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Amar Pal Singh filed a consumer case on 10 Jan 2018 against New India Insurance Company in the Bareilly-I Consumer Court. The case no is CC/26/2016 and the judgment uploaded on 14 Jan 2018.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम बरेली।
उपस्थितः- 1. विनोद कुमार सिंह राठौर अध्यक्ष
2. मोहम्मद कमर अहमद सदस्य
परिवाद संख्या 26/2016
अमर पाल सिंह वर्मा पुत्र स्व0 श्री राम सिंह वर्मा निवासी मोहल्ला कानून गोयान फरीदपुर जिला बरेली।
............... परिवादी
प्रति
1. न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी मण्डलीय कार्यालय 85 रघुवंशी काम्पलेक्स चैपला रोड बरेली द्वारा मण्डलीय प्रबन्धक/हव इन्चार्ज।
2. बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैक क्षेत्रीय कार्यालय सिविल लाइन्स बरेली मुख्य डाकघर के सामने बरेली।
.....................प्रतिपक्षीगण
निर्णय़
1. यह परिवाद इन अनुतोषों हेतु योजित किया है कि परिवादी को प्रतिपक्षीगण से बीमित धनराशि रू0 1,50,000/- दिलायी जाये तथा शारीरिक मानसिक, व आर्थिक क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय आदि हेतु 1,50,000/- कुल रू0 3,00,000/- मय 12 प्रतिशत ब्याज दुकान में आग लगने की तिथि से भुगतान की तिथि तक दिलाये जाये।
2. संक्षेप में परिवाद के अभिकथन निम्न प्रकार है।
2.1 प्रतिपक्षी सं0 1 न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स क0लि0 बीमा व्यवसाय करती है तथा प्रतिपक्षी सं0 2 भी अपना व्यवसाय का कार्य अपने शाखा क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से करता है।
2.3 परिवादी की किराये की दुकान सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित है परिवादी की मोहल्ला कानून गोयान मेें कोई दुकान नहीं है।
2.4 परिवादी ने अपनी किराये की दुकान हेतु प्रतिपक्षी सं0 2 बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा भरतपुर कार्यालय फरीदपुर बरेली के माध्यम से रू0 1,50,000/- का ऋण लिया था।
2.5 परिवादी ने अपनी किराये की दुकान का बीमा प्रतिपक्षी सं0 2 के माध्यम से प्रतिपक्षी सं0 1 से बीमा कराया था जिसकी पालिसी सं0 34020548140600000007 थी तथा उक्त पालिसी दिनांक 08.08.2014 से दिनांक 07.08.2015 तक प्रभावी थी। उपरोक्त पालिसी में बीमित धनराशि रू0 2,00,000/- थी। उपरोक्त पालिसी हेतु प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी ने बैंक के माध्यम से रू0 1088/- प्रीमियम लिया था। परिवादी को यह आश्वासन दिया गया था कि यदि बीमा अवधि काल मंें दुर्घटना, चोरी आग लगती है तो प्रतिपक्षी सं0 1 न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स क0 की पूर्ण जिम्मेदारी होगी।
2.6 दिनांक 7/8.04.2015 की रात में अचानक दुकान में भीषण आग लग गयी जिससे लगभग रू0 2,50,000/- का किराने का सामान जलकर पूर्णतया राख हो गया।
2.7 परिवादी द्वारा इस घटना की सूचना थाना प्रभारी फरीदपुर जिला बरेली को दिनांक 08.04.2015 को एवं प्रतिपक्षी सं0 1 न्यू इण्डिया इ0क0 को दी गयी इसके अतिरिक्त प्रतिपक्षी सं0 2 की बैंक शाखा भरतपुर कार्यालय फरीदपुर को भी लिखित सूचना दी थी। उत्तर प्रदेश फायर सर्विस द्वारा भीषण अग्नि से हुये नुकसान का आकलन रू0 2,50,000/- किया गया था।
3. प्रतिपक्षी सं0 1 द्वारा प्रतिवाद पत्र कागज सं0 16 प्रस्ततु किया गया है प्रतिवाद पत्र के अभिकथन संक्षेप में निम्न प्रकार है।
