Uttar Pradesh

StateCommission

A/1578/2023

Managing Director/Competent Authority Okinawa Auto Tec Pvt. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Neeraj Sharma & Others - Opp.Party(s)

Sooraj Rai & Rahul Kumar

12 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1578/2023
( Date of Filing : 19 Sep 2023 )
(Arisen out of Order Dated 02/01/2023 in Case No. Complaint Case No. CC/94/2020 of District Agra-I)
 
1. Managing Director/Competent Authority Okinawa Auto Tec Pvt. Ltd.
Unit No. 651-654 6th Floor, J.M.D.Megapoles, Sec-48, Sohana Road, Gurugram, Harayana
...........Appellant(s)
Versus
1. Neeraj Sharma & Others
R/O Village & Post-Patholi, Dist.-Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1578/2023

मैनेजिंग डायरेक्‍टर/ सक्षम अधिकारी, ओकीनावा आटोटेक प्रा0लि0, यूनिट नं0-651-654 छठवां तल, जे0एम0डी0 मेगापोल्‍स, सेक्‍टर-48 सोहना रोड, गुड़गॉव हरियाणा।

..............अपीलार्थी

बनाम

नीरज शर्मा पुत्र श्री पहुप सिंह शर्मा, निवासी ग्राम व पोस्‍ट पथोली, जिला आगरा व दो अन्‍य

.............प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री सूरज राय

प्रत्‍यर्थी/परिवादी स्‍वयं          : श्री नीरज शर्मा (व्‍यक्तिगत)

प्रत्‍यर्थी सं0-2 व 3 के अधिवक्‍ता  : कोई नहीं।

दिनांक :- 12.9.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद सं0-94/2020 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.01.2023 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा

कम्पनी के अधिकृत डीलर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 बिहारी जी, ई0 वी0 एस0 आगरा से 65,430/- रूपये में एक ओकीनावा प्रेज स्कूटर क्रय किया गया था एवं कम्पनी द्वारा उपरोक्‍त स्कूटर की बैटरी, चार्जर मोटर आदि पर एक साल की वारंटी दी गयी थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उक्त स्‍कूटर के प्रयोग करने पर करीब 10 माह बाद स्कूटर में लगी 06 बैटरियॉ खराब हो गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने उक्त स्कूटर को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-3 चावला इन्टरप्राइजेज अधिकृत सर्विस सेंटर पर

-2-

स्कूटर की बैटरी बदलने के लिए कहा गया, तो वहाँ बताया कि बैटरी पर अंकित नम्बर व बिल पर नम्बर मेल नहीं खाते हैं। तत्पश्चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा डीलर से सम्पर्क किया और उन्होंने अपनी भूल सुधार की तथा बैटरी पर सही नम्बर अंकित किया, लेकिन इसके बाबजूद भी उसके स्कूटर में लगी बैटरी नहीं बदली गयी, जिसके कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने स्कूटर का प्रयोग भी नहीं कर सका।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उपभोक्ता आयोग के हैल्प लाइन पर भी शिकायत की गई, जिसका शिकायत नं0-2323861 है, किन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण कोई ध्‍यान नहीं दिया गया, तत्पश्चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को प्रेषित किया गया, इसके बाबजूद भी उसके स्कूटर की बैटरियॉ नहीं बदली गयी और न ही विधिक नोटिस का जबाब ही दिया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि परिवाद गलत तथ्‍यों के आधार पर प्रस्‍तुत किया गया है तथा परिवादी को कोई वाद का कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। यह भी कथन किया गया कि कम्पनी द्वारा स्कूटर की बैटरी निर्धारित स्टैण्डर्ड के साथ निर्मित की गयी हैं और परीक्षण उपरान्त स्कूटर में लगायी गयी हैं तथा वारंटी सेवा शर्तों के अनुसार दी गयी थी, जिनका प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पालन नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

अन्‍य प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख कोई उपस्थित नहीं हुआ न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अन्‍य प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

-3-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

"परिवादी का परिवाद प्रतिपक्षीगण के विरूद्व एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है तथा प्रतिपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय के दिनांक से 45 दिन के अन्दर क्रय किये गये स्कूटर की समस्त बैट्ररी बदल कर, स्कूटर चालू हालत में करें। यदि प्रतिपक्षीगण द्वारा ऐसा करने में असफल रहते हैं तो विकल्प के रूप में प्रतिपक्षीगण से परिवादी स्कूटर की कीमत 65430/- रूपये (पैंसठ हजार चार सौ तीस रूपये) एवं परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज वास्तविक तिथि के भुगतान तक, प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त परिवादी, प्रतिपक्षीगण से मानसिक पीड़ा के मद में 20,000/- (बीस हजार रूपये) व वाद व्यय के रूप में 10,000 /- रूपये (दस हजार रूपये) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय/आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि प्राप्त करके प्रतिपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से अनुपालनार्थ अविलम्ब भेजना सुनिश्चित करे।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथनों के आधार पर निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो कि अनुचित है।

 

 

-4-

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन की बैटरी में आई खराबी को साबित नहीं किया जा सका है, न ही किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट ही बैटरी की खराबी के संबंध में प्रस्‍तुत की गई है।

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत स्‍कूटर के प्रयोग में असावधानी बरती गई है, जिसके कारण प्रश्‍नगत स्‍कूटर की बैटरियॉ को क्षतिग्रस्‍त हुई। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा मात्र अपीलार्थी को परेशान करने व उसकी क्षवि को धूमिल करने की नियत से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित एकपक्षीय निर्णय/आदेश को अपास्‍त कर अपील को स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की गई।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है। यह भी कथन किया गया चूंकि प्रश्‍नगत वाहन एवं बैटरियों पर एक वर्ष की वारण्‍टी दी गई थी अत्एव खराब बैटरियों को बदलने की सम्‍पूर्ण जिम्‍मेदारी अपीलार्थी की है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के अधिवक्‍ता तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्‍तुत मामले में चूंकि प्रश्‍नगत वाहन 06 बैटरियॉ वारण्‍टी की अवधि में ही खराब हुई हैं तथा उपरोक्‍त बैटरियों के संबंध में एक वर्ष की वारण्‍टी कम्‍पनी द्वारा प्रदान की गई थी अत्एव उपरोक्‍त बैटरियों की कमियों को दूर करने अथवा उनको बदलने की जिम्‍मेदारी

-5-

विपक्षीगण/अपीलार्थी की हैं और उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में विस्‍तृत व्‍याख्‍या विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में की गई है, जो कि मेरे विचार से पूर्णत: विधि सम्‍मत है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                               

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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