सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 2155/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या- 43/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11-09-2015 के विरूद्ध)
श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 E-8, EPIP, RIICO इण्डस्ट्रियल एरिया, सीतापुर, जयपुर (राजस्थान) 302022 ब्रांच आफिस 16, चिन्तल हाउस, स्टेशन रोड, लखनऊ द्वारा मैनेजर।
अपीलार्थी
बनाम
नेमत हुसैन, पुत्र श्री सौलत हुसैन, निवासी- मेसर्स कोर्ट शर्की तहसील व जिला संभल।
प्रत्यर्थी
अपील संख्या- 2066/2015
नेमत हुसैन, पुत्र श्री सौलत हुसैन, निवासी- मेसर्स कोर्ट शर्की तहसील व जिला संभल।
अपीलार्थी
बनाम
श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, कार्यालय ए-6 गांधी नगर, द्धितीय तल, रामपुर रोड, मुरादाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक।
प्रत्यर्थी
समक्ष:-
माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री दिनेश कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता श्री एस०पी० पाण्डेय
दिनांक:.24-08-2021
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माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, परिवाद संख्या– 43 सन् 2014 नेमत हुसैन बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, मुरादाबाद द्वारा पारित आदेश दिनांक 11-09-2015 के विरूद्ध धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवादी का परिवाद स्वीकृत किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि विपक्षी इस आदेश से एक माह के अन्दर उक्त बीमित क्षतिग्रस्त ट्रक के बीमे के संबंध में उपरोक्तानुसार अंकन 14,25,703/-रू० की धनराशि मय 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज वाद प्रस्तुत करने की तिथि से तावक्त वसूलयावी तथा अंकन 15,000/-रू० मानसिक क्षतिपूर्ति एवं अंकन 5000/-रू० परिवाद व्यय, ट्रक की फाइनेंस कम्पनी के लोन (यदि कोई हो) की अदायगी हेतु परिवादी के ऋण खाते में समायोजित करें। परिवादी उक्त क्षतिग्रस्त ट्रक का साल्वेज विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराएं। "
जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 ने उपरोक्त अपील संख्या-2155/2015 श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 बनाम नेमत हुसैन एवं परिवाद के परिवादी ने अपील संख्या- 2066/2015 नेमत हुसैन बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 प्रस्तुत की है।
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दोनों अपीलें जिला आयोग के एक ही निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार उपस्थित आए हैं। परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस०पी० पाण्डेय उपस्थित हुए हैं।
हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
दोनों अपीलों के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी ट्रक संख्या- यू०पी० 21ए एन-2059 का पंजीकृत स्वामी है जिसका बीमा अपीलार्थी बीमा कम्पनी से रू० 15,00740/- हेतु दिनांक 13-11-2013 से दिनांक- 12-11-2014 तक की अवधि के लिए किया गया था। बीमा अवधि में ही दिनांक 09-03-2014 को उक्त ट्रक मूढापाण्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे ट्रक में आग लग गयी जिसकी सूचना ट्रक चालक शाहदाव खां ने थाना मूढापाण्डे को दी और परिवादी ने मौके पर पहॅुचकर विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी जिस पर विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने दुर्घटना स्थल पर पहुंचकर स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण के उपरान्त सर्वेयर ने बताया कि उक्त ट्रक पूर्णत: जल चुका है, मरम्मत करने योग्य नहीं है और परिवादी पूर्ण बीमा धनराशि पाने का अधिकारी है। परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादी ने अपने क्लेम के भुगतान हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वांछित समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने के उपरान्त समस्त वांछित प्रपत्र बीमा कम्पनी के समक्ष उपलब्ध कराए।
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परन्तु दिनांक 16-06-2014 को विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा क्लेम देने से इन्कार कर दिया। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला आयोग के समक्ष बीमा कम्पनी ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है जिसमें कथन किया कि परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है तथा असत्य कथनों के आधार पर परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी ने उक्त ट्रक ऋण लेकर खरीदा था और वाहन हाइपोथिकेशन है इसलिए फाइनेंसर आवश्यक पक्षकार हैं, जिसे पक्षकार नहीं बनाया गया है। लिखित कथन में विपक्षी बीमा कम्पनी ने कहा है कि परिवादी ने आवश्यक कागजात बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं कराए हैं जिसके सम्बन्ध में दिनांक 11-04-2014 दिनांक- 24-04-2014 एवं दिनांक 10-06-2014 को पत्र भी लिखे गये और समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने के लिए कहा गया। परन्तु परिवादी द्वारा आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की गयी। इसलिए उसका दावा नो क्लेम किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने लिखित कथन में यह भी कहा है कि वाहन को हुई क्षति का आकलन 4,50,000/-रू० कैश लॉस बेसिस पर किया गया था। बीमा कम्पनी उक्त क्षति की राशि परिवादी को अदा करने के लिए तैयार है परन्तु, परिवादी द्वारा आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण न करने के कारण धनराशि अदा नहीं की गयी।
जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथनों पर विचार करने के उपरान्त आक्षेपित आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा समस्त आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की गयीं, इसलिए उसका दावा नो क्लेम किया गया।
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बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि क्षति का आकलन 4,50,000/-रू० कैशलेस बेसिस पर किया गया था जिसे विपक्षी बीमा कम्पनी औपचारिकताएं पूर्ण करने पर देने के लिए तैयार है। विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा जो भी स्टीमेट प्राप्त कराया गया था वह अधिकृत डीलर द्वारा मान्य नहीं था।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश उचित एवं विधि सम्मत है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने बीमित धनराशि अदा न कर सेवा में कमी की है।
हमने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया है।
हमने पत्रावली पर उपलब्ध सर्वेयर श्री रमेश कुमार हसीजा द्वारा प्रस्तुत सर्वे रिपोर्ट का परिशीलन किया। उक्त रिपोर्ट के अनुसार आर०सी०, डी०एल०, इश्योरेंश, रोड टैक्स परिमिट और फिटनेस की प्रति परिवादी द्वारा सर्वेयर को उपलब्ध करायी गयी है। सर्वेयर ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत स्टीमेट पर कोई आपत्ति नहीं उठायी है। सर्वेयर की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि प्रश्नगत वाहन का इंजन भी पूर्ण रूप से जल चुका है लेकिन सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट में नये इंजन को क्रय करने के सम्बन्ध में कोई धनराशि नहीं दी गयी। सर्वेयर रिपोर्ट में कई समानों को नॉट एलाउड लिखा है लेकिन इसका कारण अंकित नहीं किया गया है जिसके कारण सर्वे रिपोर्ट त्रुटिपूर्ण प्रतीत होती है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया गया जिसमें बीमित धनराशि 15,10,740/- के स्थान पर
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जिला आयोग ने अपने निर्णय एवं आदेश में 15,00,740/-रू० अंकित किया तथा परिवाद में पक्षकार के रूप में फाइनेंसर स्थापित नहीं किया था फिर भी बीमित धनराशि को परिवादी के ऋण खाते में समायोजित करने हेतु आदेश पारित किया है।
हमने विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत विधि व्यवस्था एवं जिला आयोग द्वारा अपने निर्णय में दी गयी विधि व्यवस्था का भी अवलोकन किया है जिसके उपरान्त हमारी राय में अपील संख्या- 2155/2015 श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 बनाम नेमत हुसैन निरस्त होने योग्य है तथा अपील संख्या– 2066/2015 आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील संख्या- 2155/2015 श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 बनाम नेमत हुसैन निरस्त की जाती है तथा अपील संख्या– 2066/2015 आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि बीमित धनराशि 15,00,740/- रू० के स्थान पर 15,10,740/- रू० किया जाता है। जिला आयोग के शेष आदेश की पुष्टि की जाती है। समस्त धनराशि की अदायगी परिवादी को की जाएगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (गोवर्धन यादव)
सदस्य सदस्य
कृष्णा- आशु०
कोर्ट नं० 2