जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 500/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
विकास कालेर आयु 32 साल पुत्र श्री षिवनारायण सिंह जाति जाट निवासी वार्ड नम्बर 10 किसान कालोनी, झुंझुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
1. नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा, झुंझुनू स्टेट बैंक आफ इण्डिया के ऊपर, स्टेषन रोड़, झुंझुनू जरिए शाखा प्रबंधक, नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शाखा झुंझुनू स्टेट बैंक आफ इण्डिया के ऊपर, स्टेषन रोड़, झुंझुनू (राज0)
2. आॅडी मोटर्स लिमिटेड रीको, झुंझुनू। - विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री षिवनारायण सिंह, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री भगवान सिंह़ शेखावत, अधिवक्त -विपक्षी संख्या 1बीमा कम्पनी की ओर से।
3. श्री अषोक कुमार शर्मा़, अधिवक्ता - विपक्षी संख्या 2 की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 06.01.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 16.09.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी विकास कालेर ने वाहन स्विफ्ट डिजायर नम्बर RJ-18 C.A.- 3624 श्री रड़मलसिंह पुत्र स्व0 हनुमानाराम से क्रय किया तथा जिला परिवहन कार्यालय, झुंझुनू में परिवादी के नाम से दिनांक 23.05.2013 को रजिस्ट्रेषन ट्रांसफर करवाया जाकर परिवादी के नाम से ट्रांसफर रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट दिनांक 24.05.2013 को प्राप्त हुआ, तब से परिवादी उक्त वाहन का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 21.12.2012 से 2012.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। परिवादी ने उक्त वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर विपक्षी नम्बर 1 के निर्देषानुसार उसके अधिकृत डीलर विपक्षी नम्बर 2 के यहां रिपेयर करवाया। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 24.05.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । दिनांक 25.05.2013 व 26.05.2013 का अवकाष होने से परिवादी द्वारा वाहन की बीमा पालिसी परिवादी के नाम ट्रांसफर करने एवं क्षतिपूर्ति केे संबंध में आवष्यक कार्यवाही करने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए जाने पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा विपक्षी संख्या 2 के यहां प्रस्तुत करने हेतु निर्देषित किया, जिस पर परिवादी ने मारूती सुुजुकी द्वारा अधिकृत डीलर विपक्षी नम्बर 2 आडी मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड स्थित रीको एरिया, झुंझुनू में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। दिनांक 27.05.2013 को परिवादी के उक्त वाहन का विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा सर्वे किया गया। उक्त वाहन की बीमा परिवादी के नाम ट्रांसफर किये जाने के लिये इन्डोर्समेंट हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी में उक्त आडी मोटर्स प्राइवेट लि0 झुंझुनू द्वारा रिक्वेस्ट डाली गई । दिनांक 28.05.2013 को वाहन की क्षतिपूर्ति के संबंध में विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किये जाने पर विपक्षी नम्बर 1 द्वारा परिवादी को उक्त वाहन की बीमा परिवादी के नाम ट्रांसफर नहीं होने के कारण वाहन की बोडी रिपेयरिंग करवाकर कम्पनी द्वारा विहित फार्मेट में केष मीमो, रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट, सहमति पत्र रडमल सिंह, बीमा पालिसी संबंधी समस्त दस्तावेजात प्रस्तुत कर क्षतिपूर्ति राषि बाबत क्लेम करने का निर्देष दिया। वाहन की मरम्मत विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी द्वारा अथोराईज्ड सर्विस सेण्टर से करवाई गई, जिस पर 20,458/-रूपये खर्च हुये। परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किया तो विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी से टालमटोल कर उक्त क्षतिपूर्ति राषि का भुगतान करने से इन्कार कर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने अपने तर्को के समर्थन में न्यायदृष्टांत 2014(1)CCR 438(SC) – MALLAMMA (DEAD) BY L.Rs Vs. NATIONAL INSURANCE CO- LTD. & ORS. पेष किया।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 20,458/- रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान वाहन स्विफ्ट डिजायर नम्बर RJ-18 C.A.- 3624 श्री रड़मलसिंह पुत्र स्व0 हनुमानाराम का रजिस्टर्ड मालिक होना तथा वक्त दुर्घटना उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को दुर्घटना के संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई है तथा बीमा कम्पनी का परिवादी से कोई अनुबंध नहीं हुआ। वाहन की बीमा परिवादी के नाम से नहीं की गई है। इसलिये परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी द्वारा बिना बीमा कम्पनी को सूचना दिये तथा बिना सर्वेयर से जांच कराये ही रिपेयरिंग करवाया जाने के कारण बीमा शर्तों का उल्लंघन होने पर परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से कोई क्षतिपूर्ति क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी संख्या 2 ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान स्वंय को विपक्षी संख्या 1 का अधिकृत डीलर होना स्वीकार करते हुये कथन किया है कि विपक्षी संख्या 2 के पास किसी भी बीमित दुर्घटनाग्रस्त वाहन के आने पर तुरंत कर्मचारियो द्वारा सम्बन्धित बीमा कम्पनी को सूचित किया जाता है। सूचना के बाद बीमा कम्पनी का सर्वेयर आकर वाहन में हुये नुकसान का सर्वे करता है तथा बीमा कम्पनी को अपनी रिपोर्ट भेजता है। इसके बाद बीमित वाहन की रिपेयर किये जाने के लिये संबंधित बीमा कम्पनी द्वारा वाहन को रिपेयर करने की अप्रूवल दी जाती है। परिवादी दिनांक 27.05.2013 को स्वंय उक्त वाहन विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में लेकर आया तथा एक्सीडेंट होने की सूचना देने के पश्चात विपक्षी संख्या 2 के कर्मचारियो ने वाहन को रिसीव कर उसी रोज दिनांक 27.05.2013 को ही विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को सूचित किया जाकर उक्त वाहन का सर्वे करवा दिया। विपक्षी संख्या 2 द्वारा परिवादी के वाहन को रिपेयर कर दिया गया। क्षतिपूर्ति की राषि का भुगतान किया जाना विपक्षी बीमा कम्पनी की शर्तो पर निर्भर करता है, जिसके लिये विपक्षी संख्या 2 जिम्मेदार नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी संख्या 2 आॅडी मोटर्स लि0 ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य प्रकट हुआ कि वाहन स्विफ्ट डिजायर नम्बर RJ-18 C.A.- 3624 दिनांक 23.05.2013 को श्री रड़मलसिंह पुत्र स्व0 हनुमानाराम रजिस्टर्ड मालिक से परिवादी विकास कालेर पुत्र श्री षिवनारायण सिंह द्वारा क्रय कर अपने हक में रजिस्ट्रेषन स्थानान्तरित किये जाने की कार्यवाही प्रारंभ करदी, जिसके परिणामस्वरूप परिवहन कार्यालय द्वारा उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन परिवादी के हक में कर दिया गया। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 21.12.2012 से 2012.2013 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अवधि में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि परिवादी ने उक्त वाहन की जो बीमा पालिसी पेष की है, वह वक्त दुर्घटना परिवादी के नाम नहीं है। इस प्रकार दुर्घटना दिनांक 24.05.2013 को पंजीकृत वाहन मालिक के नाम वैध एवं प्रभावी बीमा पालिसी नहीं थी। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। परिवादी की ओर से उक्त वाहन की बीमा पालिसी की फोटो प्रति पेष की गई है, वह बीमा पालिसी संख्या 35101031126132373860 प्रारंभ में श्री रडमल सिंह पुत्र स्व. हनुमानाराम के नाम से जारी की गई है । उक्त बीमा पालिसी किसी व्यक्ति की न होकर वाहन की है, जो दिनांक 21.12.2012 से 2012.2013 तक प्रभावी है। वक्त दुर्घटना वाहन की बीमा पालिसी वैध एवं प्रभावी थी। परिवाद पत्र के संलग्न रडमल सिंह के शपथ पत्र में यह अंकित किया गया है कि उसने वाहन स्विफ्ट डिजायर नम्बर RJ-18 C.A.- 3624 के मालिकाना व स्वामित्व सबंधी समस्त हक अधिकार जरिये रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट श्री विकास कालेर के हक में दिनांक 23.05.2013 को ही स्थानान्तरित कर दिये हैं। इसलिये उक्त वाहन जो उसके नाम से बीमित है, के बीमा सबंधी समस्त हक अधिकार भी वह उक्त विकास कालेर को स्थानान्तरित करता है। उक्त वाहन बाबत कोई भी क्षतिपूर्ति राषि यदि उक्त वाहन की बीमा कम्पनी द्वारा विकास कालेर को दी जाती है तो उसे कोई आपति नहीं होगी। तत्पश्चात दिनांक 03 जनवरी, 2013 को निर्धारित प्रक्रिया अपनाई जाकर परिवादी का नाम भी पालिसी में अंकित कर दिया गया है। इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी किस आधार पर कहती है कि परिवादी के पास वैध एवं प्रभावी बीमा पालिसी नहीं थी।
पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 24.05.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई, जिसकी पुष्टि स्वंय विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेण्टर आॅडी मोटर्स लि0 के जवाब से होती है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा अधिकृत सर्विस सेण्टर के कर्मचारियों द्वारा दिनांक 27.05.2013 को ही उक्त वाहन का बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा सर्वे किया जाना भी प्रकट किया है। विपक्षी बीमा कम्पनी के उक्त सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर रिपोर्ट पत्रावली में क्यों नहीं पेष की गई, इसका कोई संतोषप्रद कारण विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नहीं बताया गया है। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया गया है । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है। हमारे उक्त मत की पुष्टि विद्वान् अधिवक्ता परिवादी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त न्यायदृष्टांत से भी होती है।
अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ AUDI MOTORS PVT. LTD (Authorised Dealers for MARUTI SUZUKI INDIA LTD) Riico Industrial Area, Jhunjhunu के बिल की फोटो प्रति पेष की हैं, जिसके अनुसार उक्त वाहन की रिपयेरिंग पर 20,458/-रूपये व्यय होना अंकित किया गया है । परिवादी की ओर से प्रस्तुत उक्त बिल के खण्डन में किसी प्रकार का कोई युक्तियुक्त कारण विपक्षीगण द्वारा पेष नहीं किया गया है। इसलिये मारूती सुुजुकी द्वारा अधिकृत डीलर विपक्षी नम्बर 2 आडी मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड स्थित रीको एरिया, झुंझुनू द्वारा प्रस्तुत व्यय बिल पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी संख्या 1 व 2 स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी उक्त विपक्षीगण से रूपये 20,458/- (अक्षरे रूपये बीस हजार चार सौ अट्ठावन मात्र) बतौर क्षतिपूर्ति राषि के रूप में संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 16.09.2013 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 06.01.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।