जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
सुधा यादव.....................................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-688/2012
मेसर्स बादल उद्योग, 1065 पोखरपुर, लाल बंगला, कानपुर नगर द्वारा भागीदार श्री अवन्ती कुमार जैन।
................परिवादी
बनाम
दि न्यू इण्डिया इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0, क्लेम हब, रीजनल आॅफिस 15/60, ग्रीन हाउस, सिविल लाइन्स, कानपुर नगर।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 30.11.12
परिवाद निर्णय की तिथिः 06.08.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से क्लेम की षेश धनराषि रू0 23,933.00 क्षतिपूर्ति के रूप में, ब्याज के मद में दिनांक 15.06.10 से लेकर मुकद्मा दाखिल होने तक लगभग रू0 10590.00 क्षतिपूर्ति, भविश्य के ब्याज के रूप में मुकद्मा दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज एवं मानसिक उत्पीड़न के लिए रू0 1500.00 तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 2500.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि विपक्षी एक बीमा कंपनी है, जो अपनी षर्तों पर परिवहन द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित माल पहुॅचाने एवं डिलीवर करने के सम्बन्ध में प्रीमियम लेकर तयषुदा षर्तों के अनुसार उपभोक्ता के पक्ष में मेराइन लाॅस पाॅलिसी जारी करने व बीमा सम्बन्धी अन्य कार्य करती है। विपक्षी ने परिवादी के हक में मेराइन लाॅस पाॅलिसी सं0-42020221090200000030 प्रीमियम रू0 8825.00 लेकर इस षर्त के साथ जारी की थी कि परिवादी
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द्वारा अपना माल परिवहन के द्वारा उक्त पाॅलिसी के अंतर्गत भेजने पर यदि परिवहन कंपनी के द्वारा परिवादी का माल गन्तव्य स्थान पर पहुॅचाकर डिलीवर नहीं किया जाता है या परिवादी को माल के सम्बन्ध में कोई हानि पहुॅचायी जाती है, तो उक्त हानि की संपूर्ण पूर्ति का उत्तरदायित्व विपक्षी का होगा। परिवादी ने 100 कट्टी मटर, वजन 50 कुन्तल, मूल्य रू0 95,732.00 कानपुर से बनारस, पूर्वांचल उत्तरांचल रोड लाइन्स न्यू आजाद नगर गेटबाईपास रोड कानपुर के द्वारा जारी की गयी बिल्टी सं0-476 दिनांक 14.07.10 के द्वारा उक्त मेराइन पाॅलिसी के अंतर्गत मेसर्स संकठा प्रसाद रामजी प्रसाद, विष्वेष्वर गंज, बनारस को डिलीवर करने के लिए भेजा। लेकिन रास्ते में ही परिवहन कंपनी आदि ने मिलकर उक्त माल गायब कर दिया और गन्तव्य स्थान पहुॅचाने और डिलीवर करने में असमर्थ रहे, जिसकी पुश्टि स्वयं मेसर्स संकठा प्रसाद रामजी प्रसाद, विष्वेष्वर गंज बनारस ने परिवादी को टेलीफोन पर बताया एवं कंपनी ने परिवादी को नो डिलीवरी प्रमाण पत्र दिया है और इस प्रकार परिवादी को रू0 95,732.00 की हानि हुई, जिसकी पूर्ति के लिए विपक्षी उत्तरदायी है। परिवादी ने उक्त धनराषि की ब्याज सहित मांग की क्लेम भी दाखिल किया और विपक्षी के निर्देषानुसार परिवहन कंपनी द्वारा माल के गायब कर देने के सम्बन्ध में दिनांक 29.07.10 को एक रिपोर्ट भी थाना चकेरी में पंजीकृत करायी, जिसकी जांच करके पुलिस ने परिवहन कंपनी आदि द्वारा माल को हड़प जाने की पुश्टि की और दोशी व्यक्तियों के विरूद्ध न्यायालय में आरोप पत्र प्रेशित किया। विपक्षी ने जानबूझकर परिवादी का क्लेम आदेष दिनांक 16.01.12 के द्वारा निरस्त कर दिया। जिस पर परिवादी ने पुनः उपरोक्त क्लेम का भुगतान करने के लिए विपक्षी से अपने पत्र दिनांक 23.01.12 के द्वारा प्रार्थना की और उक्त धनराषि पर 18 प्रतिषत वार्शिक दर से ब्याज का भुगतान करने की प्रार्थना भी की और कहा कि परिवादी का क्लेम मेराइन पाॅलिसी की षर्तों के अनुसार है, अतः उसे क्लेम मिलना चाहिए। विपक्षी ने परिवादी के प्रार्थनापत्र को अंषतः स्वीकार करते हुए परिवादी के बैंक एकाउन्ट में आर.टी.जी.एस. के द्वारा क्लेम का संपूर्ण भुगतान न करके दिनांक 14.06.12 को केवल रू0 71,799.00 क्लेम के मद
