Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/33/2017

JAMSHED AHMAD - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

RAMESH KUMAR RAI

12 Jun 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/33/2017
( Date of Filing : 17 Jan 2017 )
 
1. JAMSHED AHMAD
.
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INSURANCE
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Jun 2023
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   33/2017                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-17.01.2017

परिवाद के निर्णय की तारीख:-12.06.2023

Jamshed Ahmad S/ Late Munna Ahma R/o-s-6/88, Pakki Bazar, Kachahari, District-Varanasi.

                                                                                        …………….Complainant.

                                                Versus

 

The New India Assurance Company Limited Throygh its Branch Manager Having Branch Office-Kapoorthala, 25, Aliganj, District-Lucknow-420402.

                                                                           ………………. Opposite Party.

                                                                      

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री आनन्‍द भार्गव।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री जफर अजीज।

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                               निर्णय

1.   परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत विपक्षी से परिवादी के वाहन की क्षतिपूर्ति 1,44,176.00 रूपये, 24 प्रतिशत ब्‍याज के साथ दुर्घटना की तिथि से तथा मानसिक व शारीरिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000.00 रूपये 24 प्रतिशत ब्‍याज के साथ तथा वाद व्‍यय 25,000.00 रूपये भी 24 प्रतिशत ब्‍याज के साथ दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने मेघा मोटर्स कुर्सी रोड, अलीगंज लखनऊ से वाहन संख्‍या यू0पी0 65 AR-7078 से क्रय की गयी थी जो विपक्षी द्वारा बीमित था। 22.07.2010 को परिवादी बनारस से आजमगढ़ आ रहा था कि मोहम्‍मद पुर के पास ट्रक से एक्‍सीडेंट हो गया। वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्‍त हो गया, जिसकी प्राथमिकी थाना-गंभीरपुर, जिला आजमगढ़ में दर्ज करायी गयी। विपक्षी द्वारा सर्वेयर इंजीनियर ओ0पी0 तिवारी को नियुक्‍त किया गया।

3.      सर्वेयर द्वारा दुर्घटना स्‍थल पर जाकर सर्वे किया गया तथा चार्ज के रूप में 1236.00 रूपया दिनॉंक 22.07.2010 को प्राप्‍त किया। बीमा कम्‍पनी के अधिकृत रमन डिस्‍ट्रीव्‍यूटर महमूर गंज बनारस में टोंच करके वाहन को लाया गया, जिसका चार्ज 4200.00 रूपये का भुगतान किया गया। उपरोक्‍त वाहन की मरम्‍मत का व्‍यय बीमा कम्‍पनी के अधिकृत डिस्‍ट्रीव्‍यूटर ने पॉंच रसीदों के माध्‍यम से कुल रूपया 1,44,776.00 प्राप्‍त किया। इस प्रकार वाहन के दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर परिवादी ने कुल 1236 ꠣ+ 4200 + 1,44,776 = 1,50,212.00 रूपया परिवादी का व्‍यय हुआ।

4.      वाहन मरम्‍मत में हुए व्‍यय के सिलसिले में जब इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी को भुगतान की समस्‍त रसीदें कुल मूल्‍य 1,50,212.00 दी गयी तो उन्‍होंने व्‍यय के समर्थन में शपथ पत्र भी कम्‍पनी को दिया गया। लेकिन इसके बावजूद विपक्षी द्वारा मात्र 48,961.00 रूपये का ही भुगतान किया गया, जो कि बहुत ही कम है।

5.      विपक्षी न्‍यू इण्डिया इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी ने उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों से इनकार किया तथा कथन किया कि परिवाद पत्र को सिद्ध करने का भार परिवादी पर है।  परिवादी के क्‍लेम में कई कमियां थी, जैसे कि वाहन की आर0सी0 में दी गयी सवारी की संख्‍या परमिट में दी गयी संख्‍या से भिन्‍न थी। विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने सर्वेयर की आख्‍या के अनुसार परिवादी के क्‍लेम का भुगतान किया। एक बार फुल व फाइनल सेटेलमेंट प्राप्‍त कर लेने के बाद परिवादी किसी प्रकार का वाद न्‍यायालय में दाखिल नहीं कर सकता। बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।  परिवादी का परिवाद सव्‍यय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

6.      परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में मेघा मोटर्स प्रपत्र, सेल सर्टिफिकेट, आर0सी0, इन्‍श्‍योरेंस की प्रति, थाना अध्‍यक्ष को लिखा गया पत्र, कैश मीमो, बिल, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी है। विपक्षी की ओर से भी अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में पत्र, सर्वे रिपोर्ट, भुगतान बाउचर, फाइनल गोपनीय सर्वे रिपार्ट आदि दाखिल किया है।

7.      मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।

8.      उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिये निम्‍नलिखित दो आवश्‍यक तथ्‍यों को साबित किया जाना आवश्‍यक है। 1-परिवादी का उपभोक्‍ता होना 2- सेवा प्रदाता द्वारा सेवा में कमी का प्रमाणित होना। यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी का वाहन विपक्षी बीमा कम्‍पनी के यहॉं से बीमित था। इस प्रकार विपक्षी के यहॉं से वाहन बीमित था। परिवादी उसका उपभोक्‍ता है। जहॉं तक द्वितीय तथ्‍य का प्रश्‍न है कि क्‍या विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी की गयी है या नहीं। परिवादी का कथानक यह है कि दिनॉंक 22.07.2010 को एक्‍सीडेन्‍ट हुआ था। वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्‍त हो गया, जिसकी प्राथमिकी थाना-गंभीरपुर, जिला आजमगढ़ में दर्ज करायी गयी। विपक्षी द्वारा सर्वेयर इंजीनियर ओ0पी0 तिवारी को नियुक्‍त किया गया।

9.      सर्वेयर द्वारा दुर्घटना स्‍थल का सर्वे किया गया तथा चार्ज के रूप में 1236.00 रूपया दिनॉंक 22.07.2010 को प्राप्‍त किया। बीमा कम्‍पनी के अधिकृत रमन डिस्‍ट्रीव्‍यूटर महमूर गंज बनारस में टोंच करके वाहन को लाया गया, जिसका चार्ज 4200.00 रूपये का भुगतान किया गया। उपरोक्‍त वाहन की मरम्‍मत का व्‍यय बीमा कम्‍पनी के अधिकृत डिस्‍ट्रीव्‍यूटर ने पॉंच रसीदों के माध्‍यम से कुल रूपया 1,44,776.00 प्राप्‍त किया। इस प्रकार वाहन के दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर परिवादी ने कुल 1236 ꠣ+ 4200 + 1,44,776 = 1,50,212.00 रूपया परिवादी का व्‍यय हुआ।

       यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी के वाहन का एक्‍सीडेन्‍ट होने पर इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी ने उसको 48961.00 रूपये का चेक भेजा था, जिसे परिवादी ने लेने से इनकार कर दिया और यह कहा गया कि यह धनराशि उपयुक्‍त नहीं है। इसलिये इसे वापस कर दिया।

       परिवादी द्वारा यह कहा गया कि चॅूंकि चेक इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी द्वारा दिया गया है। इसका अभिप्राय यह है कि जितनी भी पैनल्‍टी इसके पूर्व की होती है वह सब सही  है। अब विचारणीय प्रश्‍न यह है कि क्‍या 48,961.00 रूपये का चेक विपक्षी द्वारा परिवादी को दिया गया था, यह उपयुक्‍त है अथवा नहीं। जबकि सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट के अनुसार 1,44,776.00 रूपये का बिल दिया गया था।

  यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि जो भी सर्वेयर की रिपोर्ट होती है वह उसके आधार पर सामान्‍यत: इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी भुगतान करती है तथा इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी विपक्षी को अधिकार है जो कि पाटर्स के टूटे होने के आधार पर किया जा सकता है। परिवादी द्वारा यह कहा गया कि सर्वेयर रिपोर्ट एक एथेन्टिक रिपोर्ट नहीं होती है और जितनी भी धनराशि परिवादी द्वारा संबंधित वाहन की मरम्‍मत में व्‍यय किये जाने के संबंध में लगायी गयी है वह धनराशि परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी है। इस परिप्रेक्ष्‍य में उन्‍होंने न्‍यू इण्डिया इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम प्रदीप कुमार 3253/2002  09 अप्रैल, 2002 का सन्‍दर्भ दाखिल किया है। मैने माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेश का ससम्‍मानपूर्वक अवलोकन किया। माननीय न्‍यायालय द्वारा अपने निर्णय में बिलों को निरस्‍त करते हुए यह सर्वेयर रिपोर्ट अथेन्टिक किया है कि जो भी धनराशि का भुगतान परिवादी द्वारा किया गया है वह पूरी धनराशि पाने का अधिकारी है, न कि सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार।

       परिवादी के अधिवक्‍ता द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण में दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन जो गैराज में करीब 03 माह तक खड़ा रहा और तीन माह तक रखने के बाद वह बनाकर वापस किया गया। इस प्रकार उन्‍होंने समस्‍त बिलों को लगाया है। उस बिल के सापेक्ष में चॅूंकि परिवादी द्वारा भुगतान किया गया है। उसके सापेक्ष में जो भी नियमानुसार इन्‍श्‍योरेंस की कटौती करनी है उसको काटकर विपक्षी भुगतान करे।

  विपक्षी का यह कथन आर0सी0 में दी गयी सवारी की संख्‍या परमिट में दी गयी संख्‍या से भिन्‍न थी। यदि भिन्‍न थी तो कोई भुगतान नियमानुसार नहीं करना चाहिए था, जबकि इनके द्वारा स्‍वयं की स्‍वीकृति है कि 48961.00 रूपये का चेक दिया गया था, अर्थात परमिट था कि नहीं या सवारी ज्‍यादा थी या नहीं।

                            आदेश

       परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है, विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि 1,50,212.00 रूपये में बीमा की नियमानुसार कटौती के उपरान्‍त मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करेंगें। परिवादी को हुए मानसिक एवं शारीरिक व आर्थिक कष्‍ट के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 15,000.00 (पन्‍द्रह हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।             

     पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

     (कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

             सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

   आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

   (कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)      (सोनिया सिंह)                         (नीलकंठ सहाय)

           सदस्‍य                  सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                 लखनऊ।     

दिनॉंक:-12.06.2023

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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