Rajasthan

Jaisalmer

54/13

SHIV PARKASH - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSURANCE COM. - Opp.Party(s)

R.D.SHEWAK

27 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 54/13
 
1. SHIV PARKASH
JAISALMER
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INSURANCE COM.
JODHPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:R.D.SHEWAK, Advocate
For the Opp. Party: M.D.JOSHI, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नारावत ।    
3. सदस्या  : श्रीमती संतोष व्यास ।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 01.10.2013
मूल परिवाद संख्या:- 54/2013


षिवप्रकाष पुरोहित पु़त्र स्वं श्री नखतमल जाति पुरोहित
प्रषासनिक अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा जैसलमेर, निवासी चैनपुरा मौहल्ला  जैसलमेर ।                                    ............परिवादी

बनाम


वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक,
दी न्यू इण्डिया इष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जोधपुर मण्डल कार्यालय, द्वितीय
196 एस.एस.टावर प्रथम तल, आखलिया सर्किल के पास चैपासनी रोड़
जोधपुर - 342003                                ............. अप्रार्थी


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री राणिदान सेवक अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    अप्रार्थी की ओर से श्री मूरलीधर जोषी अधिवक्ता उपस्थित।


ः- निर्णय -ः            दिनांक: 30.04.2015


1.    परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम के समस्त कर्मचारियों व उनके परिवार के सदस्यों की स्वास्थ सुरक्षा हैतु मास्टर मेडिक्लैम पाॅलिसी की गई थी जिस कारण परिवादी के वेतन से प्रति माह 453.22 रू व 236.33 रू निगम द्वारा कटौती करके अप्रार्थी के यहा दो तिहाई राषि निगम द्वारा अपने कोष से मिलाकर भैजी जाती है परिवादी के अचानक कमर मे दर्द सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह मे शुरू हुआ जिस पर स्थानीय स्तर पर इलाज लिया परन्तु दर्द मे कोई फर्क नही पड़ने पर दिनांक 16.09.2011 को अहमदाबाद इलाज करवाने गया तथा दिनांक 22.09.2011 से 23.09.2011 तक अस्पताल मे भर्ती रहा तथा डाॅक्टर की सलाह अनुसार पुनः जैसलमेर आ गया तथा समय-समय के अन्तराल पर डाॅक्टर के बताये अनुसार चैकअप करवाने जाता रहा दिनांक 21.10.2011 को डाॅक्टर की सलाह अनुसार दवाईयाॅ लेकर आया तथा डाॅक्टर ने यह भी प्रसक्रीप्सन पर लिख दिया कि परिवादी आगे जैसलमेर के निकट बडे़ शहर के फिजिषियन को दिखा सकता है जिस पर परिवादी दिनांक 05.11.2011 व 22.11.2011 को गोयल हाॅस्पीटल मे चैकअप करवाया व डाॅक्टर की सलाह अनुसार आगे कुछ समय की दवाईयाॅ खरीद कर पुनः जैसलमेर आ गया तथा दवाईयाॅ स्वास्थ लाभ व आराम हैतु लेता रहा परिवादी द्वारा दिनांक 24.11.2011 को मैडिक्लैम दावा प्रपत्र मय मूल दस्तावेज के निगम कार्यालय को भैजा जहा से दावा प्रपत्र अप्रार्थी को भेजा गया जिस पर अप्रार्थी द्वारा दिनांक 13.12.2011 को केवल 31,300/- रू का भुगतान स्वीकृत किया गया तो परिवादी द्वारा कम भुगतान रू 17,962/- के बारे मे अप्रार्थी से पूछा तो कहा कि 60 दिन की अवधि के बाद के खर्चो का पुनः भरण नही किया जाएगा। परिवादी द्वारा मेडिक्लैम पाॅलिसी के परिपत्र का हवाला देकर दिनांक 03.02.2011 को अप्रार्थी कम्पनी को पत्र भेजा तथा बार-बार रिमाइन्डर भी भेजे गये। इसके पश्चात् अप्रार्थी द्वारा एक दिन का अतिरिक्त भुतगान रू 713 दिनांक 18.02.2012 को स्वीकृत किया। परिवादी द्वारा पुनः 22.02.2012 को अप्रार्थी को ई.मेल व पत्र लिखकर भुगतान किये जाने का निवेदन किया फिर भी अप्रार्थी हठधमिता दिखाते हुए शेष राषि 17,249/- रू का भुगतान न कर सेवा मे कमी कारित की है जिसके पैटे शेष राषि मय ब्याज सहित मानसिक व शारीरिक पेटे 25,000 रू व परिवाद व्यय पैटे 5000 रू अप्रार्थी से दिलाये जाने का निवेदन किया परिवादी का पूर्व मे प्रस्तुत परिवाद सं. 31/2012 दिनांक 06.12.2012 अदम पैरवी मे खारिज कर दिया था जिसके स्थान पर परिवादी ने यह नया परिवाद पेष किया।  
2.    अप्रार्थी की तरफ से सक्षिप्त में जवाब इस प्रकार है कि प्रार्थी द्वारा दिनंाक 22.11.2011 को आॅखों के डाॅक्टर सुरेन्द्र माथुर को दिखाया जबकि प्रार्थी द्वारा स्लीप डिस का ईलाज करना बताया जा रहा है तथा उसी दिन डाॅक्टर राजीव माथुर न्यूरोफिजिषीयन को दिखाया जो बिल दिनांक 22.11.2011 का है जो दो महीने का है इसी प्रकार 22.11.2011 को डाॅक्टर महैन्द्रसिंह को दिखाया जो इन्डोक्रिनोलोजिस्ट है इस प्रकार अप्रार्थी द्वारा नियमानुसार एक दिन का भुगतान किया जा चूका है चूॅकि पाॅलिसी के अनुसार उपचार हैतु भर्ती के दिन से 60 दिन तक क्लैम देय होता है अतः 60 दिन का भुगतान प्रार्थी को किया जा चूका है अब कोई भुगतान बाकी नही है तथा परिवाद म्याद बाहर होने से व दिनांक 06.12.2012 को अदम पैरवी मे खारिज होने से कानूनी तौर पर चलने योग्य नही होने के कारण पुनः पेष परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
   3.    हमने विद्वान अभिभाषकगण एवं पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.    क्या परिवाद म्याद बाहर है या नहीं ?
2.    क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
3.    क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
4.    अनुतोष क्या होगा ?

5. बिन्दू सख्या 1. जिसे साबित करने का सम्पूर्ण दायित्व अप्रार्थी पर है अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की दलील हे कि परिवादी का पूर्व परिवाद दिनांक 06.12.2012 को अदम् पैरवी मे खारिज हो गया था ओर पुनः जो नया परिवाद परिवादी ने पेष किया है वह सीमा अवधि बाधित है जो म्याद बहार है उनकी यह भी दलील है कि परिवाद खारिज होने के बाद पुनः परिवाद प्रस्तुत करने का कोई प्रावधान नही है अप्रार्थी के विद्वान अभिभाषक के इस तर्क पर मनन किया गया इस सम्बध मे प्द दमू पदकपं पदेनतंदबम ब्वण् अे ैतपदपअंेंद प् ;2000द्ध ब्च्श्र 19 ;ैब्द्ध मे मान्य न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया गया है कि जीम ंचमग इवकल ीमसक जींज जीमतम ूंे दव चतवअपेपवद पद जीम ।बज जव तमेजवतम जीम बवउचसंपदज इल थ्वतनउ इनज ं ेमबवदक बवउचसंपदज बंद इम पिसमकण् प्द अपमू व िजीम कमबपेपवद तमदकमतमक इल जीम ैनचतमउम ब्वनतज जीम बवउचसंपदंज कवमे ींअम ंद वचचवतजनदपजल जव पिसम ं ेमबवदक बवउचसंपदज प िजीम मंतसपमत बवउचसंपदज वद जीम ेंउम बंनेम व िंबजपवद ूंे कपेउपेेमक वित कमंिनसजण् भ्वूअमतए जीम ेमबवदक बवउचसंपदज पे ेनइरमबज जव सपउपजंजपवदण्
अतः उक्त विनिष्चय मे प्रतिपादित सिदांत के अनुसार द्वितीय बवउचसंपदज उसी बंनेम व िंबजपवद पर लाई जा सकती है लैकिन वह बवउचसंपदज सीमा अवधि मे होनी चाहिए इस सम्बध मे अप्रार्थी वरिष्ठ मण्डल प्रबधक की तरफ से दिनांक 10.02.2012 को परिवादी को इस मेडिक्लैम के बाबत् जो पत्र लिखा था उसमे यह वर्णित किया गया था कि केवल 713 रू देय है शेष राषि देय नही है इस प्रकार परिवादी को दिनांक 10.02.2012 के पत्र से बंनेम व िंबजपवद दिनांक 10.02.2012 को उत्पन्न हुआ तथा दिनंाक 13.12.2011 को अप्रार्थी द्वारा 31300 रू का दावा भुगतान हैतु स्वीकृत किया गया था यदि उस दिन को भी बंनेम व िंबजपवद माने तो भी परिवादी ने दूसरा परिवाद दिनांक 15.10.2013 को पेष किया है जो कि 2 वर्ष की सीमा अवधि मे ही है उक्त विष्लेषण से यह साबित है कि परिवादी का परिवाद म्याद बाहर नही है उक्त बिन्दू अप्रार्थी के विरूद्व परिवादी के पक्ष मे निस्तारित किया जाता है।

6.बिन्दु संख्या 2:-जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा मेडिक्लैम पाॅलिसी की हुई थी परिवादी के वेतन से रू 453.22 व रू 236.33 निगम द्वारा कटौती करके व दो तिहाई राषि निगम द्वारा अपने कोष से मिलाकर प्रतिमाह अप्रार्थी को निगम द्वारा भेजी जाती थी जिसे अप्रार्थी ने भी माना है ।  इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 2 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।

 7.    बिन्दु संख्या 3:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ?
विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है की परिवादी के वेतन से प्रति माह 453.22 रू व 236.33 रू निगम द्वारा कटोैती करके तथा दो तिहाही राषि निगम द्वारा अपने कोष से मिलाकर प्रतिमाह अप्रार्थी को भैजी जाती है उनकी यह भी दलील है कि परिवादी द्वारा दिनांक 24.11.2011 को 49262.94 रू का मेडिक्लैम दावा मय दस्तावेज अप्रार्थी के यहा भेजा गया जिसमे से अप्रार्थी ने दिनांक 13.12.2011 को मात्र 31300 दावा भुगतान पास कर भेजा बाद मे प्रार्थी द्वारा बार-बार पत्र प्रेक्षित करने पर डेट आॅफ डिसजार्च से 60 दिवस मानते हुए 1 दिन का भुगतान किया गया लेकिन 60 दिवस की अवधि जो 22.11.2011 है मे खर्च किये गए बिलों का भुगतान 15900 रू नही किया गया जबकि नियमानुसार 60 दिन के अन्दर जो मेडिकल खर्च किये गए उनका भुगतान किये जाने का प्रावधान है ऐसा नही है कि दवाओ का 60 दिन के अन्दर-अन्दर ही कन्ज्यूम करनी हो अतः शेष राषि जो 60 दिन के अन्दर प्रार्थी के द्वारा खर्च की गई उसको अदा न कर अप्रार्थी ने सेवा दोष कारित किया है।
    विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने दिनांक 22.11.2011 को तुरन्त माथुर को दिखाया जो कि आॅख के डाॅक्टर है तथा परिवाद ने इलाज ैसममच कपेा का करना बताया गया है। जो अदा करने योग्य नही है उसकी यह भी दलील है कि 22.11.2011 को डाॅ. राजीव माथुर न्यूरोफिजीषयन को दिखाया जिसका टीटमेन्ट देय है जो बिल 22.11.2011 का है वो दो महीने का है। तथा बिल 3710 रू का है उसमे से 1 दिन की राषि 73.75 बनता है तथा डाॅक्टर फीस 200 रू तथा उनका यह भी कथन है कि 22.11.2011 को डाॅ. महेन्द्रसिह को दिखाया इन्डोकोलोजिस्ट है उसमे से प्रार्थी का दावा 1 दिन का बनता है जबकि चार महिने का बिल पेष किया है एक दिन के दावे की राषि 257.79 व डाॅ. फीस 200 रू कुल 713.34 रू का भुगतान देय था जो अदा कर दिया है कोई सेवा त्रृटि नही की है। उनकी यह भी दलील है कि पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार उपचार हैतु छुट्टी (डिस्चार्ज) के दिन से 60 दिन तक क्लैम देय होता है प्रार्थी दिनांक 22.09.2011 को भर्ती हुआ तथा 23.09.2011 को डिस्चार्ज हुआ जिसका भुगतान प्रार्थी को कर दिया है कोई सेवा त्रृटि नही की है। अपने तर्को के समर्थन मे ।ीमउमकंइंक व्उइनकंेउंद ब्मदजतम के बंेम दवण् 11.003.0081 क्तण्ज्ञण्ज्ञण्च्ंजमस टे छंजपवदंस प्देनतंदबम बवण् सजकण् ।ूंतक क्ंजम 03ण्10ण्2007 व जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जोधपुुर प्रथम प्रकरण सं. 584/2013 वेदपाल जांगिड़ बनाम दी न्यू इण्डिया इष्यो.क.लि. व अन्य दिनांक 31.03.2015 का पेष किया।
    उभयपक्षांे के तर्को पर मनन किया गया जहा तक अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की यह दलील कि डाॅ. सुरेन्द्र माथुर जो आॅखों के डाॅक्टर है उसको परिवादी द्वारा दिखाना बताया है लैकिन परिवादी ने डॅा. सुरेन्द माथुर के ईलाज व फीस हैतु परिवाद मे कोई क्लैम नही किया है न ही कोई राषि की माॅग की है अतः अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की उक्त आपति मे कोई बल नही पाते है। अब मुख्य रूप से विवाद का विषय दिनांक 22.11.2011 बिल नम्बर 7085 राषि 12903 रू डाॅ. महेन्द्रसिह के व दिनांक 22.11.2011 बिल नम्बर 7087 राषि 3710/- रू डाॅ. राजीव माथुर का है जिसमे से एक दिन का भुगतान 713 रू अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किया जा चुका है दोनों बिलों की शेष राषि 15900/- रू का भुगतान नही करना बताया गया है। इस सम्बध मे अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक द्वारा प्रस्तुत आदेष ।ीमउमकंइंक व्उइनकंेउंद ब्मदजतम के बंेम दवण् 11.003.0081 क्तण्ज्ञण्ज्ञण्च्ंजमस टे छंजपवदंस प्देनतंदबम बवण् सजकण् ।ूंतक क्ंजम 03ण्10ण्2007 मे यह माना है कि
    च्ंतजपंस तमचनकपंजपवद व िडमकपबसंपउरू ।द ंउवनज व ित्ेण् 26250ध्. ूंे कपेंससवूमक ूीपसम ेमजजसपदह जीम डमकपबसंपउण् ज्ीम ब्वउचसंपदंदज ींक पद वदम हव चनतबींेमक उमकपबपदमे पद हतवेेण् ज्ीम तमपउइनतेमउमदज वित जीम उमकपबपदमे जव इम नेमक ूपजीपद जीम 60 कंल व िचवेज.ीवेचपजंसपेंजपवद ूंे तमपउइनतेमक ंदक जीम कमबपेपवद व िजीम त्मेचवदकमदज दवज जव तमपउइनतेम बवेज व िउमकपबपदमे वित जीम चमतपवक इमलवदक 60 कंले ूंे नचीमसकण्  
    उक्त आदेष के अनुसार उन्ही दवाईयों का तमपउइनतेमउमदज हो सकता है जो चवेज.ीवेचपजंसपेंजपवद  के 60 दिन के अन्दर उपयोग मे ली गई हो उस 60 दिन के बाद की दवाईयों का भुगतान नही किया जा सकता।
    अतः हमारे मत मे भी बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार 60 दिन के अवधि के बाद के दवाईयों के बिल का भुगतान परिवादी को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा नही कर कोई त्रृटि कारित नही की है। लैकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा 60 दिन की अवधि के भीतर मेडिकल एक्सपेन्सेज का पूर्ण रूप से भुगतान परिवादी को नही किया गया है जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किया जाना चाहिए क्योकि परिवादी द्वारा प्रस्तुत मेडिकल दावें के विवरण के अनुसार दिनांक 07.09.2011 से दिनांक 20.11.2011 तक कुल मेडिकल खर्च रू 32,149.94 बनता है जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा केवल 31,300 रू का भुगतान किया गया है शेष राषि 849.94/- रू का भुगतान अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्यों नही किया गया इस बाबत् कोई स्पष्टीकरण अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नही किया गया है परिवादी ने भी अपने परिवाद मे इस सम्बध मे आपति की है तथा कटौतियों का विवरण अप्रार्थी ने नही बताया है अतः हमारी राय मे यह राषि 849.94/- रू परिवादी को दिलाया जाना उचित है साथ ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा डेट आॅफ डिसचार्ज से 60 दिन की गणना कर 60 दिन के भीतर-भीतर मानकर एक दिन का भुगतान 713 रू किया गया है जबकि नियमानुसार एक दिन का भुगतान रिकार्ड अनुसार 73.75$200$257.59$200 कुल राषि 731.34/- रू बनता है इस राषि मैसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा केवल मात्र 713 रू का ही भुगतान परिवादी को किया गया है शेष राषि 18.34 रू को अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिलाया हमारी राय मे उचित है।
        
 फलतः बिन्दु संख्या 2 परिवादी के पक्ष मे आषिंक रूप से निस्तारित किया जाता है ।
8.    बिन्दु संख्या 4:- अनुतोष। बिन्दु संख्या 2  प्रार्थी के पक्ष में आषिंक रूप से निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आषिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाकर परिवादी को मेडिकल खर्च की शेष राषि 868.28 रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 15.10.2013 से तावसूली तक 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज की दर से अदा करने व मानसिक हर्जाना पेटे रू 2,000/- एवं परिवाद व्यय पेटे रू 1000/- अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिलाया जाना उचित है ।  


ः-ः आदेश:-ः

        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को मेडिकल खर्च राषि रूपये 868.28 रूपये आठ सौ अडसठ रूपये अठाईस पैसे पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 15.10.2013 से तावसूली तक 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज की दर अदा करे इसके अलावा  मानसिक हर्जाना पेटे रू 2,000/- दो हजार रूपये एवम् परिवाद व्यय पेटे रू 1000/- एक हजार रूपये मात्र 2 माह के भीतर भीतर अदा करे ।


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।


    आदेश आज दिनांक 30.04.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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