Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/1298

Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Nawal Singh - Opp.Party(s)

Isar Hussain

21 Sep 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/1298
( Date of Filing : 07 Jul 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nawal Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Sep 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1298/2008

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा अधिशासी अभियंता

बनाम              

नवल सिंह पुत्र श्री अमर सिंह

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 21.9.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय आगरा द्वारा परिवाद सं0-81/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.5.2008 के विरूद्ध योजित की गई है।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 26.5.2008 पूर्णत: अविधिक है जिसके द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/ विद्युत विभाग द्वारा की गई चैकिंग रिपोर्ट 17/2488 दिनांक 04.02.2005 को निरस्‍त किया गया विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि चैकिंग रिपोर्ट के निरस्‍तीकरण का अधिकार जिला उपभोक्‍ता आयोग को विधि के अनुसार नहीं है जिस हेतु अलग से विधि व्‍यवस्‍था है अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग का निर्णय/आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा उनके कथन पर प्रथम दृष्‍टया बल पाया जाता है,

-2-

तद्नुसार उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए बिना किसी गुणदोष पर विचार करते हुए प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-81/2006  में पारित आदेश दिनांक 26.5.2008 अपास्‍त किया जाता है तथा प्रकरण सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को ऊपर उल्लिखित अपीलार्थी के कथन को दृष्टिगत रखते हुए प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग उपरोक्‍त परिवाद सं0-81/2006 को अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित कर अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा किये गये उल्‍लेख/कथन को दृष्टिगत रखने हेतु पुन: परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्‍तारण, इस आदेश की प्राप्ति से 06 माह की अवधि में बिना किसी पक्ष को स्‍थगन प्रदान करते हुए करना सुनिश्चित करें।

इस आदेश की प्राप्ति से उभय पक्ष के अधिवक्‍तागण को इस आदेश की सूचना दो सप्‍ताह की अवधि में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्राप्‍त करायी जावे।

  प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                  (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                            अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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