(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1108/2011
M/S Aditya Techno Bikes
Versus
Neha Tiwari D/O Sri. Vijay Bahadur Tiwari & ors.
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संजय कुमार वर्मा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :14.12.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद सं0 105/2009, नेहा तिवारी व अन्य बनाम फर्म आदित्य टेक्नो वाइकर मे विद्धान जिला आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.02.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी द्वारा क्रय किये गये वाहन (बाइक) के वारण्टी पीरियड में खराब होने के कारण इस वाहन की कीमत 10 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
- परिवादी का कथन है कि विपक्षी सं0 1 से दिनांक 18.04.2008 को अंकन 32,000/-रू0 में 01 वर्ष की गारण्टी के साथ एक बाइक क्रय की थी, जो जून 2008 में खराब हो गयी, जिसकी मरम्मत विपक्षी सं0 1 द्वारा की गयी, परंतु बाइक ठीक नहीं हुई। विपक्षी सं0 1 को 09.03.2009 को एक नोटिस भी भेजी गयी।
- जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष अपीलार्थी उपस्थित नहीं हुआ, जबकि निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि दिनांक 24.03.2009 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी। तदनुसार दिनांक 26.06.2009 को जिला उपभोक्ता मंच ने तामील पर्याप्त मानने का निष्कर्ष दिया था, इसलिए अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क ग्राह्य नहीं हो सकता कि उन्हें कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई थी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 104 की व्यवस्था के अनुसार इस उल्लेख के संबंध में यह उपधारणा की जा सकती है कि यह समुचित न्याय प्रक्रिया के दौरान आदेशित किया गया है, यानि अपीलार्थी पर पंजीकृत डाक से तामील प्रेषित की गयी थी और पंजीकृत डाक वापस न लौटाने पर तामील की उपधारणा की गयी थी, परंतु परिवाद में वर्णित तथ्य का कोई खण्डन अपीलार्थी की ओर से नहीं किया गया। परिवादी द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र का भी कोई खण्डन अपीलार्थी की ओर से नहीं किया गया है, इसलिए अखण्डनीय साक्ष्य के आधार पर यह निष्कर्ष दिया गया है कि वाहन क्रय करने के पश्चात से ही खराब था, जिसकी कीमत वापस लौटाने के लिए आदेशित किया गया है। इस निष्कर्ष को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है, सिवाय इसके कि ब्याज राशि 10 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की दर अदा किया जाना न्यायसंगत है। इस राशि को अदा करने के लिए डीलर तथा निर्माता कम्पनी दोनों संयुक्त रूप से उत्तरदायी होंगे।
-
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि ब्याज की देयता 10 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की दर से देय होगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3