दायरा तिथि- 05.02.2014
निर्णय तिथि- 06-10-2015
समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)
उपस्थिति- सुनील कुमार सिंह वरिष्ठ सदस्य
हुमैरा फात्मा सदस्या
परिवाद सं0- 16/2014 अंतर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12
अरविंद शंकर तिवारी पुत्र श्री जगदीश नारायन तिवारी विवासी जेल तालाब रोड़. रमेडी तहसील व जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
- प्रबंधक नटराज आटो मोबाइल्स यमुना पुल के पास शहर तहसील व जिला
हमीरपुर।
2- प्रबंधक वी0सी0 मोटर्स प्रा0लि0, प्लाट नं0 608, 609 रूमा, जी0टी0 रोड,
कानपुर।
3-प्रबंधक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा, गेटवे बिल्डिंग अपोलो बंदर, मुम्बई।
........विपक्षी।
निर्णय
द्वारा- सुनील कुमार सिंह, वरिष्ठ सदस्य,
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी सं0 2 से गाडी में नई बॉडी के नाम से पुरानी बॉडी डालने और उसकी मरम्मत के खर्च को काटकर जमा की गई कुल धनराशशि में से शेष धनराशि वापस किये जाने तथा मरम्मत के दौरान अधिक समय तक गाडी वेवजह खडी रखने पर ड्राइवर खर्च, बीमा की आधी धनराशि, प्रतिदिनि का नुकसान, भागदौड़ का खर्च, नये पार्टस के नाम पर पुराने पार्टस डाले जाने, फाइनेन्स किस्त, शारीरिक, मानसिक क्षतिपूर्ति आदि ब्याज सहित कुल मु0 410000 रू0 दिलाये जाने हेतु विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में परिवादी का कथन संक्षेप में यह है कि उसके पास बुलेरों गाडी न0 यू0पी0 91 ई 5778 पंजीकृत वाहन है। जिसे विपक्षी सं0 1 के यहां से क्रय किया गया था। दिनांक 14-04-2012 को उक्त बुलेरो गाडी मौदहा ( हमीरपुर) के पास पलट गई। जिससे गाडी काफी अधिक क्षति हो गई।इस दुर्घटना की सूचना विपक्षी सं0 1 को देने पर विपक्षी सं0 3 के अधिकृत डीलर जो विपक्षी सं0 2 है।
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उससे ठीक कराने की सलाह दी गई। परिवादी द्वारा विश्वास करके दि0 17-04-12 को उक्त वाहन विपक्षी सं0 2 को दे दिया गया। विपक्षी द्वारा सम्पूर्ण खर्चा मु0 3 लाख 50 हजार रू0 का बताया गया। जिस पर विपक्षी को 01 लाख 50 हजार रू एडवांस के तौर पर दि0 02-05-12 को खाता सं0 30468591928 वी0सी0 मोटर्स प्रा0 लि0 भारतीय स्टेट बैंक शाखा सर्वोदय नगर कानपुर में जमा कर दिया गया। 2 माह बाद विपक्षी सं0 2 से सम्पर्क करने पर 10-15 दिन में गाडी देने का आश्वासन दिया गया। परन्तु विपक्षी सं0 2 द्वारा इसी प्रकार के कई आश्वासन दिये गये। लेकिन गाडी बनाकर नहीं दी गई। दिनांक 11-11-12 को परिवादी को बुलाया गया तथा शेष धनराशि जमा करने हेतु निर्देशित किया गय़ा। जिसे परिवादी द्वारा उसी दिन रसीद सं0 2539 के माध्यम से मु0 173632/-रू0 जमा कर दिया गया। विपक्षी द्वारा 4-5 दिन में गाडी देने का वादा भी किया गया। दि0 20-11-12 को गाडी विपक्षी सं0 2 द्वारा अपने आदमियों के माध्यम से रात 10 बजे मेरे घर पहुँचा दी गयी। उस समय गाडी सही दिख रही थी। 15 दिन बाद जब गाडी गैरिज से बाहर निकाली तो पता चला गाडी में सही काम नहीं हुआ है। गाडी की स्टेयरिंग ठीक नहीं थी। बैटरी दूसरी थी। बोनट में जंग लगी थी। क्राउन आदि ठीक नहीं था। ज्यादातर सामान पुराना लगा था। फिटिंग ठीक नहीं थी। पुरानी बॉडी को ही मरम्मत करके पेंट किया गया था। यदि नई बॉडी थी तो पुरानी वापस करना चाहिये था। साल्बेज/ स्कैब वापस नहीं किया गया और न ही उसके पैसे दिये गये। स्कैब लाने के लिए कोई सूचना भी नहीं दी गई। नयी बॉडी का कोई बिल भी नहीं दिया गया और न ही यह ज्ञात हुआ कि बॉडी की कितना कीमत है। टैक्स भी गलत लिया गया। इस प्रकार विपक्षी सं0 2 ने उसके साथ धोखाधड़ी करके नई बॉडी के नाम पर पुराना बॉडी मरम्मत करके लगा दी। गाडी का बम्फर आधि ठीक होने पर भी उसे बदल दिया गया। बहुत से अच्छे पार्ट निकालकर पुराने व घटिया पार्टस लगाकर नये के दाम वसूल किये गये। गाडी अधिक समय तक गराज में खड़ी रखा। जिससे उसे अधिक आर्थिक क्षति हुई। ड्राइवर, बीमा किस्त, फाइनेन्स किस्त आदि का लगातार उसे भुगतान करना पड़ा। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी विपक्षी सं0 2 की है। विपक्षी सं0 2 को दिनांक 06-02-13 व 20-05-13 को धनराशि वापस करने एवं वाहन ठीक करने हेतु नोटिस दी गई। जिस पर विपक्षी द्वारा कोई राहत नहीं दी गई और दिनांक 08-01-14 को पूरी तरह से कोई कोई धनराशि, क्षतिपूर्ति आदि वापस करने से इंकार कर दिया। जिससे मजबूर होकर परिवादी ने सम्पूर्ण धनराशि क्षतिपूर्ति विपक्षी से दिलाये जाने हेतु यह परिवाद दायर किया है।
विपक्षी सं0 1 ने अपने जवाबदावा में कथन किया है कि परिवादी द्वारा यह झूँठ कहा गया है कि उसके द्वारा विपक्षी सं0 2 से वाहन ठीक कराने हेतु सुझाव
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दिया गया था। उसके पास स्वयं का अपना गराज है, जिसमें विक्रीशुदा वाहने की सर्विस की जाती है। परिवादी द्वारा उसे गलत ढ़ग से पक्षकार बनाया गया है। इसमें उसकी अधिवक्ता आदि की फीस में 10 हजार रू0 की क्षति हुई है। मजह परिवाद को फोरम में लाने हेतु यह कथानक अभिकथित किया गया है. अतः परिवाद उसके विरूद्ध खारिज किया जाये एवं क्षतिपूर्ति भी परिवादी से दिलायी जाये।
विपक्षी सं0 2 ने डाक के माध्यम से अपना जवाबदावा प्रस्तुत करके कहा है कि उसके द्वारा परिवादी की गाडी बनाई गई और गाडी तैयार करने में जो भी
खर्च आया उसकी धनराशि जमा कराकर उसकी रसीद भी परिवादी को प्राप्त करायी गयी तथा उसमे बहुत सी बातें मात्र बनावटी है। परिवादी की गाडी को तैयार करने में पूरी सावधानी बरती गयी है और किसी भी प्रकार की कमी नहीं की गई है। जो भी सामान बदला गय़ा है। उसका बिल दिया गया है। परिवादी की नोटिस का जवाब भी दिया गया था तथा जवाब में यह भी कहा गया है कि यदि वह उसके कार्य से असंतुष्ट है तो वह पुनः गाडी बनाने को तैयार है तथा बनाये गये सामान के संबंध में यदि कोई शिकायत है तो उसका कोई चार्ज भी नहीं लिया जायेगा। परिवादी द्वारा वाहन कभी भी पुनः चेक नहीं कराया गया । परिवादी ने स्क्रैप के सम्बंध में जो भी बात कही है उसमे यह कहना है कि काफी समय तक रखने के बाद परिवादी द्वारा उसे नहीं लिया गया तब जगह के अभाव के कारण विक्रय कर दिया गया है। जिसका पैसा परिवादी अविलम्ब प्राप्त कर सकता है। परिवादी ने मात्र मुकदमा में रंगत देने की गरज से गलत कथन किया है। परिवादी उपभोक्ता नहीं है। अंतः परिवादी का दावा खारिज किये जाने योग्य है।
विपक्षी सं0 3 के द्वारा कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है।
परिवादी ने साक्ष्य में सूची कागज नं0 3 से 14 किता कागजात, सूची कागज नं0 29 से एक किता कागज एवं स्वयं का शपथपत्र कागज नं0 23 दाखिल किया है।
विपक्षीगण ने साक्ष्य में कोई भी कागज प्रस्तुत नहीं किया है।
परिवादी द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई।
विपक्षीगण की ओर से कोई लिखित बहस दाखिल नहीं की गई है।
बहस के दौरान परिवादी तथा विपक्षी सं0 1 व 3 के अधिवक्ता हाजिर आये तथा उनके द्वारा बहस की गई। विपक्षी सं0 2 की तरफ से कोई हाजिर नहीं हुआ। पक्षों की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत परिवाद में परिवादी द्वारा मौखिक बहस एवं लिखित बहस में यह बताया गया कि उसने गाडी बनाने के लिये विपक्षी सं0 2 के कहने पर तुरन्त मु0 150000/- रू0 उनके खाते मेंजमा कर दिये गये और दो महीने में गाडी बनाने का
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आश्वासन दिया गया । यह भी कहा गया कि पूरी गाडी की बॉडी बदलनी पडेगी। लेकिल उन्होंने तयशुदा समय में गाडी नहीं बनायी और दो महीने के बाद भी काफी समय ब्यतीत है जाने पर उससे पुनः शेष रकम मु0 173632/- रू0 की मांग की गय़ी, जिसे परिवादी ने अविलम्ब रसीद सं0 2539 दिनांकित 11-11-12 को जमा कर दिया, तब विपक्षी द्वारा दि0 20-11-12 को विपक्षी द्वारा गाडी उसके घर में रात 10 बजे भेजी गई, जो कि निश्चित किये गये समय से भी लगभग 4 माह बाद भेजी गयी थी। विपक्षी सं0 2 द्वारा परिवादी द्वारा जमा की गई सम्पूर्ण धनराशि की बात को अपने जवाबदावे एवं नोटिस में स्वीकार किया है। उक्त परिवाद में विपक्षी सं0 2 स्वयं उपस्थित नहीं हुआ। बल्कि डाक के माध्यम से अपना जवाब प्रस्तुत किया है। विपक्षी सं0 1 व 3 के अधिवक्ता हाजिर आये तथा उन्होंने बहस में भाग लिया। विपक्षी सं0 1 की तरफ से जवाब भी दाखिल किया गया। जिसमें उसने कथन किया है कि परिवादी ने उसे गलत ढ़ग से पक्षकार बनाया है। उसके द्वारा सेवा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की गई है। उसने गाडी बनवाने के लिये परिवादी को कोई सलाह नहीं दी। उसके द्वारा जो भी वाहन विक्रय किये जाते है। उनकी सर्विस की सुविधा उसके यहां स्वयं प्राप्त है तथा विपक्षी ने बहस में यह भी कहा है कि परिवादी ने मुकदमें को क्षेत्राधिकार में लाने के लिये उसको भी पक्षकार बनाया है। परिवादी द्वारा उससे किसी भी प्रकार की कोई क्षतिपूर्ति की मांग नहीं की गई है। अतः विपक्षी सं0 1 ने मय हर्जा के उसके विरूद्ध दावा खारिज किये जाने की प्रार्थना की है। विपक्षी सं0 3 की तरफ से कोई भी जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है और बहस के दौरान उसने भी यह कथन किया है कि परिवादी ने उससे किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति की मांग नहीं की है। परिवाद में जो भी मामला है वह विपक्षी सं0 2 से संबन्धित है। अतः उसने स्वयं के विरूद्ध परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है।
पक्षों की बहस और अभिलेखों के अध्ययन के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवाद में परिवादी की जो प्रमुख समस्या है। वह विपक्षी सं0 2 से है। विपक्षी सं0 1 और 3 से परिवादी ने किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति की मांग नहीं की है और विपक्षी सं0 1 व 3 का परिवादी की गाडी के रिपेयर में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं है। अतः विपक्षी सं0 1व 3 को परिवादी द्वारा पक्षकार बनाना उचित नहीं लगता है। विपक्षी सं0 2 ने परिवादी से पैसे प्राप्त करने के पश्चात तयशुदा समय से लगभग 4 माह बाद गाडी बनाकर दी। इस बीच में परिवादी को विपक्षी सं0 2 द्वारा बहुत परेशान किया गया। बार-बार गाडी बनाकर देने का वादा किया गया। इसके बाद पूरे पैसे एडवांस में जमा कराकर विपक्षी के द्वारा गाडी परिवादी के घर पर दि0 20-11-12 रात 10 बजे भेजी गई। परिवादी के कथनानुसार उस समय
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ऊपर से गाडी की हालत ठीक लग रही थी। लेकिन जब बाद में देखा गया तो उसमें लगी बॉडी पुरानी लग रही थी और भी बहुत सी कमियां अच्छे पार्टस के स्थान पर पुराने पार्टस लगा दिये गये। क्राउन आदि बदल दिया गया। गाडी का साल्वेज/ स्क्रैव भी नहीं वापस नहीं किया गया था। जिसकी शिकायत परिवादी द्वारा विपक्षी से की गई। लेकिन विपक्षी द्वारा कोई उचित जवाब नहीं दिया गया। दौरान मुकदमा विपक्षी सं0 2 स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद की पैरवी हेतु हाजिर नहीं हुआ। उसने डाक के माध्यम से अपना जवाब भेजा है। जवाब में विपक्षी ने परिवादी की ज्यादातर बातों को खारिज किया है। परिवादी की गाडी बनाने व पैसा जमा करने की बात स्वीकार की है तथा नोटिस में गाडी देर से देने की बात को स्वीकार किया है। अपने जवाब में विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया है कि गाडी में यदि कमी है तो परिवादी उसे दुवारा ठीक करा सकता है। उसका पैसा चार्ज नहीं किया जायेगा। विपक्षी द्वारा बॉडी नई लगाने की बात कही गई है। इन सब के साथ में विपक्षी द्वारा कोई भी साक्ष्य अपने समर्थन में प्रस्तुत नहीं किया गया है तथा शपथपत्र भी नहीं दिया गया है। अतः विपक्षी की सभी बातों पर विश्वास करना उचित नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी सं0 2 द्वारा परिवाद को गंभीरता से नहीं लिया गया है। इसलिये उसके द्वारा परिवाद की पैरवी में कोई रूचि नहीं ली गय़ी। बॉडी पुरानी डालने के सम्बंध में परिवादी की शंका उचित है। विपक्षी द्वारा उसे नई बॉडी के या अन्य सामानों के खरीदने के जहां से विपक्षी उन सामानों को क्रय करता है। उनके कोई बिल भी परिवादी को नहीं दिये गये। पुरानी बॉडी का साल्वेज/ स्क्रैव परिवादी को नहीं दिया गया। ना ही उसकी रकम वापस की गई है। अतः विपक्षी से परिवादी की गाडी में नई बॉडी लगवाया जाना उचित प्रतीत होता है। यदि विपक्षी ऐसा नहीं कर सकता है तो उसे परिवादी द्वारा जमा की गई नई बॉडी की धनराशि को वापस दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। चूंकि विपक्षी द्वारा तयशुदा समय से लगभग 4 माह बाद गाडी वापस दी गय़ी। इस अवधि में परिवादी को गाडी का बीमा एवं ऋण किस्तें जमा करनी पड़ी, ड्राइवर आदि के भी खर्चें परिवादी को देने पड़े। लेकिन इन खर्चों के सम्बंध में परिवादी द्वारा कोई उचित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। गाडी समय से न मिलने से वह कोई भी कार्य नहीं कर पाया, जिससे काफी आर्थिक, मानसिक क्षति हुई। जिसमें परिवादी को मु0 25 हजार रू0 क्षतिपूर्ति देना उचित है। विपक्षी सं0 2 से गाडी के साल्वेज / स्क्रैव की धनराशि दिलाया जाना और वाद व्यय में मु0 05 हजार रू उचित प्रतीत होता है। तदनुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
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आदेश
परिवाद विपक्षी सं0 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 2 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी की गाडी में नई बॉडी लगाये तथा बॉडी न लगाये जाने की स्थिति में परिवादी द्वारा नई बॉडी हेतु जमा की गयी धनराशि वापस करें। पुरानी बॉडी तथा अन्य पार्टस के साल्वेज/ स्क्रैप की धनराशि विपक्षी परिवादी को वापस करे। आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में विपक्षी मु0 25 हजार रू0 तथा वाद व्यय के मद में मु0 5 हजार रू0 परिवादी को अदा करे। विपक्षी सं0 1 व 3 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है। अनुपालन अन्दर 45 दिवस हो। यदि विपक्षी द्वारा आदेश का अनुपालन इस अवधि में नहीं किया जाता है तो देय धनराशि पर निर्णय की तिथि से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।
(हुमैरा फात्मा) (सुनील कुमार सिंह)
सदस्या वरिष्ठ सदस्य
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
(हुमैरा फात्मा) (सुनील कुमार सिंह)
सदस्या वरिष्ठ सदस्य
स्थान- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, हमीरपुर।
दिनांक- 06 अक्टूबर 2015