3.1 प्रतिवाद पत्र में परिवाद के प्रस्तर सं0 1 व 2 के अभिकथनों को स्वीकार किया गया है। परिवाद के प्रस्तर सं0 4, 5, व 6 के अभिकथनों के सम्बन्ध में यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी की मो0 कानून गोयान स्थित दुकान हेतु बीमा पालिसी सं0 34020548140600000007 निर्गत की गयी थी तथा उक्त पालिसी दिनांक 08.08.2014 से दिनांक 07.08.2015 तक प्रभावी थी।
3.2 परिवादी द्वारा बीमा का प्रयोग व्यवसायिक उददे्श्यों हेतु लिया जा रहा था। व्यवसायिक उददे्श्य उपभोक्ता की परिभाषा में नही आता है। प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी के पक्ष में जो शापकीपर्स बीमा पालिसी निर्गत की थी वह परिवादी के मोहल्ला काूनन गोयान फरीदपुर में स्थित दुकान हेतु थी। उक्त बीमा पालिसी की प्रतियां क्रमशः परिवादी व बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक को उपलब्ध करायी गयी थी। परिवादी द्वारा पूर्व में कराया गया बीमा भी अपना मोहल्ला कानून गोयान फरीदपुर में स्थित दुकान हेतु कराया था। अतः परिवादी का कथन असत्य है उसकी सब्जी मण्डी फरीदपुर स्थित दुकान बीमित थी।
3.3 प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी की सूचना पर राजीव कुमार सर्वेयर की नियुक्ति परिवादी की दुकान में हुयी क्षति का आकलन किया तथा बीमा पालिसी की शर्तो के अनुसार कटौतियां करने के पश्चात रू0 65000/- किया था। उक्त सर्वेयर ने यह भी अवगत कराया कि आगजनी बीमित परिसर में नही हुयी वरन परिवादी की सब्जी मण्डी फरीदपुर स्थित दुकान में हुयी थी जो बीमित परिसर से लगभग एक किमी दूर स्थित है।
4. प्रतिपक्षी सं0 2 द्वारा प्रतिवाद पत्र कागज सं0 14 प्रस्तुत किया गया है प्रतिवाद पत्र के अभिकथन संक्षेप में निम्न प्रकार है।
4.1 प्रतिवाद पत्र में परिवाद के प्रस्तर सं0 2, 4, 8, 12, 15 लगायत 17 के अभिकथनों को आंशिक रूप से स्वीकार किया गया है। प्रतिवाद पत्र के अन्य अभिकथनों का प्रतिपक्षी सं0 2 से सम्बन्धित न होने के कारण खण्डन किया गया है।
4.2 प्रतिपक्षी सं0 2 द्वारा अतिरिक्त कथन में अभिकथित किया गया कि प्रतिपक्षी सं0 2 को ऋण की अदायगी समय से न करने और उससे बचने के लिये परिवाद प्रस्तुत किया गया है अतः परिवाद प्रतिपक्षी सं0 2 के विरूद्ध निरस्त होने योग्य है। परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य प्रतिपक्षी सं0 1 से सम्बन्धित है केवल बैंक के ऋणी होने के कारण प्रतिपक्षी सं0 2 को पक्षकार बनाया गया है इसलिये भी दावा निरस्त होने योग्य है।
4.3 प्रतिपक्षी सं0 2 ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुये प्रीमियम रू0 1088/- का भुगतान प्रतिपक्षी सं0 1 को कर दिया था।
5. परिवादी ने अपने पक्षकथन को सिद्ध करने के लिये शपथपत्र कागज सं0 18 प्रत्युत्तर शपथ पत्र कागज सं0 31 एवं प्रलेखीय साक्ष्य को प्रस्तुत किया था।
6. प्रतिपक्षी सं0 1 की ओर से प्रतिशपथ पत्र कागज सं0 22 एवं 24 प्रस्तुत किये गये है तथा प्रलेखीय साक्ष्य को भी प्रस्तुत किया गया है।
7. प्रतिपक्षी सं0 2 की ओर से प्रतिशपथ पत्र कागज सं0 28 एवं प्रलेखीय साक्ष्य को प्रस्तुत किया गया है।
8. हमने उभयपक्षो की ओर से किये गये तर्को को सुना है तथा पत्रावली का ध्यान पूर्वक परिशीलन किया गया।
उपपत्ति
9. पक्षों के अभिकथनों के आलोक में हम परिवाद के निस्तारण हेतु निम्न अवधारण बिन्दु विरचित करने का औचित्य पाते है।
1. क्या परिवादी की सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकान बीमा पालिसी से आवृत थी?
2. क्या प्रतिपक्षीगण द्वारा परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में कोई त्रुटि कारित की गयी है?
3. क्या परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी है? यदि हाँ तो क्या और किससे?
10. अवधारण बिन्दु सं0 1 व 2ः अन्तः सम्बन्धित होने के कारण उपरोक्त वाद बिन्दुओं का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है। अवधारण बिन्दु सं0 1 इस प्रभाव का है कि क्या परिवादी की सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकान बीमा पालिसी से आवृत थी? तथा अवधारण बिन्दु सं0 2 इस प्रभाव का है कि क्या प्रतिपक्षीगण द्वारा परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में कोई त्रुटि कारित की गयी।
10.1 पक्षों के अभिकथनों एवं उनके द्वारा प्रस्तुत शपथपत्रों से विदित होता है कि उनके मध्य इन बिन्दुओं पर कोई विवाद नही है।परिवादी द्वारा अपनी दुकान हेतु प्रतिपक्षी सं0 2 से ऋण लिया गया था तथा दुकान हेतु प्रतिपक्षी सं0 1 से बीमा कराया गया था। उपरोक्त बीमा पालिसी की सं0-34020548140600000007 थी तथा उक्त बीमा पालिसी दिनांक 08.08.2014 से दिनांक 07.08.2015 तक प्रभावी थी।
10.2 सर्व प्रथम मैं परिवादी की दुकान में आग लगने के बिन्दु पर आता हूँ।
10.3 परिवाद में लिये गये पक्षकथन के अनुसार दिनांक 7/8 -04-2015 की रात में सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकानों में आग लग गयी थी जिसमें परिवादी की दुकान भी जल गयी थी। प्रतिपक्षी सं0 1 द्वारा पतिवादपत्र के प्रस्तर सं0 17 में यह अभिकथित किया गया है कि आगजनी की घटना सब्जी मण्डी फरीदपुर स्थित में हुयी थी प्रतिपक्षी सं0 2 ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवाद के उपरोक्त अभिकथन का कोई खण्डन नही किया है इस प्रकार यह स्पष्ट है कि पक्षो के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नही है कि दिनांक 7/8 -04-2015 की रात में सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकानों में आग लग गयी थी जिसमें परिवादी की दुकान भी जल गयी थी।
10.4 कागज सं0 4/3 लगायत 4/8 प्रभारी अग्नि शमन अधिकारी फरीदपुर (बरेली) की आख्या की छाया प्रति है जिसमें उरोक्त समय सब्जी मण्डी फरीदपुर में विभिन्न दुकानों अग्नि कांड होने का उल्लेख किया गया है। उपरोक्त आख्या में के अन्त में उन व्यक्तियों की सूची दी गयी है जिनकी दुकानों में आग लगी थी। उपरोक्त सूची क्रम सं0 28 पर परिवादी का नाम अंकित है और परिवादी की दुकान में रू0 2,50,000/- की क्षति होना दर्शाया गया है।
10.5 सर्वेयर की आख्या की छायाप्रति जो प्रतिपक्षी सं0 1 केे साक्षी अनिल कुमार खुल्लर के शपथपत्र का संलग्नक कागज सं0 23/2 लगायत 23/6 है तथा जो सर्वेयर राजीव कुमार के शपथपत्र का0सं0 24/1 का संलग्नक का0सं0 25/1 ता का0सं0 25/5 है में यह उल्लेख किया गया है कि परिवादी ने बताया कि दिनांक 07.04.2015 को साढे 9.30 बजे उसे बाजार के चैकीदार से सूचना मिली कि बाजार में आग लग गयी तो वह तुरन्त घटना स्थल पर गया। सर्वेयर द्वारा परिवादी की दुकान में रू0 65000/- की शुद्ध क्षति होना दर्शाया गया है।
10.6 पक्षों के अभिकथनों प्रभारी अग्निशमन केन्द्र फरीदपुर एवं सर्वेयर की उपरोक्त आख्यायों से यह स्थापित हो गया है कि परिवादी की जिस दुकान में आग लगी थी वह सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित है।
10.7 पक्षों के मध्य विवाद इस बिन्दु पर है कि परिवादी की जिस दुकान का बीमा प्रतिपक्षी सं0 1 से कराया गया था क्या वह परिवादी की सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकान के सम्बन्ध में था?
10.8 परिवादी एवं प्रतिपक्षी सं0 2 के अनुसार उपरोक्त बीमा परिवादी की सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकान के सम्बन्ध में था जबकि प्रतिपक्षी सं0 1 के अनुसार उक्त दुकान के सम्बन्ध मे बीमा नही कराया गया था क्योकि दुकान का पता मो0 कानूनगोयान फरीदपुर दर्शाया गया था।
10.9 सर्वेयर की आख्या की छायाप्रति जो प्रतिपक्षी सं0 1 केे साक्षी अनिल कुमार खुल्लर के शपथपत्र का संलग्नक कागज सं0 23/2 लगायत 23/6 है तथा जो सर्वेयर राजीव कुमार के शपथपत्र का0सं0 24/1 का संलग्नक का0सं0 25/1 ता का0सं0 25/5 है में यह उल्लेख किया गया है कि बीमा पालिसी में दिये गये पते के अनुसार बीमित परिसर मो0 कानूनगोयान फरीदपुर में स्थित है जबकि आग उपरोक्त स्थान से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मो0 सब्जी मण्डी फरीदपुर में लगी थी।
10.10 बीमा पालिसी की छाया प्रति कागज सं0 30/17, 30/18 में परिवादी को बीमित में परिवादी के नाम के आगे परिवादी के नाम के साथ उसका पता मो0 कानूनगोयान फरीदपुर दर्शाया गया है तथा दुकान के पते के समक्ष ।ै ।ठव्टम् अंकित किया गया है जिसका अर्थ यह हुआ कि बीमित दुकान भी मो0 कानूनगोयान फरीदपुर में स्थित है।
10.11 स्वीकृत रूप से उपरोक्त बीमा परिवादी की ओर से प्रतिपक्षी सं0 2 द्वारा कराया गया था चूंकि परिवादी द्वारा उपरोक्त दुकान पर प्रतिपक्षी सं0 2 से ऋण लिया गया था।
10.12 प्रतिपक्षी सं0 2 की ओर से तर्क किया गया कि उसके द्वारा सब्जी मण्डी फरीदपुर में स्थित दुकान का बीमा कराने का प्रस्ताव भेजा गया गया था क्योंकि उसी दुकान पर ऋण लिया गया था। इस सम्बन्ध प्रतिपक्षी सं0 2 की ओर से ऋण आवदेन पत्र का आश्रय लिया गया है।
10.13 प्रतिपक्षी सं0 1 की ओर से तर्क किया गया कि बीमा कराने का जो प्रस्ताव प्राप्त हुआ था उसमें दुकान का पता मो0 कानूनगोयान फरीदपुर अंकित है इसी कारण से उक्त दुकान का बीमा हुआ था और बीमा पालिसी में यही पता अंकित है जिस पर परिवादी व प्रतिपक्षी सं0 2 में से किसी ने भी कोई आपत्ति नही की।
10.14 ऋण आवदेन पत्र की छाया प्रति कागज सं0 30/1 लगायत 30/3 में कारोबार स्थल फरीदपुर सब्जी मण्डी बाजार दर्शाया गया है। उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर अन्त में परिवादी के हस्ताक्षर है उपरोक्त ऋण प्रार्थना पत्र मेें अंकित पते का बीमा पालिसी में अंकित पते से सीधा सम्बन्ध नही है क्यांेकि बीमा पालिसी बीमा हेतु दिये गये प्रस्ताव के आधार पर निर्गत होती है।
10.15 प्रतिपक्षी सं0 1 द्वारा बीमा प्रस्ताव की छाया प्रति कागज सं0 35/3 प्रस्तुत की गयी है जिसमें दुकान का पता मो0 कानूनगोयान फरीदपुर अंकित है। उपरोक्त प्रलेख पर प्रस्तावक में बैंक के अधिकारी/कर्मचारी के हस्ताक्षर है और बैंक की मुद्रा लगी हुयी है। उपरोक्त प्रलेख से यह विदित होता है उस पर परिवादी के हस्ताक्षर नही है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि दुकान का बीमा कराने में परिवादी की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नही रही है।
10.16 बीमा पालिसी में जो भी पते अंकित होते है वह बीमा प्रस्ताव के आधार पर ही अंकित किये जाते है। इस प्रकार प्रस्तुत मामलें मंें यह कहे जाने का आधार व औचित्य है कि बीमा पालिसी में दुकान का पता मो0 कानूनगोयान फरीदपुर (बरेली) इस आधार पर अंकित किया गया है कि बीमा प्रस्ताव में दुकान का यही पता अंकित है। बीमा का प्रस्ताव प्रतिपक्षी सं0 2 बैंक के किसी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा भरा गया है।
10.17 स्वीकृत रूप से परिवादी एवं प्रतिपक्षी सं0 2 में किसी का भी यह पक्षकथन नही है कि उन्होने बीमा पालिसी मंें अंकित दुकान के पते के सम्बन्ध में आपत्ति की थी और पता परिवर्तित करने के लिये प्रतिपक्षी स्ंा0 1 से आवेदन किया था।
11. कागज सं0 23/7 प्रतिपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी का बीमा दावा के अस्वीकार किये जाने के सम्बन्ध में परिवादी को प्रेषित किये गये पत्र की छाया प्रति है। जिसमें यह अभिकथित किया गया है कि सर्वे में यह पाया गया कि आग सब्जी मण्डी फरीदपुर में लगी थी जबकि बीमा मो0 कानूनगोयान फरीदपुर के सम्बन्ध कराया गया था अतएव बीमा पालिसी से आग लगने वाला स्थल आवृत नही है परिणामतः बीमा दावा स्वीकार होने योग्य नही है।
11.1 प्रतिपक्षी सं0 1 की ओर से निर्णय विधि श्रृद्धा सेल्स कारपोरेशन प्रति यू0इ0इन्श्योरेन्स कं0 लि0 व अन्य पअ ;2015 ब्च्श्र 445 ;छब्द्ध का आश्रय लिया गया है। उपरोक्त निर्णय विधि में इस बिन्दु पर विवाद था कि किस स्थल का बीमा हुआ है। बीमा का प्रस्ताव बैंक कर्मी द्वारा भरा गया था। जिस स्थान पर आग लगी थी वह बीमा से आवृत नही था। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा बीमा कम्पनी को ही प्रतिपूर्ति करने के उत्तरदायी नही माना गया है और बैंक को प्रतिकर देने हेतु आदेशित किया गया।
11.2 उपरोक्त निर्णय विधि में दी गयी व्यवस्था प्रस्तुत मामलें के तथ्य एंव परिस्थितियोें में पूर्णतया लागू होने योग्य है।
12. उपरोक्त परिचर्चा के आधार हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि बीमा पालिसी में परिवादी की दुकान का पता गलत अंकित होने के लिये प्रतिपक्षी सं0 2 ही उत्तरदायी है तथा प्रतिपक्षी सं0 1 परिवादी को उसकी सब्जी मण्डी फरीदपुर में आग लगने से हुई क्षति हेतु प्रतिपूर्ति करने की उत्तरदायी नहीं है चूंकि उक्त दुकान बीमा पालिसी से आवृत नहीं है। इस प्रकार प्रतिपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार करने से सेवा प्रदत्त करने में कोई क्षति नहीं हुई है। प्रतिपक्षी सं0 2 द्वारा बीमा के प्रस्ताव में परिवादी की दुकान का पता गलत अंकित करके सेवा प्रदत्त करने में गम्भींर त्रुटि कारित की गयी है। अवधारण बिन्दु सं0 1 व 2 तदनुसार निर्णीत किया जाता है।
13. अवधारण बिन्दु सं0 3 उपरोक्त अवधारण बिन्दु अनुतोंष के सम्बन्ध में है। अवधारण बिन्दु सं0 1 व 2 में आये निष्कर्षो के आधार पर हम परिवादी की दुकान में आग लगने से हुई क्षति हेतु प्रतिपक्षी सं0 2 से प्रतिपूर्ति कराये जाने का आधार व औचित्य पाते है।
13.1 अब हम प्रतिपूर्ति की मात्रा के बिन्दु पा आते है। प्रभारी अग्निशमन केन्द्र फरीदपुर की आख्या का0सं0 4/3 ता का0सं0 4/8 में परिवादी की दुकान में आग से रु0 250000/- क्षति होना दर्शाया गया है। सर्वेयर द्वारा अपनी आख्या का0सं0 23/2 ता का0सं0 23/6 में परिवादी की दुकान में आग से रु0 65000/- की क्षति होना दर्शाया गया है। अग्निशमन केन्द्र की उपरोक्त आख्या में क्षति का आकलन मन माने ढग से किया गया है। उससे यह प्रदर्शित नहीं होता है कि आधार पर उक्त क्षति आकलित की है। जबकि सर्वेयर द्वारा जो आख्या दी गयी है उसमें क्षति का विश्लेषणात्मक आगणन किया गया है। सर्वेयर ने अपने शपथपत्र का0सं0 24/1 से उपरोक्त आख्या की पुष्टि की है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय विधि श्री वेकटेश्वर सिडिंकेट प्रति ओरियन्टल इं0कं0 प्प् (2010) सी.पी.जे. 1 में यह व्यवस्था दी गयी है कि सर्वेयर की नियुक्ति बीमा अधिनियम 1938 के प्रावधान के अन्तर्गत की जाती है। अतः उसकी आख्या को सम्यक महत्व दिया जाना चाहिए और पर्याप्त आधार पर ही उसकी आख्या से असहमत हुआ जा सकता है। उपरोक्त विधि व्यवस्था एंव उपरोक्त परिचर्चा के आधार पर हम इस विचार के है कि प्रभारी अग्निशमन केन्द्र की उपरोक्त आख्या की तुलना में सर्वेयर की उपरोक्त आख्या अधिक महत्वपूर्ण है और उसी को महत्व दिया जाना चाहिये। परिणामतया हम परिवादी की दुकान में हुई क्षति रु0 65000/- निर्धारित करने का औचित्य पाते है।
13.2 उपरोक्त परिचर्चा के आधार पर हम परिवादी को प्रतिपक्षी सं0 2 से रु0 65000/- प्रतिपूर्ति के रुप में दिलाये जाने का औचित्य पाते है। शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु हम परिवादी को प्रतिपक्षी सं0 2 से रु0 10000/- दिलाये जाने का औचित्य पाते है। उपरोक्त धनराशियों का भुगतान एक माह के अन्तर्गत न होने पर परिवादी प्रतिपक्षी सं0 2 से उपरोक्त धनराशियों पर परिवाद संस्थित किये जाने की तिथि से उनके भुगतान होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। वाद व्यय हेतु हम परिवादी को प्रतिपक्षी सं0 2 से रु0 5000/- दिलाये जाने का औचित्य पाते है। उपरोक्त धनराशि प्रतिपक्षी सं0 2 बीमा हेतु प्रस्ताव फार्म भरने वाले अधिकारी/कर्मचारी से वसूल करने का अधिकारी होगा। परिवाद तदनुसार स्वीकार होने योग्य है। अवधारण बिन्दु सं0 3 तदनुसार निर्णीत किया जाता है।
आदेश
परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी प्रतिपक्षी सं0 2 से रु0 65000/- प्रतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु परिवादी प्रतिपक्षी सं0 2 से रु0 10000/- प्राप्त करने का अधिकारी है। उपरोक्त धनराशियों का भुगतान एक माह के अन्तर्गत न होने पर परिवादी प्रतिपक्षी सं0 2 से उपरोक्त धनराशियों पर परिवाद संस्थित किये जाने की तिथि से उनके भुगतान होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। वाद व्यय हेतु परिवादी प्रतिपक्षी सं0 2 से रु0 5000/- प्राप्त करने का अधिकारी है। उपरोक्त धनराशि प्रतिपक्षी सं0 2 बीमा हेतु प्रस्ताव फार्म भरने वाले अधिकारी/कर्मचारी से वसूल करने का अधिकारी है।
(मोहम्मद कमर अहमद) ( विनोद कुमार सिंह राठौर )
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 10.01.2018 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले फोरम में उद्घोषित किया गया ।
(मोहम्मद कमर अहमद) ( विनोद कुमार सिंह राठौर )
सदस्य अध्यक्ष
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