Rajasthan

Ajmer

CC/262/2013

R.K FOODS - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INS - Opp.Party(s)

ADV S.P GANDHI

21 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/262/2013
 
1. R.K FOODS
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 21 Sep 2016
Final Order / Judgement

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

मैसर्स आर.के.फूड्स, ग्राम- अर्जुनपुरा जागीर, पोस्ट- मांगलियावास, तहसील- पीसांगन, जिला-अजमेर  जरिए इसके मालिक श्री महेन्द्र कुमार धनखड़ पुत्र श्री राम लाल जाट ।
                                                 -         प्रार्थी

                            बनाम

दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए मण्डल प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय, षांति मेंषन कोतवाली स्कीम, खाईलैण्ड मार्केट, अजमेर -305001 

                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 262/2013  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्य प्रकाष गांधी एवं श्री अमित गांधी,
                    अधिवक्तागण, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल.अग्रवाल,अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 28.09.2016

 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां  उसकी फ्लोर मिल का बीमा  दिनंाक  20.4.2012 से 19.4.2013 तक  स्टैण्डर्ड फायर एण्ड स्ेपषियल परील पाॅलिसी के अन्तर्गत परिवाद की चरण संख्या 1व 2 में वर्णित बीमाधन व बीमा पाॅलिसी के   करवा रखा था,  उक्त फ्लोर मिल  दिनंाक 18..5.2012 की सायं को 7.30 बजे से 8.00 बजे के बीच तेज आंधी तूफान के कारण  पूरी तरह तहस नहस हो गई । इसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिए जाने पर उनके द्वारा नियुक्त सर्वेयर  श्री अलिन्द कुमार ने  मिल को पुनः  चालू करने में करीब 29,38,839/- का अनुमानित खर्चा बताया  ।  जिसका क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए पेष किया किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने केवल रू. 6,91,659/- के क्लेम भुगतान हेतु डिस्चार्ज वाउचर भिजवाने का निर्देष दिया । प्रार्थी ने उक्त राषि अण्डर  प्रोटेस्ट  प्राप्त करने हेतु डिस्चार्ज वाउचर  भरकर भेज दिया । प्रार्थी का कथन है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम की अधूरी राषि का भुगतान कर सेवा में कमी कारित की है । परिवाद पेष करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर  प्रार्थी की फ्लोर मिल का बीमा होना व दिनंाक 18.5.2012 को  आए तेज आंधी तूफान से उसकी बिल्डिंग में हुई क्षति  को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  उनके सर्वेयर द्वारा आंकलित राषि रू. 6,91,659/- का भुगतान प्रार्थी ने फुल एण्ड फाईनल सेटलमेंट में प्राप्त कर लिया है ।  प्रार्थी द्वारा उक्त राषि की प्राप्ति रसीद दी गई  है उसमें कहीं भी अण्डर प्रोटेस्ट का अंकन नहीं किया है । 
    अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन है कि  बीमा पाॅलिसी की संविदा षर्तों के तहत एवरेज क्लाॅज के अनुसार बीमा दावा राषि का निर्धारण कर सहीं रूप से प्रार्थी को राषि अदा की है । प्रार्थी ने चूंकि फुल एण्ड फाईनल सेटलमेंट  में बीमा राषि का भुगतान प्राप्त कर लिया है  इसके बावजूद भी यदि कोई विवाद है तो बीमा पाॅलिसी की संविदा षर्तो के तहत आर्बिट्रेषन के तहत कार्यवाही  की जा सकती है । इसलिए प्रार्थी का परिवाद विधि एवं तथ्यों की दृष्टि से कतई पोषणीय नही ंहै ।  उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए  जवाब के समर्थन में   श्री रामराय षर्मा का ष्षपथपत्र पेष किया है । 
3.    प्रार्थी  का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  अपनी फ्लोर मिल का विषेष बीमा करवाए जाने के बाद आंधी तूफान से फ्लोर मिल के पूरी तरह से तहस नहस हो जाने के बाद बीमा कम्पनी को सूचित किया जाना व  उनके द्वारा  मिल का सर्वे करवाने हेतु सर्वेयर को नियुक्त करने व उसके द्वारा जो नुकसान आंकलित कर बीमा कम्पनी  द्वारा जो क्षतिपूर्ति बाबत् क्लेम  राषि रू.  6, 91,659/-  स्वीकृत की है  यह बीमा कम्पनी ने प्राथी्र की फ्लोर मिल में हुए नुकसान की अधूरी राषि है और बीमा कम्पनी ने मनमाने रूप से कटौती कर सेवा में कमी की हे ।  बीमा कम्पनी से नुकसान की षेष राषि रू. 2,68,282/- क्लेम प्रस्तुत करने की दिनांक से 9 प्रतिषत ब्याज सहित व मानसिक क्षतिपूर्ति व परिवाद खर्च  प्राप्त करने का अधिकारी है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया है कि उनकी ओर से  फ्लोर मिल में चलाई जा रही गतिविधियां व्यावसायिक गतिविधियांें की परिभाषा में  नहीं आती है व ली गई पाॅलिसी  आकस्मिक  नुकसान कारित होने से संबंधित  है । अतः इन हालात में  वह उपभोक्ता की  श्रेणी में है इस संदर्भ में उनकी ओर से विनिष्चय प्;2005द्धब्च्श्र 27;छब्द्ध  भ्ंतेवसपं डवजमते टे छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्सव स्जकए  2016;1द्ध ब्च्त् 434;ैब्द्ध छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे  च्तंकममच ज्ञनउंत   प्रस्तुत हुए है ।     
4.    अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने इन तर्को का खण्डन करते हुए प्रार्थी  द्वारा ली गई पाॅलिसी को स्वीकार किया व फ्लोर मिल को  बीमित होना स्वीकार किया वह यह भी स्वीकार किया कि दिनांक 18.5.2012  को आए तेज आंधी तूफान  से प्रार्थी की  फ्लोर मिल में नुकसान  हुआ था ।  प्रार्थी की सूचना पर बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर को नियुक्त किया गया था । उसकी रिपोर्ट प्राप्त होने पर प्रार्थी को हुए नुकसान को आंकलित करते हुए बीमा षर्तो के अधीन एक्सेज क्लाॅज  व  एवरेज क्लाॅज की राषि को समायोजित करते हुए जो भुगतान किया गया है वह प्रार्थी द्वारा  फुल एण्ड फाईनल सेटलमेंट को ध्यान में रखते हुए बिना किसी  प्रतिरोध के प्राप्त किया गया है ।  अतः अब वह प्राप्त की गई  राषि पर आपत्ति उठाने से बाधित है । यदि क्वांटम  आफ एमाउण्ट के बारे में कोई विवाद था तो मामले को आरबिट्रेटर  को सौपा जाना ही समस्या का समाधान था । परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नही ंहै । उनका यह भी तर्क रहा है कि प्रार्थी के फ्लोर मिल में व्यावसायिक प्रयोजन हेतु कार्य  किया जा  रहा था ।  अतः प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । विनिष्चय   2015 क्छश्र ;ब्ब्द्ध103 न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे  ज्ञपेीवतम ैींतउं  पर अवलम्ब लिया है ।     
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    हस्तगत प्रकरण में चूंकि अप्रार्थी द्वारा स्वीकार किया गया है कि प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी प्राप्त  की गई थी एवं आंधी तूफान से हुए नुकसान की सूचना मिलने पर  उन्होने सर्वेयर को नियुक्त कर उसके द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर प्रार्थी को भुगतान किया है । अतः विवाद का बिन्दु अब मात्र  दी गई व प्राप्त की गई राषि का रह जाता है । प्रार्थी द्वारा बताया गया है कि सर्वेयर द्वारा रू. 9,60.641/- का क्लेम आंकलित किया गया था, में भी बीमा कम्पनी ने  रू. 6,91, 659/-  ही स्वीकृत कर प्रार्थी को आर्थिक नुकसान होना पाया है । इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए हस्तगत दावा मात्र  इस सीमा तक विचारणीय रह जाता है कि क्या प्रार्थी सर्वेयर द्वारा उक्त आंकलित क्लेम की पूरी राषि प्राप्त करेन का हकदार है अथवा जो राषि बीमा कम्पनी द्वारा  दी गई है , वह  प्राप्त करने का हकदार था ?
7.    यह स्वीकृत स्थिति है कि  प्रार्थी ने सर्वेयर द्वारा उक्त आकलित राषि में से रू. 6,91,659/- प्राप्त कर लिए है, जैसा कि बैंक  में उपलब्ध प्राप्ति रसीद से स्पष्ट  है ।  हालांकि अप्रार्थी ने प्रार्थी द्वारा अण्डरप्रोटेस्ट राषि प्राप्त किए जाने बाबत् आपत्ति उठाते हुए उक्त राषि  में इसका हवाला होना नहीं बताया है जबकि उपलब्ध  रसीद  में प्रार्थी ने यह  राषि अण्डर  प्रोटेस्ट  अंकित करते हुए प्राप्त की है ।  प्रार्थी  द्वारा फ्लोर मिल को अप्रार्थी बीमा कम्पनी से   स्टेण्डर्ड फायर एण्ड  स्पेषियल  परील के अन्तर्गत विभिन्न हैड के अन्तर्गत बीमा करवाया है जिसमें  बिलिडं का रू. 12,50,000/-  प्लांट व मषीनरी का रू. 9,50,000/-  स्टाॅक एण्ड  प्रोसेस का रू. 3,00,000/-  का बीमा करवाया है । बीमा कम्पनी ने सर्वेयर द्वारा  सर्वे के दौरान हुए नुकसान की गणना बीमित राषि में एवरेज व साल्वेज राषि को ध्यान में रखते हुए  क्षति का जो उल्लेख किया है वह बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अधीन किया गया है । जैसा कि उपलब्ध अभिलेख से स्पष्ट है । प्रार्थी द्वारा  उक्त मदों से यह राषि कम करते हुए जो अंतिम  राषि सामने आई है, को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा  उसे क्लेम प्रस्तुत किए जाने पर अदा की है । जिसे  प्रार्थी ने बिना किसी एतराज के प्राप्त किया है ।  मात्र अण्डर प्रोटेस्ट  लिखे जाने से यह नहीं माना जा सकता कि उक्त प्राप्त की गई राषि अनुचित है । तत्समय उसके द्वारा जो प्रोटेस्ट के साथ राषि  प्राप्त की गई है , में प्रोटेस्ट का बिन्दु उपरोक्त अनुसार   निर्णित करते हुए जो राषि उसे दी गई है  एवं प्राप्त की गई है वह बीमा षर्तो के दायरे में कहीं जा सकती है । बीमा षर्तो में यह भी उल्लेख है कि क्वांटम आफ एमाउण्ट  के संबंध में  विवाद होने की स्थिति में ऐसा विवाद मध्यस्थ को सौपा जाएगा और  वह ही यह तय करेगा । प्रार्थी  द्वारा प्राप्त की गई  राषि के संबंध में विवाद मध्यस्थ के समक्ष प्रस्तुत किया गया हो ऐसा भी सिद्व रूप से सामने नहीं आया है । 
8.    कुल मिलाकर सार यह है कि उक्त विवेचन के प्रकाष में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किसी प्रकार का अनुचित व्यापार व्यवहार  का परिचय नहीं दिया गया है  और ना ही सेवा में कमी रखी गई है । मंच की राय में  परिवाद स्वीकार  किए जाने योग्य नही ंहै  एवं आदेष है कि 
                            -ःः आदेष:ः-
 9.     प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 28.09.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
               
        

.
 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.