आदेश
1. संक्षेप में शिकायतकर्ता का कथन है कि वह एक शिक्षित बेरोजगार है उसने अपने जीवनयापन के लिए एक तीन पहिया सबारी वाहन R.K ऑटोमोबाइल वि०आई०पी० रोड अपोजिट चर्च दोनार, दरभंगा वर्तमान में मौलागंज दरभंगा से पंजाब नेशनल बैंक कोठिया शाखा दरभंगा से 1,82,100 रु० कर्जा लेकर खरीद किया। उक्त बैंक को प्रश्नगत वाहन हाइपोथीकेंटेट था। प्रश्नगत वाहन का इंजन न०-RIL2051034 चेचिस न०-ZFNL419358 था। प्रश्नगत वाहन की कीमत 182100 रु० को विपक्षी सं० तीन पंजाब नेशनल बैंक द्वारा आर०के० ऑटोमोबाइल को भुगतान किया गया था।
2. शिकायतकर्ता का यह कथन है कि निबंधन के वाद प्रश्नगत वाहन का न०-BR-07P-5439 पड़ा और शिकायतकर्ता उसे चला कर अपना जीवनयापन करता था लेकिन दुर्भाग्यवश शिकायतकर्ता दुर्घटना ग्रस्त हो गया उसका पैर क्षतिग्रस्त हो गया वह दरभंगा मेडिकल कॉलेज में दि० 17.03.2014 से 18.03.2014 तक भर्ती रहा उसका इलाज हुआ उसके बाद उसका इलाज पारस हॉस्पिटल पटना में हुआ वह दि० 16.12.2014 से वहाँ भर्ती रहा और दि० 29.12.2014 को वहाँ से उन्मोचित हुआ।
3. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि उसका दाहिना हिप और दाहिना फीमर स्क्रू से जोड़ा गया इसप्रकार से शिकायतकर्ता अपाहिज हो गया वाहन चलकर अपना जीविकोपार्जन करने की स्थिति में नहीं रहा।
4. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि कोई अन्य रास्ता नहीं देखकर अपने जीवनयापन एवं बैंक से लिए गए कर्जा की क़िस्त की भुगतान के लिए उसने प्रश्नगत वाहन न०-BR-07P-5439 को चालक मो० संजुर आलम उर्फ़ पप्पू को चलाने के लिए दे दिया जिससे शिकायतकर्ता अपना जीविकोपार्जन करने लगा तथा बैंक का क़िस्त अदा करने लगा।
5. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि दि० 24.06.2014 को उसके मोबाइल पर चालक संजुर आलम ने सूचना दिया कि दि० 23.6.2014 की रात्रि में प्रश्नगत वाहन उसके आवास के कैंपस से चोरी हो गया।
6. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि यह सूचना मिलने के बाद शिकायतकर्ता प्रश्नगत वाहन को ढूंढ़ने लगा और जब वह ढूंढ़ने में नाकाम रहा तो उसने लिखित शिकायत L.M.N.U थाना को दिया जिसपर केस न०- 133/14 दि० 26.06.2014 के अंतर्गत धारा 407,379 भा०द०वि० संजुर आलम के विरुद्ध L.N.M.U थाना ने दर्ज किया तथा अनुसन्धान के बाद आरोप पत्र सं० 214/14 दि० 30.11.2014 अंतर्गत धारा 407,379 IPC संजुर आलम के विरुद्ध विद्वान् न्यायिक दंडाधिकारी के सक्षम दाखिल किया।
6. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि उसने एक लिखित आवेदन शाखा प्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक कोठिया (विपक्षी तीन)शाखा एवं प्रबंधक न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड दरभंगा (विपक्षी एक) को सम्पूर्ण बातों का उल्लेख करते हुए प्रश्नगत वाहन के चोरी की सूचना दिया तथा अनुरोध किया कि बीमा दावा की धनराशि भुगतान करने की कृपा करे। चूँकि प्रश्नगत वाहन पंजाब नेशनल बैंक से हइपोथीकेटेड था। इस नाते विपक्षी सं० तीन की जबाबदेही थी कि बीमा दावा की धनराशि के प्राप्ति की प्रक्रिया में करवाई करते लेकिन विपक्षी सं० तीन द्वारा कोई करवाई नहीं किया गया यहाँ तक कि दावा को निष्पादित करने के लिए शिकायतकर्ता के दावा को विपक्षी सं० तीन को अग्रसारित भी नहीं किया गया।
7. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि जिस समय वाहन चोरी हुआ उस समय प्रश्नगत वाहन बीमित था जो कि दि० 19.12.2013 से 18.12.2014 तक था।
8. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि अंत में बीमाकर्ता ने दि० 16.12.2014 को बीमाकर्ता (विपक्षी एक) को दावा के सन्दर्भ में आवेदन दिया तथा बीमा की धनराशि 120000 रु० की मांग किया उसने बीमा कंपनी द्वारा मांगे गए सभी कागजात उसे उपलब्ध कराया उसमें बीमा पॉलिसी का मूल बाउंड पत्र न० 54050531130100005378 एवं ओनर बुक छायाप्रति, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन ढोने की परमिट की छायाप्रति, F.I.R की छायाप्रति एवं आरोप पत्र की छायाप्रति बीमा कंपनी को उपलब्ध कराया फिर भी बीमा कंपनी द्वारा दावा का भुगतान नहीं किया गया चोरी की घटना दि० 23.06.2014 की है और प्रश्नगत वाहन दि० 19.12.2013 से 16.12.2014 तक विपक्षी सं० एक बीमा कंपनी से बीमित था। शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि वह विपक्षी सं० एक के कार्यालय में बराबर कर बीमा दावा के संबंध में भुगतान करने का अनुरोध करता था। शिकायतकर्ता अपाहिज है। विपक्षी एक द्वारा बारबार अनुरोध करने के बाद भी बीमित वाहन के बीमा के दावा का भुगतान नहीं किया गया दि० 15.05.2015 को बीमा कंपनी ने Ref No. 540505/क्लेम/15-16 दि० 15.05.2015 दावा न०-5405053114010000059 पत्र लिखा और उसपर टिप्पणी लिखा कि बीमा दावा की संचिका को इस आधार पर बंद किया जाता है कि ड्राइविंग लाइसेंस घटना की तिथि को प्रभावी नहीं था।
9. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि सत्य बात यह है कि चालक संजुर आलम का ड्राइविंग लाइसेंस दि० 24.09.2017 तक वैध था तथा शिकायतकर्ता का ड्राइविंग लाइसेंस दि० 02.02.2026 तक वैध था ऐसी स्थिति में विपक्षी सं एक का यह टिप्पणी कि ड्राइविंग लाइसेंस वैध नहीं था। पूर्णत: गलत था वैसे भी प्रश्नगत वाहन सड़क पर नहीं चल रहा था। अपितु वह ड्राइवर के माकन के परिसर में खड़ा था जहाँ से चोरी हो गया ऐसी स्थिति में ड्राइविंग लाइसेंस के प्रभावी रहने या नहीं रहने से शिकायतकर्ता के दावा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। सत्य बात यह है कि विपक्षी सं० एक के दावा विभाग के कर्मचारी द्वारा 10% दावा की धनराशि का अवैध तरीके से मांग किया गया शिकायतकर्ता द्वारा अवैध धनराशि नहीं दिए जाने पर शिकायतकर्ता के दावा को यह कहते हुए अमान्य कर दिया कि ड्राइविंग लाइसेंस प्रभावी नहीं था शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि उसने विपक्षी को वकालतन नोटिस दिया लेकिन विपक्षी एक द्वारा ना तो कोई करवाई किया गया ना तो उसके दावे का भुगतान किया गया
10. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि वाहन चोरी हो जाने से दि० 23.06.2014 से 500 रु० प्रतिदिन के हिसाब से उसे 15000 रु० प्रति माह इसी प्रकार से प्रतिवर्ष 180000 रु० का नुकसान हो रहा है। एवं उसे मानसिक पीड़ा से गुजड़ना पड़ा अन्य कोई रास्ता ना देख कर फोरम के समक्ष यह शिकायत पत्र दाखिल किया अतः अनुरोध है कि विपक्षी सं० एक एवं दो से प्रश्नगत वाहन की बिमा की धनराशि 120000 रु० तथा 50000 रु० शिकायतकर्ता को पहुंची मानसिक पीड़ा के रूप में वाद खर्चा के रूप में 20000 रु० तथा विपक्षी द्वारा दावा का समय से भुगतान नहीं करने के कारण 500 रु० प्रतिदिन के हिसाब से केस दाखिल होने तक नुकसान 100000 रु० कुल धनरशि 290000 रु० सूद सहित शिकायतकर्ता को विपक्षीगण से दिलाने का कष्ट करे।
11. परिवादी ने अपने केस के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनक्सचर-1 आर०के० ऑटोमोबाइल का चलन नंबर 607 दि० 15.12.2011 एनक्सचर-1/2 आर०के० ऑटोमोबाइल का स्टीमेट नंबर 502 दि० 15.12.2011 एनक्सचर-2 D.M.C.H का डिस्चार्ज स्लिप दि० 18.06.2014 एनक्सचर-2/1 पारस HRMI हॉस्पिटल का डिस्चार्ज समरी एनक्सचर-2/2 पारस HRMI हॉस्पिटल का डिस्चार्ज के समय एडवाइस स्लिप, एनक्सचर-3 L.M.N.U थाना की प्रथिमिकी सं० 133/14 दि० 26.06.2014 की छायाप्रति जो लिखित आवेदन के साथ है। एनक्सचर-3/1 L.M.N.U थाना की प्रथिमिकी सं० 133/14 का अंतिम प्रपत्र एनक्सचर-4 शाखा प्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक कोठिया शाखा को लिखे पत्र की छायाप्रति एनक्सचर-5 द इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड को दिया गया फ्रॉम, एनक्सचर-6 शिकायतकर्ता द्वारा विलम्ब से दावा फॉर्म देने की विषय में स्पष्टीकरण एनक्सचर-7 शिकायतकर्ता के नाम से प्रश्नगत वाहन का रजिस्ट्रेशन एनक्सचर-8 प्रश्नगत वाहन के मालिक का ड्राइविंग लाइसेंस, एनक्सचर-9 द न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा शिकायतकर्ता राकेश कुमार यादव के प्रश्नगत वाहन का इन्सुरेंस पॉलिसी, एनक्सचर-10 शिकायतकर्ता राकेश कुमार यादव के नाम से निर्गत वाहन परमिट न०-233/12 जो सन 2017 तक वैध था, एनक्सचर-11 द न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा शिकायतकर्ता को लिखा गया पत्र कि ड्राइविंग लाइसेंस कथित घटना की तिथि को प्रभावी नहीं था, एनक्सचर-12 अधिवक्ता नोटिस, एनक्सचर-13 उक्त वकालतन नोटिस का न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दिया गया जबाब, एनक्सचर-14 राष्ट्रीय लोक अदालत में किये गए समझौते की छायाप्रति दाखिल किया गया तथा साबित कराया गया विपक्षी सं० एक और दो द न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा अपना व्यान तहरीर दाखिल किया गया। विपक्षी एक और दो का कहना है कि शिकायतकर्ता ने जैसा शिकायत लाया है वह विधि एवं तथ्य दोनों के अनुसार चलने योग्य नहीं है। विपक्षी एक और दो के विरुद्ध शिकायतकर्ता को कोई वाद कारण उपलब्ध नहीं है। शिकायतकर्ता द्वारा मामले में उनलोगों को पक्षकार नहीं बनाया गया जिन्हे बनाना चाहिए था। शिकायतकर्ता द्वारा लाया गया यह वाद कल बाधित है तथा निबंधन, त्यजन एवं स्वीकृत दोष से दोषित है।
12. विपक्षी एक और दो का यह भी कथन है कि जैसे ही कथित घटना की सूचना बीमा कंपनी को मिली उसने अनुसन्धान अधिकारी मामले को अनुसन्धान करने के लिए नियुक्त कर दिया, उसके बाद अभिलेख एवं अनुसंधानकर्ता का प्रतिवेदन के अवलोकन के पश्चात शिकायतकर्ता को निबंधन डाक से यह सूचित कर दिया था कि उसके दावे का फाइल बंद कर दिया गया है क्यूंकि कथित चोरी की तिथि को ड्राइविंग लाइसेंस प्रभावी नहीं था।
13. विपक्षी एक और दो का यह भी कथन है कि कथित चोरी की घटना की तिथि को ड्राइविंग लाइसेंस प्रभावी नहीं था। यह जिला परिवाहन पदाधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र से साबित हो जाता है।
14. विपक्षी एक और दो का यह भी कथन है कि चूँकि शिकायतकर्ता ने बीमा पॉलिसी के शर्तों का उल्ल्घन किया इस कारण वह किसी प्रकार के दावा का अधिकारी नहीं है शिकायतकर्ता द्वारा दिया गया अधिवक्ता नोटिस का प्रतिउत्तर विपक्षी एक एवं दो के अधिवक्ता द्वारा दिया गया है। शिकायतकर्ता द्वारा लाया गया यह दावा न्यायोचित नहीं है और निरस्त होने योग्य है।
अतः शिकायतकर्ता का यह दावा खर्चा सहित निरस्त करने की कृपा करें।
15. विपक्षी एक एवं दो ने अपने कथन के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनक्सचर-A जो कि द न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा शिकायतकर्ता को दिया गया सूचना के ड्राइविंग लाइसेंस कथित घटना की तिथि को प्रभावी नहीं रहने के कारण दावा के संचिका को बंद कर दिया गया, एनक्सचर-B चालक मो० पप्पू आलम के ड्राइविंग लाइसेंस का जिला परिवाहन पदाधिकारी द्वारा सत्यापन जिसमें स्पष्ट है कि उक्त लाइसेंस दि० 25.09.2014 से 24.09.2017 तक प्रभावी था। मौखिक साक्ष्य के रूप में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में शिकायतकर्ता राकेश कुमार यादव का यादव का शपथ पत्र परीक्षण तथा प्रतिपरीक्षण कराया तथा विपक्षी ने सत्यता की कसौटी पर आकलन करने के लिए उसका प्रतिपरीक्षण किया।
16. विपक्षी एक एवं दो द्वारा मौखिक साक्षी के रूप में किसी साक्षी का परिक्षण नहीं कराया।
17. उभयपक्षों के तर्क को सुना तथा अभिलेख का अबलोकन किया शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों से इस बात की पुष्टि हो जाती हैं कि उसने आर०के० ऑटोमोबाइल से एक वाहन जिसका इंजन नंबर RIL2051034 चेचिस नंबर 2FNL419358 की खरीद किया उक्त वाहन पंजाब नेशनल बैंक से कर्ज लेकर ख़रीदा था, प्रश्नगत वाहन पंजाब नेशनल बैंक को हइपोथीकेटेड था। निबंधन के पश्चात उक्त वाहन का नंबर BR07P5439 पड़ा था, शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य एनक्सचर- 9 से इस बात की पुष्टि हो जाती है, उक्त वाहन द न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा बीमित था जिसका पॉलिसी नंबर 54050531130100005378 था जो कि दि० 19.12.2013 से 18.12.2014 तक की अवधि में बीमित था, बीमा की धनराशि 121600 रु० थी बीमा क़िस्त 4499 रु० प्रति वर्ष था। शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल एनक्सचर-3 एवं एनक्सचर-3/A से भी इस बात की पुष्टि हो जाती है कि प्रश्नगत वाहन की चोरी दि० 23.06.2014 की रात्रि में हो जाती है। केस के निबंधन के पश्चात् ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी थाना ने केस नंबर 133/14 दि० 26.06.2014 दर्ज किया तथा अनुसन्धान के पश्चात् अंतिम प्रतिवेदन मो० संजुर आलम उर्फ़ पप्पू को अभियुक्त बनाते हुए समर्पित किया लेकिन प्रश्नगत वाहन को वरामद नहीं किया गया। शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल एनक्सचर-2,एनक्सचर-2/A से इस बात की संभावना को बल मिलता है कि शिकायतकर्ता राकेश कुमार यादव के पैर की हड्डी टूटी गयी थी जिसका उपचार डी०एम०सी०एच० तथा पारस हॉस्पिटल में हुआ, शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल चिकत्सीय प्रमाण से इस बात के प्रमाण को बल मिलता है कि वह पूर्व में स्वस्थ था तथा उसने प्रश्नगत वाहन को अपने जीविकोपार्जन के लिए ख़रीदा था तथा स्वयं चलता था उसके द्वारा प्रश्नगत वाहन को व्यपारिक उपयोग के लिए प्रयोग में नहीं लाया गया। विकलांग हो जाने के बबाद वह प्रश्नगत वाहन को चालक से चलवाता था उक्त वाहन का रोड पे चलाने का परमिट था इसकी पुष्टि एनक्सचर-10 से हो जाती है।
18. विपक्षी एक और दो द्वारा शिकायतकर्ता के दावा को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया गया कि कथित घटना की तिथि को ड्राइविंग लाइसेंस प्रभावी नहीं था। इस सन्दर्भ में शिकायतकर्ता ने स्पष्ट किया कि उसके द्वारा यह दावा वाहन के चोरी का लाया गया है, गाड़ी चलाते समय सड़क पर दुर्घटना का नहीं लाया गया ऐसी स्थिति में ड्राइविंग लाइसेंस के प्रभावी रहने या नहीं रहने से शिकायतकर्ता के दावा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वैसे भी शिकायतकर्ता के ड्राइविंग लाइसेंस नंबर BR0702120019479 के अवलोकन से स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता राकेश कुमार यादव का ड्राइविंग लाइसेंस दि० 22.06.2012 से 02.02.2026 तक वैध था। ऐसी स्थिति में विपक्षी एक और दो के इस दावे में कोई बल नहीं है अपितु कथित घटना की तिथि दि० 23.06.2014 को प्रश्नगत वाहन बीमित था तथा प्रश्नगत वाहन के मालिक जो कि शिकायतकर्ता है उसका ड्राइविंग लाइसेंस प्रभावी था। ऐसी स्थिति में विपक्षी का यह तर्क न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। परिवादी का ड्राइविंग लाइसेंस दुर्घटना की तिथि को प्रभावी नहीं था। विपक्षी का यह तर्क आधारहीन है जिसके द्वारा उसने शिकायतकर्ता के दावा की संचिका को बंद कर दिया। विपक्षीगण द्वारा दाखिल एनक्सचर-A आधारहीन तथा सत्य से परे है विपक्षी द्वारा दाखिल एनक्सचर-B जो कि चालक के ड्राइविंग लाइसेंस से सम्बंधित है जब उक्त वाहन कि चोरी मकान के परिसर में रखे रहने के दौरान हो गया था और प्रश्नगत वाहन उस समय सड़क पर नहीं चल रहा था ऐसी स्थिति में यदि चालक का ड्राइविंग लाइसेंस उस तिथि को यदि वैध नहीं था तो शिकायतकर्ता के दावा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता विपक्षी द्वारा दाखिल एनक्सचर-B जो कि जिला परिवाहन पदाधिकारी द्वारा मो० पप्पू आलम चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के सत्यापन के सम्बन्ध में है उसकी कोई उपयोगिता मामले में नहीं रह जाती प्रश्नगत वाहन चोरी हो गया इसकी सुचना मिलने के बाद शिकायतकर्ता उसकी खोजबीन किया जब वह नहीं मिला तो उसने थाना में दि० 26.06.2014 को केस दर्ज कराया प्रश्नगत वाहन की चोरी दि० 23.06.2014 को रात्रि में हो गया था इसकी पुष्टि एनक्सचर-3 से हो जाती है शिकायतकर्ता ने प्रश्नगत वाहन के चोरी के सम्बन्ध में शाखा प्रबंध पंजाब नेशनल बैंक कोठिया दरभंगा को लिखित आवेदन दिया शिकायतकर्ता के इस कथन की पुष्टि प्रदर्श-4 से हो जाती है। शिकायतकर्ता ने बीमा कंपनी में दावा फॉर्म भरकर दिया तथा दावा फॉर्म देने में विलंब होने का कारण लिखते हुए आवेदन दिया इसकी पुष्टि एनक्सचर-6 से हो जाती है इससे स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता ने दावा फॉर्म बीमा कंपनी में जमा किया था जो उसने विलंब से दिया था लेकिन उसने विलंब का स्पष्टीकरण भी एनक्सचर-6 में स्पष्ट कर दिया विपक्षी तीन पंजाब नेशनल बैंक कोठिया शाखा दरभंगा मामले में उपस्थित नहीं हुआ उसके विरुद्ध एकपक्षीय सुनवाई किया गया। शिकायतकर्ता द्वारा अभिलेख पर जो साक्ष्य लाया गया उसमें विपक्षी सं० 3 की संलिप्तता इस मामले में कहीं प्रतीत नहीं होती, शिकायतकर्ता ने विपक्षी तीन से किसी प्रकार के अनुतोष मिलने की बात भी नहीं कहा विपक्षी तीन एक वित्तीय संस्थान है जिससे कर्ज लेकर शिकायतकर्ता ने प्रश्नगत वाहन ख़रीदा था तथा प्रश्नगत वाहन विपक्षी सं० 3 को हइपोथीकेटेड था चूँकि शिकायतकर्ता पर विपक्षी तीन का कर्ज देय था।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि शिकायतकर्ता राकेश कुमार यादव ने एक टेम्पो BR07P3734 पंजाब नेशनल बैंक से कर्ज लेकर ख़रीदा था शिकायतकर्ता एक बेरोजगार युवक था उसने स्वयं के एवं परिवार के भरन पोषण के लिए उक्त टेम्पो ख़रीदा था। शिकायतकर्ता के पास उस समय वैध ड्राइविंग लाइसेंस था, अचानक दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण शिकायतकर्ता विकलांग हो गया उसने प्रश्नगत वाहन को मो० संजुर आलम को चलाने को दिया जिससे कि शिकायतकर्ता को खर्चा मिल जाये वाहन का क़िस्त जमा होता रहे। दि० 23.06.2014 को उक्त वाहन चालक मो० संजुर आलम उर्फ़ पप्पू के आवास पर से गायब हो गया खोजबीन के बाद जब वाहन नहीं मिला तो शिकायतकर्ता ने विश्वविधालय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराया जो कि 133/14 तथा दि० 26.06.2014 है अनुसन्धान के पश्चात उक्त मामले में अनुसन्धान पदाधिकारी ने आरोप पत्र चालक मो० पप्पू के विरुद्ध दाखिल किया लेकिन प्रश्नगत वाहन बरामद नहीं हुआ शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य एनक्सचर-9 से यह साबित है कि प्रश्नगत वाहन दि० 19.12.2013 से 18.12.2014 तक बीमित था जबकि यह घटना दि० 23.06.2014 कि है इस प्रकार से घटना कि तिथि को वाहन बीमित था। शिकायतकर्ता ने इसकी सूचना पंजाब नेशनल बैंक को दिया तथा दावा फॉर्म बीमा कंपनी में दिया था, बीमा कंपनी ने दावा भरने में विलंब के लिए आवेदन देते हुए कारण स्पष्ट किया शिकायतकर्ता द्वारा जो दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है, उसमें स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता का ड्राइविंग लाइसेंस फरवरी 2026 तक वैध है ऐसी स्थिति में विपक्षी एक एवं दो द्वारा इस आधार पर कि घटना की तिथि को ड्राइविंग लाइसेंस प्रभावी नहीं था, असत्य प्रतीत होता है तथा शिकायतकर्ता को दावा भुगतान न किया जाय उसके लिए आधारहीन कारण विपक्षी एक एवं दो ने तलाशा विपक्षी एक एवं दो द्वारा दिया गया तर्क आधारहीन है ऐसी स्थिति में विपक्षी एक एवं दो को आदेश दिया जाता है कि 121600 रु० प्रश्नगत वाहन के बीमा की धनराशि वाहन के बीमा की धनराशि, शिकायतकर्ता को पहुंची मानसिक पीड़ा के लिए हर्जाना के रूप में 25000 रु० वाद खर्चा के रूप में 10000 रु० कुल 156000 रु० की धनराशि आदेश पारित होने के तीन महीना के अंदर शिकायतकर्ता को भुगतान कर दे ऐसी नहीं करने पर उपरोक्त धनराशि आदेश की तिथि से विपक्षी एक एवं दो से 8% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से विधिक प्रक्रिया द्वारा वसूला जाएगा।