जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री अषोक कुमार षर्मा पुत्र श्री मदनगोपाल षर्मा, आयु-57 वर्ष, निवासी- रामदेव विहार काॅलोनी, गुलाबबाड़ी, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस क.लि. जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय- षांति मेंषन, न्यू कोतवाली के पास, पृथ्वीराज मार्ग, अजमेर जरिए प्रबन्धक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 418/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री मानसिंह गौतम, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री ए.एस.ओबराय, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 23.08.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि
उसने अपनी हीरो होण्डा सीडी डीलक्स मोटर साईकिल संख्या आर.जे.01.एस.जे.6274 का अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित बीमा पाॅलिसी व समयावधि के लिए आईडीवी राषि रू. 22,380/- में बीमा करवाया । उक्त वाहन दिनंाक 3.9.02012 को बजरंगढ़ मंदिर, अजमेर की सीढ़ियों के पास चोरी हो गया । दिनंाक 7.9.2012 को इस आषय की प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 133/12 पुलिस थाना कोतवाली में दर्ज करवाई गई थी । जिसकी प्रति अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनंाक 11.9.2013 को उपलब्ध करा दी गई थी । अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कहे अनुसार जब वह 10 दिन बाद उनके पास गया तो उन्होने कुछ खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवा कर बीमा क्लेम सेटल किए जाने का आष्वासन दिया । किन्तु बाद में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वाहन चोरी की सूचना देरी से दी गई है । अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के वाहन का टू व्हीलर पैकेज पाॅलिसी के अन्तर्गत आईडीवी राषि रू. 22,380/- में बीमा किया जाना स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थी ने वाहन चोरी की दिनांक 11.9.2013 की सूचना अप्रार्थी को 5 माह 11 दिन बाद दिनंाक 14.2.2013 को दी । इस प्रकार अप्रार्थी व प्रार्थी के मध्य हुई बीमा संविदा की प्रार्थी ने अवेहलना की है, साथ ही प्रार्थी ने जांचकर्ता श्री अरूण कुमार अग्रवाल को दिए गए लिखित बयानों में भी इस तथ्य को स्वीकारा है तथा बयानों में वाहन की एक चाबी पूर्व में खो जाना बताया । इस प्रकार अप्रार्थी ने प्रार्थी द्वारा बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तों का उल्लंघन किए जाने के कारण प्रार्थी का क्लेम सही रूप से निरस्त करते हुए पत्र दिनांक 3.7.2013 के सूचित कर दिया गया था। उन्हांेने कोई सेवा में कमी नहीं की है । परिवाद को निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री बी.एल.मानावत, वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक ने अपना षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी पक्ष का तर्क उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमित वाहन मोटरसाईकिल दिनंाक 3.9.012 को चोरी हो गया । जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने में दिनंाक 7.9.2012 को दर्ज करवाई गई तथा चोरी की सूचना व थाने की एफआईआर की प्रति प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनंाक
11.9.2013 को दे दी गई । इसके बावजूद भी अप्रार्थी द्वारा उसका क्लेम इस आधार पर खारिज किया गया है कि सूचना देरी से दी गई, उचित नहीं है । प्रार्थी द्वारा सूचना दिए जाने में कोई तात्विक देरी नहीं की गई है । विनिष्चय ब्ब् छवण् 13ध्05 ैवनण् डंसंद छपअतनजप ज्ञंउइसम टे ैीतपत्ंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत कंजमक 08ण्4ण्2015 ंदक छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे छपजपद ज्ञींदकमसूंस ;ैब्द्ध व्तकमत क्ंजमक 08ण्05ण्2008 के प्रकाष में परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. खण्डन में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि चोरी की सूचना 4 दिन देरी से व बीमा कम्पनी को सूचना 5 माह 11 दिन बाद दी गई है । बीमा संविदा में यह आवष्यक षर्त थी कि बीमित वाहन के साथ होने वाली किसी दुर्घटना या नुकसान अथवा चोरी की लिखित सूचना प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी को देगा । चूंकि सूचना देरी से दी गई है, अतः बीमा षर्तो के तहत खारिज किया गया क्लेम उचित है एवं उसकी सेवाओं में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है । विनिष्चय थ्पतेज ।