जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री अभिषेक जैन पुत्र श्री ताराचन्द जैन, नवरतन नेहरू गेट के बार, ब्यावर, जिला-अजमेर(राजस्थान)305901
प्रार्थी
बनाम
दी न्यू इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षांति मेंषन, कोतवाली स्कीम, खाईलैण्ड मार्केट, अजमेर (राजस्थान)
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 371/2012
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री जी.एल. अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 06.07.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी ले रखी है जिसका प्रतिवर्ष नवीनीकरण करवाता आ रहा है इसी क्रम में उसने परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित अनुसार बीमा पाॅलिसी को नवनीकृत करवाया और उसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दूसरी बीमा पाॅलिसी जारी की । बीमित अवधि के दौरान दिनांक 19.8.2010 को कार से उतरते समय उसका पैर फैक्चर हो गया जिसे उसने ब्यावर में डा. एम.पी. गोयल को दिखाया और उनकी सलाहनुसार बाॅम्बे आॅस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर, मुम्बई में ईलाज करवाया जहां ईलाज में रू. 3,09,370/- खर्च हुए । तत्पष्चात् उसने समस्त औपचारिकताए पूरी करते हुए अपा्रर्थी के समक्ष बीमा क्लेम पेष किया जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनांक 1.2.2011 के इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमाधारक ने अस्पताल में भर्ती होने की सूचना बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार 07 दिवस में नहीं दी ।
प्रार्थी का कथन है कि उसने अप्रार्थी कम्पनी के टीपीए विपुल मेडकोर्प को उनके पत्र दिनंाक 15.2.2011 के प्रतिउत्तर में अपने पत्र दिनांक 17.02.2011 के द्वारा बतलाया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जो जानकारी चाही थी वह उपलब्ध करा दी गई है और प्रार्थी को डनेबनसंत क्लेजतवचील नहीं है । इसके बाद भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसका क्लेम पत्र दिनंाक 25.5.2011 के द्वारा खारिज कर सेवा में कमी की है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवाद का जवाब पेष किया है जिसमें प्रार्थी द्वारा उनसे मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि बीमा पाॅलिसी की षर्तानुसार हाॅस्पिटल में भर्ती होने की सूचना 7 दिवस में देनी आवष्यक है किन्तु प्रार्थी ने यह सूचना 11 दिन बाद दिनांक 30.8.3020 को दी इस प्रकार प्रार्थी द्वारा बीमा पाॅलिसी का उल्लंघन किए जाने के कारण उसका दावा सही आधारों पर खारिज किया है अप्रार्थी ने कोई सेवा में कमी नहीं की है । अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी का यह क्लेम प्रार्थी द्वारा अस्पतालीकरण की सूचना पाॅलिसी षर्ता के अनुसार 7 दिवस में देनी थी जो प्रार्थी ने 7 दिवस में नहीं देकर 11 दिन बाद में दी । अतः इस षर्त के उल्लंघन के आधार पर क्लेम अस्वीकार किया गया ।
5. अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि प्रार्थी के यह फै्रक्चर दिनांक
19.8.2010 को हुआ था एवं प्रार्थी दिनांक 21.8.2010 को बोम्बे हाॅस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर, मुम्बई में इस फे्रक्चर के इलाज हेतु भर्ती हुआ तथा इसकी सूचना प्रार्थी द्वारा दिनांक 30.8.2010 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दे दी गई थी । सूचना देरी से देने के आधार पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार किया है वह सहीं नहीे है । इस संबंध में उन्होने बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (प्देनतंदबम त्महनसंजवतल ंदक क्मअमसवचउमदज ।नजीवतपजल ) का परिपत्र दिनंाक 20.9.2011 पेष किया जो क्लेम में देरी से संबंधित है । अधिवक्ता की बहस है कि इस परिपत्र में प् त् क् । द्वारा सभी बीमा कम्पनियों से अपेक्षा की गई है कि वे मात्र सूचना में हुई देरी के आधार पर क्लेम को खारिज नहीं करें । अधिवक्ता प्रार्थी ने दृष्टान्त थ्पतेज ।चचमंस छवण् 889ध्2012 छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टू श्रपूंद क्ंेे ंदक व्ते व्तकमत क्ंजमक 29ण्ण्5ण्2014 ब्ींदकपहंती ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद भी पेष किया साथ ही एक निर्णय दक्षिण मुम्बई, जिला मंच का भी पेष किया ।
6. अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी की बहस है कि निर्विवाद रूप से प्रार्थी द्वारा अस्पतालीकरण की सूचना भर्ती होने की दिनांक से 7 दिवस के अन्दर नही ंदी है । प्रार्थी का कथन मान भी लिया जाए तब भी प्रार्थी दिनंाक 21.8.2010 को भर्ती हुआ एवं उसने सूचना दिनांक 30.8.2010 को दी है । तब भी यह देरी 10 दिन होती है । उनकी आगे बहस है कि बीमा प्रस्ताव दोनो पक्षो के मध्य एक करार के रूप में होता है एवं इस हेतु बीमा पाॅलिसी की षर्तो को ही पढा जाता है एवं अन्य कोई अर्थ नहीं निकाला जा सकता ।
