Rajasthan

Jhunjhunun

67/2013 EA

ANKUR MAHLA - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

KANCHAN SINGH

21 Jan 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 67/2013 EA
 
1. ANKUR MAHLA
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INSURANCE
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:KANCHAN SINGH, Advocate
For the Opp. Party: ANWAR HUSSAIN, Advocate
ORDER

      तारीख हुक्म
    .                           परिवाद संख्या 67/13
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
अंकूर महला  बनाम   न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा सीकर जरिये शाखा प्रबंधक
                   न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लि0, गहलोत मोटर्स के सामने, रोड
                   नम्बर 3 झुंझुनू जिला झुंझुनू (राज.) 
                                नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
21.01.2016           प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 25 व 27 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम,1986  
        प्रार्थी की ओर से वकील श्री कंचन सिंह उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री अनवर हसन उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि प्रार्थी/परिवादी ने इस मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 83/13 पेष किया था, जिसके निर्णय दिनांक        30.04.2013 के अनुसार आदेष दिया गया कि विपक्षी द्वारा परिवादी की क्लेम राषि पूर्ण दस्तावेजात पेष न करने के कारण स्वीकृत नहीं की गई । अतः परिवादी को निर्देष दिये जाते हैं कि वह अपने दुर्घटनाग्रस्त वाहन का क्लेम प्राप्त करने हेतु समस्त दस्तावेजात पन्द्रह दिन के अंदर विपक्षी के यहां प्रस्तुत करे एवं विपक्षी को निर्देषित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा दस्तावेजात पेष करने पर एक माह के अंदर क्लेम राषि का निर्धारण कर राषि परिवादी को देवे।
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी ने निर्णय की जानबूझकर पालना नहीं की है, जो न्यायालय आदेष की अवहेलना है।
        अंत में प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विपक्षी सेे मंच के आदेष की पालना करवाकर प्रार्थी को तुरंत क्लेम राषि दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी/अप्रार्थी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि विपक्षी ने आदेष दिनांक 30.04.2013 की पालना करने हेतु परिवादी को दिनांक 28.05.2013 को जरिये रजिस्टर्ड पत्र सूचित किया कि दुर्घटना के समय चालक के पास यदि वाणिज्यक वाहन चलाने हेतु वैध एवं प्रभावी लाइसेंस था तो उसे अविलंब प्रस्तुत करे ताकि क्लेम पत्रावली का निस्तारण किया जाकर न्यायालय के आदेष की 


पालना की जा सके। प्रार्थी ने आज तक बीमा कम्पनी के उक्त पत्र का कोई जवाब नहीं दिया न ही दुर्घटना के समय का चालक का वाणिज्यक वर्ग का वैध एवं प्रभावी लाइसेंस प्रस्तुत किया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा माननीय मंच के आदेष की कोई अवहेलना नहीं की गई है। 
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
        पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को आदेष दिनांक 30.04.2013 की पालना करने हेतु दिनांक 28.05.2013 को जरिये रजिस्टर्ड पत्र सूचित किया जाना बताया है। विपक्षी की ओर से पत्रावली के साथ रजिस्टर्ड पत्र की कोई फोटो प्रति या रसीद पेष नहीं की गई है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि विपक्षी द्वारा परिवादी से दस्तावेजात की मांग की गई थी जो उसने पेष नहीं किये। इसके विपरीत परिवादी की ओर से एक प्रार्थना पत्र की फोटो प्रति इस पत्रावली में पेष है जिससे यह जाहिर होता है कि परिवादी ने  दिनांक 13.05.2013 को विपक्षी बीमा कम्पनी को एक प्रार्थना पत्र मय आदेष की प्रति व वाहन के दस्तावेजात की फोटो प्रति सहित पेष किया है, जो दिनांक   14.05.2013 को विपक्षी द्वारा प्राप्त किया गया है। इसके बावजूद आज तक विपक्षी द्वारा आदेष की पालना क्यों नहीं की गई, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया गया है। 
      अतः विपक्षी को हिदायत देते हुये यह आदेष दिया जाता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां वाहन के वांछित दस्तावेजात निर्धारित समयावधि में जमा कराने के बावजूद क्लेम राषि का निर्धारण कर राषि परिवादी को अदा नहीं की गई है, वह राषि तुरंत अदा की जावे। इस मंच के पूर्व आदेष की पालना नहीं करके अवज्ञात्मक रूप दर्षित न करें तथा उक्त पालना में किसी प्रकार की कोताही व हठधर्मिता नहीं बरतें । इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
         आदेश आज दिनांक 21.01.2016 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
         पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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