Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2032

Hari Prakash - Complainant(s)

Versus

Nehru Gram Bharti Deem University - Opp.Party(s)

Self

17 Jul 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2032
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Hari Prakash
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nehru Gram Bharti Deem University
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Jul 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2032/2013

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 06/12 में पारित निर्णय दिनांक 18.07.13 के विरूद्ध)

श्री हरी प्रकाश अधिवक्‍ता पुत्र श्री मुन्‍नी लाल यादव, ग्राम कटका

पो0-झूंसी, जनपद इलाहाबाद।                         .........अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

1. कुलपति नेहरू ग्राम भारतीय डीम्‍ड वि0वि0, 104 एफ/3 मालवीय

रोड, जार्ज टाउन, इलाहाबाद उ0प्र0।

2. अध्‍यक्ष/चान्‍सलर नेहरू ग्राम भारतीय डीम्‍ड वि0वि0, 104 एफ/3

मालवीय रोड, जार्ज टाउन, इलाहाबाद उ0प्र0।           ......प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री महेश चंद्र, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री हरी प्रकाश स्‍वयं उपस्थित।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :कोई नहीं।

दिनांक 30.08.2017

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 06/12 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 18.07.2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है। जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

      '' परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशत: आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वे इस आदेश के 2 माह के अंतर्गत परिवादी को रू. 12300/- विभिन्‍न मद में वसूल की गई फीस 8 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक वापस करे। परिवादी विपक्षीगण से रू. 2000/- क्षतिपूर्ति व रू. 1000/- वाद व्‍यय भी प्राप्‍त करने का अधिकारी है।''

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी नेहरू ग्राम भारतीय डीम्‍ड विश्‍वविद्यालय द्वारा विज्ञापन के क्रम में सत्र 2010-11 में संचालित होने वाली एल.एल.एम. के पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु आवेदन किया। परिवादी ने रू. 700/- का प्रवेश हेतु फार्म खरीदा था, जिसे भरकर दि. 30.04.10 को प्रत्‍यर्थी के प्रशासनिक कार्यालय

 

-2-

में जमा किया गया। परिवादी प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुआ और प्रवेश हेतु उसे सफल घोषित किया गया। परिवादी/अपीलार्थी ने काउन्सिलिंग शुल्‍क जमा करके दि. 29.07.10 को एल.एल.एम. दो वर्षीय सेमेस्‍टर आधारित पाठ्यक्रम में रू. 11000/- शुल्‍क जमा करके प्रवेश लिया था। परिवादी ने उक्‍त पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद इसके प्रथम सेमेस्‍टर की पढ़ाई पूरी की तथा प्रथम सेमेस्‍टर की परीक्षा हेतु परीक्षा शुल्‍क जमा किया और वह परीक्षा के उपरांत प्रथम सेमेस्‍टर में उत्‍तीर्ण रहा। परिवादी/अपीलार्थी ने एलएलएम के‍ द्वितीय सेमेस्‍टर में प्रवेश हेतु प्रत्‍यर्थी के कार्यालय पहुंचा तब उसे अवगत हुआ कि प्रत्‍यर्थी बिना यूजीसी की मान्‍यता से एल.एल.एम. कोर्स चला रहा है। परिवादी ने सत्र 2010-11 से संचालित एलएलएम की डिग्री कोर्स की मान्‍यता के संबंध में सितम्‍बर 2011 में आरटीआई के द्वारा यूजीसी से सूचना मांगी तो उसे ज्ञात हुआ कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी यूजीसी से बिना अनुमति प्राप्‍त किए हुए डिग्री कोर्स संचालित कर रहा है। इससे परिवादी को मानसिक पीड़ा, यातना व आर्थिक हानि हुई।

      जिला मंच के समक्ष जैसाकि जिला मंच ने अपने निर्णय के प्रस्‍तर-3  में भी अंकित किया है कि विपक्षी की ओर से दि. 06.02.12 को विपक्षी का एक प्रतिनिधि उपस्थित आया। मौका हेतु प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन उसके बाद न तो विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित हुआ और न ही कोई उत्‍तर पत्र दाखिल है, अत: विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई।

पीठ ने अपीलार्थी हरी प्रकाश की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।      

      अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में यह कहा है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी अवैधानिक तरीके से एल.एल.एम. का डिग्री कोर्स संचालित कर रहा था। जिला मंच ने यह माना है कि विपक्षी/प्रत्‍यर्थी का कृत्‍य सेवा में कमी के अंतर्गत आता है, लेकिन जिला मंच ने केवल रू. 2000/- क्षतिपूर्ति दिलाई है, जबकि उसका कीमती 1 वर्ष बर्बाद हुआ और भौतिक उत्‍पीड़न हुआ, अत: जिला मंच ने जो क्षतिपूर्ति दिलाई है उसे बढ़ाया जाए। अपीलार्थी द्वारा तर्क के दौरान यह कहा गया कि जिला मंच ने जो क्षतिपूर्ति दिलाई है वह कम है और उसे बढ़ाकर रू. 460900/- कर दिया जाए।

      पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों से यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी डीम्‍ड

 

-3-

विश्‍वविद्यालय को विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एल.एल.बी और एल.एल.एम. कोर्स चलाने के लिए कोई अनुमति प्रदान नहीं की गई थी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी द्वारा बाद में इन कोर्स को चलाने के लिए एक्‍स पोस्‍ट फैक्‍टो एप्रूवल के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया, परन्‍तु पत्रावली से यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि यूजीसी ने एक्‍स पोस्‍ट फैक्‍टो एप्रूवल विपक्षी/प्रत्‍यर्थी को दिया या नहीं। इस प्रकार यह सिद्ध है कि विपक्षी/प्रत्‍यर्थी द्वारा बिना यूजीसी की पूर्व स्‍वीकृति के एलएलएम कोर्स के संचालन के लिए विज्ञापन दिया और छात्रों ने उसमें प्रवेश भी लिया। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाई और उसके द्वारा अनियमित तरीके से फीस व अन्‍य शुल्‍क प्राप्‍त किए। पीठ जिला मंच के इस निष्‍कर्ष से सहमत है कि विपक्षीगण द्वारा बिना अनुमति के एलएलएम में प्रवेश लेकर व उससे फीस जमा कराकर सेवा में कमी की है। जहां तक क्षतिपूर्ति का प्रश्‍न है क्षतिपूर्ति कल्‍पना पर आधारित नहीं हो सकती है। अपीलार्थी ने कोई ऐसा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो कि मांगी गई क्षतिपूर्ति और इसके आकलन का आधार क्‍या है1 जिला मंच ने उसके द्वारा जमा की गई संपूर्ण फीस को 8 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित दिलाया है, जो न्‍यायोचित है, हम जिला मंच के आदेश में कोई त्रुटि नहीं पाते हैं और जिला मंच का आदेश पुष्‍ट किए जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 18.07.13 की पुष्टि की जाती है।

      उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।    

 

 

        (राज कमल गुप्‍ता)                               (महेश चंद्र)

         पीठासीन सदस्‍य                                   सदस्‍य

राकेश, आशुलिपिक

      कोर्ट-5 

 

 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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