7. हमने बहस पर गौर किया एवं दृष्टान्त जो पेष हुए उनका भी अध्ययन किया ।
8. दृष्टान्त चण्डीगढ राज्य आयोग के तथ्योंनुसार प्रकरण में अस्पताल में भर्ती होने की सूचना 8 वें दिन दी गई थी एवं 1 दिन की देरी का स्पष्टीकरण भी दिया गया था जबकि हस्तगत प्रकरण में अस्पतालीकरण की सूचना 10 दिन बाद दी गई है एवं सूचना देरी से देने का कोई स्पष्टीकरण भी प्रार्थी द्वारा पत्रावली पर पेष नहीं हुआ है । अतः हम पाते है कि प्रकरण में अस्पताल में भर्ती होने की सूचना 7 दिन के भीतर नहीं देकर 10 दिन के भीतर दी गई है ।
9. अब हमें प्रार्थी की ओर से पेष प् त् क् । के परिपत्र तथा निर्णय चण्डीगढ राज्य आयोग में जो विवेचना हुई है, के दृष्टिगत यह देखना है कि क्या प्रार्थी के मामले में 3 दिन की देरी होते हुए भी प्रार्थी का क्लेम स्वीकार होने योग्य है । जहां्र तक दृष्टान्त चण्डीगढ राज्य आयोग का प्रष्न है इस मामले में मात्र 1 दिन की देरी थी एवं देरी का स्पष्टीकरण प्रार्थी द्वारा दिया गया था । किन्तु प् त् क् । के परिपत्र के अध्ययन से देरी के मामले में प्रार्थी के क्लेेम को सावधानीपूर्वक देखा जाना चाहिए तथा बीमाकर्ता को इस तथ्य हेतु भी सन्तुष्ट होना चाहिए कि देरी से पेष किया गया क्लेेम यदि समय पर पेष किया जाता तो तब भी खारिज होने योग्य होता । हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी का क्लेम अन्य किसी कारण से खारिज होने योग्य हो अप्रार्थी की ओर से नहीं दर्षाया है । प्रार्थी के क्लेम को अप्रार्थी द्वारा सूचना 7 दिन में नहीं देकर देरी से देने के आधार पर ही अस्वीकार किया गया है । इसके अतिरिक्त माननीय उच्चतम न्यायालय व माननीय राष्ट्रीय आयोग के विभिन्न निर्णय जिनमें घटना की सूचना देरी से दी गई थी किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम को पूर्ण रूप से अस्वीकार योग्य नहीं माना । माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय 2013;3द्ध ब्च्त् 641;ैब्द्ध ।उंसमदकन ैंीवव टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक में दुर्घटना की सूचना प्रार्थी द्वारा देरी से दी गई थी जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन माना व प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार किया किन्तु माननीय उच्चतम न्यायालय ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को पूरी तरह से अस्वीकार किए जाने को सहीं नही ंमाना तथा क्लेम की राषि रू. 5,00,000/- के स्थान पर रू. 2,50,000/- दिलवाए । दृष्टान्त प्ट;2012द्धब्च्श्र 107;छब्द्ध ैींदांत ब्ींांतूंतजप टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने वाहन चोरी की सूचना देरी से दी गई एवं बीमा कम्पनी ने क्लेम को अस्वीकार किया लेकिन माननीय राष्ट्रीय आयोग ने प्रार्थी के क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड में स्वीकार होने योग्य माना ।
10ण् उपरोक्त विवेचन से प् त् क् । के परिपत्र व व माननीय उच्चतम न्यायालय व माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपर वर्णित निर्णयों में प्रतिपादन के अनुसार हम पाते है कि प्रार्थी के इस मामले में अस्पतालीकरण होने की सूचना 2-3 दिन देरी से दिए जाने के आधार पर प्रार्थी के क्लेम को पूर्ण रूप से अस्वीकार किया है । हमारे मत में प्रार्थी का क्लेम नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर स्वीकार होने योग्य है । अतः प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने इलाज में खर्च हुई राषि रू. 3,09,370/- जिसे 3,09,000/- राउण्ड फिगर में किया जाता है, कि 75 प्रतिषत राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः प्रार्थी का यह परिवाद इसी अनुरूप निर्णित किया जाता है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
11. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से इलाज में खर्च हुई राषि रू. 3,09,000/- की 75 प्रतिषत राषि रू. 2,31,750/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी का यह क्लेम नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर निर्णित किया गया है अतः प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से किसी भी तरह की मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा ।
(3) क्र.सं. 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
12. आदेष दिनांक 06.07.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष