Mohd. Noor Khan filed a consumer case on 26 Sep 2017 against National Insurence in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is CC/597/2015 and the judgment uploaded on 28 Sep 2018.
श्रीमती सुधा यादव ........................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-597/2015.
मोहम्मद नूर खान, पुत्र श्री इष्तियाक अहमद निवासी-65/201, मोतीमोहाल, कानपुर नगर।
..........परिवादी
बनाम
.नेषनल इंष्योरेन्स कम्पनी लि0, 15/291 सिविल लाइंस, कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबंधक।
.......विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 18.11.2015
निर्णय तिथिः 13.09.2018
श्री आर0एन0 सिंह अध्यक्ष, द्वारा उद्घोशितः-
ःःः निर्णयःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी बीमा कम्पनी से, बीमित धनराषि रू0 3,70,000/-मय 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से घटना की तिथि से तायूम वसूली दिलायी जावे, क्षतिपूर्ति मुबलिग 60,000/-, मानसिक पीड़ा व भागदौड़ के लिये रू0 25000/-तथा परिवाद व्यय रू0 7500/- दिलाया जावे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा हुण्डई सोनाटा कार, नं0-न्च्.70.ट.0010 का स्वामी है। परिवादी की उक्त कार विपक्षी बीमा कम्पनी से, पालिसी सं0-450502/31/12/6100006788 से बीमित है। बीमा अवधि दिंनाक 02.01.2013 से 01.01.2014 तक की थी। वाहन की बीमित वैल्यू मुबलिग 3,70,000/-है। दौरान पालिसी अवधि प्रष्नगत कार दिंनाक 28.06.2013 को रोहिणी गॉव सिकन्दरा में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिसकी सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई। उक्त क्षति के बावत इस्टीमेट मुबलिग रू0 10,72,684/-आया। बीमित धनराषि के 75 प्रतिषत से अधिक होने के कारण परिवादी का उक्त वाहन टोटल लॉस की परिधि में आता है। समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके बीमा क्लेम विपक्षी बीमा कम्पनी में प्रेशित किया गया। किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपने पत्र दिंनाकित 21.03.2014 के द्वारा परिवादी का क्लेम वास्तविक नहीं होना, बताकर खारिज कर दिया गया। जिससे परिवादी को अत्यन्त मानसिक व आर्थिक क्षति कारित हुई है। परिवादी का क्लेम अदा न करने के कारण, बीमित वाहन सर्विस सेन्टर/वर्कषाप में खड़ा हुआ है। जिससे परिवादी को पार्किंग चार्ज भी देना पड़ रहा है। विपक्षी द्वारा मनमाने तरीके से परिवादी का क्लेम खारिज करके सेवा में कमी कारित की गई है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3 विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र के तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा घटना दिंनाक 28.06.2013 की बतायी गई है। जबकि पुलिस मेंसूचना दिंनाक 30.06.2013 को तथा विपक्षी/उत्तरदाता के कार्यालय में सूचना दिंनाक 01.07.2013 को दी गई। पालिसी षर्तो के अनुसार सूचना घटना के तुरन्त बाद दी जानी चाहिये थी। इस प्रकार परिवादी द्वारा पालिसी की षर्तो का उल्लॅघन किया गया है। परिवादी द्वारा थाना सिकन्दरा में दिंनाक 30.06.2013 को दुर्घटना में स्वॅय को गम्भीर चोटें आना बताया गया था जबकि अनवेशक को दिये गये बयान में चोटों का आना मना किया गया है। दुर्घटनास्थल के मध्य स्थित बाराजोड़ टोल प्लाजा के अभिलेखों के अनुसार प्रष्नगत वाहन कथित दुर्घटना दिंनाक 28.06.2013 को कथित दुर्घटनास्थल सिकन्दरा कानपुर देहात की ओर नहीं गया है। दिंनाक 29.06.2013 को बाराजोड़ टोल प्लाजा से टोचन करके गुजरना नहीं पाया गया। आर0टी0ओ0 कानपुर में परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये कूटरचित बीमा कवर नोट बुक सं0-45100558620 अवधि दिंनाक 26.08.2011 से 25.08.2012 तक नेषनल इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 लखनऊ बीमा धन (आई.डी.वी.) रू0 1,80,000/-दिखायी गई है। इसी आधार पर वाहन का हस्तॉन्तरण परिवादी ने अपने पक्ष में कराया था। जब उक्त कवर नोट की वैधता दिंनाक 25.08.2012 तक थी तो बीमा समाप्त होने के सात माह 23 दिन पूर्व दिंनाक 02.01.2012 को प्रष्नगत वाहन का बीमा यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 से कराने के पीछे परिवादी का क्या उद्देष्य था। हस्तॉन्तरण के समय आर0टी0ओ0 कानपुर नगर में दिंनाक 29.10.2011 को परिवादी द्वारा नेषनल इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 लखनऊ का फर्जी कवर नोट बुक सं0-45100558620 अवधि दिंनाक 26.08.2011 से 25.08.2012 दाखिल किया गया था। इस प्रकार वाहन का हस्तान्तरण परिवादी ने धोखाधड़ी करके अपने पक्ष में कराया है। जय मॉ वैश्णों ब्रेक डाउन सर्विस फजलगंज, कानपुर नगर द्वारा विपक्षी के जॉचकर्ता को उपलब्ध कराये गये अभिलेखों के अनुसार रसीद सं0-243 परिवादी द्वारा जय मॉ वैश्णों ब्रेक डाउन सर्विस फजलगंज, कानपुर से ब्लैंक हांसिल की गई थी तथा परिवादी ने अपनी सुविधानुसार बीमा हितलाभ से लाभान्वित होने के उद्देष्य से उक्त रसीद भरकर दावे के समर्थन में विपक्षी/उत्तरदाता के कार्यालय में प्रस्तुत की थी। सर्वेयर श्री निर्मल त्रिपाठी द्वारा सर्वे के समय उक्त कथित दुर्घटनाग्रस्त वाहन सं0-न्च्.70.ट.0010 के अन्दर पैनल हुड खुला हुआ एंव चूहों का मलमूत्र पाया गया है। जिससे प्रतीत होता है कि उक्त वाहन लम्बे समय से बिना प्रयोग के खड़ा हुआ था। सर्वे के दौरान वाहन में ई.सी.एम., एक्स्ट्रा व्हील, बैटरी एंव चाभियॉ नहीं पायी गई। जिसकी पुश्टि तिरूपति हुन्डई वर्कषाप के जॉबकार्ड दिंनाकित 06.07.2013 से भी होती है एंव वाहन के इन्लेट मैनीफोल्ड व अन्य पार्टस पर हथौड़े के प्रहार के निषान एंव ट्रॉसमिषन हाउसिंग के फिन्स टूटे हुये पाये गये जो कि कथित दुर्घटना से सम्बन्धित प्रतीत नहीं होते हैं। विपक्षी की सेवाओं में कोई कमी नहीं है। परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 18.11.2015 व अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के माध्यम से बीमा पालिसी की छायाप्रति, आर0सी0 की छायाप्रति, ड्राइविंग लाइसेंस की छायाप्रति, इस्टीमेट की छायाप्रति, ’’नो क्लेम’’ पत्र दिंनाकित 21.03.2014 की छायाप्रति कागज सं0-4/1 लगायत 4/9 दाखिल की है। परिवादी ने साक्ष्य षपथपत्र दिंनााकत 06.06.2017 स्वॅय का दाखिल किया है। परिवादी की ओर से लिखित बहस भी दाखिल की गई है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.विपक्षी की ओर से जवाबदावा के समर्थन में राम भोले वरिश्ठ षाखा प्रबंधक, नेषनल इंष्योरेन्स कम्पनी लि0, पी.एस.बी. 15/291 सिविल लाइंस, कानपुर का षपथपत्र दिंनाकित 26.09.2017 दाखिल किया गया है तथा साक्ष्य षपथपत्र के साथ संलग्नक के रूप में कागज सं0-16/9 लगायत 16/40 प्रपत्र दाखिल किये हैं। जो क्रमषः विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित पत्र दिंनाकित 18.02.2014, पत्र दिंनाकित 07.03.20134, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र दिंनाकित 12.03.2014 मय संलग्नक पत्र दिंनाकित 30.06.2013, 01.07.2013, आर.टी.ओ. का पत्र दिंनाकित 14.09.2012, पत्र दिंनाकित 08.10.2013, पत्र दिंनाकित 11.11.2013, पालिसी, वाहन हस्तॉन्तरण प्रपत्र, वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र तथा सर्वेयर की अंतिम आख्या आदि प्रपत्रों की छायाप्रतियॉ षपथपत्र से सत्यापित करके दाखिल की हैं।
6. पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्रीय साक्ष्यों का तथा प्रलेखीय साक्ष्यों का यथा-आवष्यक स्थान पर आगे निर्णय में उल्लेख किया जायेगा।
ख्
निष्कर्श
7. उभय पक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलनोपरान्त फोरम का यह मत है कि प्रस्तुत मामले में निम्नलिखित विचारणींय बिन्दु बनते हैंः-
1.क्या परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन की सूचना सम्बन्धित थाने में केवल विपक्षी बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गई है, यदि हॉ तो प्रभाव?
2.क्या विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा परिवादी का क्लेम गलत तरीके से खारिज किया गया है, यदि हॉ तो प्रभाव?
