जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-551/2010
डा0 ए0के0 अहूजा पुत्र स्व0 पी0के0 अहूजा निवासी 150 व 151 रतनलाल नगर, कानपुर।
................परिवादी
बनाम
नेषनल इंष्योरेंस कंपनी लि0 चौधरी भवन, सदर बाजार षाहजहांपुर यू0पी0 द्वारा मण्डलीय प्रबन्धक।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 12.08.2010
निर्णय की तिथिः 21.02.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी को आदेषित किया जाये कि विपक्षी बीमा कंपनी परिवादी को प्रष्नगत कार की बीमित धनराषि रू0 58,500.00 मय 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दिनांक 09.05.05 से अदा करे। मानसिक तनाव व मानसिक प्रताड़ना तथा असुविधा के लिए रू0 25000.00 की क्षतिपूर्ति करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा अपनी मारूती कार 800 ए.सी. पंजीकरण नं0-यू0पी0-78 एस-1601 जिसका रू0 58,500.00 की धनराषि के लिए बीमा कराया गया था। बीमा दिनांक 03.01.05 से 02.01.06 तक वैध था। परिवादी का उपरोक्त वाहन दिनांक 09.05.05 को षाम 8ः30 बजे से 10ः30 बजे के मध्य चोरी चला गया, जिसकी सूचना परिवादी द्वारा दिनांक 11.05.05 को विपक्षी को दे दी गयी। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन की चोरी से सम्बन्धित प्राथमिकी दिनांक 18.08.05 को थाना काकादेव अंतर्गत धारा-379 भारतीय दण्ड संहिता दर्ज करायी गयी। विवेचक द्वारा अंतिम आख्या मैट्रोपोलिटन
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मजिस्ट्रेट कानपुर नगर के यहां प्रस्तुत की गयी। जिसे न्यायालय द्वारा दिनांक 28.08.09 को स्वीकार किया गया, जिसकी प्रति परिवादी को दिनांक 30.09.09 को उपलब्ध करायी गयी, जो कि परिवादी द्वारा दिनांक 03.10.09 को विपक्षी बीमा कंपनी को दी गयी। बावजूद विधिक नोटिस विपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम अदा नहीं किया गया। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा अभिकथित कार चोरी की सूचना दिनांक 09.05.05 को अथवा अन्य किसी भी तिथि पर विपक्षी बीमा कंपनी को नहीं दी गयी। परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां कोई क्लेम अथवा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। अतः उपरोक्त कारणों से परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। उपरोक्त के अतिरिक्त यदि अभिकथित वाहन की चोरी दिनांक 09.05.05 को हुई भी हो तो परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद समयावधि के पष्चात दिनांक 10.08.10 को अभिकथित घटना के 5 वर्श बाद प्रस्तुत किया गया है। इसलिए भी परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। परिवादी द्वारा प्रस्तुत क्लेम निराधार है और अत्यंत बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है, इसलिए भी परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 11.08.10 एवं 29.05.13 व 27.08.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/3 व कागज सं0-3/1 लगायत् 3/17 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में ए0के0 सिंह मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 26.08.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूपमें कागज सं0-2/1 व 2/2 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
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निष्कर्श
6. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि उभयपक्षों की ओर से षपथपत्र व प्रति षपथपत्र दाखिल किये गये हैं। विपक्षी की ओर से प्रमुख तर्क यह किये गये हैं कि परिवादी द्वारा अभिकथित चोरी की सूचना दिनांक 09.05.05 को अथवा अन्य किसी तिथि पर विपक्षी बीमा कंपनी को नहीं दी गयी है। जबकि परिवादी की ओर से षपथपत्र के अतिरिक्त प्रस्तुत अन्य अभिलेखीय साक्ष्य संलग्नक 3/13 व एनेक्जर-11 पत्र दिनांकित 03.10.09 द्वारा परिवादी डा0 ए0के0 अहूजा व संलग्नक 3/14 एनेक्जर-12 पत्र दिनांकित 20.03.10 द्वारा परिवादी डा0 ए0के0 अहूजा वहक विपक्षी डिवीजनल मैनेजर की प्रतियां जो कि पत्रावली पर उपलब्ध हैं, से यह प्रमाणित होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी के साथ अपने क्लेम से सम्बन्धित पत्राचार किया गया है। कागज सं0-3/14 पंजीकृत डाक से भेजा गया है, जिसका खण्डन विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से नहीं किया गया है। ऐसी दषा में विपक्षी का यह कथन गलत सिद्ध होता है कि परिवादी द्वारा अभिकथित चोरी की घटना की सूचना विपक्षी को न दी गयी हो।
7. विपक्षी की ओर से एक अन्य प्रमुख तर्क यह किया गया है कि यदि अभिकथित वाहन की चोरी दिनांक 09.05.05 को होना मान भी लिया जाये, तो भी परिवाद समयावधि के पष्चात दिनांक 10.08.10 को अभिकथित घटना के 5 वर्श बाद प्रस्तुत करने के कारण परिवाद कालबाधित होने के कारण खारिज किया जाना चाहिए। विपक्षी के उापरोक्त तर्क के सम्बन्ध में पत्रावली के अवलेकन से विदित होता है कि यद्यपि परिवादी द्वारा चोरी की घटना दिनांक 09.05.05 को होना बताया गया है, किन्तु परिवाद दिनांक 12.08.10 को दाखिल किया गया है, जो कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-24ए के अंतर्गत कालबाधित है।
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धारा-24ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा विधि निर्णय पी.एम.एस. इण्टरप्राइजेज एवं अन्य बनाम डी.डी.ए. एवं अन्य प् ;2010द्ध ब्च्श्र 60 ;छब्द्ध में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि, ’’केवल अभ्यावेदन भेजना परिसीमा की अवधि का विस्तार नहीं करता है’’। विपक्षी की ओर से किये गये उपरोक्त कथन के विरूद्ध परिवादी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः परिवादी का प्रस्तुत परिवाद प्रस्तर सं0-7 में दिये गये कारणों के आधार पर स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।