट नहीं हुआ है, से बीमा पाॅलिसी के षर्तों का उल्लंघन में वाहन का दुर्घटना के समय वाहन स्वामी द्वारा चलाया जा रहा था बतलाया गया है ।
17. अनावेदक बीमा कंपनी ने अमर चैरसिया अधिवक्ता एवं इंन्वेस्टीगेटर का षपथ पत्र दिनांक 01.05.2014 प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने द न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड मण्डल कार्यालय कोरबा को अर्जुन कुमार तंबोली के ड्रायविंग लाइसेंस क्रमांक ए. 360/जेसी/2002 लाइसेंस अथार्टी जांजगीर-चाॅपा द्वारा जारी किया गया था का जाॅंच प्रतिवेदन दिया जाना बताया है । जाॅच प्रतिवेदन में वाहन चालक का नाम अर्जुन कुमार पिता बंषी लाल तंबोली है । राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार तंबोली नहीं लिखा है, बताया है । इस प्रकार अनावेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से बताया गया है कि परिवादी ने दुर्घटना दावा प्रपत्र में वाहन चालक राम कुमार उर्फ अर्जुन तंबोली होना जाॅंच में सही होना नहीं पाया गया है ।
18. अनावेदक की ओर से तर्क किया गया है कि दुर्घटना के समय राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार तंबोली द्वारा आवेदक के स्वामित्व की वाहन को चलाया जा रहा था बताने के लिए तथा दुर्घटना की लिखाई रिपोर्ट में केवल रामकुमार द्वारा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने के उल्लेखित तथ्य को खंडन करने के लिए वाहन चालक का षपथ पत्र दिया जाना आवष्यक था। आवेदक की ओर से वाहन चालक का कोई षपथ पत्र नहीं दिया गया है, जिससे अनावेदक पक्ष कथन का खंडन नहीं हुआ है ।
19. यह तथ्य अविवादित है कि परिवादी ने परिवाद के समर्थन में केवल अपना षपथ पत्र प्रस्तुत किया है, उसके स्वामित्व के वाहन को चला रहे वाहन चालक का कोई षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है, इससे यह तथ्य अभिलेख में स्थापित नहीं हुआ है कि दुर्घटना के समय अर्जुन कुमार तंबोली ही वाहन को चला रहा था, जिसका अन्य नाम राम कुमार है या राम कुमार वाहन को चला रहा था, जिसका वास्तविक नाम अर्जुन कुमार तंबोली है ।
20. परिवादी ने कथित अर्जुन कुमार ताम्बोली उर्फ रामकुमार का षपथपत्र या सारवान दस्तावेज यथा षिक्षा का प्रमाण पत्र, पंचायत/नगर पालिका का प्रमाण पत्र, राषन कार्ड, निर्वाचन नामावली, व्यक्तिगत बीमा प्रपत्र का दस्तावेज क्यों परिवाद के समर्थन में पेष नहीं किया, कारण नहीं बताया है, जबकि परिवाद का मुख्य आधार वाहन (दुर्घटनाग्रस्त) का चालक अर्जुन कुमार ताम्बोली उर्फ रामकुमार होना ही है ।
21. अनावेदक बीमा कंपनी ने सुची अनुसार दस्तावेज में दुर्घटना में हुए आहत महेष राम पिता मुरित राम साहू (दस्तावेज क्रमांक 15-9), मांगन लाल पिता भीखम यादव (दस्तावेज क्रमांक 15-10), रामकुमार पिता मुरीत राम साहू (दस्तावेज क्रमांक 15-11), सुद्धु राम पिता भिखारी लाल यादव (दस्तावेज क्रमांक 15-12) का चिकित्सकीय परीक्षण कराने के लिए थाना प्रभारी चाॅपा द्वारा तैयार किए गए तथा चिकित्सक द्वारा दिए गए रिपोर्ट की फोटोप्रति संलग्न किया है, जिसमें राम कुमार पिता मुरीत राम साहू आयु 35 वर्श का उपचार कर रिपोर्ट दिया गया है । परिवादी की ओर से चालक अर्जुन कुमार तंबोली का चालन अनुज्ञप्ति की फोटोप्रति प्रस्तुत किया गया है, जिसमें अर्जुन कुमार तंबोली का जन्म दिनांक 07.मई 1981 दिया है, जिसके अनुसार घटना दिनांक 16.05.2010 को अर्जुन कुमार की आयु लगभग 29 वर्श थी । उक्त आधार पर अनावेदक बीमा कंपनी ने तर्क किया है कि अर्जुन कुमार तंबोली की उम्र तथा उसके पिता का नाम एवं राम कुमार की उम्र तथा उसके पिता का नाम भिन्न-भिन्न है, जिसके स्पश्टीकारण अर्जुन कुमार तंबोली पिता बंषी लाल या राम कुमार पिता मुरित राम साहू दिया गया है, जिसके संबंध में परिवादी ने कोई स्पश्टीकरण नहीं दिया है, जिससे परिवादी ने प्रस्तुत दावा प्रपत्र द्वारा दुर्घटना दावा प्रस्तुत करने के लिए ही दावा प्रपत्र में राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार उल्लेखित किया है ।
22. अनावेदक द्वारा दुर्घटना ग्रस्त वाहन के चालक के संबंध में दिया गया प्रमाण एवं किए तर्क के खंडन में परिवादी की ओर से कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है न ही दुर्घटना के समय चला रहे वाहन चालक का षपथ पत्र द्वारा अनावेदक की आपत्ति का खंडन किया गया है, ऐसी स्थिति में अभिलेखगत सामग्री अंतर्गत प्रमाण से अनावेदक पक्ष का कथन का बल होना हम पाते हैं कि दुर्घटना के समय वाहन को राम कुमार चला रहा था तथा परिवादी द्वारा अर्जुन कुमार बंतोली पिता बंषी लाल का चालन अनुज्ञप्ति पुलिस तथा बीमा कंपनी को प्रस्तुत किया है तथा राम कुमार का अन्य नाम अर्जुन कुमार तंबोली होना बताया, जिसकी पुश्टि नहीं हुई है ।
23. इस प्रकार परिवाद अंतर्गत की सामग्री से प्रथम दृश्टया हम पाते हैं कि दुर्घटना के समय वाहन को राम कुमार चला रहा था, जिसका चालन अनुज्ञप्ति राम कुमार उर्फ अर्जुन कुमार तंबोली का परिवादी ने परिवाद अंतर्गत प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे दुर्घटना के समय वाहन चालक राम कुमार के पास वैध एवं प्रभावषील चालन अनुज्ञप्ति था का निश्कर्श लिए जाने के लिए कोई आधार नहीं होना हम पाते हैं ।
24. इस प्रकार परिवादी के बीमा पाॅलिसी क्रमांक 45090031090100201932 अवधि दिनांक 14.01.2010 से दिनांक 13.01.2010 तक प्रभावषील पाॅलिसी के बीमा षर्तों के अधीन, जिसमें वाहन चालक के पास वैध एवं प्रभावषील चालक अनुज्ञप्ति होना चाहिए आवष्यक षर्त है, जो बीमा पाॅलिसी की अनावेदक द्वारा प्रस्तुत फोटोप्रति दस्तोवज क्रमांक 15-6 में उल्लेखित है, से ड्रायवर क्लाज की बीमा पाॅलिसी की षर्तों का उल्लंघन हुआ है, इस तरह उक्त दस्तावेजों से परिवादी ने अपने स्वामित्व की वाहन को दिनांक 16.05.2010 को दुर्घटना के समय उक्त बीमा पाॅलिसी जिसकी छायाप्रति अनावेदक ने सूची अनुसार दस्तावेज क्रमांक 15-06 प्रस्तुत किया से हम पाते हैं ।
25. परिवादी द्वारा अनावेदक के समक्ष प्रस्तुत दावा को इंकार करने का अन्य आधार अनावेदक ने परिवादी वाहन स्वामी द्वारा अपने वाहन को दुर्घटना के बाद असुरक्षित छोड़ दिया था तथा अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया था, जिससे वाहन के कई कीमती पूर्जे चोरी हो गए/निकाल लिए गए बताया है, उक्त संबंध में विचार करें तो अनावेदक बीमा कंपनी ने ब्रीजेष कुमार सर्वेयर एवं लाॅस असेसर द्वारा फाईनल रिपोर्ट दिनांक 19 फरवारी 2012 को प्रस्तुत किया है, जिसके साथ में वाहन का लिया गया फोटोचित्र दिनांक 10.11.2011/11.10.2011 की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक 14 प्रस्तुत किया है । तुशार चैहान सर्वेयर एवं लाॅस असेसर द्वारा दिनांक 19.05.2010 को जले हुए वाहन का अवलोकन किया था, जिसमें वाहन के कलपूर्जे निकाल लिए जाने अथवा नहीं पाए जाने की कोई रिपोर्ट दिया जाना षपथ पत्र में उल्लेखित नहीं किया है।
26. आवेदक की ओर से तर्क किया है कि वाहन दुर्घटना की रिपोर्ट थाना सारागांवा में दिनांक 16.05.2010 को की गई थी, दुर्घटना की सूचना आवेदक ने अपने फाईनेंसर बैंक को दे दिया था तथा बैंक ने दिनांक 17.05.2010 को अनावेदक को घटना की सूचना दे दी थी तथा अनावेदक का जाॅच अधिकारी दिनांक 17.05.2010 को आया फोटोग्राफ आदि लेकर गया था, से परिवादी ने वाहन की देख-रेख पड़ोस का ढाबा मालिक कर रहा था, वाहन असुरक्षित नहीं छोड़ा गया था तथा रिपोर्ट के बाद उसकी जिम्मेदारी पुलिस पर या अनावेदक बीमा कंपनी पर रह जाती है, जबकि अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से यह तर्क किया गया है कि वाहन का देख रेख कर रहे ढाबा मालिक का भी परिवादी ने कोई षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है, उनके द्वारा ढाबा मालिक से जानकारी लेने पर दुर्घटना के बाद 8-10 लोग आये और वाहन के पूर्जों को निकालकर चाॅपा की ओर चले गए की जानकारी होने से वाहन का वाहन मालिक ने असुरक्षित घटना स्थल पर छोड़ दिया था, उसने अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया है ।
27. परिवाद पत्र जिसके समर्थन में परिवादी ने अपना षपथ पत्र प्रस्तुत किया है तथा लिखित तर्क में वाहन की देख-रेख पड़ोस के ढाबा मालिक कर रहा था बताया है, उक्त ढाबा मालिक का उक्त के संबंध में कोई षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे परिवादी ने वाहन को असुरक्षित, लावारिष छोड़ दिया था का अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से किया गया आक्षेप का खण्डन नहीं हुआ है ।
28. यह स्थापित विधि है कि मोटर वाहन का चालन वैध व प्रभावषील चालन अनुज्ञप्ति धारक चालक द्वारा चलाया जाना बीमा पाॅलिसी के तहत् आवष्यक षर्त होती है। आवेदक प्रस्तुत परिवाद में उसके स्वामित्व की वाहन को अर्जुन कुमार तम्बोली चला रहा था अनावेदक के विरूद्ध प्रमाणित नहीं कर पाया है ।
29. ़उपरोक्त अनुसार अभिलेखगत सामग्री अंतर्गत उपलब्ध प्रमाण से परिवादी के स्वामित्व की वाहन बस क्रमांक सी.जी. 11 ए. 7322 को अर्जुन कुमार तंबोली चला रहा था, जिसका अन्य नाम राम कुमार तंबोली है तथा पिता का नाम बंषी लाल है सारवान साक्ष्य से प्रमाणित नहीं हुआ है, जिससे वाहन का बीमा पाॅलिसी के षर्तों के उल्लंघन में वाहन का चालन किया जा रहा था पाते हुए अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी अषोक कुमार तंबोली का मोटर दावा पपत्र दिनांक 04.03.2011 को अनावेदक बीमा कंपनी ने आवेदक के दावे का भुगतान न कर सेवा में कमी/ प्रमाद किया जाना प्रमाणित नहीं होना पाते हैं, तद्नुसार विचारणीय प्रष्न का निश्कर्श ’’प्रमाणित नहीं’’ में हम देते हैं ।
30. उपरोक्त अनुसार हम परिवादी द्वारा धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अंतर्गत अनावेदक/विरोधी पक्षकार के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य होना नहीं पाते हुए, निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं ।
31. परिवादी स्वयं का तथा अनावेदक का वादव्यय वहन करेगा ।
(बी.पी. पाण्डेय) ( श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य