3.अनुतोश।
निस्तारण वाद बिन्दु संख्या-1- क्या परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन की सूचना सम्बन्धित थाने में केवल विपक्षी बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गई है, यदि हॉ तो प्रभाव?
यह वाद बिन्दु सिद्व करने का भार विपक्षी बीमा कम्पनी पर है। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से यह तर्क किये गये हें कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन की दुर्घटना दिंनाक 28.06.2013 को होनी बतायी गई है। किन्तु सम्बन्धित पुलिस थाने में सूचना दिंनाक 30.06.2013 को दी गई है और विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में दिंनाक 01.07.2013 को सूचना दी गई है। पालिसी षर्तो के अनुसारर सूचना घटना के तुरन्त बाद दी जानी चाहिये थी। परिवादी द्वारा सूचना घटना के तुरन्त बाद न देकर बीमा षर्तो का उल्लॅघन किया गया है। जबकि इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा यह कथन किये गये हैं कि घटना के बाद समय से ही, घटना के तीसरे दिन सूचना थाने में दी गई है और घटना के चौथे दिन दिंनाक 01.07.2013 को सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी कार्यालय में दी गई है।
उपरोक्तानुसार उपरोक्त वाद बिन्दु पर उभय पक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा मात्र दो दिन का विलम्ब सम्बन्धित थाने में एफ0आई0आर0 कराने में तथा मात्र चार दिन का विलम्ब बीमा कम्पनी को सूचना देने में कारित किया गया है। इस सम्बन्ध में विधि निर्णय 11 ख्2018, ब्च्श्र.518 ख्छब्, ैतपतंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् टध्े डंसंद छपअतनजप ज्ञंउइसम - ।दतण् के मामले में मान0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा 06 दिन के विलम्ब को गलत नहीं माना गया है। उपरोक्त विधि व्यवस्था के मामले के तथ्य प्रस्तुत मामलें के तथ्यों से समानता के कारण, मान0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित विधिक सिद्वान्त का लाभ परिवादी को प्राप्त होता है।
अतः उपरोक्त कारणों से प्रस्तुत वाद बिन्दु परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्व निस्तारित किया जाता है।
निस्तारण वाद बिन्दु संख्या-2- क्या विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा परिवादी
का क्लेम गलत तरीके से खारिज किया गया है, यदि हॉ तो प्रभाव?
यह वाद बिन्दु सिद्व करने का भार परिवादी पर है। परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि प्रष्नगत वाहन दिंनाक 28.06.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। उक्त क्षति के बावत इस्टीमेट मुबलिग 10,72,684/-रू0 आया है। बीमित धनराषि के 75 प्रतिषत से अधिक धनराषि होने के कारण नियमानुसार परिवादी का क्लेम टोटल लॉस की परिधि में आता है। विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा अपने पत्र दिंनाकित 21.03.2014 के द्वारा परिवादी का क्लेम न होना बताकर गलत तरीके खारिज करके सेवा में कमी कारित की गई है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र तथा संलग्नक के रूप में प्रष्नगत श्छव ब्संपउश् पत्र दिंनाकित 21.03.2014 की छायाप्रति प्रस्तुत की गई है। इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से यह तर्क किये गये हैं कि परिवादी द्वारा कूटरचित तरीके से बीमा कवर नोट बुक सं0-45100558620 अवधि दिंनाक 26.08.2011 से 25.08.2012 तक नेषनल इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 लखनऊ बीमा धन (आई.डी.वी.) रू0 1,80,000/-दिखायी गई है। जबकि उक्त कवर नोट की वैधता दिंनाक 25.08.2012 तक ही थी। ऐसी स्थिति में बीमा समाप्त होने के सात माह 23 दिन पूर्व दिंनाक 02.01.2012 को प्रष्नगत वाहन का बीमा यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 से कराने के पीछे परिवादी का क्या उद्देष्य था। परिवादी द्वारा दिंनाक 29.10.2011 को नेषनल इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 लखनऊ का फर्जी कवर नोट दाखिल करके धोखाधड़ी करके प्रष्नगत वाहन का हस्तॉन्तरण अपने पक्ष में कराया गया है। सर्वेयर श्री निर्मल त्रिपाठी द्वारा दी गई रिपोर्ट में प्रष्नगत वाहन का पैनल हुड खुला होना तथा चूहों का मलमूत्र पाया जाना, वाहन में ई.सी.एम., एक्स्ट्रा व्हील, बैटरी एंव चाभियॉ न पाये जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रष्नगत वाहन लम्बे समय से खड़ा हुआ था। वाहन के इन्लेट मैनीफोल्ड व अन्य पार्टस पर हथौड़े के प्रहार के निषान एंव ट्रॉसमिषन हाउसिंग के फिन्स टूटे हुये पाये गये जिससे सम्पूर्ण घटना संदिग्ध प्रतीत होती है।
