जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
परिवाद संख्या 79/2015
श्री बजरंग सिंह पुत्र श्री मूल सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 80/2015
श्री छोटूसिंह पुत्र श्री मदन सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 81/2015
श्री प्रभु सिंह पुत्र श्री तेज सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 82/2015
श्री लक्ष्मण सिंह पुत्र श्री मदन सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 83/2015
श्री हरि सिंह पुत्र श्री मदन सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 84/2015
श्री पृथ्वी सिंह पुत्र श्री मांगू सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 85/2015
श्री दिलीप सिंह पुत्र श्री मांगू सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 86/2015
श्री करण सिंह पुत्र श्री मूल सिंह, जाति- राजपूत, निवासी- ग्राम गुडा
वाया- कडैल,तहसील- पुष्कर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, नवभारत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, वसुकानन गुजरात विद्यापीठ के सामने, आश्रम रोड, अहमदाबाद-14( गुजरात)
2. षिवषक्ति एग्रो ट्रेडर्स, गुजरात होस्टल के सामने, सवाई माधोपुर रोड, टोंक ।
- अप्रार्थी
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री चन्द्रभान सिंह,अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अविनाष षर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-17.05.2016
1. उपरोक्त उनवानी सभी प्रकरणों में एक ही वादकरण से उपजे विवाद का बिन्दु निहित है। अतः सुविधा की दृष्टि से इन सभी प्रकरणों का इस एक आदेष से निर्णय किया जा रहा है । इस निर्णय की प्रति प्रत्येक प्रकरण में षामिल की जावें ।
2. प्रार्थीगण ( जो इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्तागण कहलाएगें) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा - 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 2 के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उपभोक्तागण ने अप्रार्थी संख्या 2 निर्माता द्वारा निर्मित बलदेव किस्म का मूंग का बीज अप्रार्थी संख्या 1 विक्रेता से दिनांक 21.6.2014 को रू. 150/- प्रति कि.ग्रा. की दर से क्रय किया । क्रय किए जाने के बाद उन्होनंे उक्त बीज की अपने खेतों में बुवाई की । किन्तु जब मूंग की फसल उगी तो फसल ठीक नहीं थी, जो बीज उगे थे, उनके पौधे ठीक नही ंथे और पौधे कमजोर थे तथा फलियां नहीं के बराबर आई थीं । इसकी षिकायत अप्रार्थीगण से की गई किन्तु उन्होनें टालमटोल जवाब दिया । तत्पष्चात् उपभोक्तागण ने कृषि पर्यवेक्षक , कडैल से षिकायत की तो उन्होने खेतों का निरीक्षण किया और रिपोर्ट बनाई । जिसमें उन्होनें दूसरे किसानों की तुलना में पाया कि बढवार भी कम है और फसल की स्थिति कमजोर है । मंूग की पैदावर जहां 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टर होनी चाहिए थी, वह 1 -1.5 क्विंटल प्रति हैक्टर होना पाया । यह भी पाया कि उनके आस पास के खेतों में अन्य किस्म के मंूग की पैदावर अच्छी हो रही थी जबकि उनके खेतों में फसल ठीक नही ंथी । इस प्रकार अप्रार्थीगण ने घटिया किस्म का बीज विक्रय कर सेवा में कमी की है । उपभोक्तागण कृषक है और कृषि से प्राप्त आय से अपना जीवन गुजर बसर करते है । उपभोक्तागण ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । उपभोक्तागण ने परिवाद के समर्थन में अपने अपने ष्षपथपत्र पेष किए हैं।
2. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 ने संयुक्त रूप से परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि उपभोक्तागण ने दिनांक 21.06.2014 को बलदेव किस्म की मूंग बिजाई हेतु अप्रार्थी संख्या 1 से टौंक से क्रय किए हैं न कि अधिकृत प्रतिनिधि ग्राम -गुडा से क्रय किए हैं । इसलिए परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच, अजमेर को न होकर जिला मंच, टोंक को है ।
अप्रार्थीगण ने बलदेव किस्म का मूंग बीज विहित प्रक्रिया के तहत तैयार करने यथा- बीज रिसर्च करने के बाद अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा तैयार कर विष्लेषण के लिए प्रयोगषाला में जांच करवाने के बाद सही रिपोर्ट आने पर ही बाजार में विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जाता है । मूंग के बीज की अंकुरण क्षमता , पौधों की लम्बाई व फल फूल आने के कई कारण होते हंै जिनमें प्रमुख जलवायु है बीज का अंकुरण खेती के लिए सिंचाई, खेत की मिट्टी का परीक्षण, खाद, जलवायु,, मौसम, वर्षा, पानी, तापमान इत्यादि पर भी निर्भर करती है । उपभोक्तागण के अलावा अन्य किसानों ने भी अप्रार्थीगण के यहां से प्रष्नगत बीज क्रय किए लेकिन उनके यहां बहुत बढ़िया फसल हुई हैं। किन्तु उपभोक्तागण ने अपनी मूंग की फसल की सही तरह से देखरेख नहीं की और ना ही खेत में खाद डाली । उपभोक्तागण ने अपनी मूूंग की फसल की निराई गुडाई , खुदाई कब कब कौन सी तारीख को की इसका परिवाद में कहीं उल्लेख नहीं किया है । चूंकि उपभोक्तागण ने मजदूर लगाकर निराई, गुडाई, खुदाई करवाई है, इसलिए उपभोक्तागण ’’उपभोक्ता’’ की परिभाषा में नहीं आते हैं । उपभोक्तागण को मानक स्तर के उच्च कोटी के बलदेव किस्म के मंूग के बीज विक्रय किए गए हंै । अपने अतिरिक्त कथन में उत्तरदाता ने दर्षाया है कि उपभोक्ता ने उत्तरदाता अप्रार्थीगण को बिना सूचना दिए फसल का निरीक्षण करवाया है और कृषि पर्यवेक्षक द्वारा अपने किसी सक्षम अधिकारी के निर्देष के बिना रिपोर्ट बनाई है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 13(ग) के अन्तर्गत माल(बीज) की सक्षम प्रयोगषाला से जांच नहीं करवाई है । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में डा. एम.डी.सिंह, व्यवस्थापक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. उपभोक्तागण के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि उनके द्वारा बलदेव किस्म के मूंग का बीज ग्राम -गुडा , जिला-अजमेर में अप्रार्थी कम्पनी के अधिकृत प्रतिनिधि से खरीदा गया था तथा इस मंच के क्षेत्राधिकार में विवाद होना बताते हुए आगे तर्क प्रस्तुत किया गया है कि खरीदषुदा उक्त मूंग के बीजों की बुआई के बाद उगी फसल ठीक नहीं थी, पौधे कमजोर होकर फलियां नहीं के बराबर आई थी। अप्रार्थी कम्पनी के समक्ष षिकायत करने पर टालमटोल जवाब दिया गया, व कोई कार्यवाही नहीं की गई । तत्पष्चात् षिकायत कृषि पर्यवेक्षक , कडैल से की गई तो उनके द्वारा मौके का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें बताया गया कि दूसरे किस्म की तुलना में बढवार कम हुई है । मौका रिपोर्ट राज्य सरकार के प्रतिनिधिगण की उपस्थिति में तैयार की गई है । उपभोक्तागण द्वारा मजदूर लगा कर फसल की निराई गुडाई की गई, किन्तु इसके बावजूद भी फसल ठीक नहीं होने के कारण उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पडा है जिसके लिए अप्रार्थीगण जिम्मेदार है ।
4. अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने बहस में इन तर्को का खण्डन किया व प्रष्नगत बीजों को सवाईमाधोपुर रोड, टोंक से खरीदना तथा उनके अधिकृत प्रतिनिधि से ग्राम -गुडा से नहीं खरीदना बताते हुए इस मंच को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं होना बताया । बीजों का उपभोक्तागण द्वारा अपनी ईच्छानुसार खरीदना बताया । इनके खेतांे में बुआई के तौर तरीके पर प्रष्नचिन्ह लगाते हुए उनके द्वारा फसल की सही तरीके से देखभाल नहीं करना बताया । अप्रार्थीगण को बिना नोटिस दिए मौका रिपोर्ट बनाना बताते हुए बीजों के उपचार के समय कृषि पर्यवेक्षक सीड्स एक्ट के विभिन्न प्रावधानों का हवाला दिया एवं नियमानुसार विषेषज्ञ से जांच नहीं करवाए जाने का तर्क प्रस्तुत करते हुए परिवाद को खारिज होना बताया ।
5. हमने परस्पर तर्को पर उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर विचार किया ।
6. यह निर्विवाद है कि उपभोक्तागण ने मूंग की फसल हेतु बलदेव किस्म के बीज अप्रार्थीगण से खरीदे । उपभोक्तागण का यह कथन रहा है कि ये बीज ग्राम - गुडा, जिला-अजमेर में दिए गए थे तथा वहीं इनकी बुआई की गई थी , फलस्वरूप वादकारण अजमेर में उत्पन्न हुआ है । मंच की राय में उनका यह कथन स्वीकार किए जाने योग्य है । प्रार्थीगण ने इस संबंध में अपने कथनों को षपथपत्र से समर्थित किया है । अतः ग्राम गुडा में अप्रार्थीगण के प्रतिनिधि से क्रय किए गए बीजों के संदर्भ में क्षेत्राधिकार बाबत् उठाई गई आपत्ति सारहीन होने के कारण निरस्त की जाती है ।
7. उपभोक्तागण ने प्रष्नगत बीजांे की गुणवत्ता के संबंध में कृषि पर्यवेक्षक , कडैल को षिकायत करना बताया है व उनके द्वारा मौके पर खेतांे में जाकर निरीक्षण करने के बाद मौका रिपोर्ट तैयार करना बताया है। पत्रावली में उपलब्ध मौका निरीक्षण रिपोर्ट स्वीकृत रूप से कृषि विभाग के तकनीकी अधिकारियों की उपस्थिति में तैयार की गई है । किन्तु इसमें अप्रार्थीगण के प्रतिनिधि की उपस्थिति का अभाव है । इस मौका रिपोर्ट को तैयार किए जाने से पूर्व अप्रार्थीगण को नेाटिस दिया गया हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता है । यह रिर्पोट मात्र तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रकट होती है । इस रिपोर्ट में पड़ौसी खेतों में मूंग की फसल जो कि ’’दिनकर ’’ किस्म के बीजांे की बताई गई है, से तुलना की गई है । यदि पड़ौसी खेतों में बलदेव किस्म के बीज बोए जाते तो उपभोक्तागण के समक्ष स्थितियां समान हेाती, तो भी किसी प्रकार का कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता था । यह रिपोर्ट मात्र तथ्यात्मक स्थिति को प्रदर्षित करती है । मौके पर बीज का, मिट्टी का, फल या पौधे का कोई नमूना लिया गया हो और इन्हें जांच के लिए भेजा गया हो, ऐसी स्थिति भी नहीं है । फसल का निर्धारण प्रमुख रूप से जलवायु के साथ साथ इसके बीजों के उपजाउपन, जमीन की स्थिति, खेत, पानी, निराई, गुडाई,कीटनाषक के छिडकाव आदि पर भी निर्भर करता है । उपभोक्तागण ने बीज खरीदने के पष्चात् उसकी गुणवत्ता व प्रमाणिकता की किसी सक्षम प्रयोगषाला से जांच भी नहीं करवाई हैं । उसने बुवाई से पूर्व बीजों का कोई उपचार भी नहीं करवाया हैं ।
8. उपरोक्त सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्तागण ये सिद्व करने में असफल रहे हैं कि जो बीज उनके द्वारा खरीदे गए थे , वे गुणवत्ता व उत्पादन की दृष्टि से कमजोर है ।
9. सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में उपभोक्तागण के ये परिवाद अस्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
10. उपभोक्तागण के ये परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किए जाकर खारिज किए जाते है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 17.05.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया । इस निर्णय की प्रति प्रत्येक प्रकरण में संलग्न की जावें ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष