जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 525/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
सुभाषचन्द पुत्र प्रहलाद सिंह जाति मीणा निवासी उदावास तहसील व जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये शाखा प्रबंधक, नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड स्टेषन रोड़, शाहों के कुए के पास झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री द्वारका प्रसाद वर्मा, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री भगवान सिंह, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 09.01.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 23.09.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी सुभाषचन्द वाहन टवेरा नम्बर आर.जे. 17 यू.ए. 0040 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 07.10.2011 से 24.08.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 10.02.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा जरिए टेलिफोन विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी के वाहन का सर्वे किया गया। परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को रिपेयर करवाया, जिस पर कुल 3,57,960/-रूपये खर्च हुआ। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के पेष किया लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन की दुर्घटना के संबंध में किसी भी प्रकार की क्लेम राषि अदा नहीं की तथा दिनांक 26.04.2013 को परिवादी को सूचना दी गई कि सक्षम अधिकारी ने दावा फाइल पुनः खोलने की अनुमति नहीं दी है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी के साथ धोखाधड़ी की नियत से वाहन का 12 माह का प्रीमियम लिया जाकर वाहन को दिनांक 07.10.2011 से 24.08.2012 तक की अवधि का ही बीमा कवरनोट में अंकन कर दिया। दुर्घटना के संबंध में परिवादी को क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया है। विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 3,57,960/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी को वाहन टवेरा नम्बर आर.जे. 17 यू.ए. 0040 का मालिक होना एवं उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 07.10.2011 से 24.08.2012 तक की अवधि के लिये बीमा पालिसी में वर्णित शर्तो के अधीन बीमित होना स्वीकार किया है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान उक्त तर्को का विरोध करते हुए यह कथन किया है कि परिवादी ने उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की कोई सूचना बीमा कम्पनी को दिनांक 18.02.2012 से पहले नहीं दी न ही कोई वाहन का स्पोट सर्वे करवाया तथा सूचना देरी से देने का कोई कारण नहीं बताया, जो बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन है। परिवादी के वाहन में 3,57,960/-रूपये का नुकसान नहीं हुआ है बल्कि यह राषि मनगढ़ंत रूप से बढ़ा चढ़ा कर अंकित की गई है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दिनांक 20.08.2012, 01.09.2012 को लिखित पत्र रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजने के बावजूद भी परिवादी ने वांछित दस्तावेज, मरम्मत के बिल व भुगतान की रसीद वगैरह उपलब्ध नहीं करवाये न ही वाहन को पुनः निरीक्षण हेतु उपलब्ध कराया, जिस पर मजबूरन परिवादी की क्लेम फाईल बन्द करदी गई। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी की सेवामें कोई कमी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन टवेरा नम्बर आर.जे. 17 यू.ए. 0040 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 07.10.2011 से 24.08.2012 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 10.02.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके संबंध में पुलिस थाना मुकुंदगढ़ पर एफ0आई.आर0 संख्या 25/12, अंतर्गत धारा 279,337,338,304-ए भारतीय दण्ड संहिता में दर्ज होकर बाद अनुसंधान सक्षम न्यायालय में आरोप पत्र पेष हुआ। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 1,69,649/-रूपये पेयबल मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की । परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान नहीं किया । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से न्यायदृष्टांत प् ;2013द्ध ब्च्श्र 440 ;छब्द्ध. ।छज्ञन्त् ैन्त्।छ। टैण् न्छप्ज्म्क् प्छक्प्। प्छैन्त्।छब्.’म् ब्व्ण्स्ज्क्ण् - व्त्ैए प्प् ;2014द्ध ब्च्श्र 593 ;छब्द्ध. डन्त्स्प् ब्व्स्क् ैज्व्त्।ळम् स्प्डप्ज्म्क् टै व्त्प्म्छज्।स् प्छैन्त्।छब्म् ब्व्ण् स्ज्क् - ।छत्ण्ए प् ;2013द्ध ब्च्श्र 40ठ ;छब्द्ध ;ब्छद्ध. ड।छश्रन्स्। क्।ै टै ।ैभ्व्ज्ञ स्म्ल्स्।छक् थ्प्छ।छब्म् स्ज्क् - ।छत्ण्ए पेष किये गये।
उक्त न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को महत्व दिया है।
अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ श्याम ओटो एजेंसी, सीकर, राजधानी बेट्री हाउस, झुंझुनू, पूजा मोटर्स जयपुर, श्री अन्नपूर्णा टायर, झुंझुनू, कुरेषी डेन्टिंग एण्ड पेन्टिग झुंझनू, सैयद आटो इलेक्ट्रीक सेंटर, झुंझुनू, गणपति इन्जिनियरिंग वक्र्स, झुंझुनू, नेषनल मोटर गैरेज, झुंझुनू, अजमेर डेन्टिंग एण्ड पेन्टिग, झुंझनू आदि के बिलों की फोटो प्रतियां पेष की हैं । लेकिन उक्त बिलों में राषि किस प्रकार से अंकित की गई है। परिवादी द्वारा बिलों में अंकित राषि बढ़ा चढ़ा कर बताई गई है, जिस पर विष्वास किए जाने का कोई युक्तियुक्त आधार नहीं है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 1,69,649/रुपये (अक्षरे रूपये एक लाख उनहतर हजार छः सौ उनचास मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 23.09.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 09.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।