जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-959/2019
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-13.09.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-10.02.2021
राम लखन उम्र लगभग 39 वर्ष पुत्र राजाराम, निवासी ग्राम-रसूलपुर ब्रम्हनान, पोस्ट-बिरौली, तहसील-सण्डीला, जिला-हरदोई उ0प्र0।
.........परिवादी।
बनाम
- दि न्यू इण्डिया एश्योंरेंस कम्पनी लि0 द्वारा वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक, छठवां तल, जीवन भवन, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ-226001 ।
- उ0प्र0 सरकार द्वारा अपर मुख्य सचिव, राजस्व, उ0प्र0 शासन, लखनऊ (उ0प्र0)
- श्रीमान जिलाधिकारी, जनपद-हरदोई (उ0प्र0)। ...........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा- श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या 01 से बीमा धनराशि 5,00,000.00 रूपया मय 18 प्रतिशत ब्याज, विपक्षी संख्या 01 द्वारा बीमा दावे को अवैधानिक रूप से अपने स्तर पर लम्बित रखने के कारण अनुबन्ध पत्र में वर्णित पेनाल्टी, मानसिक क्लेश 25,000.00 रूपया तथा 25,000.00 रूपये वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी के भाई मृतक स्व0 राज किशोर पुत्र राजाराम निवासी ग्राम-रसूलपुर ब्रम्हनान, पोस्ट-बिरौली, तहसील सण्डीला, जिला-हरदोई उ0प्र0 की दिनॉंक 04.10.2018 को तालाब में डूबने के कारण आकस्मिक मृत्यु हो गयी थी जिनकी मृत्यु के समय उम्र लगभग 57 वर्ष थी, जो आजीवन अविवाहित थे, तथा मृत्यु के समय पेशे से पंजीकृत किसान व मजदूर थे जो मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे जो कि अपने परिवार के मुखिया व रोटी अर्जक थे, तथा विपक्षी संख्या 01 व 02 के मध्य निष्पादित अनुबन्ध पत्र की शर्तानुसार बीमित थे तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में विहित प्रावधानों के तहत विपक्षीगण के विधिक उपभोक्ता थे। उ0प्र0 सरकार द्वारा उ0प्र0 के समस्त किसानों (असीमित आय सीमा), भूमिहीन कृषक, कृषि से संबंधित क्रियाकलाप करने वाले, (मत्स्य पालक, दुग्ध उत्पादक, सुवर पालक, बकरी पालक, मधुमक्खी पालक इत्यादि) घूमन्तू परिवार, व्यापारी (जो किसी शासन योजना से आच्छादित नहीं हैं) वन श्रमिक, दुकानदार, फुटकर कार्य करने वाले, रिक्शा चालक, कुली एवं अन्य कार्य करने वाले, ग्रामीण क्षेत्रों अथवा शहरी क्षेत्रों के निवासी जिनकी पारिवारिक आय 75000.00 रूपये प्रतिवर्ष से कम हो एवं जिनकी आयु 18 वर्ष से 70 वर्ष के मध्य है, के हित में विपक्षी संख्या 02 ने विपक्षी संख्या 01 से एक सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना का अनुबन्ध किया था। अनुबन्ध के अनुसार 5,00,000.00 रूपये का दुर्घटना बीमा किया गया था, यह पालिसी दिनॉंक 14.09.2016 से प्रदेश में लागू है। परिवादी द्वारा अपने मृतक सगे भाई स्व0 राज किशोर पुत्र राजाराम पता उपरोक्त की बीमित धनराशि प्राप्त करने हेतु आवश्यक प्रपत्र संलग्न करते हुए बीमा दावा विपक्षी संख्या 03 के माध्यम से विपक्षी संख्या 01 को प्रेषित कर दिया था तदोपरान्त इतना अधिक समय व्यतीत हो जाने के पश्चात आज तक विपक्षी संख्या 01 द्वारा न तो बीमित धनराशि का भुगतान किया गया और न ही इस संबंध में किसी प्रकार की कोई जानकारी उपलब्ध करायी गयी।
विपक्षी संख्या 01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों से इनकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया कि दावाकर्ता मृतक का भाई है, व समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत होने वाले बीमा की शर्तों एवं नियमों के अनुसार भाई परिवार व आश्रित की श्रेणी में नहीं आते हैं। मृतक न तो परिवार का मुखिया था और न ही रोटी अर्जक था। दावाकर्ता किसी भी प्रकार से मृतक पर आश्रित नहीं है। उपरोक्त कारणों के आधार पर परिवादी को क्लेम भुगतान योग्य नहीं माना गया। समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत निर्धारित बीमा शर्तों के उल्लंघन के कारण परिवादी के क्लेम को भुगतान योग्य नहीं माने जाने की सूचना विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी को जरिये डाक दिनॉंक 25.04.2019 को करा दी गयी थी। विपक्षी संख्या 01 द्वारा याचीगणों को क्लेम न दिया जाना नियम व शर्तों के अनुसार उचित व सही है। नियमानुसार दावे के निस्तारण में बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 01 द्वारा सेवाओं में कोई कमी नहीं की जा रही है।
