View 2030 Cases Against Electronic
SUNIL KUMAR DRIVEDI filed a consumer case on 24 Feb 2015 against NAVIN ELECTRONIC in the Koriya Consumer Court. The case no is CC/14/57 and the judgment uploaded on 10 Mar 2015.
आदेश
( आज दिनांक 24.02.2015 को पारित )
द्वाराः- बी.एस.सलाम- अध्यक्ष
01. परिवादी ने सेवा में कमी का अभिकथन करते हुये यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा- 12 के अंतर्गत विरोधी पक्षकार से पृथक-पृथक रूप से रेफ्रिजरेटर की पूर्ण राषि रूपये 12,500/- (बारह हजार पांच सौ रूपये) एवं मानिसक पीड़ा की क्षतिपूर्ति के तौर पर रूपये 10,000/- (दस हजार रूपये) हर्जाना दिलाये जाने तथा उपरोक्त राषि की अदायगी तक उपरोक्त राषि पर 12 प्रतिषत वार्षिक की दर से ब्याज एवं अन्य अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
02. परिवादी का परिवाद संक्षेप मंे इस प्रकार है कि परिवादी ने विरोधी पक्षकार के प्रतिष्ठान से दिनांक 30.10.2010 को एल.जी. कंपनी का रेफ्रिजरेटर जिसका सीरियल क्रमांक 315 है अपने घरेलू उपयोग हेतु रूपये 12,500/- (बारह हजार पांच सौ रूपये ) में क्रय किया था। जिसे विरोधी पक्षकार द्वारा 06 वर्ष की वारंटी प्रदान की गयी थी। उपरोक्त रेफ्रिजरेटर प्रारंभ से ही ठीक प्रकार से काम नहीं कर रहा था जिसकी षिकायत परिवादी द्वारा विरोधी पक्षकार को की जाती रही है परन्तु उपरोक्त षिकायत पर कोई भी ध्यान न देने के कारण 20 दिन के पष्चात् उक्त रेफ्रिजरेटर से बर्फ जमना बंद हो गया जिसकी षिकायत परिवादी द्वारा विरोधी पक्षकार को दी गई जिसे आपके द्वारा मैकेनिक भेजकर सुधार कार्य करवाया गया तथा कुछ दिन पष्चात् उक्त रेफ्रिजरेटर का कम्प्रेषर काम करना बंद कर दिया जिसे मैकेनिक भेजकर दिनांक 16.07.2013 को कम्प्रेषर को बदल दिया गया उसके पष्चात् भी उक्त रेफ्रिजरेटर में खराबी आ गई जिसकी षिकायत
परिवादी द्वारा विरोधी पक्षकार के प्रतिष्ठान में जाकर की गई। इस प्रकार से उक्त रेफ्रिजरेटर खरीदी दिनांक से 3-4 बार रेफ्रिजरेटर की सुधार कार्य करवाया जा चुका है।
उपरोक्त रेफ्रिजरेटर सुधार के पष्चात् लगभग 01 माह तक ठीक कार्य करता रहा परन्तु एक माह पष्चात् पुनः खराबी आ गई जिसकी षिकायत करने पर विरोधी पक्षकार द्वारा कंपनी के सर्विस इंजीनियर द्वारा सुधरवाया गया लेकिन उक्त रेफ्रिजरेटर में किसी प्रकार का सुधार नहीं आया तथा दिनांक 03.08.2014 को रेफ्रिजरेटर पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया। परिवादी द्वारा अपनी तथा अपने परिवादी के स्वास्थ्य को ठीक रखने तथा ताजी खाद्य वस्तुओं के उद्देष्य से उपरोक्त रेफ्रिजरेटर दिनांक 30.10.2010 को विरोधी पक्षकार के प्रतिष्ठान से क्रय किया था जो कि प्रारंभ से ही ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा था। परिणामतः जिसे परिवादी विरोधी पक्षकार के प्रतिष्ठान के मैकेनिक से 4-5 बार सुधार कार्य करवा चुका है। वर्तमान में भी उक्त रेफ्रिजरेटर खराब पड़ा है। परिवादी उक्त रेफ्रिजरेटर परिवार की सुख सुविधा के लिये क्रय किया था परन्तु सुविधा के स्थान क्रय दिनांक से ही असुविधा हो रही है।
परिवादी द्वारा उपरोक्त षिकायत के पष्चात् भी जब विरोधी पक्षकार द्वारा रेफ्रिजरेटर में कोई सुधार कार्य नहीं किया गया तब परिवादी ने दिनांक 31.07.14 को लिखित षिकायत दर्ज करायी षिकायत पष्चात् भी विरोधी पक्षकार द्वारा किसी प्रकार का सुधार कार्य नहीं किये जाने पर दिनांक 29.08.14 को अधिवक्ता के माध्यम से विधिक सूचना पत्र प्रेषित किया, सचूना पत्र प्राप्त होने के बाद भी अधिवक्ता से विरोधी पक्षकार द्वारा दूरभाष पर उक्त रेफ्रिजरेटर सुधार करने का आष्वासन दिया लेकिन किसी प्रकार का सुधार कार्य नहीं किया गया। अतः परिवादी ने यह परिवाद इस फोरम के आर्थिक एवं स्थानीय क्षेत्राधिकार में होने से विरोधी पक्षकार के विरूद्व सेवा में कमी का अभिकथन करते हुये प्रस्तुत किया है।
03. विरोधी पक्षकार ने परिवादी के अभिवचनों का विरोध करते हुये जवाबदावा में यह अभिवचन किया है कि विरोधी पक्षकार इलेक्ट्रानिक समान विक्रय करने की दुकान चलाता है न कि किसी ब्राण्ड का निर्माता है। सामान निर्माण करने वाली कंपनी ही वारण्टी/गारण्टी अपने समान की देती है विरोधी पक्षकार केवल समानों का विक्रय करते हैं। अतः यह आवेदन पत्र वारण्टी/गारण्टी के लिये है जो कि निर्माता कंपनी से संबंधित होने के कारण विरोधी पक्षकार को आवेदन पत्र से पृथक कर आवेदन पत्र निरस्त किया जावे।
कंपनी के द्वारा परिवादी के द्वारा क्रय की गई रेफ्रिजरेटर की वारण्टी अवधि 1़4 वर्ष की है। जिसे निर्माता कंपनी निर्धारित करती है। कंपनी के द्वारा ही परिवादी के षिकायत पर परिवादी के रेफ्रिजरेटर की सुधार की गई है इसमें विरोधी पक्षकार किसी भी प्रकार से सामिल नहीं है। विरोधी पक्षकार स्वयं निर्माता कंपनी के सर्विस इंजीनियर पर निर्भर रहता है क्यों कि भारत सरकार के विपणन नियमानुसार प्रत्येक कंपनी को उसके द्वारा निर्मित समानों के एक टोल फ्री नंबर प्रत्येंक ग्राहक के लिये जारी किया जाता है जिससे कि टोल फ्री नंबर पर काल करके किसी भी समय कंपनी के इंजीनियर को बुलाकर समानों का के्रता अपने सामान की वारण्टी व गारण्टी का लाभ प्राप्त कर सकता है इसके लिये विक्रेता या विरोधी पक्षकार किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होता है। अतः रेफ्रिजरेटर के निर्माता कंपनी को पक्षकार बनाना आवष्यक था। किन्तु उसे पक्षकार न बनाकर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की शर्तो का घोर उल्लघंन किया गया गया है। परिवादी को दी गई वारण्टी/गारण्टी कार्ड में कंपनी के समस्त षिकायत के सुनवाई हेतु दिल्ली न्यायालयीन क्षेत्र होने के कारण आवेदन पत्र न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीे आता है। परिवाद अपरिपक्व है। रेफ्रिजरेटर कांलरी के विद्युत कनेक्षन से परिवादी चलाता रहा है। कांलरी के विद्युत कनेक्षन पर फलक्जुएषन बनी रहती है। जिसके कारण फ्रीज को आवष्यक विद्युत प्रवार वारण्टी कार्ड में
दर्ज आधार पर नहीं मिल रहा था। आवेदक स्टैपलाइजर का उपयोग भी नहीं कर रहा था। जिसके कारण फ्रीज के इलेक्टानिक पार्टस जल जाने से परिवादी के कहे अनुसार बार-बार रिपेयरिंग करना पड़ रहा है। कंपनी के नियमों का परिवादी द्वारा पालन नहीं किया गया है। कंपनी की शर्तो का घोर उल्लघंन किया गया है अतः परिवादी के आवेदन पत्र से विरोधी पक्षकार को पृथक रखा जाये एवं फ्रीज के निर्माता कंपनी को आवष्यक पक्षकार बनाने हेतु परिवादी को सलाह दी जावे।
04. परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना औपचारिक शपथ-पत्र दिनांक 20.10.14 एवं सूची अनुसार दस्तावेज क्रमांक पी -01 से दस्तावेज क्रमांक- पी-04 प्रस्तुत किया गया है। वहीं विरोधी पक्षकार की ओर से अपना लिखित कथन तथा नवीन कुमार अग्रवाल का साक्ष्य स्वरूप शपथ-पत्र दिनांक 28.01.15, दस्तावेज आनर्समैन्युअल वारण्टी/गारण्टी कार्ड प्रस्तुत किया गया है।
05. परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक पी-01 विरोधी पक्षकार के प्रतिष्ठान की रसीद की प्रतिलिपि दिनांक 30.10.14, दस्तावेज क्रमांक पी-02 परिवादी का आवेदन पत्र की प्रतिलिपि दिनांक 31.02.14, दस्तावेज क्रमांक पी-03 अधिवक्ता द्वारा दिये विधिक सूचना की प्रतिलिपि दिनांक 29.08.14 एवं दस्तावेज क्रमांक पी-04 रसीद दिनांक 4.09.15 मूल में प्रस्तुत किये गये हैं।
06. विरोधी पक्षकार द्वारा दस्तावेज आर्नसमैन्युअल वारण्टी /गारण्टी कार्ड मूल में प्रस्तुत किये गये हैं।
07. प्रकरण के निराकरण के लिये विचारणीय प्रष्न यह है कि क्या परिवादी विरोधी पक्षकार से आवेदन पत्र में दर्षाये अनुसार अनुतोष पाने का अधिकारी है?
