Rajasthan

Jhunjhunun

CC/101/2015

Vinod Kumar - Complainant(s)

Versus

National Insurance Company - Opp.Party(s)

PHool Chand Saini

25 Aug 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/101/2015
 
1. Vinod Kumar
Vard No.12,Udayapurvati
Jhunjhunu
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. National Insurance Company
Station road,Jhunjhunu
Jhunjhunu
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:PHool Chand Saini, Advocate
For the Opp. Party: Bhagavan Singh, Advocate
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 101/15

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

विनोद कुमार जांगिड पुत्र महादेव प्रसाद जांगिड जाति जांगिड निवासी वार्ड नम्बर 12 बस स्टेण्ड के पास उदयपुरवाटी तहसील उदयपुरवाटी जिला झुन्झुनू (राज.)- परिवादी
                         बनाम
नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0, जरिये शाखा प्रबंधक, स्टेषन रोड़, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0)                                              - विपक्षी

        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री फूलचंद सैनी, अधिवक्ता   -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री भगवान सिंह शेखावत, अधिवक्ता  -  विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -             दिनांक: 24.08.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         18.03.2015 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी वाहन मारूती वैन नम्बर आर.जे. 18 यू.ए. 3446 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 08.02.2014 से 07.02.2015 तक बीमित था। विपक्षी ने प्रीमियम राषि लेकर वाहन बीमित किया था, जिसकी पालिसी नम्बर 35101031136134322556 है। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। 
       विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी ने उक्त वाहन रामप्रताप पुत्र मदनलाल निवासी उदयपुरवाटी से खरीद कर वाहन का रजिस्ट्रेषन दिनांक 29.04.2014 को अपने नाम करवा लिया। उक्त वाहन का बीमा अपने नाम चेंज करवाने के लिये फार्म भरकर विपक्षी को दे दिया परन्तु बीमा कवर नोट में परिवादी का नाम चेंज नहीं हो सका। दिनांक 06.05.2014 को उक्त वाहन को लेकर परिवादी का चालक चिमनलाल आयल मिल उदयपुरवाटी में सरसो के तेल के पीपे लाने गया था जहां खड़े वाहन के अचानक शार्ट सर्किट से आग लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना पुलिस थाना उदयपुरवाटी पर दे दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। परिवादी ने मौके पर विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर को बुलाकर एस्टीमेट की कोपी उपलब्ध करवादी तथा सर्वेयर ने सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करदी थी। परिवादी ने दिनांक 09.05.2014 को मोटर दावा पंजीकृत करवाने की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को फार्म भरकर दे दिया तथा सभी औपचारिकतायें पूर्ण करदी। परिवादी को दिनांक 27.06.2014 को विपक्षी बीमा कम्पनी का पत्र मिला जिसमें पुलिस रिपोर्ट, तेल मिल के पीपों की खरीद के बिल, दुर्घटना की सूचना देरी से देने, आर.सी. में नाम परिवर्तन की दिनांक आदि सूचना मांगी, जिसके समस्त दस्तावेजात रोजनामचा रपट, अंतिम प्रतिवेदन, स्टेटमेंट क्षति राषि आदि समस्त कागजात परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दिये। दिनांक 17.01.2015 को परिवादी को विपक्षी बीमा कम्पनी का पत्र मिला जिसमें परिवादी का क्लेम खारिज (Repudiate) कर फाईल बन्द करदी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर के मुताबिक परिवादी के उकत वाहन की क्षति के 1,92,500/-रूपये हैं जो प्राप्त करने हेतु परिवादी, विपक्षी के यहां बार-बार चक्कर लगा चुका है परन्तु परिवादी को बीमित राषि का भुगतान नहीं किया गया । इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की बीमित राषि 1,92,500/-रूपये मय ब्याज दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी को वाहन मारूती वैन नम्बर आर.जे. 18 यू.ए. 3446 का रजिस्टर्ड मालिक होना स्वीकार किया है परन्तु उक्त वाहन परिवादी विनोदकुमार ने रामप्रताप से क्रय किया है, उसकी सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दी गई तथा न ही बीमा पालिसी परिवादी विनोद कुमार के नाम ट्रांसफर हुई है। 
       विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा कथित वाहन में आग लगने की सूचना दिए जाने पर बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर ने वाहन में हुए नुकसान बाबत आंकलन कर 1,25,000/-रूपये की क्षति होने का अंाकलन किया है जबकि परिवादी ने बढा चढा कर नुकसान बताया है।  मामला क्वान्टम से सम्बन्धित है, जिसमें शहादत बयान वगैरह लेकर सिविल न्यायालय में ही तय किया जा सकता है। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी विनोद कुमार वाहन मारूती वैन नम्बर आर.जे. 18 यू.ए. 3446 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 08.02.2014 से 07.02.2015 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था।  
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 06.05.2014 को आयल मिल उदयपुरवाटी में आग लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी व संबंधित पुलिस थाना को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर प्रेम अग्रवाल द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसके अनुसार नुकसान बाबत आंकलन कर 1,26,300/-रूपये की क्षति होना पाया है। 
पत्रावली में प्रस्तुत दस्तावेजात से यह स्पष्ट है कि वक्त दुर्घटना उक्त वाहन का रजिस्टर्ड मालिक परिवादी विनोदकुमार था। रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट की प्रति परिवाद पत्र के साथ पेष की गई है। परिवाद पत्र के साथ प्रस्तुत बीमा पालिसी की प्रति के अनुसार वाहन का प्रीमियम भी बीमा कम्पनी को अदा किया हुआ है। 
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि वाहन में अनाधिकृत रूप से गैस सिलेण्डर से गैस भरी जा रही थी जिसके कारण वाहन में आग लगी। अवैध तरीके से गैस भरकर परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किया गया है। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेज पेष नहीं किये गये हैं।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्क से भी सहमत नहीं हैं क्योंकि बीमा पालिसी के अनुसार उक्त वाहन में एल.पी.जी. गैस (फ्यूल) किट का प्रीमियम 60/-रूपये बीमा कम्पनी द्वारा लिया गया है। परिवादी द्वारा गैर कानूनी रूप से   एल.पी.जी. गैस लापरवाही से भरी जाने का कथन विपक्षी ने किस आधार पर किया है, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया है। वक्त घटना शार्ट सर्किट के कारण उक्त वाहन में आग नही लगी हो, इसका भी कोई प्रमाण विपक्षी द्वारा पेष नहीं किया गया है। 
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-  

I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA  VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS,  II (2014) CPJ 593 (NC)-  MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)-  MANJULA DAS  VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.


उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है। 
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत पर 1,92,500/-रूपये खर्च होना बताया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के साथ प्रस्तुत बिल में क्षति पूर्ति की राषि बढ़ा-चढ़ा कर बताई है, जिस पर विष्वास किए जाने का कोई युक्तियुक्त कारण नहीं है। 
 अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 1,26,300/-रूपये (अक्षरे रूपये एक लाख छब्बीस हजार तीन सौ मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 18.03.2015 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है।   इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
        निर्णय आज दिनांक 24.08.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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