जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
ओम प्रकाष खण्डेलवाल पुत्र स्व. श्री गोविन्द नारायण जी, जाति- खण्डेलवाल, उम्र- 63 वर्ष, निवासी- 159, इन्द्रा नगर, जयपुर रोड, मदनगंज- किषनगढ, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. दि न्यू इण्डिया एंष्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, ष्षांति मेंषन, खाईलैण्ड मार्केट, अजमेर ।
2. भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए वरिष्ठ प्रबन्धक, मेयोलिंक रोड, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 53 /2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री आर. जी अग्रवाल, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री गणेषी लाल अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3. श्री सीमान्त भारद्वाज, अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-21.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि अप्रार्थी संख्या 2 के यहां कार्यरत रहते हुए उसने एक ग्रुप मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी अपने नियोक्ता के माध्यम से अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त की । उक्त पाॅलिसी में उस पर असक्षम आश्रित पुत्र श्री अजय खण्डेलवाल भी बीमित था । उसके पुत्र की तबियत खराब होने के कारण भगवान महावीर च्ैल्ब्भ्प्।ज्त्प्ब् -क्म्.।क्क्प्ब्ज्प्व्छ ब्म्छज्त्म्,जयपुर में दिनांक 24.3.2013 से 10.4.2013 तक इलाज करवाया । इलाज में खर्च हुई राषि रू. 22,964/- का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 9.6 के अनुसार उक्त बीमारी बीमा पालिसी के तहत कवर नहीं होना मानते हुए खारिज कर दिया । प्रार्थी ने परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । प्रार्थी ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि लिपिकीय त्रुटि के कारण बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 4.6 के स्थान पर 9.6 अंकित हो गई है और इसी षर्त के अनुसार प्रार्थी का बीमा क्लेम देय नही ंहोने के कारण खारिज किया गया है ।
अप्रार्थी का कथन है कि उत्तरदाता ने डा. महेष कुरानी द्वारा प्रार्थी के बीमित पुत्र के इलाज से संबंधित समस्त दस्तावेजों के अवलोकन के बाद दी गई राय केे आधार पर प्रार्थी का क्लेम खारिज किया गया है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है। जवाब के समर्थन में श्री बी.एज.मानावत, , मण्डलीय प्रबन्धक का ष्षपथपत्र पेष किया गया है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 बीमा निगम ने परिवाद का जवाब पेष कर दर्षाया है कि प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत बीमा क्लेम दिनांक 10.5.2013 अप्रार्थी संख्या 1 को अविलम्ब भिजवा दिया गया था । प्रार्थी को जो भी अनुतोष चाहिए उसके लिए अप्रार्थी संख्या 1 उत्तरदायी नहीं है । उत्तरदाता का इस प्रकरण में कोई लेना देना नहीं है । परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में विजय कुमार जौहरी, प्रबन्धक, विधि एवं आवास का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
4. प्रार्थी पक्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 के माध्यम से प्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी से स्वयं पर आश्रित होने के कारण अपने अक्षम पुत्र को सम्मिलित करते हुए ग्रुप मेडिकल बीमा योजना के तहत बीमा पाॅलिसी ली गई थी व उसकी तबियत खराब होने पर इलाज हेतु भगवान महावीर च्ैल्ब्भ्प्।ज्त्प्ब् -क्म्.।क्क्प्ब्ज्प्व्छ ब्म्छज्त्म्,जयपुर में भर्ती करवाया गया था । जहां उसका इलाज दिनंाक 24.3.2013 से 10.4.2013 तक चला व उक्त समयाविध में खर्च हुई इलाज की राषि के क्लेम को अप्रार्थी संख्या 1 ने अपने पत्र दिनंाक 19.6.2013 के द्वारा गलत व अविधिक तौर पर खारिज कर सेवा में गम्भीर त्रुटि व लापरवाही की है । प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक, षारीरिक व परिवाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है ।
5. अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से इस तथ्य को अस्वीकार किया गया कि उक्त पाॅलिसी उसके माध्यम से प्राप्त की गई थी किन्तु क्लेम को गलत आधारों पर खारिज किया जाना स्वीकार किया जबकि अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थी का पुत्र बीमित अवष्य था किन्तु वह ैबीप्रवचीतमदपं नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित था तथा यह बीमारी बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 4.6/9.6 के कवर क्षेत्र से बाहर होने के कारण प्रार्थी किसी प्रकार का कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । उनकी ओर से इस बीमारी बाबत् विभिन्न परिभाषाओं का भी उल्लेख किया गया है ।
6. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
7. यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी ने अपने पुत्र को मेडिकल ग्रुप बीमा पाॅलिसी के तहत सम्मिलित करते हुए अप्रार्थी संख्या 2 के जरिए अप्रार्थी संख्या 1 के यहां उक्त बीमा पाॅलिसी प्राप्त की है ।
8. विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या प्रार्थी के आश्रित पुत्र की उक्त बीमारी पाॅलिसी षर्तो से कवर होती है अथवा नहीं ?
9. स्वीकृत रूप से प्रार्थी का आश्रित पुत्र भगवान महावीर च्ैल्ब्भ्प्।ज्त्प्ब् -क्म्.।क्क्प्ब्ज्प्व्छ ब्म्छज्त्म्,जयपुर में भर्ती होने से पूर्व ैबीप्रवचीतमदपं नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित था । इस बीमारी के कारण उसका दिनंाक 24.3.2013 से 10.4.2013 तक इलाज चला । बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 4.6 जो निम्न प्रकार से है -
’’ ज्तमंजउमदज तमसंजपदह जव ंसस चेलबीपंजतपब ंदक चेलबीवेवउंजपब कपेवतकमत ंतम दवज चंलंइसम ए ंदक ेपदबम चंजपमदज ींे इममद जतमंजमक ैबीप्रवचीतमदपं ूीपबी पे ं चेलबीपंजतपब कपेवतकमत ीमदबम ंवितमेंपक बसंपउ पे दवज चंलंइसम ’’
के अनुसार यदि बीमित उक्त बीमारी से ग्रसित पाया जाता है तो वह पाॅलिसी के अन्तर्गत क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा । इसके अन्तर्गत आल साईके्रेटिक एण्ड साईकोडिस आर्डर में प्रार्थी के आश्रित पुत्र की बीमारी से, जो ैबीप्रवचीतमदपं भी सम्मिलित है, जैसा कि विभिन्न परिभाषाओं से निम्न अनुसार स्पष्ट है:-
ैबीप्रवचीतमदपंरू
1. ैबीप्रवचीतमदपं पे ं उमदजंस कपेवतकमत बींतंबजमतप्रमक इल ंइदवतउंस ेवबपंस इमींअपवत ंदक ंिपसनतम जव नदकमतेजंदक ूींज पे तमंसण्
2ण् । सवदह.तमंतउ उमदजंस कपेवतकमत व िं जलचम पदअवसअपदह ं इतमंा कवूद पद जीम तमसंजपवद इमजूममद जीवनहीजण् म्उवजपवदए ंदक इमींअपवतए समंकपदह जव ंिनसजल चमतबमचजपवदए पद ंचचतवचतपंजम ंबजपवदे ंदक मिमसपदहए ूपजीकतंूंस तिवउ तमंसपजल ंदक चमतेवदंस तमसंजपवदेीपचे पदजव ंिदजंेल ंदक कमसनेपवदए ंदक ं ेमदेम व िउमदजंस तिंहउमदजंजपवदण्
3ण् ैबीप्रवचीतमदपं पे ं जलचम व िचेलबीवजपब कपेवतकमतए उमंदपदह पज पदअवसअमे ं ेपहदपपिबंदज सवेम व िबवदजंबज ूीपबी तमंसपजलण्
9. ैबीप्रवचीतमदपं त्मेमंतबी थ्वनदकंजपवद की ताजा रिपोर्ट के अनुसार यह एक गम्भीर मानसिक बीमारी है जिसका इलाज म्ण्ब्ण्ज्ण्;म्समबजतवबवदअनसेपअम जीमतंचल द्ध से किया जाता है ।
10. जहां तक प्रार्थी पक्ष का यह तर्क कि उन्हें बीमा पाॅलिसी लेते समय तक इस तध्य से अवगत नही ंकराया गया कि यदि बीमित में किसी प्रकार की कोई बीमारी पाई जाती है तो यह बीमारी ली गई पाॅलिसी के कवर क्षेत्र से बाहर होगी। स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है ।
11. बीमित की ओर से ग्रुप मेडिक्लेम बीमा योजना के तहत ग्रुप मेडिकल बीमा पाॅलिसी प्रार्थी की ओर प्राप्त की गई है । अतः विवक्षित (म्उचसलमकद्ध रूप से माना जाएगा कि बीमित की ओर से उक्त षर्तो केा ध्यान में रखते हुए ही पाॅलिसी प्राप्त की गई है ।
12. कुल मिलाकर सार यह है कि उक्त पाॅलिसी लिए जाने के बाद प्रार्थी के पुत्र को ैबीप्रवचीतमदपं नामक बीमारी से ग्रसित होने के कारण हुए इलाज को पाॅलिसी की षर्त से बाहर मानते हुए जो क्लेम अस्वीकार किया गया है , में किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी अथवा दोष नहीं माना जा सकता । फलत परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
13. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 21.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष