Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/283/12

SANJEEV KUMAR - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSORENCE - Opp.Party(s)

25 Mar 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/283/12
 
1. SANJEEV KUMAR
KIDWAI NAGAR KANPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INSORENCE
GREEN HOUSE GRETER NOIDA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य

उपभोक्ता वाद संख्या-283/2012
संजीव कुमार दत्ता पुत्र स्व0 योगेन्द्र कुमार दत्ता निवासी 237/5, बाबू पुरवा कालोनी किदवई नगर, कानपुर नगर।
                           ................परिवादी
बनाम

प्रबनधक, क्लेम हब में, न्यू इण्डिया एष्योरेन्स कंपनी क्षेत्रीय कार्यालय 15/60 ग्रीन हाउस सिविल लाइन कानपुर द्वारा प्रबन्धक।
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 07.05.2012
निर्णय की तिथिः 18.02.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से रू0 5,00,000.00 वास्तविक क्षतिपूर्ति के बतौर दुर्घटना की तिथि से वसूली की तिथि तक 12 प्रतिषत वास्तविक ब्याज की दर से दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी का वाहन सं0-न्च्.78 ठज्.5575ए दिनांक 14.04.10 को दुर्घटना- ग्रस्त हो गया था। दुर्घटना के समय व दिन वाहन के संपूर्ण पत्राजात, पंजीयन प्रमाण पत्र, चालक अनुज्ञप्ति, मार्ग परमिट, फिटनेस एवं वाहन का बीमा नियमानुकूल था व ट्रक लोड भी निर्धारित सीमा के अंदर ही था। दुर्घटना की सूचना परिवादी ने विपक्षी को तुरन्त दी, किन्तु विपक्षी ने दुर्घटना में आई क्षति का संज्ञान लेते हुए आकलन हेतु अकुषल व अनाधिकृत आकलनकर्ता की नियुक्ति कर दी। फिर भी परिवादी ने कानून से निहित संपूर्ण आवष्यकताओं एवं औपचारिकताओं की प्रर्ति कर दी और यह भी प्रमाणित कर दिया कि दुर्घटना के समय व दिन वाहन का चालन बीमा षर्तों के अनुकूल था। इसके बावजूद अन्वेशक/क्षति आकलनकर्ता के साक्ष्य अधिकारी/प्रबन्धक ने परिवादी को एक षपथपत्र का मजमून दिया। 
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षपथपत्र देने के लिए और आकलनकर्ता से बात करने के लिए कहा और पुनः अनैतिक धन की मांग की। वरिश्ठ मण्डलीय प्रबन्धक ने अपने पत्र दिनांकित 25.05.11 में क्लेम भुगतान के लिए विपक्षी को लिखा, किन्तु इसके बावजूद भी क्षति आकलनकर्ता व प्रबन्धक क्लेम हब के द्वारा परिवादी की क्षतिपूर्ति नहीं की गयी। परिवादी के प्रष्नगत वाहन की मरम्मत व क्षतिग्रस्त वाहन को सड़क में चलने योग्य बनाने में लगभग रू0 5,00,000.00 खर्च हुआ है। जिसकी सभी मूल रसीदें क्षति आकलनकर्ता ने सीधे प्राप्त करके परिवादी को नहीं दिया और न उसकी प्रति ही दी और क्षति आकलनकर्ता की रिपोर्ट भी नहीं दी गयी। अतः विपक्षी को बीमा पाॅलिसी की प्रति जांचकर्ता की संपूर्ण आख्या की नकल दिलाये जाने का आदेष पारित किया जाये।
3.    विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है, किन्तु प्रष्नगत वाहन के बीमा होने की बात स्वीकार की गयी है। परिवादी की ओर से क्लेम दाखिल करना भी स्वीकार किया गया है। किन्तु अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि प्रष्नगत वाहन की दुर्घटना दिनांक 14.04.10 को वाहन का टायर फट जाने के कारण हुई है। विपक्षी द्वारा परिवादी के इस कथन को स्वीकार किया गया है कि परिवादी का क्लेम दाखिल होते ही विपक्षी द्वारा अन्वेशक/आकलनकर्ता जी.बी.एस. खंडूजा को नियुक्त किया गया, जो कि सरकार द्वारा अनुमोदित सर्वेयर हैं। सर्वेयर श्री खंडूजा द्वारा रू0 3,29,702.00 की क्षति आकलित की गयी है। विपक्षी कंपनी द्वारा सत्यापन करने के पष्चात उक्त धनराषि रू0 2,98,819.00 की आकलित की गयी। तदोपरान्त विपक्षी बीमा कपंनी द्वारा परिवादी से लोड चालान सर्वेयर की आख्या के आधार पर मांगा गया। इस सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 30.06.10 को परिवादी को एक पत्र भी भेजा गया, जिसमें लोड चालान के साथ बिल/कैषमेमो भी मांगे गये। इसके पष्चात विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा वरिश्ठ एवं अनुभवी अन्वेशक श्री डी.एन. मालविया को टैक्स सत्यापित करने  के लिए नियुक्त  किया गया। 
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श्री डी.एन. मालविया के द्वारा दिनांक 11.10.10 को यह रिपोर्ट दी गयी कि इनवायस नं0-205 के सत्यापन के दौरान मेसर्स माॅं गायत्री स्टोन मिल कबरई के कर्मचारी भानू के द्वारा अन्वेशक को यह सूचना दी गयी कि बुक नं0-205 उनके यहां की नहीं है। मिल ओनर श्री अवधेष द्वारा टैक्स इनवायस पर स्वयं के हस्ताक्षर होने से मना कर दिया गया। सत्यापन के दौरान अन्वेशक को यह भी पता चला कि परिवादी द्वारा दावे के साथ टैक्स इनवायस उपरोक्त मिल में रखे हुए टैक्स इनवायस से भिन्न है। परिवादी द्वारा लोड चालान विपक्षी बीमा कंपनी को नही दिया गया तथा विपक्षी को दिया गया टैक्स इनवायस सत्यापन में सही नहीं पाया गयी। फलस्वरूप विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा एक ;ैीवू बवनेम दवजपबमद्ध कारण बताओ नोटिस दिनांक 14.10.10 परिवादी को प्रेशित की गयी कि परिवादी का क्लेम प्रष्नगत वाहन के 100 प्रतिषत ओवर लोडिंग के कारण तथा टैक्स इनवायस सही न पाये जाने के कारण क्यों न रद्द कर दिया जाये। परिवादी द्वारा उक्त नोटिस पर कोई जवाब न देने के उपरान्त विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 27.10.10 को परिवादी का क्लेम देने से मना कर दिया गया। विपक्षी बीमा कंपनी का यह उत्तरदायित्व है कि वह कोई भी क्लेम पास करने से पहले यह सुनिष्चित कर ले कि क्लेम बीमा पाॅलिसी की षर्तों के अनुसार वांछित प्रपत्रों के साथ प्रस्तुत किया गया है या नहीं। अतः उपरोक्त कारणों से परिवाद खारिज कर दिया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 05.05.12, 07.06.13 एवं 29.03.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति, बीमा पाॅलिसी की प्रति, अनुज्ञा पत्र की प्रति, विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा प्रबन्धक क्लेम हब आर.ओ. कानपुर को प्रेशित पत्र दिनांकित 25.05.11 की प्रति, टैक्स इनवायस की प्रति दाखिल किया है। 
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में राजीव दीक्षित वरिश्ठ मंडलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 28.02.13 एवं सुबोध कुमार बोडरा
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वरिश्ठ मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 04.09.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सर्वेयर जी.बी.एस. खंडूजा की सर्वे रिपोर्ट की प्रति, परिवादी को प्रेशित पत्र दिनांकित 30.06.10 एवं 14.10.10 की प्रति, अन्वेशक डी.एन. मालविया द्वारा प्रेशित पत्र दिनांकित 11.10.10 की प्रति, टैक्स इनवायस की प्रति, परिवादी को प्रेशित नोक्लेम पत्र दिनांकित 27.10.10 की प्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में प्रष्नगत वाहन की मरम्मत से सम्बन्धित कोई प्रपत्र दाखिल नहीं किये गये है। मरम्मत में आया वास्तविक व्यय न बताकर लगभग रू0 5,00,000.00 व्यय बताया गया है, जो अनुचित व्यय है। परिवादी के द्वारा मात्र यह कहने पर कि सभी मूल रसीदें क्षति आकलनकर्ता ने सीधे प्राप्त कर लिया है-से परिवादी अपने कथन को साबित करने के उत्तरदायित्व से अनवमुक्त नहीं हो जाता। परिवादी को स्वयं अपना कथन, अपने द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से साबित करना है। यदि आकलनकर्ता द्वारा मरम्मत से सम्बन्धित समस्त रसीदें सीधे प्राप्त कर ली गयीं थीं, तो भी, परिवादी सम्बन्धित गैराज में उपलब्ध अभिलेखों से अपने कथन को साबित कर सकता था। विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से अपने जवाब दावा में स्पश्ट रूप से यह उल्लिखित करने के बावजूद कि परिवादी द्वारा लोड चालान प्रस्तुत नहीं किया गया है, फोरम के समक्ष भी परिवादी द्वारा उक्त प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा टैक्स इनवायस का, दौरान सत्यापन सही न पाया जाना बताया गया है। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में उपरोक्त वर्णित अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जिनसे विपक्षी बीमा कंपनी का कथन सत्य व प्रमाणित प्रतीत होता है।बीमा कंपनी 
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का कार्य सद्भावना एवं सर्वोच्च विष्वास का है। बीमा कंपनी का यह अधिकार है कि यदि बीमा षर्तों के अनुसार परिवादी अपना क्लेम प्रस्तुत नहीं करता है, तो बीमा कंपनी परिवादी का क्लेम खारिज कर सकती है। प्रस्तुत मामले में विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी का क्लेम वांछित प्रपत्र बीम कंपनी को न देकर तथा प्रस्तुत किया गया टैक्स इनवायस प्रपत्र, सत्यापन में सही न पाये जाने के आधार पर, उचित तौर पर खारिज किया गया है, जिसमें फोंरम को हस्तक्षेप करने की कोई आवष्यकता नहीं है। वाहन का क्षतिग्रस्त होना, टायार फट जाने के कारण  बताया गया है। ऐसे स्थिति में लोड चालान एक महत्वपूर्ण अभिलेखीय साक्ष्य है, जो कि परिवादी को विपक्षी कंपनी को देना आवष्यक था। उक्त अभिलेख परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी को न देकर, अपने उत्तरदायित्व का पालन नहीं किया गया है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8.     परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

             (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


                (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।   

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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