उभय पक्ष के अभिवचनों एवं प्रस्तुत दस्तावेजों से यह स्थापित है कि परिवादी ने विरोधी पक्षकार के प्रतिष्ठान से दिनांक 30.10.2010 को क्रय की गई एल.जी. कंपनी द्वारा निर्मित रेफ्रिजरेटर सीरियल क्रमांक- 315 की बार-बार खराब होने के कारण परिवादी ने रेफ्रिजरेटर की पूर्ण राषि रूपये 12,500/- एवं मानसिंक क्षतिपूर्ति हेतु प्रस्तुत किया है। रेफ्रिजरेटर के वारण्टी कार्ड और हानर्समैन्युअल के परीषिलन से यह दर्षित है कि परिवादी द्वारा क्रय की गई एल.जी. रेफ्रिजरेटर सीरियल क्रमांक- 315 की निर्माता कंपनी एल.जी. इलेक्ट्रानिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ए विंग थर्ड पलोर डी-3 डिसटिक सेन्टर साकेत न्यु दिल्ली 110017 है। उक्त निर्माता कंपनी द्वारा ही विरोधी पक्षकार विक्रेता को वारण्टी कार्ड उपलब्ध कराया गया था और वारण्टी कार्ड एवं आनर्समैन्युअल में बताये अनुसार रेफ्रिजरेटर का उपयोग किया जाना था तथा वारण्टी या गारण्टी कार्ड में दर्षाये गये नियम एवं शर्तो के आधार पर ही रेफ्रिजरेटर के सुधार मरम्मत अथवा क्षतिपूर्ति आदि की व्यवस्था शास्ति होती है अर्थात् परिवादी का प्रकरण खरीदे गये रेफ्रिजरेटर के वारण्टी के नियम एवं शर्त पर आधारित है और वारण्टी कार्ड निर्माता कंपनी द्वारा ही विक्रेता विरोधी पक्षकार को उपलब्ध कराई गई थी । अतः प्रकरण में रेफ्रिजरेटर के निर्माता कंपनी आवष्यक एवं अनिवार्य पक्षकार है। जिसे की परिवादी द्वारा पक्षकार ही नहीं बनाया गया है यद्यपि परिवादी ने विरोधी पक्षकार विक्रेता से फ्रीज क्रय किया है और फ्रीज का पेमेन्ट विरोधी पक्षकार को किया है चूंकि फ्रीज का निर्माता कंपनी को पक्षकार बनाना आवष्यक है क्यों कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये फ्रीज के निर्मात कंपनी के द्वारा विक्रेता विरोधी पक्षकार को फ्रीज के वारण्टी/गारण्टी कार्ड प्रदाय की गई थी। वारण्टी कार्ड निर्माता कंपनी द्वारा प्रदाय की गई है और फ्रीज के मरम्मत आदि वारण्टी कार्ड के नियमों एवं शर्तो से शासित होती है। ऐसी स्थिति में परिवादी, विक्रेता विरोधी पक्षकार से कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं रह जाता है जैसा कि लेखक एस.के.जैन द्वारा लिखित उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम एवं नियम के उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 की धारा- 2 (1) (ग) के टिप्पणी क्रमांक-30 में यह उल्लेखित है किः-
30 परिवाद में पक्षकारों के असंयोजन का दोषः- परिवादी द्वारा इस आष्य की परिवाद प्रस्तुत की गई थी कि उसने क्रीम कलर की मारूति कार की बुकिंग करवाई थी परन्तु उसे कार प्रदान नहीं की गई अपितु उसके बाद में बुकिंग करने वाले दो व्यक्तियों को यह प्रदान की गई। मारूति डीलर ने इस बावत् मारूति कार के निर्माता के द्वारा प्रदत्त निर्देषों के अधीन ऐसा किया था। इस प्रकरण में परिवादी द्वारा केवल मारूति डीलर को पक्षकार बनाया था, लेकिन मारूति कार के निर्माता को पक्षकार नहीं बनाया गया था। परिवादी का परिवाद निरस्त की गई।
उपरोक्त विष्लेषण के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवादी ने विक्रेता विरोधी पक्षकार के विरूद्व अपना प्रकरण पक्षकारों के संयोजन के अभाव में प्रमाणित करने में असफल रहा है। अतः परिवादी का आवेदन पत्र स्वीकार योग्य नहीें है। परिणामतः यह आवेदन पत्र अंतर्गत उपभोक्त संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 निरस्त किया जाता है। प्रकरण में परिस्थितियों को देखते हुये उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
तद्नुसार आदेश पारित किया गया।
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