Rajasthan

Ajmer

CC/286/2012

RAKESH - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INS - Opp.Party(s)

ADV MANISH SHARMA

23 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/286/2012
 
1. RAKESH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री राकेष खुल्लर पुत्र श्री  ज्ञानचन्द खुल्लर, 713/27, रामगंज, अजमेर । 


                                                             प्रार्थी

                            बनाम

1.   दी न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस बिल्डिंग, 87 एम.जी रोड, फोर्ट, मुम्बई- 400001
2. दी न्यू इण्डिया  एष्योंरेस कम्पनी लिमिटेड, षांति मेंषन, कोतवाली के बाहर, खाईलैण्डा मार्केट, अजमेर । 

                                                        अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 286/2012

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री मनीष षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल. अग्रवाल,अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः-    23.06.2015

1.              परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि  प्रार्थी ने स्वयं एवं परिवार के लिए परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार  मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त की जिसे निरन्तर नवीनीकृत करवाया जाता रहा ।  वर्ष 2011 में  प्रार्थी के बीमार हो जाने के कारण  उसने मित्तल हाॅस्पीटल, अजमेर में ईलाज करवाया  और सम्पूर्ण ईलाज मेदांता अस्पताल, गुडगांव में करवाया ।  उसकी बीमारी में रू. 2,97,566/- खर्च हुए  जिसमें से केवल रू. 1,00,000/- की  ही क्लेम राषि उसे दी गई ।  उसे बकाया क्लेम राषि दिए जाने  हेतु दिनंाक 31.5.2012 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भिजवाया किन्तु उस पर कोई कार्यवाही नही ंकी । प्रार्थी ने इस अप्रार्थी बीमा कम्पनी के स्तर पर सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है  कि प्रार्थी ने  उत्तरदाता बीमा कम्पनी से  उत्तर परिवाद की चरण संख्या 13 में अंकितानुसार बीमा पाॅलिसी ली । प्रार्थी ने मेदान्ता अस्पताल  में  2.3.2012 से 9.3.2012 तक ईलाज करवाया और प्रार्थी को बीमा पाॅलिसी की षर्तो अनुसार  रू. 1,00,000/- क्लेम राषि का भुगतान कर दिया गया । 
    अप्रार्थी बीमा कम्पनी का  यह भी कथन है कि प्रार्थी ने  मेदान्ता अस्पताल में ईलाज करवाया  उसकी डिस्चार्ज  समरी के अनुसार  उत्तर परिवाद की चरण संख्या 14 में वर्णित अनुसार बीमारी थी जो प्रार्थी को  वर्ष 1993 से थी   जो पूर्व की बीमारी  की परिधी में आती है ।  और बीमा पाॅलिसी की षर्तानुसार पूर्व की बीमारी बीमा पाॅलिसी के तहत कवर नही ंहोती  किन्तु यदि प्रार्थी  बीमा पाॅलिसी लेने के  लगातार चार वर्ष तक उस बीमारी से ग्रसित नहीं होता है और उसका हाॅस्पिटलाईजेषन इस चार वर्ष की अवधि में नहीं होता है तो  बीमा पाॅलिसी की उक्त षर्त डिलिट हो जाती है । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा में कमी कारित नहीं की है । परिवाद को खारिज होना दर्षाया । 
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।  
4.    परिवाद के अनुसार प्रार्थी ने प्रष्नगत  इलाज हेतु रू. 2,97,566/- व्यय किए जबकि उसे रू. 1,00,000/- का ही भुगतान  किया गया है तथा रू. 1,97,566/-  का भुगतान हेतु यह परिवाद पेष किया  है । इस संबंध में अप्रार्थी ने अपने जवाब की चरण संख्या 3,4 व 5  में स्पष्ट रूप से  उल्लेख किया है एवं अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 14.6.2012 से जिसकी प्रति पत्रावली पर उपलब्ध है, से प्रार्थी को रू. 1,00,000/- ही देय  योग्य थे एवं बकाया राषि देय योग्य क्यों नही ंथी, के संबंध में अवगत करा दिया गया था । 