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में जमा करा दिया और षेश धनराषि रू0 23,933.00 व उस पर ब्याज का भुगतान नहीं किया और न ही इसका कोई कारण बताया। इस सम्बन्ध में परिवादी ने अपने अधिवक्ता के द्वारा एक नोटिस दिनांक 07.07.12 विपक्षी को भेजा, लेकिन विपक्षी ने उपरोक्त नोटिस का न तो कोई उत्तर दिया और न ही क्लेम की षेश धनरािष व उस पर देय ब्याज का भुगतान किया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा उपरोक्त धनराषि ब्याज सहित परिवादी को भुगतान न करके सेवा में कमी कारित की गयी है। अतः प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाये।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि कथित घटना की सूचना बीमा कंपनी को काफी विलम्ब से दी थी तथा क्लेम फार्म भी विपक्षी बीमा कंपनी में परिवादी ने काफी विलम्ब से दाखिल किया था। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा घटना की जांच अपने सर्वेयर द्वारा करायी गयी जांचोपरान्त ज्ञात हुआ कि उक्त ट्रक नं0-62 डी/1466 ट्रक का नम्बर नहीं है, बल्कि उक्त नम्बर एक टैªक्टर का नम्बर है। इस प्रकार ट्रक स्वयं/ट्रक चालक/ट्रांसपोर्ट ने मिलकर धोखाधड़ी करके प्रष्नगत माल गायब किया गया है। परिवादी ने अपना उक्त माल उचित जांच किये बगैर उक्त ट्रक/ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा भेजा गया है। इस प्रकार उक्त माल को भेजने में परिवादी की अपनी स्वयं की ही लापरवाही है। अतः ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को कोई भी क्लेम देय नहीं है। पुलिस द्वारा उक्त घटना के मुल्जिमान के विरूद्ध न्यायालय में चार्जषीट दाखिल की गयी है। उक्त मामले में परिवादी ने उक्त ट्रांसपोर्ट कंपनी पूर्वांचल उत्तरांचल रोड लाइंस, न्यू आजाद नगर गेट, बाईपास रोड कानपुर को पक्षकार नहीं बनाया है। जबकि उक्त वाद के निस्तारण हेतु वह आवष्यक पक्षकार है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत पुर्नविचार प्रार्थनापत्र दिनांकित 23.01.12 पर विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी से अपने पूर्व के व्यवसायिक सम्बन्धों को ध्यान में रखते हुए क्लेम पत्रावली फिर से त्म.व्चमद करके
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उस पर पुनः विचार किया। उक्त क्रम में विपक्षी द्वारा परिवादी को उक्त पत्र दिनांक 16.05.12 इस आषय से भेजा गया कि परिवादी भेजे गये गुड्स के श्छवद क्मसपअमतल ब्मतजपपिबंजमश् प्राप्त कर विपक्षी कार्यालय में तुरन्त जमा करे, परन्तु परिवादी द्वारा उक्त कार्यवाही नहीं की गयी। जिससे विपक्षी बीमा कंपनी को ट्रांसपोर्ट से क्षतिपूर्ति की धनराषि वसूल करने के अधिकार प्रभावित होंगे। श्छवद क्मसपअमतल ब्मतजपपिबंजमश् न देने से बीमा पाॅलिसी की षर्तों का पूर्णतया उल्लंघन है। अतः उक्त आधार पर परिवादी का क्लेम श्छवद ैजंदकमतकश् किये जाने योग्य है। उपरोक्त के बावजूद बीमा कंपनी के परिवादी से अच्छे व्यापारिक सम्बन्ध होने के कारण बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के उक्त क्लेम को त्म.व्चमद करके पुनः विचार करने हेतु क्लेम पत्रावली कमेटी में प्रस्तुत की गयी। क्लेम कमेटी द्वारा परिवादी की पूर्ण सहमति से परिवादी का उक्त क्लेम श्छवद क्मसपअमतल ब्मतजपपिबंजमश् के अभाव में क्लेम को श्छवद ैजंदकमतक ठंेपबश् के आधार पर क्लेम धनराषि का 75 प्रतिषत रू0 71,799.00 बीमा कंपनी द्वारा पास कर दिया गया तथा दिनांक 09.06.12 को जरिये पेमेंट बाउचर अदा भी कर दिया गया। परिवादी ने उक्त धनराषि अपनी पूर्ण सहमति एवं पूर्ण संतुश्टि के बाद प्राप्त की है। अतः ऐसी स्थिति में परिवादी का प्रस्तुत वाद सदैव निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 29.11.12 व 07.01.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में क्लेम बिल की प्रति, बीमा पाॅलिसी की प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र दिनांकित 29.07.10 की प्रति, बिल्टी सं0-476 की प्रति, बिल/इनवाइस की प्रति, घोशणा पत्र की प्रति, नाॅन डिलीवरी प्रमाण पत्र की प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, आरोप पत्र की प्रति, विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित पत्र दिनांकित 16.01.12 की प्रति, परिवादी द्वारा प्रेशित पत्र दिनांकित 23.01.12 की प्रति, परिवादी के खाते के स्टेट्स की प्रति तथा नोटिस की प्रति दाखिल किया है।
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विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में के0के0 अग्रवाल डिवीजनल मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 20.04.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में पेमेंट बाउचर की प्रति, चेक की प्रति, बादल उद्योग का पत्र दिनांकित 17.05.12 की प्रति, विपक्षी द्वारा प्रेशित पत्र दिनांकित 16.05.12 की प्रति, बिल्टी की प्रति, आ.सी. बाजपेई द्वारा बादल उद्योग को प्रेशित पत्र दिनांकित 27.11.10, 17.01.11 की प्रति, विपक्षी द्वारा बादल उद्योग को प्रेशित पत्र दिनांकित 16.01.12 की प्रति, सर्वेयर रिपोर्ट की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
6. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा विपक्षी की ओर से प्रस्तुत की गयी लिखित बहस तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों के परिषीलन से विदित होता है कि स्वीकार्य रूप से प्रष्नगत माल विपक्षी बीमा कंपनी से बीमित था। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा प्रष्नगत बीमित माल की बीमा धनराषि का 75 प्रतिषत रू0 71,799.00 परिवादी को अदा किया जा चुका है। विवाद इस विशय का है कि क्या परिवादी प्रष्नगत माल की षेश 25 प्रतिषत बीमित धनराषि भी प्राप्त करने का अधिकारी है। इस सम्बन्ध में विपक्षी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत माल विपक्षी ट्रांसपोर्टर से मिलकर फर्जी ट्रक से भेजा गया। किन्तु चूॅकि विपक्षी द्वारा परिवादी को बीमित माल की 75 प्रतिषत धनराषि अदा की जा चुकी है। अतः अब इस स्तर पर विपक्षी का उपरोक्त कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। विपक्षी की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत माल की बीमित धनराषि से सम्बन्धित 75 प्रतिषत क्लेम अपनी सहमति से प्राप्त किया गया था और इसलिए अब परिवादी षेश धनराषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। किन्तु विपक्षी द्वारा कोई इस कथन को प्रमाणित
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करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह सिद्ध होता हो कि परिवादी ने षेश धनराषि क्लेम न करने की अपनी सहमति दी थी। विपक्षी का उपरोक्त तर्क भी विधिसंगत व न्यायसंगत न होने के कारण फोरम द्वारा स्वीकार्य नहीं है।
विपक्षी द्वारा एक तर्क यह किया गया है कि कैरियर्स ऐक्ट 1865 के प्राविधानों के अनुसार माल की क्षति/नाॅन डिलेवरी के बावत ट्रांसपोर्टर को कैरियर्स ऐक्ट की धारा-10 के अनुसार लांस हो जाने के 6 माह के अंदर नोटिस देना आवष्यक था। किन्तु उक्त ट्रांसपोर्टर को ऐसा कोई नेाटिस नहीं भेजा। जिससे विपक्षी बीमा कंपनी ट्रांसपोर्टर के विरूद्ध वाद दायर नहीं कर सकता। इसलिए परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। इस सम्बन्ध में पत्रावली के सम्यक परिषीलन से स्पश्ट होता है कि चूॅकि विपक्षी द्वारा परिवादी का 75 प्रतिषत क्लेम दिया जा चुका है, जिससे स्पश्ट होता है कि विपक्षी द्वारा परिवादी की उक्त कमी को क्षमा ;ब्वदकवदमद्ध किया जा चुका है। अतः अब विपक्षी अपनी उक्त सहमति से वापस नहीं जा सकता। विपक्षी का एक कथन यह है कि वादी/बीमाधारक ने उक्त ट्रांसपोर्टर से नान डिलेवरी प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है और न ही उक्त नान डिलेवरी प्रमाण पत्र विपक्षी कंपनी को दिया है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से तर्क यह किया गया है कि एफ.आई.आर. व चार्जषीट से यह स्पश्ट होता है कि परिवादी का माल गन्तव्य स्थान तक नहीं पहुॅचाया गया है। फोरम परिवादी के कथन से सहमत है।
परिवादी द्वारा प्रष्नगत माल की बीमा धनराषि के सम्बन्ध में प्रस्तुत किये गये क्लेम की अवषेश धनराषि रू0 23933.00 प्राप्त करने तथा आर्थिक व मानसिक उत्पीड़न के लिए परिवाद योजित किया गया है। परिवादी की ओर से क्लेम की गयी उपरोक्त धनराषि के सम्बन्ध में, विपक्षी की ओर से कम या अधिक नहीं बतायी गयी है।
अतः उपरोक्त कारणों से फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को उपरोक्त धनराषि रू0 23933
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मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली के लिए तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिये स्वीकार किये जाने योग्य है। क्योंकि बीमा पाॅलिसी प्राप्त करने के मात्र 17 दिन में ही प्रष्नगत वाहन चेारी चला गया। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय परित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी परिवादी को अवषेश बीमा धनराषि रू0 23,933.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।