Uttar Pradesh

StateCommission

A/437/2022

Ex. Engg Electricity Distribution Division II - Complainant(s)

Versus

Nem Singh - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

24 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/437/2022
( Date of Filing : 26 May 2022 )
(Arisen out of Order Dated 11/01/2022 in Case No. C/2016/64 of District Hathras)
 
1. Ex. Engg Electricity Distribution Division II
Hathras
...........Appellant(s)
Versus
1. Nem Singh
Hathras
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-437/2022

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद संख्‍या 64/2016 में पारित आदेश दिनांक 11.01.2022 के विरूद्ध)

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन-II, जिला हा‍थरस

                                  ........................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

नेम सिंह, पुत्र श्री विशम्‍भर सिंह, निवासी- ग्राम, अमरपुर-घना, तहसील सासनी, जिला हाथरस

                                 ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा अधिवक्‍ता के कनिष्‍ठ                         

                             सहायक अधिवक्‍ता श्री मनोज कुमार।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 24.11.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद संख्‍या-64/2016 नेमसिंह बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.01.2022 के विरूद्ध योजित की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद विरूद्ध विपक्षी सव्‍यय स्‍वीकारते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को इस निर्णय के एक माह के अंदर उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि मुबलिग 14893रू (रूपया चौदह हजार आठ सो तिरानवे मात्र) दिनांक 30.09.07 से अदायगी के दिनांक तक                7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित परिवादी को अदा करेगा। इसके साथ ही विपक्षी परिवादी को हुई मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए उसे मुबलिग 50000रू (रूपया पचास हजार मात्र) तथा वाद-व्‍यय के  रूप  में

 

 

-2-

मुबलिग 10000रू (रूपया दस हजार मात्र) भी अदा करेगा।

निर्धारित समयावधि में अदायगी नहीं किये जाने पर परिवादी इस सम्‍पूर्ण धनराशि पर वर्ष 2007 से 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित भुगतान प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।''

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा के कनिष्‍ठ सहायक अधिवक्‍ता श्री मनोज कुमार को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा               दिनांक 22.03.2005 को अपनी कृषि भूमि पर सिंचाई करने हेतु नलकूप लगवाने के लिए विपक्षी विद्युत विभाग से प्रार्थना पत्र स्‍वीकृत कराकर परिवादी द्वारा दिनांक 18.05.2005 को 125/-रू0, फरवरी 2007 में 210/-रू0, दिनांक 30.09.2007 को 1600/-रू0 तथा दिनांक 30.06.2007 को 12,858/-रू0 इस प्रकार कुल 14,893/-रू0 विपक्षी विद्युत विभाग में जमा किये। परिवादी द्वारा नलकूप की बोरिंग, कुंआ, मोटर खरीद, पाइप एवं कमरे के निर्माण आदि में 1,54,800/-रू0 व्‍यय किये, जिसमें से परिवादी द्वारा 1,00,000/-रू0 का ऋण लिया गया था, परन्‍तु विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा परिवादी का उक्‍त नलकूप संयोजन नहीं किया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी द्वारा कथन किया गया कि कालखंड में विभाग में नलकूप संयोजन निर्गत करने हेतु दो प्रकार की योजनायें संचालित थीं। इनमें प्रथम ‘सामान्‍य योजना’ तथा दूसरी ‘पूर्ण जमा योजना’। परिवादी द्वारा ‘सामान्‍य योजना’ के अन्‍तर्गत आवेदन दिया गया था, जिसे विभाग द्वारा दिनांक 22.03.2005 को स्‍वीकृत कर लाइन निर्माण हेतु उपखंड अधिकारी से प्राक्‍कलन कराकर परिवादी को नियम व शर्तें जारी की गयी। इन शर्तों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 30.09.2007 को 14,458/-रू0 जमा किया गया तथा अन्‍य औपचारिकतायें पूर्ण की। तत्‍पश्‍चात् परिवादी का नाम वरीयता रजिस्‍टर में अंकित किया गया। उ0प्र0 शासन द्वारा भूगर्भ जल अत्‍यधिक  नीचे  चले

 

 

-3-

जाने के कारण वर्ष 2007 में सादाबाद, सहपऊ व सासनी ब्‍लाक को ‘डार्कजोन’ घोषित कर इन ब्‍लाकों में नवीन नलकूप संयोजन निर्गत करने पर प्रतिबन्‍ध लगा दिया गया तथा इसी कारण वर्ष 2007 के बाद इन ब्‍लाकों हेतु सामान्‍य योजना का लक्ष्‍य प्राप्‍त नहीं हुआ। अत: परिवादी को सामान्‍य योजना के अनुरूप संयोजन निर्गत नहीं किया जा सका।

विपक्षी का कथन है कि यदि परिवादी को वास्‍तव में नलकूप संयोजन की आवश्‍यकता थी तथा सामान्‍य योजना के अंतर्गत शासन से लक्ष्‍य प्राप्‍त नहीं हो पा रहा था तो परिवादी इस संयोजन को ‘पूर्ण जमा योजना’ में परिवर्तित कराकर, अवशेष धनराशि जमा कर संयोजन प्राप्‍त कर सकता था, परन्‍तु परिवादी द्वारा ऐसा नहीं करने के कारण उसे संयोजन निर्गत करने में विद्युत विभाग का कोई दोष नहीं है।

विपक्षी का कथन है कि उ0प्र0 सरकार द्वारा जनवरी 2018 में जनपद हाथरस के सभी ब्‍लाकों से ‘डार्क जोन’ के आदेश वापस ले लिये हैं तथा नलकूप संयोजनों पर लगी रोक हटा ली गयी है। परिवादी यदि संयोजन लेना चाहता है तो वह आवेदन प्रस्‍तुत कर, अपनी नियम व शर्तों में संशोधन कराकर, अवशेष धनराशि जमा कर संयोजन प्राप्‍त करने की कार्यवाही कर सकता था। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में बिन्‍दुवार सभी तथ्‍यों की विस्‍तृत रूप से विवेचना करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी, जो ग्रामीण परिवेश का व्‍यक्ति है, यदि विपक्षी द्वारा बताये जा रहे आधारों पर उसका संयोजन नहीं हो सकता था, तब परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि को वापस करने का विधिक व नैतिक दायित्‍व विपक्षी का था, जो उसकी मांग के बाद भी दीर्घ अवधि तक पूरा नहीं किया गया, जो विपक्षी की सेवा में कमी की गम्‍भीर चूक को सिद्ध करता है। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश पारित किया गया।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा  पारित  निर्णय  एवं

 

 

-4-

आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, न ही अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा पीठ के सम्‍मुख किसी प्रकार के साक्ष्‍य अथवा अपने कथन के समर्थन में कोई ऐसी बात बतायी जा सकी, जिससे जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार की कोई कमी दृष्टिगत होती हो, अतएव, प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                          अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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