Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/62/2008

MO.SHAMSHAD - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSURANCE CO.LTD. - Opp.Party(s)

MO.HALIM

12 Oct 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/62/2008
( Date of Filing : 19 Mar 2008 )
 
1. MO.SHAMSHAD
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INSURANCE CO.LTD.
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Oct 2018
Final Order / Judgement

 

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 62 सन् 2008

   प्रस्तुति दिनांक 19.03.2008

निर्णय दिनांक  12.10.2018

मुहम्मद शमशाद पुत्र मुहम्मद हलीम साo मौजा- नरदह (चकनरदह), थाना- सरायमीर, जनपद- आजमगढ़।......................................याची।

बनाम

  1. दि न्यू इण्डिया इंo कंo लिo शाखा, आजमगढ़ जरिये शाखा प्रबन्धक, आजमगढ़।
  2. मण्डलीय प्रबन्धक न्यू इण्डिया इंoकंoलिo सूमेर सागर, गोरखपुर।
  3. भारतीय स्टेट बैंक शाखा निजामाबाद जरिये शाखा प्रबन्धक।
  4.  

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विकलांग है और उसने एस.बी.आई. निजामाबाद से ट्रैक्टर खरीदने हेतु ऋण लिया और उसे 2,80,000/- रुपये का विपक्षी संख्या 01 व 02 से करवाया। दिनांक 03.10.2005 को वह अपने रिश्तेदारी में गया था। रात 10.30 बजे दो व्यक्ति आए और कहे कि वे ट्रैक्टर एजेन्सी पर ले जाना चाहते हैं। शमशाद को सुबह भेज देना। घर आने पर जानकारी हुई तो उसने लिखित सूचना थाने पर दिया, लेकिन थाने वालों ने अंतिम रिपोर्ट लगा दिया और वह अंतिम रिपोर्ट दिनांक 29.05.2007 को स्वीकार हो गया। उसकी प्रति भी विपक्षी संख्या 01 को दी जा चुकी है। ट्रैक्टर की चोरी होने पर निर्धारित मूल्य 2,80,000/- रुपया को कम करने का बीमा कम्पनी का कोई अधिकार नहीं है। बीमा कम्पनी ने भी इसकी जाँच किया और ट्रैक्टर चोरी होने की बात सही पाया। बीमा कम्पनी एण्ड सर्वेयर के माध्यम से परिवादी पर दबाव डाला और कहा कि कम पैसे में ले जा और उसने कहा कि मात्र 1,93,000/- ही मिलेगा। विपक्षी नम्बर 01 दिनांक 12.02.2008

2

को एक पत्र भेजकर परिवादी को सारी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहा और ट्रैक्टर के मूल्य में कटौती भी की जाती रही है। इसके बारे में भी सूचित किया। दिनांक 04.03.2008 के जवाब में विपक्षी नम्बर 01 द्वारा दिनांक 07.03.2008 को परिरवादी के यहाँ पत्र भेजा गया, जो दिनांक 13.03.2008 को प्राप्त हुआ, लेकिन उसने कहीं भी नहीं लिखा कि किसी नियम के तहत बीमा रकम में कटौती की जा रही है। प्रार्थी द्वारा लिया गया ऋण कृषि ऋण के अन्तर्गत आता है। जिस पर चक्रवृद्धि ब्याज लेने का अधिकार बैंक को नहीं है। बैंक ने अलग-अलग तथ्यों पर तमाम धनराशि डेबिट किया और उस पर ब्याज भी चार्ज किया जिसका अधिकार बैंक को नहीं था। चोरी के सम्बन्ध में उसने बैंक को भी सूचित किया था। ढाई वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक कोई निपटारा नहीं हुआ है। अतः ट्रैक्टर का बीमित मूल्य मुo 2,80,000/- रुपया विपक्षी संख्या 01 की ओर से दिलवाया जाए और 15,000/- रुपया हर्जाना भी दिलवाया जाए। चक्रवृद्धि ब्याज व अन्य ब्याज न लेने के लिए बैंक को निर्देशित किया जाए और उसके विरूद्ध कोई आर.सी. नहीं जारी की जाए।

परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया है।  

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, एस.बी.आई. को ट्रैक्टर चोरी होने के सम्बन्ध में सूचना रसीद रजिस्ट्री, शाखा प्रबन्धक द्वारा लिखा गया पत्र रसीद रजिस्ट्री की मूल प्रस्तुत की गयी है।

विपक्षी न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के पैरा 01ता07 के कथनों से इन्कार किया गया है। उसने यह भी कहा है कि वह केवल 1,95,000/- रुपया देने के लिए तैयार है। परिवाद पत्र के पैरा 09 ता 16 इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि ट्रैक्टर चोरी होने के काफी दिन बाद बीमा कम्पनी को सूचना दी गयी। उस घटना के सम्बन्ध में पुलिस की फाईनल रिपोर्ट एवं उसे न्यायालय द्वारा स्वीकृत किए जाने सम्बन्धित आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि की मांग दिनांक

3

08.01.2007, 19.02.2007 व 02.03.2007 को परिवादी से किया गया, लेकिन वह नहीं दे पाया। अतः दिनांक 28.03.2007 को उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया। वादहू वादी उपरोक्त कागजात दिए जाने पर पत्रावली पर पुनः विचार किया गया। स्वतंत्र सर्वेक्षक श्री विजय एण्ड कम्पनी से अनुरोध किया गया। उसने परिवादी से मुलाकात किया तो परिवादी ने मुo 1,95,000/- रुपया प्राप्त करने करने के लिए लिखित सहमति दिनांक 16.12.2007 को किया। शर्तों के अनुसार 2,000/- रुपया घटाने पर उसे 1,93,000/- रुपये दिया जाना स्वीकृत किया गया। परिवादी को बहकाया, फुसलाया नहीं था। जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

एस.बी.आई. द्वारा भी जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है जो कि नियत समय के अन्दर प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः इस जवाबदावा का उल्लेख नहीं किया जा रहा है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा बीमा की छायाप्रति। एक सहमति पत्र विपक्षी की ओर से यह दिया गया है जिसमें परिवादी ने यह स्वीकार किया है कि वह 1,93,000/- रुपये लेने के लिए सहमत है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। चूंकि पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी शमशाद ने 1,93,000/- रुपया लेने की सहमति प्रदान किया है।

आदेश

परिवादी शमशाद ने 1,93,000/- रुपया लेने की सहमति प्रदान किया है। अतः बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अन्दर 30 दिन उपरोक्त धनराशि का भुगतान करें। उपरोक्त धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज देय होगा। चूंकि ट्रैक्टर चोरी गया था और उसका बीमा भी था और परिवादी ने नियत धनराशि लेने की स्वीकृति प्रदान किया था। मेरे विचार से विपक्षी

4

संख्या 03 एस.बी.आई. का इस परिवाद के तथ्य एवं परिस्थितियों में कोई रोल नहीं है।

 

 

   राम चन्द्र यादव                कृष्ण  कुमार सिंह

  (सदस्य)                       (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.