जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-238/2013
श्रीमती नीलोफर, विधवा स्व0 षाबान अहमद, निवासिनी-95/93, मुरारी लाल का हाता, परेड थाना बेकनगंज कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
1. न्यू इण्डिया इंष्योरेंस कंपनी लि0 द्वारा डिप्टी मैनेजर, क्लेम हब, मुम्बई रीजनल आफिस-प्रथम 12वां तल, न्यू इण्डिया सेंटर, 17/ए, कोआपरेज रोड, मुम्बई-400039
2. एक्सिस बैंक द्वारा षाखा प्रबन्धक, सिद्धि विनायक, 16/104ए, सिविल लाइन कानपुर-208001
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 22.04.2013
निर्णय की तिथिः 22.02.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादिनी को विपक्षीगण से बीमित धनराषि रू0 2,00,000.00 मय 18 प्रतिषत ब्याज मृत्यु की तिथि से बीमित राषि के भुगतान की तिथि तक, मानसिक उत्पीड़न हेतु रू0 50,000.00, परिवाद व्यय हेतु रू0 10,000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी के पति मृतक षाबान अहमद ने विपक्षी सं0-2 की षाखा में अपना खाता सं0-910010010154048 खोल रखा था। खाता खोलते समय परिवादिनी को उसके पति ने नामिनी बनाया था और खाते पर एक डेबिट कार्ड जारी कराया था, जिसका नं0-468805901358824 है। खाता खोलते और डेबिट कार्ड सुविधा लेते समय विपक्षी सं0-2 ने सूचित किया था कि डेबिट कार्ड धारकों को विपक्षी सं0-1 द्वारा रू0 2,00,000.00 का बीमा कवरेज इस षर्त पर दिया जाता है कि डेबिट कार्ड धारक यदि डेबिट कार्ड
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सुविधा लेने के बाद डेबिट कार्ड का उपभोग करता है और उसके बाद यदि कार्ड धारक की मृत्यु होती है, तो विपक्षी सं0-1 कार्डधारक के नामिनी को रू0 2,00,000.00 राषि का भुगतान करेगा। बीमा का पॉलिसी नं0-11270046121300000004 है। बीमा पॉलिसी का पॉलिसी परचेजर विपक्षी सं0-2 है। बीमित को सुविधा हेतु विपक्षी सं0-1 को कुछ भी भुगतान नहीं करना पड़ता है। विपक्षी सं0-1 को भुगतान विपक्षी सं0-2 के द्वारा किया जाता है और अपने उपभोक्ता/खाता धारक मय डेबिट कार्ड, धारक को सुविधा निःषुल्क उपलब्ध करायी जाती है। परिवादिनी के पति की दिनांक 14.08.12 को मृत्यु मार्ग दुर्घटना में हो गयी। घटना की प्राथमिकी थाना बाबूपुरवा में दर्ज हुई। जिलाधिकारी के आदेष पर पोस्टमार्टम हुआ और मध्यरात्रि में अंत्योश्टि मुस्लिम कब्रिस्तान में हुई। दिनांक 22.08.12 को परिवादिनी ने विपक्षी सं0-2 को खाताधारक की दुर्घटना में मृत्यु की सूचना दुर्घटना की प्राथमिकी की सूचना दी गयी। परिवादिनी इद्दत में थी, इस कारण विपक्षी सं0-2 को सूचना ससुर इकबाल अहमद द्वारा दी गयी, तब विपक्षी सं0-2 द्वारा आष्वस्त किया गया कि इद्दत काल बिताने के बाद तत्काल नामिनी को साथ लेकर आये, ताकि क्लेम सेटेलमेंट की औपचारिकता पूरी हो जाये। जिस दिन खाता धारक की दुर्घटना में मृत्यु की सूचना विपक्षी सं0-2 को दी गयी, उसी दिन श्री राम जनरल इंष्योरेन्स को दी गयी थी, क्येंकि जो बाइक गाड़ी मृतक षाबान अहमद दुर्घटना के समय चला रहा था, वह श्रीराम जनरल इष्ंयोरेन्स से बीमित थी और श्रीराम जनरल इष्ंयोरेन्स कंपनी ने प्राथमिकी की छायाप्रति के आधार पर अग्रिम कार्यवाही सुनिष्चित की थी। विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 22.08.12 को प्राथमिकी की छायाप्रति ली थी और आष्वस्त किया था कि आपकी जिम्मेदारी खत्म हुई। बैंक की जिम्मेदारी षुरू हुई। आप वांछित पत्राजात लेकर आये ताकि क्लेम सेटेलमेंट हो सके। दिनांक 04.12.12 को इद्दत काल समाप्त होने पर परिवादिनी दिनांक 05.12.12 को विपक्षी सं0-2 के समक्ष उपस्थित हुई और विपक्षी सं0-2 ने सर्वप्रथम परिवादिनी के नाम बैंक खाता खोला और नकद रू0 10,000.00 जमा कराये। परिवादिनी द्वारा खोले गये खाते का नम्बर-91201
