जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
1. भगवान सांखला पुत्र श्री दुर्गालाल सांखला, निवासी- ग्राम कल्याणीपुरा, पोस्ट -किराप, पुलिस थाना-भिनाय, तहसील- सरवाड, जिला-अजमेर ।
2. महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेषियल सर्विसेज लिमिटेड
- प्रार्थीगण
बनाम
प्रबन्धक, दि न्यू इंडिया इन्ष्योरेंन्स कम्पनी लिमि, अजमेर मण्डल कार्यालय षांति मेंषन कोतवाली स्कीम, खाईलैण्ड मार्केट, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 83/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री भंवर सिंह गौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी सं.1
2.श्री रामकुमार कसवा, अधिवक्ता, प्रार्थी सं.2
2.श्री एन.के.गुप्ता,अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 08.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि
उसने नागौर आॅटोमोबाईल्स प्रा.लि., अजमेर से मैक्सिीमों मिनी वैन वी0एक्स0 संख्या आर.जे.01-टीए-2846 दिनांक 25.3.2013 कों रू. 3,84,654/- में क्रय की । क्रए किए जाने के दिन ही नागौर आॅटोमोबाईल्स प्रा.लि., अजमेर ने उक्त वाहन का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से जरिए पाॅलिसी संख्या 33140031120100020162 के दिनांक 25.3.2013 से 24.3.2014 तक की अवधि के लिए रू. 9784/- बीमा प्रीमियम अदा कर, करवाया । दिनांक 19.10.2013को उक्त वाहन ग्राम बांदनवाडा व कल्याणीपुरा के मध्य स्थित मार्ग पर इंजन में आग लगने से पूर्णतया नष्ट हो गया । जिसकी उसने दिनंाक 21.10.2013 को पुलिस थाना, भिनाय में रोजनामचा रपट दर्ज करवाई । तत्पष्चात् उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया, जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रष्नगत वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र के अनुसार वाणिज्यिक टैक्सी की श्रेणी में पंजीकृत है तथा पाॅलिसी के अनुसार वाहन प्राईवेट श्रेणी में बीमित है । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम को खारिज किए जाने के कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थी ने जिस बीमा पाॅलिसी के आधार पर यह परिवाद प्रस्तुत किया है उक्त बीमा पाॅलिसी के तहत प्रार्थी का प्रष्नगत् वाहन प्राईवेट उपयोग हेतु बीमित था । किन्तु वाहन की आर.सी. के अनुसार वाहन टैक्सी के रूप में पंजीकृत था । प्रार्थी ने प्राईवेट वाहन के रूप में बीमा कराने के बावजूद वाहन का टैक्सी के रूप में उपयोग भी किया । बरवक्त दुर्घटना वाहन लाभ प्राप्त करने के उद्देष्य से टैक्सी के रूप में प्रयोग में लिया जा रहा था । इस प्रकार प्रार्थी ने बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो का उल्लंघन किया है। ं
अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने आगे कथन किया है कि उत्तरदाता ने प्रार्थी द्वारा क्लेम प्राप्त होने पर सद्भाविक आषय से बीमा क्लेम के षीघ्र निस्तारण हेतु दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वेयर श्री विवेक पाठक से सर्वे करवाया। जिन्होंनंे दिनांक 25.12.2013 को वाहन की रू. 4,23,167/- की क्षति आंकलित की। किन्तु उक्त क्षति वाहन की आईडीवी से ज्यादा होने के कारण देय नहीं होने से वाहन के पूर्ण क्षतिग्रस्त होने पर टोटल लोस के आधार पर रू. 3,64,422/- की राषि आंकलित की । जिसमें से साल्वेज जमा नहीं कराए जाने पर रू. 50,000/- एवं एक्सेस क्लाॅज की राषि रू. 1000/- कम करने पर रू. 3,14,422/- देय हुए। किन्तु प्रार्थी द्वारा लिमिटेषन एस यूज की षर्त का उल्लंघन किए जाने के कारण प्रार्थी से जरिए पत्र दिनांक 28.1.2014 के द्वारा इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया । किन्तु प्रार्थी द्वारा स्पष्टीकरण नहीं दिए जाने के कारण प्रार्थी का क्लेम खारिज कर पत्र दिनंाक 3.3.2014 के सूचित कर दिया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री बी.एल.भानावात, वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि अप्रार्थी ने बिना किसी युक्तियुक्त कारण के प्रार्थी के वाहन की बीमित राषि का भुगतान नहीं किया है । जबकि प्रार्थी ने उक्त समस्त बीमा राषि का भुगतान पाॅलिसी प्राप्त करते समय कर दिया है । यह तर्क प्रस्तुत किया है कि जो कारण क्लेम खारिज करने का बाबत् बताया गया है कि पंजीयन प्रमाण पत्र के अनुसार वाहन वाणिज्यिक वाहन टैक्सी की श्रेणी में पंजीकृत है जबकि वाहन की पाॅलिसी के अनुसार उक्त वाहन प्राईवेट श्रेणी में बीमित है ,दुर्भावनावष व निराधार होने के कारण निरस्त होने योग्य है व प्रार्थी वाहन की क्षतिपूर्ति राषि का भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी है ।
4. खण्डन में अप्रार्थी का एक मात्र तर्क यही रहा है कि प्रार्थी द्वारा वाहन का बीमा प्राईवेट वाहन के रूप में करवाया गया है। जबकि वाहन का पंजीयन टैक्सी वाहन के रूप में करवाया गया है व वक्त दुर्घटना भी वाहन टैक्सी के रूप में प्रयोग किया जा रहा था । फलस्वरूप अप्रार्थी द्वारा बीमा क्लेम का सही रूप से निस्तारण करते हुए उक्त बीमा क्लेम खारिज किया गया है व सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है ।
5. यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रार्थी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 25.3.2013 को बीमित होना व बीमा पाॅलिसी के क्रमांक 6 के अनुसार उक्त वाहन प्राईवेट श्रेणी का होकर प्रीमियम राषि रू. 9784/- अदा की गई हैं। वाहन दिनांक 19.10.2013 को जल कर नष्ट हुआ है । वाहन की बीमा पाॅलिसी को देखते हुए यह स्पष्ट है कि उक्त वाहन प्राईवेट श्रेणी के रूप में बीमित हुआ है व तत्समय इसका पंजीयन नहीं हुआ था । प्रार्थी द्वारा दिनंाक 29.4.2013 को उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन टैक्सी के रूप में करवाया गया, जैसा कि पंजीयन प्रमाण पत्र से स्पष्ट है ।
6. प्रार्थी ने वाहन को प्राईवेट वाहन के रूप में बीमित करवाते हुए इस हेतु निष्चित बीमा प्रीमियम जमा करवाया तथा 1 माह बाद दिनंाक 29.4.2013 को उक्त वाहन का पंजीयन प्रार्थी ने टैक्सी के रूप में करवाया । कहा जा सकता है कि प्रार्थी द्वारा उक्त वाहन को प्राईवेट वाहन के रूप में बीमित करवाते हुए टैक्सी के रूप में पंजीयन करवा कर बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो का उल्लंघन किया है । यह भी सम्भव है कि उसने ऐसा बीमा प्रीमियम की राषि को ध्यान में रखते हुए किया । फलतः बीमा पाॅलिसी की षर्तांे के उल्लंघन के फलस्वरूप अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम् की अदायगी नहीं कर क्लेम खारिज नहीं करते हुए तदानुसार प्रार्थी को सूचित किया है, में किसी प्रकार के सेवा दोष का परिचय नहीं दिया है ।
7 यहाॅं यह भी उल्लेखनीय है कि जब प्रार्थी ने वाहन टैक्सी के रूप में पंजीयन करवाया था तो उसके लिए यह अपेक्षित था कि वह या तो इसकी सूचना वाहन पंजीयन विभाग को देता अथवा प्रीमियम राषि के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए अन्तर की राषि जमा करवा कर संषोधित बीमा पाॅलिसी बीमा कम्पनी से प्राप्त करता । चूंकि उसने ऐसा नहीं किया है, अतः वह किसी प्रकार की क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । परिणामस्वरूप प्रार्थी का परिवाद मंच की राय में खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 08.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष