जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 16/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
विनेाद कुमार सैनी पुत्र जगदीष प्रसाद सैनी जाति माली निवासी वार्ड नम्बर 14 नानूवाली बावडी तहसील खेतडी जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम0
दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय जालान भवन, कलेक्ट्रेट के सामने, सीकर जिला सीकर (राज.) - पिपक्षी।
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री मुर्करम अंसारी, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2. श्री लालबहादुर जैऩ, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 28.01.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 09.01.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी विनोद कुमार सैनी वाहन संख्या RJ-18 TA-1822 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 15.04.2013 से 14.04.2014 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन 20.05.2013 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण किया। परिवादी ने दिनांक 11.06.2013 को सर्वेयर के निर्देषानुसार गहलोत मोटर्स प्रा0 लि0, झुंझुनू में वाहन का रिपेयरिंग कार्य करवाया, जिस पर कुल 42,360/-रूपये का खर्चा हुआ। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन के साथ विपक्षी द्वारा वांछित समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये गये। दिनांक 31.01.2013 को विपक्षी के यहां से परिवादी के पास पंजिकृत डाक आई, जिसमें सूचित किया गया कि परिवादी के वाहन का परमिट दुर्घटना की तिथि को प्रभावी नहीं होने से क्लेम खारिज कर दिया गया है। परिवादी ने दिनांक 20.05.2013 को वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र प्राप्त होते ही डी.टी.ओ. आफिस झुंझुनू को परमिट के लिये आवेदन कर दिया, जो प्रमाण पत्र दिनांक 17.06.2013 को प्राप्त हुआ। परिवादी का वाहन यात्रा के दौरान दुर्घटना घटित नहीं हुई वरन घर के सामने खडे वाहन को किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी है। वक्त दुर्घटना परिवादी का वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। इसलिये विपक्षी द्वारा क्लेम देने में परमिट की आपति लिये जाने का कोई औचित्य नहीं है। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 42,360/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी ने अपने वाहन के सड़क पर चलते हुये के अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारना मोटर दावा प्रपत्र में अंकित किया है। इस संबंध में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई गई है। परिवादी द्वारा विपक्षी को सूचना दिये जाने पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन के नुकसान का आंकलन कर 29705/-रूपये 31 पैसे बताया। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परमिट का सत्यापन करवाने पर उक्त वाहन का परमिट दिनांक 17.06.2013 को जारी हुआ तथा परमिट दिनांक 17.06.2013 से 16.06.2018 तक की अवधि के लिये जारी वैध है। तथाकथित दुर्घटना दिनांक 20.05.2013 को होनी बताई गई है। इस प्रकार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। इस प्रकार पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने के कारण बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम निरस्त कर परिवादी को सूचित कर दिया गया। पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था, इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी का क्षतिपूर्ति राषि अदायगी के संबंध में कोई दायित्व आयद नहीं होता।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि वाहन संख्या आर.जे. 18 टी.ए. 1822 टेक्सी के रूप में पंजीकृत है, जिससे परिवादी लाभ कमाता है, जो वणिज्यक की श्रेणी में आता है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी की शाखा झुंझुनू को पक्षकार नहीं बनाया गया है। इसलिये यह परिवाद पत्र जिला मंच को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से परिवादी कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण के विवरण से यह स्पष्ट है कि परिवादी वाहन RJ-18 TA-1822 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 15.04.2013 से 14.04.2014 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
हस्तगत प्रकरण में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी का मुख्य तर्क यह रहा है कि पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने तर्को का समर्थन में निम्न न्यायदृष्टांत पेष किये-
I (2015) CPJ- 760 (NC) - UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS KISHORE SHARMA
IV (20005) CPJ- 115 (NC)- UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS CHARAM RAJ
पेष किये।
उपरोक्त न्यायदृष्टान्तों मे माननीय राष्ट्रीय आयोग द्धारा जो सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये हैं, उनसे हम पूर्ण रुप से सहमत हैं। उक्त न्यायदृष्टान्त हस्तगत प्रकरण पर पूर्णतया चस्पा होते हैं।
प्रकरण में प्रस्तुत विवरण से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने झुंझुनू में स्थित बीमा कम्पनी की शाखा को पक्षकार नहीं बनया है जो आवष्यक पक्षंकार है। परिवादी की ओर से वाहन का जो परमिट पेष किया गया है, वह दिनांक 17.06.2013 जारी हुआ है। दुर्घटना दिनांक 20.05.2013 को घटित हुई है। परमिट की फोटो प्रति परिवाद पत्र के साथ संलग्न है। इस प्रकार यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास जो परमिट था वह वैध एवं प्रभावी नहीं था। बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से विपक्षी बीमा कम्पनी का क्षतिपूर्ति राषि अदायगी के लिये किसी भी तरह से उत्तरदायित्व आयद नहीं होता है।
अतः उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद पत्र खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
निर्णय आज दिनांक 28.01.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।