जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति ष्षालिनी बालानी पत्नी श्री रमेष बालानी, उम्र-64 वर्ष, जाति- सिन्धी, निवासी- उसरी गेट, अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
1. दि न्यू इण्डिया इष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, मण्डलीय कार्यालय, मुम्बई नगर, , कार्यालय क्रमांक-120700ए 17 कापेरेज रोड, न्यू इण्डिया सेन्टर, मुम्बई-400039
2. दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए मण्डल प्रबन्धक, , मण्डल कार्यालय, षांति मेंषन कोतवाली स्कीम, खाईलैण्ड मार्केट, अजमेर ।
3. भारतीय जीवन बीमा निगम,मण्डल कार्यालय, जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, रानाडे मार्ग, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 39/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री मनोज मिश्रा, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
3. श्री मिलिन्द मांतोड़कर, अधिवक्ता, अप्रार्थी बीमा निगम
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-26.08.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अपने नियोक्ता अप्रार्थी संख्या 3 केे माध्यम से अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक समूह मेडिकल बीमा पाॅलिसी संख्या 12070034110500000001 प्राप्त की जिसकी प्रीमियम अप्रार्थी संख्या 3 के माध्यम से अदा की जाती रही है । दिनंाक 20.12.2011 से 21.12.2011 तक सन्त फ्रान्सिस अस्पताल में भर्ती रह कर उसने भ्ज्छ व्स्क् ब्ट। व्च्व्। बीमारी का इलाज करवाया और बीमारी के निदान हेतु अस्पताल द्वारा विभिन्न जांचें की गई । जिसमंे रू. 7820.74 पै. खर्च हुए । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त राषि अस्पताल में भर्ती होने से पहले च्तम भ्वेचपजंसप्रंजपवद ब्संनेम के अन्तर्गत देय थी । अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद अस्पताल द्वारा लिखे गए इलाज में रू. 4214.94 पै. खर्च हुए जो पाॅलिसी के क्लाॅज नं. 3.2. के तहत च्वेज भ्वेचपजंसप्रंजपवद ब्संनेम के अन्तर्गत देय थे । इस प्रकार इलाज पर हुई खर्च हुई कुल राषि रू. 12035.68 का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पैनल चिकित्सक की राय के अनुसार उक्त बीमारी हेतु अस्पतालीकरण की आवष्यकता नहीं होने के आधार पर अपने पत्र दिनंाक 25.7.2012 के द्वारा खारिज कर दिया । उसने क्लेम की पुनः अदायगी हेतु अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक
12.9.2012 को नोटिस भी दिया । किन्तु अप्रार्थी ने क्लेम अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थिया ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर दर्षाया है कि प्रार्थिया द्वारा बीमा दावा व चिकित्सा के दस्तावेज प्रस्तुत करने के बाद उन दस्तावेजों की डा. महेष कुरानी, एमबीबीएस, एम.डी से जांच करवाई गई और उनकी मेडिकल राय के आधार पर कि संबंधित बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवष्यकता नही ंथी, के आधार पर व प्रार्थिया ने एक दिन के लिए जो जांचें कराने हेतु राषि अदा की है, वह बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार देय नही ंहोने के कारण प्रार्थिया का दावा सही आधारों पर खारिज किया गया है । उत्तरदाता के स्तर पर कोई सेवा में कमी नही ंकी गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री एन.के.गुप्ता का षपथपत्र प्रस्तुत हुआ है ।
4. अप्रार्थी संख्या 3 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रष्नगत मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी उनके माध्यम से करवाए जाने व नियोक्ता होने के नाते वार्षिक प्रीमियम उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भुगतान किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए क्लेम भुगतान करने की समस्त जिम्मेदारी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की होने के कारण प्रार्थिया को किसी प्रकार की राषि उनके द्वारा भुगतान योग्य नही ंहोने के के कारण परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री महेष चन्द गुप्ता, प्रबन्धक, विधि एवं आवास का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
5 प्रार्थिया पक्ष का तर्क रहा है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उनके पैनल चिकित्सक की राय के अनुसार यह पाते हुए कि प्रार्थिया की उक्त बीमारी हेतु अस्पतालीकरण की आवष्यकता नहीं थी, क्लेम खारिज किया है, वह कतई उचित नहीं है । उक्त डाक्टर ने न तो भर्ती के समय और ना ही भर्ती के उपरान्त प्रार्थिया का निरीक्षण किया है । अतः उनकी राय कोई मायने नहीं रखती है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
6 अप्रार्थी संख्या 1 व 2 बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि बीमाधारक की बीमारी के इलाज हेतु उनके पैनल चिकित्सक की राय के अनुसार अस्पताल में भर्ती होना आवष्यक नही ंथा । बीमाधारक ने अनावष्यक रूप से अस्पताल में भर्ती रहते हुए खर्चे का जो क्लेम प्रस्तुत किया है, उसे खारिज करने में अप्रार्थी द्वारा कोई सेवादोष नहीं किया गया है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए ।
7. अप्रार्थी संख्या 3 के विद्वान अधिवक्ता ने समूह मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी स्वयं के पक्षकार द्वारा करवाई जाकर उसका वार्षिक प्रीमियम नियोक्ता होने के पाते उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 व 2 को भुगतान किया जाना बताया है तथा ऐसे प्रकरणों में क्लेम भुगतान करने की समस्त जिम्मेदारी बीमा कम्पनी की होना बताया है ।
8. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
9. हम अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से प्रस्तुत तर्को से सहमत है तथा पाते है कि उनकी ओर से वार्षिक प्रीमियम नियोक्ता होने के कारण अप्रार्थी संख्या 1 व 2 बीमा कम्पनी को भुगतान किया जाता रहा है । अतः इस बाबत् उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है ।
10. अब विवाद का बिन्दु यह रह जाता है कि क्या बीमाधारक की बीमारी के इलाज के लिए उसके चिकित्सक की राय के अनुसार अस्पताल में भर्ती होना आवष्यक था ? तथा क्या वह क्लेम प्राप्त करने की अधिकारिणी है ?
11. प्रार्थिया के अभिवचनों से यह स्वीकृत तथ्य सामने आया है कि उसके द्वारा समस्त मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी संख्या 3 के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा जारी की गई है व अप्रार्थी संख्या 3 के माध्यम से प्रीमियम की राषि बराबर अदा की जाती रही है । यह भी स्वीकृत तथ्य सामने आया है कि प्रार्थिया दिनंाक 20.12.2011 से 21.1.2.2011 तक सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, ब्यावर रोड, अजमेर में इलाज हेतु भर्ती रही । चूंकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी का एक मात्र प्रतिवाद यह है कि उनके पैनल चिकित्सक की राय के अनुसार बीमित का उक्त बीमारी हेतु अस्पतालीकरण की आवष्यकता नही ंथी। अतः अब देखना यह है कि पाॅलिसी के तहत बीमा कम्पनी के किसी चिकित्सक की राय च्तमअंपस होती हुई सक्षम मानी जावेगी अथवा नहीं । विवाद यह नहीं है कि च्तम भ्वेचपजंसप्रंजपवद व च्वेज भ्वेचपजंसप्रंजपवद में हुई खर्च की राषि देय नहीं है ।
12. यदि हम पाॅलिसी की षर्तो का अवलोकन करें तो पाॅलिसी की षर्त संख्या 1 के अनुसार ऐसे क्लेम क्नसल ुनंसपपिमक च्ीलेपबपंदध्डमकपबंस ैचमबपंसपेजध् डमकपबंस चतंबजपजपवदमत की राय के अनुसार होने चाहिए । इस प्रकार ऐसे क्लेम के खर्चों बाबत् पाॅलिसी में नर्सिग होम व भारत वर्ष में अस्पतालों का अधिकृत किया गया है । पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 3.3 में डमकपबंस चतंबजपजपवदमत को परिभाषित किया गया है जो निम्नानुसार है -
डमकपबंस चतंबजपजपवदमत उमंदे ं चमतेवद ूीव ीवसके ं कमहतममध्कपचसवउं व ितमबवहदप्रमक पदेजपजनजपवद ंदक पे तमहपेजमतमक इल डमकपबंस ब्वनदबपस व ितमेचमबजपअम ैजंजम व िप्दकपंण् ज्ीम जमतउ डमकपबंस च्तंबजपजपवदमत ूवनसक पदबसनकम च्ीलेपबपंदए ैचमबपंसपेज ंदक ैनतहमवदण्
13. प्रार्थिया का क्लेम सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर के चिकित्सक द्वारा प्रमाणित किया गया है व अपने इस क्लेम को प्रार्थिया की ओर से उक्त अस्पताल के चिकित्सक श्री रविर राजपूत द्वारा भी सम्पुष्ट किया गया है जिसके अनुसार दिया गया इलाज अस्पताल में भर्ती हुए बिना सम्भव नहीं था । बीमा कम्पनी द्वारा किन्हीं डाक्टर महेष कुरानी को अपना पैनल चिकित्सक बताते हुए उसकी राय को आधार बताया गया है ।
14. यहां यह उल्लेखनीय है कि अपने जिस चिकित्सक की राय को बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज करने का आधार बताया है ऐसे चिकित्सक ने न तो प्रार्थिया का परीक्षण किया है और ना ही उसका इलाज किया है । सन्त फ्रान्सिस अस्पताल, अजमेर का चिकित्सक वांछित योग्यताधारी न हो, अथवा मेडिकल प्रेक्टिषनर की परिभाषा में न आता हो, ऐसी स्थिति भी नहीं है । ऐसे में मात्र पैनल चिकित्सक की राय प्रभावी नहीं मानी जा सकती । वास्तव में ऐसे चिकित्सक की राय जिसने संबंधित व्यक्ति का परीक्षण किया है, विष्वसनीय व सुदृढ़ मानी जानी चाहिए । बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया के चिकित्सक की राय को चुनौती दी हो या इस संबंध में उसके विरूद्व कोई कार्यवाही की हो , ऐसा उपलब्ध रिकार्ड से भी सामने नहीं आया है । फलस्वरूप इन परिस्थिति में मंच की राय में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पैनल चिकित्सक को वरीयता देते हुए जिस प्रकार उसकी राय को ध्यान में रखते हुए प्रार्थिया के इलाज में हुए खर्चे को अनुचित मानते हुए इसमें प्रष्नचिन्ह लगाया है, उचित नहीं है तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज करते हुए सेवा दोष किया है । अतः प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
15. (1) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम राषि रू. 12036/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित क्लेम खारिज करने की दिनांक से तदायगी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थिया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 26.08..2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य अध्यक्ष