उपरोक्तानुसार उभय पक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी के द्वारा परिवादी पर धोखाधड़ी करके प्रष्नगत वाहन का हस्तॉन्तरण अपने पक्ष में कराया जाना बताया गया है और सर्वेयर श्री निर्मल त्रिपाठी द्वारा दी गई उपरोक्त रिपोर्ट से भी अभिकथित दुर्घटना का संदिग्ध होना माना गया है। इस सम्बन्ध में फोरम का यह मत है कि यदि परिवादी द्वारा कोई फर्जीवाड़ा अथवा धोखाधड़ी कारित की गई थी तो इस विशय में विपक्षी द्वारा परिवादी के विरूद्व अपराधिक विधिक कार्यवाही करनी चाहिये थी। विपक्षी द्वारा उक्त कार्यवाही न किये जाने से, विपक्षी के कथन पर विष्वास किया जाना न्यायसंगत नहीं है। जब विपक्षी के द्वारा परिवादी के प्रष्नगत वाहन का बीमा किया गया तो उस समय भी विपक्षी बीमा कम्पनी को उपरोक्त समस्त संदेहों की जॉच करने का पूर्ण अवसर था। विपक्षी द्वारा उक्त अवसर का प्रयोग न हीं किया गया है। अतः अब इस स्थिति पर विपक्षी को बीते हुये समय की घटना की जॉच करने के लिये स्वतंत्र किया जाना न्यायसंगत नहीं है। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत की गई सर्वेयर श्री निर्मल त्रिपाठी की अंतिम रिपोर्ट संलग्नक कागज सं0- 15/1 लगायत 15/3 का अवलोकन किया गया। उक्त रिपोर्ट के प्रस्तर-13 में सर्वेयर द्वारा आई.डी.वी. को बढा-चढाकर अंकित किया जाना बताया गया है। रिपोर्ट के प्रस्तर-13 के उक्त प्रस्तर-बी. में सर्वेयर द्वारा अंकित किया गया है कि-श्।बबपकमदजध्स्वे पे दवज ंचचमंतपदह दंजनतंसध्दवतउंस ख् । ेचमबपंसप्रमक चंदमस वि पिअम ेनतअमलवत पे तमुनपतमक जव ेंबमतजंपदपदह जीम बवदबतमजम वचपदपवद,श्
जिससे यह अवधारणा बनती है कि सर्वेयर निर्मल त्रिपाठी स्वॅय में, अपने दिये गये निश्कर्श के अंतिम परिणाम से सहमत नहीं थे। उनके द्वारा एक पॉच सर्वेयर का अतिरिक्त पैनल, प्रष्नगत घटना के अनवेशण हेतु नियुक्ति किये जाने की संस्तुति की गई है। ऐसी दषा में मात्र सर्वेयर निर्मल त्रिपाठी द्वारा दी गई रिपोर्ट पर विष्वास किया जाना न्यायसंगत नहीं है। विपक्षी द्वारा सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर ही परिवादी का क्लेम खारिज किया गया है। चूॅकि सर्वेयर की रिपोर्ट स्वॅय में अंतिम नहीं है। सर्वेयर द्वारा स्वॅय अन्य पैनल की संस्तुति की गई है। जिसका गठन विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा नहीं किया गया है। ऐसी दषा में फोरम का यह मत है कि विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा परिवादी का क्लेम अनियमित रूप से खारिज किया गया है।
अतः उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर प्रस्तुत वाद बिन्दु परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्व निस्तारित किया जाता है।
निस्तारण वाद बिन्दु संख्या-3-अनुतोशः
उपर्युक्त वाद बिन्दु संख्या-1 एंव 2 में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद प्रष्नगत वाहन की बीमित धनराषि रू0 3,70,000/-(तीन लाख सत्तर हजार रू0 मात्र)में 25 प्रतिषत डिप्रीषिएसन वैल्यू घटा कर षेश बीमित धनराषि रू0 2,59,000/- (दो लाख उन्सठ हजार रू0 मात्र) दिलाये जाने हेतु तथा रू0 5000/-(पॉच हजार रू0) परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहॉ तक अन्य याचित उपषम का प्रष्न है - के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण, स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं।
:ःआदेषःःः
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, उपरोक्त कारणों से, ऑषिक रूप से विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेषित किया जाता है कि वह प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर परिवादी को, प्रष्नगत वाहन की बीमित धनराषि रू0 3,70,000/- (तीन लाख सत्तर हजार रू0 मात्र) में 25 प्रतिषत डिप्रीषिएसन वैल्यू घटा कर षेश बीमित धनराषि रू0 2,59,000/-(दो लाख उन्सठ हजार रू0 मात्र) अदा करे तथा रू0 5000/-(पॉच हजार रू0) परिवाद व्यय अदा करे।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
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