Rajasthan

Ajmer

CC/371/2013

NARESH KUMAWAT - Complainant(s)

Versus

NAVRANG ELECTRONIC - Opp.Party(s)

ADV PRAYAGDHER HARIT

12 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/371/2013
 
1. NARESH KUMAWAT
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. NAVRANG ELECTRONIC
KISHANGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

नरेष कुमावत पुत्र श्री किषनलाल कुमावत, निवासी-गांधी बालनिकेतन के पास, षिवाजी नगर, मदनगंज-किषनगढ, अजमेर । 

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

1ण् छंअतंदह म्समबजतवदपब जीतवनही च्तवचतपमजवतए ।रउमत त्वंकए डंकंदहंदर.ज्ञपेींदहंतीए क्पेजज. ।रउमतण्

2ण्   प्रभारी अधिकारी(एचटीसी मोबाईल सर्विस सेन्टर)  त्मकपदहजवद प्दकपं स्जक;श्रंपचनतद्ध ए थ्. 46 ठ थ्पतेज थ्सववतए त्ंउमेी डंतहए ब्. ैबीमउमए श्रंपचनतए त्ंरंेजींद ण्
 
3ण् डंदंहपदह ।नजीवतपजलए ठतपहीज चवपदज प्दकपं च्तपअंजम स्जकण् त्ठ.92ए9जी
थ्सववतएभ्पउंसंलं भ्वनेमए 23 ज्ञण्ळण् डंतहए छमू क्मसीप.110001
                                              -       अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 371/2013  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री प्रयागधर हरित, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री ओम नारायण पालड़िया,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 12.07.2016
 
 1.          प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने अप्रार्थी संख्या 1  से एक मोबाईल हैड सैट भ्ज्ब् क्मेपतम ब् ब्लैक दिनांक 2.11.2012 को रू. 12,300/- में क्रय किया । उक्त सैट में क्रय किए जाने के दो माह बाद  त्रुटि उत्पन्न होने लगी यथा-  मोबाईल को चार्ज करते समय और इस पर कोई फोन आने पर पूरी स्क्रीन तेज गर्म होकर डार्क ब्लैक हो जाती थी ।  इसकी षिकायत अप्रार्थी संख्या 1 से किए जाने पर उसने  सैट जयपुर भेजने की कहते हुए अपने पास रख लिया ।  सात दिन बाद  अप्रार्थी संख्या 1 ने  मोबाईल ठीक हो जाने की कहते हुए लौटा दिया, किन्तु 8-10 दिन पुनः वहीं खराबी होने पर उसने फिर अप्रार्थी संख्या 1 को हैण्ड सैट  दुरूस्ती हेतु दिया । जिसे भी पहले की तरह  8 दिन बाद यह कहते हुए लौटा दिया कि मोबाईल पूर्णतया ठीक हो गया है ।  किन्तु तीसरी बार 5-7 दिन बाद ही उक्त मोबाईल पुनः खराब हो गया तो उसने फिर अप्रार्थी संख्या 1 से सम्पर्क किया  तो उसने इस बार मोबाईल ठीक कराने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि  कम्पनी का उक्त सर्विस सेन्टर मोबाईल सही ढंग से ठीक करके अथवा बदलकर नया हैण्ड सैट नहीं दे रहा है तो वह कुछ नहीं कर सकता । तत्पष्चात् प्रार्थी  स्वयं के खर्चे पर अप्रार्थी संख्या 2 के यहां जयपुर गया और उन्हें मोबाईल बदल कर देने का निवेदन किया  जिसे अप्रार्थी संख्या 2 ने  अपने पास यह कहते हुए रख लिया कि वे अप्रार्थी संख्या 3 कम्पनी से वार्ता कर समस्या का समाधान निकालेगें । तब तक मोबाईल को दुरूस्ती हेतु अपने पास रख लिया । करीब 15 दिन तक कोई  सूचना प्राप्त नहीं होने पर प्रार्थी पुनः दिनंाक 8.4.2013 को जयपुर अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया । किन्तु उन्होने मोबाईल दुरूस्त करके नहीं दिया  और उसका मोबाईल परिवाद पेष किए जाने तक भी उन्हीं के पास है । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थी संख्या 1 ने  जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत मोबाईल क्रय किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  प्रार्थी को विक्रय करते समय दिया गया हैण्ड सैट पूर्णतया सही था । हैण्ड सेट का खराब होने व सही रहना उसके रख रखाव पर निर्भर करता है ।  प्रार्थी ने जब भी सैट के संबंध में षिकायत की , उसे दुरूस्ती हेतु सर्विस सेन्टर पर भेज दिया गया ।  प्रार्थी  स्वयं  ही अपनी मर्जी से जयपुर सर्विस सेन्टर पर सैट देेने गया  था । उत्तरदाता  का कथन है कि प्रार्थी का मोबाईल बिल्कुल ठीक है जो कि वह नहीं लेना चाहता है । जबकि उसके एवज में वह राषि प्राप्त करना चाहता है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री सूरज मुनानी,मालिक का षपथपत्र पेष हुआ है ।  
3.    अप्रार्थी संख्या  2 ने जवाब में दर्षाया है कि  प्रार्थी ने हैण्डसैट के निर्माता को पक्षकार नहीं बनाया है, इसलिए परिवाद आवष्यक पक्षकारों के असंयोजन के कारण सरसरी तौर पर खारिज किए जाने योग्य है ।  उत्तरदाता कम्पनी एचटीसी कम्पनी द्वारा निर्मित हैण्डसैट की सेवा प्रदाता कम्पनियों में से एक है  और वह वारण्टी अवधि में  हैण्ड सैट की मरम्मत की सेवा प्रदान करती है ।  प्रार्थी के हैण्डसैट को समय समय पर देख गया और प्रत्येक बार हार्डवेयर की समस्या  पाई गई  जिसकी दुरूस्ती हेतु  फ्लेक्सट्रोनिक कम्पनी को आवष्यक मरम्मत हेतु भिजवा दिया गया  जिन्होने हर मर्तबा प्रष्नगत हैण्ड सेट की मरम्मत की । हैण्ड सैट सही होने पर अप्रार्थी संख्या 1 को सुपुर्द कर दिया गया ।  प्रार्थी उत्तरदाता सर्विस सेन्टर पर आया और नेटवर्क की समस्या बताते हुए हैण्डसैट की कीमत मांगने लगा । किन्तु उत्तरदाता ने उक्त हैण्डसेट फ्लेक्सट्रोनिक कम्पनी को आवष्यक मरम्मत हेतु भिजवा दिया।  जिसे उन्होने पूर्णतया ठीक कर दिया।  किन्तु प्रार्थी ने उक्त हैण्ड सैट की सुपुर्दगी लेने से इन्कार कर दिया  और उसकी कीमत मांगने लगा जो उसके अधिकार क्षेत्र में नही ंथा । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में दीपक मालपुरिया, लेखा कार्यकारी का षपथपत्र पेष किया है । 
4.    अप्रार्थी  संख्या - 3 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी के विरूद्व दिनांक 6.3.2014  को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । 
5.    पक्षकारान ने  अपने अभिवचनों में  परिवाद व उसके प्रतिउत्तर में  अंकित तथ्यों को ही तर्को के रूप में प्रस्तुत किया है । प्रार्थी का प्रमुख रूप से यह तर्क रहा है कि उसने जो अप्रार्थी संख्या 1 से प्रष्नगत हैण्ड सैट क्रय किया उसने अप्रार्थी संख्या 2 से 3 बार  दुरूस्त करवाया  और जब सैट दुरूस्त नहीं हुआ तो वह अपने खर्चे पर अप्रार्थी के सर्विस सेन्टर जयपुर गया  और उसने सैट ठीक करने हेतु उन्हें दिया । किन्तु आज तक भी उसे हैण्ड सैट दुरूस्त करके नहीं लौटाया है ।  अप्रार्थीगण ने उपरोक्त तर्को का खडन करते हुए बताया कि जब जब भी प्रार्थी के प्रष्नगत हैण्ड सैट की  षिकायत प्राप्त होती उसे दुरूस्त कर दिया जाता था । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । 6.    पक्षकारान के अभिवचनों से यह  तथ्य उभर कर सामने आया है कि प्रार्थी का प्रष्नगत हैण्ड सैट  बार बार खराब हुआ  और उसे हर बार दुरूस्त किया गया  इससे यह  बात तो सिद्व है कि प्रष्नगत हैण्ड सैट त्रुटिपूर्ण था ।  ऐसी स्थिति में यह आपत्ति गौण हो जाती है कि निर्माता कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाने से परिवाद पक्षकार के कुसंयोजन के कारण निरस्त होने योग्य है । इसके अलावा उक्त हैण्ट सैट का बार बार खराब होना व ठीक होना  भी अप्रार्थीगण की सेवा में कमी का परिचायक है । अप्रार्थीगण की बहस के दौरान यह  भी स्वीकारोक्ति रही है कि प्रष्नगत हैण्ड सैट का निर्माण बन्द हो गया है । लिहाजा ऐसी स्थिति में  प्रष्नगत हैण्ड सैट को  दुरूस्त करवा कर प्रार्थी को दिलवाने का कोई औचित्य अब नहीं रह जाता है ।  मंच की राय में प्रार्थी हैण्ड सेट की कीमत प्राप्त करने का अधिकारी है । प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                          :ः- आदेष:ः-
7.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थीगण से संयुक्त व पृथक पृथक रूप से दिनांक 2.11.2012 को क्रय किए गए हैण्ड सैट  भ्ज्ब् क्मेपतम ब् ब्लैक  की राषि रू. 12,300/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
      (2)       प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
     (3)    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संयुक्त व पृथक पृथक रूप से  प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 12.07.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

  

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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