Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/131/2013

SUBHASH CHANDRA YADAV - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSURANCE CO.LTD. - Opp.Party(s)

PANNA LAL

11 Mar 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 131 सन् 2013

प्रस्तुति दिनांक 07.09.2013

                                                                                                निर्णय दिनांक 11.03.2022

सुवाषचन्द यादव पुत्र रामजीत यादव साकिन समसल्लीपुर, पोस्ट- माहुल, ब्लाक- अहरौला, तहसील- फूलपुर, जिला- आजमगढ़।    

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

    यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo बजरिए शाखा प्रबन्धक शाखा    कार्यालय निकट पंजाब नेशनल बैंक सदावर्ती आजमगढ़ मण्डलीय कार्यालय 4ई रामतीर्थ मार्ग कोहली हाउस नरही लखनऊ पिन कोड नं. 226001    

  1. विपक्षी।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने एक भैंस मुo 30,000/- रुपए में नकद भुगतान कर क्रय किया जिसका जिला वर्तमान बाजार मूल्य 30,000/- रुपए भी था। भैंस का बीमा विपक्षी द्वारा बीमा करने से पूर्व दिनांक 30.03.2011 को ही भैंस के स्वास्थ्य की जाँच विपक्षी ने पशु चिकित्साधिकारी राजकीय पशु चिकित्सालय माहुल आजमगढ़ द्वारा कराया गया, जिसमें भैंस को पूर्ण रूप से स्वस्थ पाया गया। स्वस्थता प्रमाण पत्र के पश्चात् भैंस का बीमा विपक्षी द्वारा किया गया। परिवादी ने बीमा प्रीमियम का भुगतान किया। बीमा की मास्टर पॉलिसी संख्या 12491 थी एवं भैंस का इयर टैग नं. यू.आई.82400/51614 था एवं बीमा अवधि दिनांक 31.03.2011 से दिनांक 30.03.2012 तक वैध एवं प्रभावी था। बीमा की शर्तों के अनुसार भैंस की आकस्मिक मृत्यु होने पर सम्पूर्ण क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी बीमा कम्पनी की होगी। दिनांक 25.09.2011 समय 06.00 बजे सुबह को परिवादी की भैंस की आकस्मिक मृत्यु हो गयी। जिसकी सूचना टेलीफोन से विपक्षी को दिया एवं दिनांक 26.09.2011 को पशु चिकित्साधिकारी, राजकीय पशु चिकित्सक अहरौला आजमगढ़ द्वारा पोस्ट मॉर्टम किया गया। पोस्ट मॉर्टम के पश्चात् परिवादी को इयर टैग (कान का छल्ला) मिला। परिवादी ने पशु इयर टैग (कर्ण छल्ला) संख्या 51614 एवं पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट विपक्षी के सर्वेयर को दे दिया। सर्वेयर ने स्थल निरीक्षण पश्चात् आश्वासन दिया कि 15 दिन के अन्दर भैंस की क्रय धनराशि अदा कर दी जाएगी। परिवादी के विपक्षी के कार्यालय आता जाता रहा और धनराशि की मांग किया, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ। अतः यह परिवाद प्रस्तुत करने की आवश्यकता हुई और परिवादी द्वारा परिवाद दाखिल करने के पश्चात् विपक्षी ने परिवादी को 22,500/- रुपए चेक संख्या 663259 दिनांकित 21.08.2014 प्रदान किया और कहा कि शेष रकम 7,500/- रुपए का भुगतान मय ब्याज फिर से कर दिया जाएगा। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह भैंस की कीमत मुo 30,000/- रुपया परिवादी को अदा करे और मुo 25,000/- रुपया क्षतिपूर्ति दिलाया जाए।      

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 युनाइटेड इंडिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo द्वारा जारी स्वास्थ्य/बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 पंचगण व पंचायतनामा की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 पशुधन दावा की सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 शव परीक्षण रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 मृत भैंस की फोटो छायाप्रति प्रस्तुत किया है।   

कागज संख्या 7क² विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र में किए गए कथनों से इन्कार किया है। विशेष कथन में विपक्षी ने यह कहा है कि मुकदमा झूठे आधार पर दाखिल किया गया है। परिवादी द्वारा जाल फरेब करके भैंस की मृत्यु के पश्चात् पशु शव विच्छेदन अधिकारी को नाजायज प्रभाव में लेकर किसी अन्य जीवित भैंस के कान में लगे हुए टैग का हवाला देकर बदनियतिपूर्ण साजिश के तहत जाली व फर्जी सबूत तैयार कर अदालत को धोखा देने का नाजायज लाभ देने का कुत्सित प्रयास किया है। परिवादी को बीमित भैंस व बीमा शर्तों को पूर्ण रूप से अवगत कराए जाने के पश्चात् परिवादी द्वारा कथित भैंस की मृत्योपरान्त जानकारी विपक्षी बीमा कम्पनी को महज दिखावा सम्बन्धित कार्यालय लखनऊ को दी गयी। तदुपरान्त बगैर आनेजाने में पर्याप्त समय का अवसर दिए बिना ही एवं मौके का स्थल निरीक्षण कराए ही कथित घटना की वास्तविकता उजागर होने के भय से कथित मृत्यु पशु को आनन फानन में दफना दिया गया। जो बीमा पॉलिसी की आवश्यक शर्तों के बिल्कुल खिलाफ है। परिवादी को बीमित भैंस एवं बीमा शर्तों को पूर्णरूप से अवगत कराए जाने के पश्चात् ही बीमा कराया गया था इसके विपरीत कथन गलत है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र व प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा विपक्षी अनुपस्थित रहे। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपना बहस सुनाया, उनकी बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 5/1 विपक्षी द्वारा जारी परिवादी के भैंस का स्वास्थ्य/बीमा प्रमाण पत्र व कागज संख्या 5/4 शव परीक्षण रिपोर्ट परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा 14 में यह कहा है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को 22,500/- रुपए का भुगतान कर दिया है और शेष रकम 7,500/- रुपए बाद में भुगतान करने को कहा है, इस बात से विपक्षी ने अपने जवाबदावा में इन्कार नहीं है ऐसी स्थिति में यह माना जाएगा कि विपक्षी ने परिवादी का बीमा दावा स्वीकार कर लिया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से यह परिवाद स्वीकार होने योग्य है। 

आदेश

    परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर 30 दिन परिवादी को मुo 7,500/- (रु.सात हजार पांच सौ मात्र) रुपए अदा करे। जिस पर परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज देय होगा।

 

 

 

 

 

                                                                       गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                    (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

          दिनांक 11.03.2022

                                        यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                            गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                             (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

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