5.     अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा रू. 1,00,000/-  का ही भुगतान किया गया है  एवं ष्षेष राषि  रू. 1,97,566/- का भुगतान नहीं किया , के संबंध में अप्रार्थी  बीमा कम्पनी का कथन है कि प्रार्थी का  बीमा कवरेज जो वर्ष 2007-08 के लिए रू. 1,00,000/-, वर्ष 2008-09 के लिए रू. 1,25,000/- तथा वर्ष  2009-10 , 2010-11 व 2011-12 के लिए कवरेज राषि रू. 1,00,000/- से बढा कर रू. 3,00,000/- अवष्य कर दी गई थी लेकिन बीमा पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 6 के अनुसार कवरेज राषि जो बढाई गई है उक्त बढाई गई राषि हेतु बीमा कम्पनी व बीमित व्यक्ति के मध्य एक नया अनुबन्ध होता है एवं  पूर्व की बीमा पालिसियों  की अवधि में यदि कोई बीमारी या रोग अथवा चोटे  बीमित व्यक्ति के आती है तो उसे बढाई गई राषि का फायदा नहीं मिलता । प्रार्थी की ओर से बहस रही है कि उसे ऐसी षर्त से अवगत नहीं कराया गया था  एवं बीमा पाॅलिसी की षर्ते उसे उपलब्ध नही ंकरवाई गई थी । हमारे विनम्र मत में  किसी व्यक्ति द्वारा कोई बीमा पाॅलिसी ली जाती है तो  ऐसी बीमा पाॅलिसी उक्त व्यक्ति व बीमा कम्पनी के मध्य एक इकरार होता है व बीमा पाॅलिसी की जो भी षर्ते होती है उसके लिए दोनो पक्षकार  पाबन्द माने जावेगें ।  स्वयं प्रार्थी के पास मेदान्ता अस्पताल द्वारा जारी  प्रार्थी की डिस्चार्ज समरी का हमने अवलोकन किया । समरी के अवलोकन से  प्रार्थी को यह बीमारी वर्ष 1993 से  थी एवं 2.8.2011 को इस संबंध में प्रार्थी का  इसी अस्पताल में छब्ब्ज् ब्ट रनदबजपवद संबंधी इलाज किया गया था  एवं इसी में आगे ।जसंदजं वबबपचपजंस ंेेपउपसंजपवद ूपजी निेपवद व िब्2 ंदक ब्3 उल्लेखित हुआ है ।  परिवाद जो लाया गया है इसके संबंध में भी प्रार्थी को ।ज्स्।छज्व् ।ग्प्।स् क्प्ैस्व्ब्।ज्प्व्छ ;।।क्द्ध ॅप्ज्भ् थ्त्।ब्ज्न्त्म् होना पाया गया ।  इस डिस्चार्ज समरी  में वर्णित अनुसार  प्रार्थी को पिछले 2 वर्ष से यह बीमारी अधिक बढ गई थी ऐसा भी उल्लेख है । इस तरह से हम पाते है कि प्रार्थी को यह बीमारी 1993 से थी एवं इस संबंध में दिनंाक 2.8.2011 को प्रार्थी का इलाज  भी इसी अस्पताल में हुआ था । 
6.    अब हमें यह  अभिनिर्धारित करना है कि क्या  प्रार्थी के इस मामले में प्रार्थी की यह बीमारी पूर्व की बीमारी मानी जावेगी एवं क्या पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 6 के अनुसार जहां कवरेज बढाया जाता है तो नई पाॅलिसी मानी जावेगी एवं उक्त दषा में प्रार्थी द्वारा पूर्व की बीमारी को छिपाया है तो बढाई गई कवरेज की राषि प्रार्थी प्राप्त करने का अधिकारी है अथवा नहीं ?
7.     बीमा पाॅलिसी की षर्तो की प्रति पत्रावली पर उपलब्ध है एवं षर्त संख्या 6  के द्वितीय भाग में स्पष्ट रूप से  उल्लेख है जिसके अनुसार यदि पाॅलिसी को बढी हुई बीमा राषि के लिए नवीनीकृत किया जाता है तो अतिरिक्त बीमा राषि के लिए वे सभी प्रतिबन्ध लागू होगें जो नई पाॅलिसी पर लागू होते है । इस तथ्य से यही माना जावेगा कि प्रार्थी के लिए एक अलग व नई पाॅलिसी जारी की गई है  तथा  प्रार्थी को जो बीमारी हुई  वो पूर्व की पाॅलिसियों की अवधियों में ही उत्पन्न हुई है  तथा प्रार्थी बढी हुई बीमा राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा । 
8.    उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि  अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को  मूल कवरेज  रू. 1,00,000/- की राषि हेतु स्वीकृत होने योग्य माना गया है  और उक्त राषि का भुगतान अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कर दिया गया है ऐसा करने में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा में कमी नही ंकी है एवं  उपर विवेचित अनुसार प्रार्थी बढे हुए कवरेज की राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही ंहै । अतः प्रार्थी का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नही ंहै एवं आदेष है कि 
                       -ःः आदेष:ः-
 9.           प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।

  (श्रीमती ज्योति डोसी)                      (गौतम प्रकाष षर्मा) 
             सदस्या                                  अध्यक्ष

10.        आदेष दिनांक 23.06.2015  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

              सदस्या                                अध्यक्ष

 

 

 

 

 

 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.