Uttar Pradesh

StateCommission

A/1828/2017

Manager Bulbul Cold Storage Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Nawab Singh - Opp.Party(s)

J.P. Saxena

06 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1828/2017
( Date of Filing : 10 Oct 2017 )
(Arisen out of Order Dated 31/08/2016 in Case No. C/10/2015 of District Kannauj)
 
1. Manager Bulbul Cold Storage Pvt Ltd
Kannauj
...........Appellant(s)
Versus
1. Nawab Singh
Kannauj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Jul 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (सुरक्षित)

अपील सं0- 1828/2017

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,  कन्‍नौज द्वारा परिवाद सं0- 10/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31.08.2016 के विरुद्ध)                                                                                                                   

Manager, Bulbul Cold Storage Private Limited, Ramashram, Malikpur Post Malikpur, District Kannauj.

                                                      ……..Appellant

 

Versus

 

Nawab Singh son of Shri Gendalal R/o Village Samiyamau Post Bhainsiyapur District Kannauj.

                                                                                                                 ………Respondent     

 

 

समक्ष:-

   माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जे0पी0 सक्‍सेना, विद्वान अधिवक्‍ता।                           

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  :  कोई नहीं।  

                             

दिनांक:- 21.08.2023

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

            परिवाद सं0- 10/2015 नवाब सिंह बनाम प्रबंधक, बुलबुल कोल्‍ड स्‍टोरेज प्राइवेट लिमिटेड में जिला उपभोक्‍ता आयोग, कन्‍नौज द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 31.08.2016 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

            विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश के माध्‍यम से परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है:-

            ‘’परिवादी का परिवाद मुवलिग 34,600/- आलू के मूल्‍य व 5,000/- मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के लिये एवं 2,000/- वाद व्‍यय हेतु स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी से परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक 5.2.15 से आलू के मूल्‍य मुवलिग 34,600/- पर, धनराशि की वसूली होने तक की अवधि के लिये, 06 प्रतिशत वार्षिक साधरण ब्‍याज भी प्राप्‍त करेगा। विपक्षी आदेश प्राप्ति के एक माह में भुगतान करना सुनिश्चित करें।‘’

            प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद पत्र में कथन इस प्रकार है कि उसने अपने निजी खेतों में आलू पैदा करके अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज में लाट सं0- 5462 कुल 70 पैकेट दि0 15.01.2013 व 5518 कुल पैकेट 74 दि0 17.01.2013 तथा 5093 कुल पैकेट 70 दि0 13.01.2013 को भण्‍डारित किये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा लाट सं0- 5518/74 से 25 पैकेट दि0 15.10.2013 को निकाले गये। शेष 189 पैकेट कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित रहे, जिनकी बाबत प्रत्‍यर्थी/परिवादी कई बार उक्‍त कोल्‍ड स्‍टोरेज में गया तथा प्रबंधक महोदय से मिला, परन्‍तु प्रबंधक प्रत्‍यर्थी/परिवादी से बराबर यही कहते रहे कि आलू बेच दिया है तथा बाजार भाव के अनुसार उसकी कीमत तुम्‍हें अदा की जायेगी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी पूर्व से ही उक्‍त कोल्‍ड स्‍टोरेज में अपने आलू का भण्‍डारण करता चला आया, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी प्रबंधक के आश्‍वासन के आधार पर कायम रहा तथा भण्‍डारित आलू का भण्‍डारण शुल्‍क जमा कर दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी कई बार अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज गया और प्रबंधक से मिला तथा भण्‍डारित आलू के विक्रीत मूल्‍य का हिसाब-किताब व तकाजा बाबत रूपया प्राप्‍त करने हेतु कहा। प्रबंधक बराबर हीला-हवाली करते रहे और न तो भण्‍डारित आलू दिया तथा न ही विक्रीत मूल्‍य दिया, बल्कि कोल्‍ड स्‍टोरेज के कर्मचारियों के माध्‍यम से जानकारी हुई कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू प्रबंधक ने बिक्री कर दिया। लगभग एक वर्ष का समय निकल जाने के बाद जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा भण्‍डारित आलू की कीमत प्राप्‍त नहीं हुई तब उसने दि0 03.12.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी को नोटिस इस आशय का दिया कि उसके 189 पैकेट आलू जिनका वजन 100 कुन्‍तल है तथा तत्‍कालीन विक्रीत मूल्‍य 1200/-रू0 प्रति कुन्‍तल रहा के अनुसार 1,20,000/-रू0 दो सप्‍ताह में भुगतान कर देवें, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उक्‍त नोटिस का भी कोई जवाब प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज का शुल्‍क जमा कर देने के बाद भी उसका भण्‍डारित आलू न दिया जाना अपीलार्थी/विपक्षी की घोर अनियमितता व लापरवाही है, जिससे व्‍यथित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

            अपीलार्थी/विपक्षी पर नोटिस की तामील होने के बाद भी उसकी ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया।

            अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि अपीलार्थी/विपक्षी को इस परिवाद के सम्‍बन्‍ध में कोई नोटिस प्राप्‍त नहीं हुई थी जिस कारण वे परिवाद में अपना पक्ष नहीं रख सके तथा इस प्रकार उन्‍हें अपना पक्ष रखने का कोई अवसर प्राप्‍त नहीं हुआ था।

            अपील के मेमो में यह कथन किया गया है कि परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिन आलू के पैकेट का अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखना बताया है उसके अतिरिक्‍त भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आलू के पैकेट कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे थे जिसका विवरण मेमो आफ अपील के प्रस्‍तर 4 में दिया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी का कथन यह भी है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे गये 797 आलू के पैकेट आलू वापस ले लिया गया था जिसके गेटपास कोल्‍ड स्‍टोरेज को सौंप दिये गये थे। उक्‍त प्रदान किये गये आलू के पैकेटों का विवरण तथा गेटपास का विवरण मेमो आफ अपील के प्रस्‍तर 05 में दिया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी का कथन यह है कि इस प्रकार आलू के पैकेट हस्‍तगत करने के उपरांत दोनों पक्षों के मध्‍य आलू सम्‍बन्‍धी खातों का निस्‍तारण कर दिया गया था तथा वर्ष 2013 में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा किये गये समस्‍त आलुओं का हिसाब-किताब दि0 29.12.2013 तक कर दिया गया था। वर्ष 2014 में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा रू0 10,000/- का ऋण दि0 13.02.2014 को लिया गया था। इसके अतिरिक्‍त एक हजार पैकेट बारदाना जिसका मूल्‍य रू0 18,000/- था। दि0 20.02.2014 को रू0 50,000/- का ऋण लिया गया। इसके उपरांत दि0 13.03.2014 को रू0 20,000/- का ऋण लिया गया। कुल मिलाकर दि0 16.11.2014 को रू0 1,22,639/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर बकाया हो गया था, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने केवल 36,499/-रू0 की अदायगी की तथा शेष रू0 64,140/-रू0 उस पर बकाया रह गया था जिसके सम्‍बन्‍ध में सभी प्रपत्र अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत किये गये हैं जो संलग्‍नक 14 लगायत संलग्‍नक 19 अपील के मेमो के साथ संलग्‍न हैं। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किये गये ताक पट्टियों की छायाप्रतियों पर विश्‍वास करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किये गये 797 आलू के पैकेट में से 189 पैकेट वापस करना बाकी रह गये थे। इसके अतिरिक्‍त विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह निष्‍कर्ष भी गलत दिया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से कथित आलू का मूल्‍य रू0 36,400/- था। इन आधारों पर अपील स्‍वीकार किये जाने एवं प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।      

            हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जे0पी0 सक्‍सेना को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

            परिवाद पत्र के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने लाट सं0- 5462 से 70 पैकेट, लाट सं0- 5518 से 74 पैकेट आलू तथा लाट सं0- 5093 से 70 पैकेट आलुओं के जमा किये जाने का कथन किया गया है जिसमें इस प्रकार कुल 214 पैकेट आलू वर्ष 2013 में जमा किये जाने का वर्णन किया है तथा यह कहा है कि 25 पैकेट आलू उसके द्वारा दि0 15.10.2013 को निकाले गये हैं तथा 189 पैकेट आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज में बाकी रह गया था।

            अपीलार्थी/विपक्षी का कथन इस प्रकार है कि उसके द्वारा उक्‍त प्रश्‍नगत आलुओं की वापसी करते हुये प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा किये गये आलुओं के गेटपास आलुओं को प्राप्‍त करके पुन: प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान कर दिये थे जिनकी छायाप्रतियां अभिलेख पर हैं जिससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि गेटपास अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज को हस्‍तगत करने के उपरांत आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्राप्‍त कर लिये थे। लाट सं0- 5093 के 70 पैकेट तथा लाट सं0- 5518 के 74 पैकेट की रसीद/गेटपास मेमो आफ अपील के संलग्‍नक 5 के रूप में प्रस्‍तुत की गई है जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादी नवाब सिंह के हस्‍ताक्षर दि0 15.10.2013 परिलक्षित होते हैं। इस रसीद में यह भी अंकित है कि लाट सं0- 5518 के 74 पैकेट में से 49 पैकेट खराब निकले थे, शेष 25 पैकेट परिवादी को वापस कर दिये गये थे।

            इसी प्रकार गेटपास दिनांकित 14.10.2013 की प्रतिलिपि संलग्‍नक 06 के रूप में मेमो आफ अपील में लगायी गई है जिसके अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि इस पर नवाब सिंह के हस्‍ताक्षर दि0 15.10.2013 के हैं। इस रसीद/गेटपास से लाट सं0- 5462 के 70 पैकेट का प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस दिया जाना परिलक्षित होता है। इन गेटपासों का अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज के पास होना यह दर्शाता है कि यह आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान कर दिया गया था, अन्‍यथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज में जमा करते समय उसे दिया गया गेट पास वापस कोल्‍ड स्‍टोरेज के कब्‍जे में नहीं होता।

            इस सम्‍बन्‍ध में उ0प्र0 रेगूलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 की धारा 19 का उल्‍लेख करना उचित होगा। जो निम्‍नलिखित प्रकार से है:-

            (1). “Every licensee shall on demand made by or on behalf of the hirer, deliver the goods stored in the cold storage, provided the hirer surrenders the receipt and pays all charges due to the licensee.

            (2). Every receipt so surrendered to the licensee shall be defaced and shall not be reissued.

            (3). Subject to an agreement between the parties, the hirer may, may take partial delivery of the goods stored in a cold storage and in every such case, the licensee shall make necessary endorsement on the receipt and return it to the hirer.”

            उपरोक्‍त प्रावधानों के अनुसार कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू रखने वाला व्‍यक्ति सभी देयकों को देने के उपरांत रसीद को लाइसेंसी अर्थात कोल्‍ड स्‍टोरेज को प्रदान कर देगा। उक्‍त प्रावधान में यह भी दिया गया है कि आंशिक डिलीवरी  दिये जाने पर उक्‍त रसीद पर इस आशय का नोट लिख दिया जायेगा तथा रसीद पुन: किसान (उपभोक्‍ता) को वापस कर दी जायेगी। अधिनियम की धारा 19 से यह स्‍पष्‍ट होता है कि यदि रसीद अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंसी अर्थात कोल्‍ड स्‍टोरेज वह अधिकार में रहती है तो यह स्‍वत: ही मानना उचित है कि प्रश्‍नगत रखे गये माल की डिलीवरी वापस आलू रखने वाले व्‍यक्ति को मिल गया है। प्रस्‍तुत मामले में उक्‍त रसीदें अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा प्रस्‍तुत की गई है जिससे इस तथ्‍य को बल मिलता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उक्‍त आलुओं को वापस प्राप्‍त कर लिया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी का यह तर्क उचित है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे हुये आलुओं को वापस प्राप्‍त कर लिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के इस तर्क में बल प्रतीत नहीं होता है कि आलू की वापसी बकाया है और इस कारण वे आलू की धनराशि प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उक्‍त आलुओं को प्राप्‍त न किये जाने के आधार पर उक्‍त आलुओं की धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलवाया है जो उचित प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य एवं अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।    

                               आदेश 

            अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 31.08.2016 अपास्‍त किया जाता है।

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाये।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।      

 

       (विकास सक्‍सेना)                                 (राजेन्‍द्र सिंह)

           सदस्‍य                                         सदस्‍य

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

     (विकास सक्‍सेना)                                 (राजेन्‍द्र सिंह)

         सदस्‍य                                         सदस्‍य

     

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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