Rajasthan

Tonk

cc/09/2014

bhavar singh - Complainant(s)

Versus

new india insurance com. - Opp.Party(s)

himmat singh

12 Mar 2015

ORDER


भंवरसिंह राजपूत बनाम दि न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0
परिवाद संख्या 09/2014
    
12.03.2015

 

 


        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसके वाहन आर.जे. 26 सी.ए. 1107 का निर्धारित प्रीमियम देकर बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 18.07.2012 से एक वर्ष के लिए कराया गया। बीमा अवधि में वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया जिसकी तत्काल विपक्षी कम्पनी को सूचना दी गई जिन्होने स्पोट सर्वे कराया तथा वाहन को निर्माता कम्पनी के जयपुर वर्कशाप पर मरम्मत कराने के निर्देश के अनुसार पहुंचाया गया। जिसका मरम्मत खर्चे का एस्टीमेट 1,88,342.44 रूपये बताया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी के निर्देश पर वाहन की मरम्मत कराने में कुल 1,43,498/- रूपये का खर्चा हुआ तथा वाहन को वर्कशाप पर पहुंचाने मंे 5,300/- रूपये का अतिरिक्त खर्चा हुआ। विपक्षी कम्पनी को वाहन क्षति का क्लेम प्रस्तुत किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने मरम्मत खर्चे की पूरी राशि का भुगतान करने के बजाय मनमानें तरीके से कटौती करते हुए उसके खाते में 85,491.75 रूपये का ही भुगतान किया। परिवादी ने कटौती के बाबत आपत्ति भी प्रस्तुत की लेकिन सुनवाई नही की गई। बाद में भी बकाया राशि का भुगतान नही किया गया। वाहन को मरम्मत हेतु जयपुर पहुंचाने के खर्चे की भी पूरी राशि नही दी गई। मनमाने व गैरकानूनी तरीके से कटौती करने से परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है। 
    विपक्षी बीमा कम्पनी के जवाब का सार है कि परिवादी ने वाहन की मरम्मत खर्चे के गलत, झूंठे व मनगढंत बिल प्रस्तुत किये जिनकी जांच सर्वेयर ने करके केवल 85,491.75 रूपये का ही नुकसान होना पाया और उसके अनुसार परिवादी को उसके खाते के माध्यम से भुगतान कर दिया गया। परिवादी क्लेम पेटे अन्य कोई राशि पाने का अधिकारी नही है। जवाब में स्वीकार किया गया है कि विपक्षी कम्पनी ने वाहन का सर्वे कराया तथा परिवादी ने मरम्मत खर्चे के बिल/वाउचर प्रस्तुत किए। यह भी स्वीकार किया गया कि परिवादी की ओर से प्रेषित नोटिस भी प्राप्त हुआ जिसका जवाब भी भंेंज दिया गया परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा आर.सी., बीमा पाॅलिसी, मरम्मत एस्टीमेट, मरम्मत खर्चा बिल व उसके अनुसार अदायगी रसीद, विपक्षी कम्पनी से प्राप्त पत्र दिनांक 04.02.2013, 12.02.2013, विपक्षी कम्पनी को प्रेषित नोटिस उनका जवाब आदि दस्तावेजात की प्रतिया प्रस्तुत की है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने साक्ष्य में प्राधिकृत अधिकारी नटराज वर्मा के शपथ-पत्र के अलावा सर्वेयर की रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत की है। 
    हमने विचार किया।
    प्रकरण में निर्णय हेतु केवल यही प्रश्न है कि क्या विपक्षी बीमा कम्पनी ने बीमित वाहन के क्षति क्लेम पेटे मरम्मत करने वाले वर्कशाप के.एस. फोर्ड झोटवाडा, जयपुर के बिलो व भुगतान प्राप्ति रसीद के अनुसार पूरा भुगतान नही करके सेवा में कमी की है ? 
    परिवादी का केस है कि उसने विपक्षी कम्पनी के निर्देश पर वाहन निर्माता कम्पनी के ही अधिकृत वर्कशाप पर वाहन की मरम्मत कराई जिसकी क्षति का सर्वे सर्वेयर ने किया लेकिन खर्चे के वास्तविक बिलो व भुगतान की गई राशि के अनुसार क्लेम का भुगतान नही किया तथा मनमाने तरीके से राशि की कटौती की गई जबकि विपक्षी बीमा कम्पनी का केस है कि नुकसान का आकंलन स्वतंत्र सर्वेयर से कराया गया जिसकी रिपोर्ट के अनुसार पूरा भुगतान किया गया है इसलिए कोई सेवादोष नही है। 
    विपक्षी कम्पनी ने सर्वेयर तिलक राज वर्मा की रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत की है जिसमें वाहन के रिइन्सपेक्शन सर्वे की रिपोर्ट दिनांक 12.02.2013 एवं बिल स्क्रूटनी शीट दिनांक 29.01.2013 की प्रति संलग्न है। उल्लेखनीय है कि इन दोनों रिपोर्टो पर न तो वर्कशाप के अधिकृत मैकेनिक/इन्जीनियर के हस्ताक्षर है ओर न ही परिवादी के हस्ताक्षर है जिससे प्रकट होता है कि मरम्मत व उसके खर्चे के सम्बन्ध में उनका पक्ष नही सुना गया और न ही उनसे चर्चा की गई। बिल स्क्रूटनी शीट में तिथि 29.01.2013 अंकित की गई है जबकि उसमें वाहन मरम्मत के बिलो की तिथि 12.02.2013 अंकित है जिससे प्रकट होता है कि वास्तव में बिलो की स्क्रूटनी की ही नही गई मनमाने तरीके से खर्चे का आंकलन किया गया है। रिइन्सपेक्शन रिपोर्ट में भी विस्तृत रूप से सकारण यह अंकित नही किया गया है कि जिन पार्टस को वाहन के अधिकृत वर्कशाप में क्षति के आधार पर बदला गया उनकी राशि की कटौती क्यों की गई ? इसके अलावा यह भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर की रिपोर्ट को सिद्ध करने के लिए उसका शपथ-पत्र साक्ष्य में प्रस्तुत नही किया है। इसलिए हमारी राय में उक्त कारणों से प्रस्तुत मामले में सर्वेयर की रिपोर्ट को वाहन क्षति मरम्मत खर्चे पेटे कानूनी रूप से स्वीकार्य नही माना जा सकता है विशेष तौर पर इस परिस्थिति में कि परिवादी ने वाहन की मरम्मत निर्माता कम्पनी के ही वर्कशाप पर कराई है तथा उसके मरम्मत खर्चे के बिलों के अनुसार परिवादी ने अदायगी भी की है। ऐसी स्थिति में उसके अनुसार परिवादी को क्षति क्लेम का भुगतान नही किया जाना प्रकटतः सेवादोष है। माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने रिवीजन याचिका संख्या 1925/2013 ओरियन्टल इन्श्योरेंस क0लि0 बनाम मोहिन्द्रपाल आदि निर्णय तिथि 26.08.2014 में यह व्यवस्था दी है कि वाहन विक्रेता के यहा वाहन की मरम्मत कराने पर उसके द्वारा मरम्मत खर्चे के बिलों की सत्यता पर संदेह नही किया जा सकता। माननीय सर्वोच्य न्यायालय ने न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस क0लि0 बनाम प्रदीप कुमार  2009 (2) ए.सी.टी.सी. (एस.सी.) 591 में यह व्यवस्था दी है कि सर्वेयर की रिपोर्ट बीमाकार या बीमित के लिए निश्चायक रूप से बाध्यकारी नही हो सकती केवल नुकसानी दावे के निस्तारण में एक आधार या हेतु हो सकती है। इस मामले में भी माननीय सर्वोच्य न्यायालय ने वाहन मरम्मत खर्चे के मूल बिल वाउचर व भुगतान रसीद के आधार पर वाहन स्वामी द्वारा वास्तव में खर्च की गई राशि की बीमा कम्पनी द्वारा अदायगी के दायित्व को सही ठहराया है। 
    उपरोक्त कारणों एवं परिस्थितियों के आधार पर हम पाते हैं कि विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी द्वारा उसके वाहन की क्षति की मरम्मत में निर्माता कम्पनी के वर्कशाप के बिलो अनुसार भुगतान की गई राशि में से विधि अनुसार वाहन की डेप्रीशियेशन, एक्सेस क्लोज व सालवेज की उचित कीमत की कटौती के उपरान्त अदायगी करने के लिए उत्तरदायी है। परिवादी के वाहन का विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 19.07.2012 से 18.07.2013 की अवधि के लिए बीमा किया एवं वाहन दिनांक 18.01.2013 को दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया। इसलिए हमारी राय में वाहन के मरम्मत में खर्च हुई राशि में से 5 प्रतिशत की कटौती डेप्रीशियेशन के बतौर किया जाना उचित है इसके अलावा एक्सेस क्लोज के पेटे 1,000/- रूपये एवं सालवेज पेटे युक्तियुक्त रूप से  5,000/- रूपये की कटौती किया जाना भी उचित है। यह भी उल्लेखनीय है कि सर्वेयर ने वाहन टोचिंग के पेटे 1,500/- रूपये की अदायगी का अनुमान बताया है जबकि परिवादी ने इस पेटे खर्च की गई राशि 5,300/- रूपये की रसीद प्रस्तुत की है जिस पर संदेह किये जाने का कोई आधार नही है क्योंकि कोई चुनौती नही दी गई है। इसलिए परिवादी टोचिंग के पेटे भी 5,300/- रूपये पाने का अधिकारी है। 
    उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते हैं कि परिवादी के बीमित वाहन की क्षति क्लेम पेटे विपक्षी बीमा कम्पनी का दायित्व परिवादी द्वारा भुगतान की गई राशि 1,43,498/- रूपये में से 5 प्रतिशत की कटौती होने पर 1,36,323/- रूपये व इस राशि में से एक्सेस क्लोज व सालवेज पेटे 6,000/- रूपये की कटौती होने पर 1,30,323/- रूपये तथा इसके अलावा वाहन को मरम्मत हेतु वर्कशाप तक पहुंचाने में खर्च की गई राशि 5,300/- रूपये सहित कुल 1,35,623/- रूपये का है जबकि विपक्षी बीमा कम्पनी ने केवल 85,491.75 रूपये का ही भुगतान किया है। अतः विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को बकाया राशि 50,131/- रूपये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। 
    अतः विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देश दिये जाते हैं कि परिवादी को उसके बीमित वाहन के क्षति क्लेम पेटे दो माह के अन्दर बकाया राशि 50,131/- रूपये एवं इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत होने की तिथि 03.12.2013 से भुगतान करने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित भुगतान किया जावे। इसके अलावा परिवादी को मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय के पेटे पृथक से 5,000/- रूपये का भुगतान भी किया जावें। 
    आदेेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो। 

विष्णु कुमार गुप्ता          किरण चैरसिया        भगवानदास खण्डेलवाल
   (सदस्य)                  (सदस्या)                 (अध्यक्ष)
    

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