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0057234246 है। विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 05.12.12 को न्यू इण्डिया एष्योरेन्स का क्वबनउमदजे त्मुनपतमक वित ब्संपउ देते हुए निषान लगाकर कहा कि जो दस्तावेज मांगे गये है, वह लेकर जल्द से जल्द आइये और साथ ही इन्योरेन्स क्लेम-एक्सिस बैंक डेबिट कार्ड फार्म का एक सेट देकर कहा कि इसे भरवा कर लाइयेगा, दस्तखत बैंक में ही होंगे। दिनांक 13.12.12 को क्लेम फार्म भरकर वांछित सभी पत्राजात विपक्षी सं0-2 के समक्ष उपस्थित हुई, तो उन्होंने ब्संपउ टवनबीमत ंदक ।ेपहदमम टमतपपिबंजपवद थ्वतउ पर परिवादिनी के हस्ताक्षर अपने समक्ष कराये, फिर मृतक पति के खाते का अवषेश धन परिवादिनी के खाते में ट्रांसफर कर सेटेलमेंट ऑफ एकाउन्ट परिवादिनी को दे दिया साथ ही क्लेम फार्म वापस देते हुए विपक्षी सं0-2 ने कहा कि सभी पत्राजात गर्वनमेंट नोटरी से प्रमाणित कराकर लाइये। दिनांक 15.12.12 को पुनः परिवादिनी ने विपक्षी सं0-2 के समक्ष पत्राजात लेकर उपस्थित हुई। परिवादिनी ने समस्त पत्राजात पूर्ण षर्तों सहित प्रेशित कर दिये। विपक्षी सं0-2 ने चेक करके कहा अब ठीक है, ऐसा कीजिये दो दस्तखत और एहतियातन कर दीजिये, यह कहते हुए विपक्षी सं0-2 ने ब्वदेमदज थ्वतउ और थ्वतउ छवण् ।ब् 39 पर हस्ताक्षर करा लिये थे। हस्ताक्षर के अतिरिक्त उन फार्मों पर कुछ नहीं भरा था। विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी से कहा कि आषा है महीने भर में आपको रू0 2,00,000.00 का चेक प्राप्त हो जायेगा और यह कहा कि फरवरी से पहले मत आयें, क्योंकि न्यू इण्डिया एष्योरेन्स को प्रोसेस पूरा करने में महीना- डेढ़ महीना लगता है। परिवादिनी विपक्षी सं0-2 के समक्ष फरवरी 2013 के प्रथम मास में उपस्थित हुई और क्लेम स्टेटस के बारे में जानना चाहा, तो विपक्षी सं0-2 ने बताया कि आपका क्लेम फार्म वापस आ गया है, क्येंकि न्यू इण्डिया एष्योरंन्स के क्लेम सेंटर का पता बदल गया है, नये पते पर भेजा जा चुका है, जल्द ही आपको क्लेम राषि प्राप्त होगी। दिनांक 26.03.13 का विपक्षी सं0-1 का एक पत्रांक-46/001373 दिनांकित 06.04.13 प्राप्त हुआ, जिसमें सूचित किया गया कि ब्संपउ ैजपचनसंजमक च्मतपवक में दाखिल नहीं है। विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में दिनांक 27.02.13 को 196
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दिन देरी से पहुॅचा है, इसलिए नो-क्लेम कर फाइल बन्द कर दी गयी है। जबकि परिवादिनी द्वारा क्लेम विपक्षी सं0-2 के समक्ष इद्दत समाप्ति के तत्काल बाद 10 दिन के अंदर समस्त वांछित अभिलेख सहित प्रस्तुत कर दिया गया था। विपक्षी सं0-1 ने इस बिन्दु को नजरअंदाज कर परिवादिनी को नो-क्लेम का आदेष भेजा। विपक्षी सं0-2 की षाखा में इद्दत समाप्ति के 10 दिन के अंदर पहॅुंचे संपूर्ण क्लेम फार्म मय संलग्नक का विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में देरी से पहॅुचने के कारण क्यूरी विपक्षी सं0-2 व परिवादिनी से किये बिना परिवादिनी के क्लेम को नो-क्लेम आदेषित करना न्याय की दृश्टि से न्यायोचित नहीं है। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा अपनी सेवा देने में घोर त्रुटि कारित की गयी है। फलस्वरूप परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा 6 माह 13 दिन के पष्चात क्लेम प्रस्तुत किया गया है। इसलिए परिवाद कालबाधित है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में विपक्षी सं0-1 के लिए नहीं आता है। परिवादिनी एवं विपक्षी सं0-1 के मध्य कोई संविदा नहीं हुई है। मात्र डेबिट कार्ड जारी करने के आधार पर परिवादी, विपक्षी सं0-2 का उपभोक्ता नहीं होता है। विपक्षी बैंक के द्वारा परिवादिनी को बीमा की सुविधा बिना किसी मूल्य अथवा षुल्क के दी गयी है। विपक्षी सं0-1 का कार्यालय मुम्बई में है और विपक्षी सं0-2 का भी पंजीकृत कार्यालय मुम्बई में है। अतः क्षेत्राधिकार के अभाव में परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। विपक्षी की ओर से कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गयी है। अतः विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाये।
4. विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है
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है कि विपक्षी सं0-2 मात्र एक कार्पोरेट एजेंट है, जिसका कार्य दुर्घटना सुविधा को बढ़ाना है, जो कि क्रेडिट कार्ड होल्डर को देय होती है। विपक्षी सं0-2 की सुवायें निःषुल्क होती हैं। विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादिनी का क्लेम फार्म प्राप्त करते ही विपक्षी सं0-1 को अग्रसारित कर दिया गया है। विपक्षी सं0-2 बैंक के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। इसलिए परिवादी का, विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं होता है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 20.04.13, 28.05.14 एवं 09.03.15 एवं इकबाल अहमद व हाजी मो0 यासीन के षपथपत्र दिनांकित 28.05.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/35 व कागज सं0-2/1 लगायत् 2/2 व कागज सं0-3 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में समीर कुमार सक्सेना का षपथपत्र दिनांकित 04.03.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत 2/6 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में सौरभ भाटिया, प्रेसीडेन्ट/ब्रांच हेड का षपथपत्र दिनांकित 16.01.15 व 17.09.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में आउटवर्ड मेल रजिस्टर की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
8. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षीगण का यह कथन है कि विपक्षीगण के द्वारा डेबिट कार्ड जारी करते समय बीमित की रू0 2,00,000.00 के बीमा की कोई सूचना बीमित/परिवादिनी को नहीं दी गयी थी। जबकि परिवादिनी द्वारा यह कहा गया है कि प्रष्नगत डेबिट कार्ड जारी करते समय यह सूचना दी गयी थी कि डेबिट कार्ड धारकों को विपक्षी सं0-1 द्वारा रू0 2,00,000.00 का बीमा कवरेज डेबिट कार्ड धारक की मृत्यु पर रू0 2,00,000.00 की क्षतिपूर्ति नामिनी को दी जायेगी। इस सम्बन्ध में पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि स्वयं विपक्षी सं0-2 के द्वारा जो लिखित बहस दाखिल की गयी है, उसके प्रस्तर-3 में ही डेबिट कार्ड की बुकलेट में उल्लिखित महत्वपूर्ण धारा का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार विपक्षी सं0-1 न्यू इण्डिया एष्योरेन्स कंपनी लि0 द्वारा प्रस्तुत मामले की जैसी परिस्थितियों में क्षतिपूर्ति देने का प्राविधान बताया गया है। अतः इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य के न प्रस्तुत करने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। किन्तु उपरोक्त विधिक विशय जिसका खण्डन विपक्षी सं0-1 द्वारा नहीं किया गया है-से स्पश्ट होता है कि यदि प्रष्नगत डेबिट कार्ड धारक की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है, तो उसकी नामिनी को विपक्षी सं0-1 कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति अदा करना होगा। उपरोक्त विधि व्यवस्था के कारण विपक्षी सं0-2 का उत्तरदायित्व सिद्ध नहीं होता है। इसके अतिरिक्त यदि उक्त प्राविधान न होता तो विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादिनी से क्लेम से सम्बन्धित प्रपत्र न प्राप्त किये गये होते। विपक्षी सं0-1 के द्वारा दिनांक 26.03.13 को अपने पत्रांक-46/001373 दिनांकित 06.04.13 के द्वारा परिवादिनी का क्लेम खारिज किया गया है। क्लेम खारिज करने का आधार यह लिया गया है कि परिवादिनी द्वारा क्लेम निर्धारित अवधि में प्रस्तुत नहीं किया गया है। पारिवादिनी द्वारा क्लेम सम्बन्धित समस्त प्रपत्र प्रस्तुत किये जाने का कथन भी उपरोक्त परिस्थितियों से प्रमाणित हो जाता है।
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9. विपक्षी सं0-1 की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि परिवादिनी का क्लेम 196 दिन पष्चात प्रस्तुत किया गया है, इसलिए परिवाद कालबाधित होने के कारण खारिज किया जाना चाहिए। जबकि परिवादिनी का इस सम्बन्धित में कहना यह है कि उसके ससुर के द्वारा उक्त घटना दिनांक 14.08.12 के 8 दिन पष्चात ही दिनांक 22.08.12 को विपक्षी सं0-1 को दुर्घटना की प्राथमिकी की सूचना दे दी गयी थी। परिवादिनी इद्दत अवधि के पष्चात दिनांक 05.12.12 को विपक्षी सं0-2 के समक्ष उपस्थित हुई। किन्तु परिवादिनी की ओर से अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में षपथपत्रीय साक्ष्य के अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है। जबकि बीमा दावे सर्वोत्तम विष्वास पर आधारित होते हैं। उपभोक्ता से सम्बन्धित मामलों में मा0 राज्य आयोग, मा0 राश्ट्रीय आयोग एवं मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा विभिन्न मामलों में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि दुर्घटना के तुरन्त बाद दुर्घटना की सूचना बीमा कंपनी को दी जानी चाहिए। अतः प्रस्तुत मामले में परिवादिनी द्वारा बीमा की सूचना तुरन्त दिये जाने से सम्बन्धित षपथपत्रीय साक्ष्य के अतिरिक्त अन्य कोई प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल न करने के कारण परिवादिनी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 को अपने पति की मृत्यु की सूचना समय से अपने ससुर के माध्यम से दिनांक 22.08.12 को दी गयी। परिवादिनी की ओर से फोरम का ध्यान विधि निर्णय न्यू इण्डिया इंष्योरन्स कंपनी लि0 बनाम नम्रता कटारिया एवं अन्य प्रथम अपील सं0- 312/2013 निर्णीत 31.07.13 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर आकृश्ट किया गया है। मा0 राज्य आयोग चण्डीगढ़ का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि तथ्यों की भिन्नता के कारण उपरोक्त विधि निर्णय प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होता है, क्योंकि उपरोक्त विधि निर्णय में स्वयं विपक्षी सं0-1 द्वारा बीमा क्लेम से सम्बन्धित प्रपत्रों के खो जाने के तथ्य को स्वीकार किया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के कारण तथा विषेशतः प्रस्तर सं0-9 में दिये गये निश्कर्श के आधार पर परिवादिनी के पति के
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आकस्मिक निधन पर पूर्ण सहानुभूति रखते हुए भी फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद, कालबाधित होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःआदेषःःः
10. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।