विपक्षी संख्या 02 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही चल रही है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ आवश्यक प्रपत्र खतौनी, प्रथम सूचना रिपोर्ट, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर, मृतक व परिवादी के आधार कार्ड की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है।
पत्रावली का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी मृतक स्व0 राजकिशोर का भाई है। मृतक स्व0 राजकिशोर पुत्र स्व0 राजाराम की मृत्यु दिनॉंक 04.10.2018 तालाब में डूबने के कारण आकस्मिक मृत्यु हो गयी थी
जिनकी मृत्यु के समय उम्र लगभग 57 वर्ष थी और वह एक पंजीकृत किसान व मजदूर थे। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के समस्त किसानों जिनकी आय 75,000.00 रूपये प्रतिवर्ष से कम हो और जिनकी आयु 18 से 70 वर्ष के मध्य हो, के हित में उनके लिये विपक्षी संख्या 01 से सामूहिक दुर्घटना बीमा किया गया था और पालिसी दिनॉंक 14.09.2016 से लागू है और परिवादी स्व0 राजकिशोर का सगा भाई है जिसके कारण विपक्षी संख्या 01 को बीमा क्लेम प्राप्त करने हेतु दावा पेश किया। दावा प्राप्ति के उपरान्त विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी का दावा इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमा शर्तों एवं नियमों के अनुसार भाई परिवार व आश्रित की श्रेणी में नहीं आते हैं, क्योंकि मृतक न तो परिवार का मुखिया था और न ही रोटी अर्जक था, जिसकी वजह से परिवादी के क्लेम को भुगतान योग्य नहीं मानते हुए परिवादी का बीमा दावा खारिज कर दिया है, और अस्वीकृति पत्र (Repudiation Letter) जारी किया गया। मृतक स्व0 राजकिशोर अविवाहित था और उनका अपना अलग परिवार नहीं था। परन्तु मृतक के विस्तारित परिवर की परिभाषा में भाई तथा अन्य सदस्य भी आते हैं और चॅूंकि मृतक स्व0 राजकिशोर के साथ ही परिवादी रहता था, इसलिए वह मृतक के विस्तारित परिवार की परिभाषा में आता है। एकल परिवर की परिभाषा में अवश्य ही भाई नहीं आता है, परन्तु विस्तारित परिवार की परिभाषा में भाई, बहन तथा अन्य सदस्य भी माने जाते हैं। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अन्तर्गत जब किसी अविवाहित व्यक्ति की बिना विरासत के मृत्यु हो जाती है वैसी स्थिति में “श्रेणी प्रथम उत्तरधिकार के सदस्यों” को उसकी सम्पत्ति दी जाती है और यदि श्रेणी प्रथाम उत्तराधिकार के सदस्य न हो तो श्रेणी-02 वाले सदस्य को उसकी सम्पत्ति दी जाती है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम Heir II (II) के अन्तर्गत अविवाहित व्यक्ति के पिता यदि जीवित नहीं हों तब उसकी सम्पत्ति में मृतक के भाई बहन बराबर हकदार होते हैं और यदि उक्त विस्तारित व्यक्ति के पिता जीवित न हों तो वैसी स्थिति में उसके पिता के “उत्तराधिकारी” को मृत व्यक्ति की सम्पत्ति को दिये जाने की व्यवस्था दी गयी है। अत: विस्तारित परिवार की परिभाषा में एवं हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दी गयी व्यवस्था के अधीन परिवादी मृतक स्व0 राजकिशोर के परिवार का सदस्य माना जायेगा और यदि मृतक स्व0 राजकिशोर एक कृषक व्यक्ति था और सामूहिक बीमा दुर्घटना योजना के अन्तर्गत आच्छादित था और उनकी मृत्यु आच्छादन की अवधि में हुई है तो वैसी स्थिति में परिवादी मृतक स्व0 राजकिशोर को देय बीमा राशि का उत्तराधिकारी माना जायेगा और उसके स्तर से दावा पेश किया जाना उचित प्रतीत होता है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को निर्देश दिया जाता है कि वह सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना की धनराशि मुबलिग 5,00,000.00 (पॉंच लाख रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय के 45 दिन के अन्दर अदा करेंगें। मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है, तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।