जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 409/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
महेश कुमार वर्मा उम्र 59 साल पुत्र श्री कन्हैयालाल वर्मा जाति कुमावत निवासी वार्ड नम्बर 14 सूरजगढ तहसील सूरजगढ जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय स्टेषन रोड़ झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री पवनकुमार वर्मा एवं श्री इकरार अली, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री भगवान सिंह, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 24.04.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 11.08.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी महेष कुमार वर्मा वाहन स्वीफ्ट डिजायर नम्बर आर.जे. 18 सी.ए. 9155 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 07.08.2013 से 06.08.2014 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 04.11.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी के वाहन का सर्वे किया गया तथा सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट दिनांक 18.11.2013 को विपक्षी के यहां पेष की जिसमें सर्वेयर ने वाहन में अनुमानित नुकसान 32761/-रूपये का आंकलन किया। परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को रिपेयर करवाया, जिस पर कुल 10,843/-रूपये खर्च हुआ। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किया लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन की दुर्घटना के संबंध में किसी भी प्रकार की क्लेम राषि देने से इन्कार कर दिया। जिसके कारण विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 10843/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी का वाहन स्वीफ्ट डिजायर नम्बर आर.जे. 18 सी.ए. 9155 विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 07.08.2013 से 06.08.2014 तक की अवधि के लिये बीमा पालिसी में वर्णित शर्तो के अधीन बीमित होना स्वीकार किया है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी का उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना बीमा कम्पनी को प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके अनुसार वाहन में हुए नुकसान के बाबत एक्सेस क्लाॅज की राषि कम करके वाजिब देय राषि 6584/-रूपये पेयबल मानते हुये रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। उक्त राषि के संबंध में बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 08.01.2014 व 15.01.2014 के रजिस्टर्ड पत्र द्वारा परिवादी को सूचित किया गया, जिस पर परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में आकर दिनांक 23.01.2014 को उक्त राषि लेने से इन्कार कर दिया। इसलिए परिवादी की पत्रावली विपक्षी द्वारा बंद करदी गई।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन स्वीफ्ट डिजायर नम्बर आर.जे. 18 सी.ए. 9155 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन 07.08.2013 से 06.08.2014 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 04.11.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त अधिकृत सर्वेयर विजयकुमार जानू ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 6584/-रूपये पेयबल मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो पत्रावली में संलग्न है। जिस पर अविष्वास किए जाने का कोई कारण नहीं है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-
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उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ दुर्घटनाग्रस्त वाहन के ।नकप डवजवते च्अजण् स्जकण् के बिल की फोटो प्रति पेष की है। परिवादी द्वारा उक्त बिल में अंकित राषि बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई है। बिल में राषि किस आधार पर अंकित की गई है, उस पर विष्वास किए जाने का कोई युक्तियुक्त कारण नहीं है।
उपरोक्त न्यायदृष्टांतों की रोषनी में विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को क्षतिपूर्ति की अदायगी के उत्तरदायित्व से विमुख नहीं हो सकती।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 6584/रुपये (अक्षरे रूपये छः हजार पांच सौ चैरासी मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 11.08.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 24.04.2014 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।