चचमंस छवण् 321ध्2005 छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्तपसवबींद श्रंदम ंदक त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1068ध्15 ळनतदंउ ैपदही टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत क्ंजमक 11ण्6ण्2016 पर अवलम्ब लिया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्तों में प्रतिपादित सिद्वान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. यदि हम प्रार्थी पक्ष का अभिकथन तर्क के तौर पर सही माने तो उसके द्वारा बीमित वाहन के दिनंाक 3.9.2012 को चोरी होने के फलस्वरूप थाने में इसकी रिपोर्ट दिनंाक 7.9.2012 को दर्ज करवाई गई है व बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 11.9.2012 को इस बाबत् सूचना दी गई है । पत्रावली में उपलब्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति को देखते हुए चोरी की सूचना दिनंाक 7.9.2012 को थाने में दर्ज हुई है, जबकि चोरी दिनांक 3.9.2012 को होना अभिकथित है । इस प्रकार थाने में यह सूचना 4 दिन देरी से दी गई है । प्रार्थी द्वारा दिनंाक 11.9.2013 को सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी गई हो, इसका कोई सम्पुष्टकारी आधार अथवा साक्ष्य उसके द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है । बहरहाल यदि यह तर्क मान लिया जाए तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी को यह सूचना 8 दिन बाद दी गई है । बीमा कम्पनी द्वारा जो अभिलेख प्रस्तुत हुए है, में प्रार्थी द्वारा उन्हें क्लेम हेतु सूचित किया जाने बाबत् फार्म दिनंाक 14.2.2013 को प्राप्त हुआ है अर्थात यह सूचना उन्हें चोरी की घटना दिनंाक 3.9.2012 से लगभग 5 माह के बाद मिली है अथवा दी गई है ।
7. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय ैवनण् डंसंद छपअतनजप ज्ञंउइसम वाले मामले में चोरी की घटना दिनंाक 16.7.2012 को घटित हुई थी व पुलिस को अगले दिन सूचित कर दिया गया व इसी के साथ बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया गया । किन्तु यहां हस्तगत मामले में अविलम्ब दूसरे दिन पुलिस व बीमा कम्पनी को अविलम्ब ही सूचना नहरं दी गई है । अतः तथ्यों की भिन्नता के कारण यह विनिष्चय प्रार्थीपक्ष की कोई सहायता नहीं करता है । जहां तक उनके द्वारा प्रस्तूुत दूसरे विनिष्चय छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे छपजपद ज्ञींदकमसूंस का प्रष्न है, में क्लेम बीमा पाॅलिसी की षर्तो के उल्लंखन के कारण खारिज किया गया है जिसके तहत प्रष्नगत वाहन व्यक्तिगत उपयोग हेतु बीमित था जबकि पक्षकार द्वारा टैक्सी के रूप में वाहन प्रयोगरत था । कहा जा सकता है कि यह विनिष्चय भी तथ्यों की भिन्नता के कारण उनकी कोई सहायता नहीं करता । जो विनिष्चय अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत हुए है, में चोरी की घटना 2 दिन बाद व बीमा कम्पनी को 9 दिन बाद सूचित किए जाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने इस देरी को थ्ंजंस पाया व तथ्योंनुसार बीमा षर्तों के उल्लंघन में खारिज किए गए क्लेम को उचित पाया । इसी प्रकार गुरूनाम वाले मामले में भी चोरी की सूचना थाने में व बीमा कम्पनी को दी जाने वाली सूचना की देरी को उचित नहीं पाया था । 2015छब्श्रण्201;छब्द्ध त्ंउमेी ब्ींदक डमहूंदेमम टे ज्ीम व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जकण् मंे भी माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने प्रार्थी द्वारा बीमा कम्पनी को 48 घण्टों के अन्दर सूचित नहीं करने की दषा में इसे बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन होना पाया है । 2015छब्श्रण्9? 01छब्ण् प्देनतंदबमे ैीमतम त्ंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वण्स्जकण् में भी माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने ऐसी देरी को अनुचित पाया है ।
8. इस प्रकार उपरोक्त विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों के प्रकाष में हस्तगत मामले में जिस प्रकार की देरी पुलिस थाने को दी जाने में व बीमा कम्पनी को सूचित किए जाने में सामने आई है, को ध्यान में रखते हुए बीमा कम्पनी द्वारा जो कारण दर्षाते हुए क्लेम खारिज किया गया है, वह उचित है । इसमें हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाईष नहीं है । अतः मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
9. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 23.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष