Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/1034

Kisan Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Nawab Singh - Opp.Party(s)

M H Khan

02 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/1034
( Date of Filing : 21 May 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Kisan Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nawab Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Mar 2022
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1034/2012

किसान कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री, जी.टी. रोड, भोगांव, जिला मैनपुरी, द्वारा मैनेजर अहमद अली पुत्र आशिक अली।

                             अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

नवाब सिंह पुत्र तेज सिंह, निवासी जमौरा, तहसील भोगांव, जिला मैनपुरी।

                         प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय डा0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से          :श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थी की ओर से            :श्री ओ0पी0 दुबेल, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:  02.03.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                 परिवाद संख्‍या-53/2005, नवाब सिंह बनाम प्रबन्‍धक, किसान कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 16.05.2006 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 21.05.2012 को देरी से योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद एक पक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि वह परिवादी को अंकन 26,000/- रूपये मय 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज अदा करें तथा अंकन 500/- रूपये परिवाद व्‍यय भी अदा करें।

2.         दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

3.         प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बहस की गई है कि परिवाद में निर्णय दिनांक 16.05.2006 को पारित किया गया। इस निर्णय

-2-

के पारित होने के पश्‍चात जिला फोरम के समक्ष निर्णय अपास्‍त कर गुणदोष पर सुनवाई के लिए आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, जो दिनांक 11.04.2012 को खारिज हुआ, इसके पश्‍चात दिनांक 21.05.2012 को अपील प्रस्‍तुत की गई। देरी माफ करने के लिए जो आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, उस आवेदन में उल्‍लेख है कि निष्‍पादन कार्यवाही की सूचना दिनांक 19.07.2011 को प्राप्‍त हुई। परिवाद के लम्‍बन की सूचना कभी भी प्राप्‍त नहीं हुई, इसलिए रेस्‍टोरेशन आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, जबकि रेस्‍टोरेशन आवेदन प्रस्‍तुत करने का कोई विधिसम्‍मत आधार नहीं था। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि चूंकि एक तरफा सुनवाई की गई थी, इसलिए एक तरफा सुनवाई के आदेश को अपास्‍त करने के लिए आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, इसलिए 06 वर्ष की अवधि के पश्‍चात अपील प्रस्‍तुत करने के बावजूद देरी माफ होने योग्‍य है।

4.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर हाउसिंग बोर्ड हरियाणा बनाम हाउसिंग बोर्ड कालोनी वेलफेयर एसोसिएशन तथा अन्‍य III (1995) CPJ 28 (SC) प्रस्‍तुत की गई, जिसमें यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि अपील के समय की गणना करने के उद्देश्‍य से केवल यह पर्याप्‍त नहीं है कि खुले न्‍यायालय में निर्णय सुना दिया जाए, अपितु यह भी आवश्‍यक है कि इस निर्णय की नि:शुल्‍क सूचना पक्षकारों को दी जाए। इस केस के तथ्‍यों के अवलोकन से यह जाहिर होता है कि दिनांक 22.10.1992 को निर्णय खुले न्‍यायालय में सुनाया गया और निर्णय पर हस्‍ताक्षर करने से पूर्व ही अध्‍यक्ष अवकाश पर चले गए, इसलिए निर्णय की प्रति अपीलार्थी को उपलब्‍ध नहीं हो सकी। निर्णय की प्रति दिनांक 03.11.1992 को प्राप्‍त हो सकी। अत: दिनांक 30.10.1992 से एक माह के अन्‍दर प्रस्‍तुत की गई है। उपरोक्‍त केस के तथ्‍य प्रस्‍तुत केस  के  तथ्‍यों  से  पूर्णत:  भिन्‍न हैं। प्रस्‍तुत केस की स्थिति यह है कि

-3-

अपीलार्थी के विरूद्ध एक तरफा निर्णय पारित किया गया है। एक तरफा निर्णय पारित होने के पश्‍चात निष्‍पादन कार्यवाही प्रारम्‍भ की गई। अपीलार्थी को निष्‍पादन की सूचना प्राप्‍त हुई। इस सूचना की प्राप्ति के पश्‍चात अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करने के बजाय एक तरफा निर्णय को अपास्‍त करने का आवेदन प्रस्‍तुत किया गया। इस आवेदन के निस्‍तारण में एक वर्ष से अधिक का समय व्‍य‍तीत हुआ। इस आवेदन के खारिज होने के पश्‍चात अपील प्रस्‍तुत की गई है। अत: प्रश्‍न यह उठता है कि क्‍या अपीलार्थी को उस समय की छूट प्रदान की जा सकती है, जो समय एक तरफा निर्णय को अपास्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किए गए आवेदन के निस्‍तारण में व्‍यतीत हुआ। किसी न्‍यायालय/ट्रिब्‍यूनल/मंच के समक्ष सदभावनापूर्वक संचालित किसी कार्यवाही की अवधि की गणना करने में मर्यादा अधिनियम की धारा 12 के प्रावधान के अनुसार शामिल नहीं किया जा सकता, परन्‍तु यह कार्यवाही सदभावनापूर्वक होनी चाहिए। जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय को अपास्‍त कराने के लिए जिला फोरम के समक्ष आवेदन प्रस्‍तुत करने की कोई व्‍यवस्‍था उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत मौजूद नहीं है। जिला फोरम के समक्ष परिवाद की स्‍वीकृति पर निस्‍तारण की प्रक्रिया अधिनियम की धारा 13 के अन्‍तर्गत दी गई है तथा निस्‍तारित करते समय जो आदेश पारित किया जा सकते हैं, उनका उल्‍लेख अधिनियम की धारा 14 में किया गया है। इस अधिनियम की धारा 15 के अन्‍तर्गत व्‍यवस्‍था दी गई है कि जिला फोरम द्वारा पारित किए गए किसी आदेश से व्‍यथित हुआ व्‍यक्ति इस आदेश की तारीख से 30 दिन की अवधि के अन्‍दर आदेश के विरूद्ध अपील करेगा। इस अधिनियम के अन्‍तर्गत इस प्रकार की कोई व्‍यवस्‍था मौजूद नहीं है कि जिला मंच द्वारा पारित किसी आदेश को अपास्‍त कराने के लिए मंच के समक्ष  कोई  आवेदन  प्रस्‍तुत  किया  जाए,  इसलिए अपीलार्थी द्वारा जो

-4-

कार्यवाही जिला फोरम के समक्ष अपनाई गई, उस कार्यवाही को सदभावनापूर्वक कार्यवाही नहीं माना जा सकता, इसलिए इस अवधि को समयावधि की गणना से बाहर नहीं रखा जा सकता। यदि उपरोक्‍त नजीर के आलोक में यह माना जाए कि अपीलार्थी को निर्णय पारित होने की सूचना नहीं दी गई और केवल निष्‍पादन की कार्यवाही में भेजी गई नोटिस से निर्णय की जानकारी हुई तब भी अपीलार्थी को यह जानकारी दिनाक 19.07.2011 को हो चुकी थी। दिनांक 19.07.2011 के बाद अपीलार्थी द्वारा जो समय जिला फोरम के समक्ष व्‍य‍तीत किया गया, उस समय को समयावधि की गणना से बाहर नहीं रखा जा सकता, इसलिए अपील समयावधि से बाधित है। तदनुसार अपील इसी आधार पर खारिज होने योग्‍य है।

 

आदेश

5.             प्रस्‍तुत अपील समयावधि से बाधित होने के कारण खारिज की जाती है।

             उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुशील कुमार)                       (डा0 आभा गुप्‍ता)

सदस्‍य                                सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA]
MEMBER
 

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