Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/39/2016

Shri Yaduraj Singh - Complainant(s)

Versus

National Insurance Company - Opp.Party(s)

Shri Santpal Singh

15 Feb 2018

ORDER

         परिवाद प्रस्‍तुतिकरण की तिथि: 13-6-2016  

                                              निर्णय की तिथि: 15.02.2018

कुल पृष्‍ठ-6(1ता6)

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

                        श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

परिवाद संख्‍या- 39/2016  

यदुराज सिंह पुत्र श्री जयपाल सिंह निवासी ग्राम पोटा डाकखाना कोठी खिदमतपुर थाना छजलैट जिला मुरादाबाद।                                       परिवादी

बनाम

1-नेशनल इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्‍धक, जय प्‍लाजा 56, राजपुर रोड, देहरादून, उत्‍तराखण्‍ड।

2- नेशनल इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा मण्‍डलीय प्रबन्‍धक, कोठीवाल नगर, स्‍टेशन रोड, मुरादाबाद।

3-भारतीय स्‍टेट बैंक द्वारा शाखा प्रबन्‍धक, उमरी कला, नूरपुर रोड, जिला मुरादाबाद।

                                                           विपक्षीगण

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे पुत्री की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप उसकी बीमा राशि अंकन-2,00,000/-रूपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-10,000/-रूपये और परिवाद व्‍यय की मद में अंकन-5,000/-रूपये परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी की पुत्री अंशु देवी का एक बचत खाता विपक्षी-3 बैंक की शाखा में था, उसके बैंक खाते से प्रति वर्ष प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अधीन प्रीमियम कटता था। विपक्षी-3 ने दिनांक 18-5-2015 को बीमा प्रीमियम अंशु देवी के बचत खाते से काटा, उसके सापेक्ष अंशु देवी का दिनांक 31-5-2016 तक अंकन-2,00,000/-रूपये का बीमा विपक्षी-1 व 2 से हो गया। परिवादी इस पालिसी में नामिनी है। अंशु देवी सहायक अध्‍यापिका थी। दिनांक 29-10-2015 को चुनाव ड्यूटी समाप्‍त करके वह गांधी मूर्ति के पास बिलारी तिराहे पर सड़क के किनारे खड़ी होकर मुरादाबाद जाने के लिए सवारी का इन्‍तजार कर रही थी, इसी बीच रात्रि लगभग 8 बजे एक मोटर साईकिल नं.-यूपी-23एल-8354 के चालक ने अंशु देवी को टक्‍क्‍र मार दी। दुर्घटना में अंशु देवी के सिर में गंभीर चोट आयी, तत्‍काल उसे बिलारी के प्राईवेट डाक्‍टर को दिखाया गया, जहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे रेफर कर दिया गया। अंशु देवी को संजी‍वनी अस्‍पताल, अमरोहा में भर्ती कराया गया, उसकी गंभीर हालत को देखते  हुए वहां से भी उसे रेफर कर दिया गया। अंशु देवी को मिम्‍हेंस न्‍यूरो साईंस सुपर स्‍पेशलिटी अस्‍पताल, मेरठ में दिनांक 30-10-2015 को भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान दिनांक 08-12-2015 को अंशु देवी की मृत्‍यु हो गई। अस्‍पताल में मृत्‍यु होने की वजह से अंशु देवी का पोस्‍टमार्टम नहीं हुआ। दुर्घटना की रिपोर्ट थाना बिलारी, जिला मुरादाबाद में दर्ज करायी गई थी। परिवादी ने क्‍लेम फार्म और अन्‍य औपचारिकतायें पूर्ण करके विपक्षी-1 व 2 से बीमा दावे के भुगतान का अनुरोध किया किन्‍तु बीमा कंपनी ने इस आधार पर बीमा दावा अस्‍वीकृत कर दिया कि मृतका अंशु देवी का पोस्‍टमार्टम नहीं कराया गया था। परिवादी ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि पुलिस ने दुर्घटना के इस मामले में विवेचना के आधार पर धारा-304ए आईपीसी के अधीन मोटर साईकिल चालक के खिलाफ आरोप पत्र न्‍यायालय में प्रस्‍तुत कर दिया है। इस प्रकार पुलिस ने अंशु देवी की मृत्‍यु सड़क दुर्घटना में आयी चोटों की वजह से होना प्रमाणित पायी है। परिवादी ने यह कहते हुए कि पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट न होने के आधार पर परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत करके विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है, परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
  3. परिवाद के साथ परिवादी द्वारा दावा अस्‍वीकृत किये जाने संबंधी बीमा कंपनी का पत्र, मृतका अंशु देवी के बचत खाते की पासबुक, बीमा कंपनी और परिवादी के मध्‍य बीमा दावा निस्‍तारण के संदर्भ में हुए पत्राचार, अंशु देवी के मृत्‍यु प्रमाण पत्र, मिम्‍हेंस अस्‍पताल, मेरठ द्वारा अंशु देवी की मृत्‍यु का कारण दर्शाते हुए दिये गये मेडिकल सर्टिफिकेट, अंशु देवी का इलाज करने वाले चिकित्‍सक के मेडिकल सर्टिफिकेट, दुर्घटना के संबंध में थाना बिलारी में दर्ज करायी गई एफआईआर, संजीवनी अस्‍पताल अमरोहा के चिकित्‍सीय पर्चों और मृतका की चुनाव ड्यूटी संबंधी नियुक्ति आदेश की नकलों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/19 हैं।
  4. विपक्षी-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/5 दाखिल हुआ, जिसमें परिवाद कथनों से इंकार करते हुए विशेष कथनों में कहा गया है कि मृतका अंशु देवी के शव का पंचनामा और पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट परिवादी ने दाखिल नहीं की। क्‍लेम की सूचना नियमानुसार मृत्‍यु  के 30 दिन के भीतर संबंधित बैंक को देनी चाहिए थी किन्‍तु परिवादी ने ऐसा नहीं किया। क्‍लेम दावे के साथ मूल एफआईआर, पंचनामा, पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट इत्‍यादि दाखिल नहीं की गई। मृतका विवाहित थी, ऐसी दशा में मृतका का पति भी परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार था किन्‍तु उसे पक्षकार नहीं बनाया गया। उक्‍त कथनों के आधार पर और यह कहते हुए कि परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत करके उत्‍तरदाता विपक्षी-1 व 2 ने कोई त्रुटि नहीं की, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
  5. विपक्षी-3 बैंक की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-7/1 लगायत 7/2 दाखिल हुआ, जिसमें मृतका का बचत खाता उनकी शाखा में होना, मृतका के बचत खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अधीन दिनांक 18-5-2015 को बीमा प्रीमियम काटा जाना और दिनांक 31-5-2016 तक उक्‍त योजना के अधीन मृतका का बीमित होना तो स्‍वीकार किया गया है किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया है। विपक्षी-3 ने यह भी स्‍वीकार किया है कि सड़क दुर्घटना में घायल होने के संबंध में एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें विवेचना के बाद मोटर साईकिल चालक के खिलाफ आरोप पत्र न्‍यायालय में प्रेषित हुआ था। विशेष कथनों में कहा गया है कि अंशु देवी की मृत्‍यु के उपरान्‍त परिवादी ने बैंक में क्‍लेम हेतु आवेदन किया था, जिसे बैंक द्वारा तुरन्‍त विपक्षी-1 व 2 को प्रेषित कर दिया गया था। बीमा कंपनी ने परिवादी से पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट की मांग की थी किन्‍तु परिवादी ने उक्‍त रिपोर्ट बीमा कंपनी को उपलब्‍ध नहीं करायी। विपक्षी-3 का यह भी कथन है कि क्‍लेम राशि बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को दी जाये अथवा नहीं, इस बात से विपक्षी-3 का कोई सरोकार नहीं है। विपक्षी-3 की ओर से यह कहते हुए कि उन्‍होंने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई त्रुटि नहीं की, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की है। बैंक की ओर से दाखिल इस प्रतिवाद पत्र के समर्थन में संबंधित शाखा के शाखा प्रबन्‍धक ने अपना शपथपत्र भी दाखिल किया है।
  6. परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/4 दाखिल किया। विपक्षी-3, बैंक की ओर से बैंक के शाखा प्रबन्‍धक ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-12 तथा बीमा कंपनी विपक्षी-1 व 2 के उप-प्रबन्‍धक श्री सुभाष चन्‍द्र का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-20/1 लगायत 20/4 दाखिल हुआ।
  7. किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  8. हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9. बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद मृतका अंशु देवी के शव का पंचनामा और पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध नहीं करायी। उनका यह भी कथन है कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अधीन क्‍लेम की सूचना 30 दिनों के भीतर संबंधित बैंक में देकर उसी अवधि में बीमा कंपनी के समक्ष बीमा दावा प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था किन्‍तु परिवादी ने निर्धारित अवधि में पूरे दस्‍तावेजों सहित क्‍लेम प्रस्‍तुत नहीं किया। उनका यह भी तर्क है कि मृतका विवाहित थी, इसके बावजूद भी मृतका के पति को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया, जो आवश्‍यक पक्षकार था। उन्‍होंने यह कहते हुए कि उक्‍त कारणों से परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत करके बीमा कंपनी ने कोई त्रुटि नहीं की।
  10. परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने उक्‍त तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि मृतका का न तो पोस्‍टमार्टम हुआ और न ही उसके शव का पंचनामा भरा गया। ऐसी दशा में पंचनामा और पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट बीमा कंपनी को उपलब्‍ध कराने का परिवादी के पास कोई अवसर नहीं था। उनका यह भी कथन है कि परिवादी पालिसी में चूंकि नामिनी था। अतएव बहैसियत नामिनी उसे परिवाद योजित करने का अधिकार था और मृतका के पति को परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार नहीं माना जा सकता। कथित रूप से मृत्‍यु के 30 दिनों के अंदर बीमा दावा प्रस्‍तुत न किये जाने संबंधी बीमा कंपनी के तर्कों का भी परिवादी पक्ष की ओर से प्रतिवाद किया गया। यूनाईटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लि. बनाम भुन्‍दूराम(मृतक) द्वारा विधिक प्रतिनिधि II(2017) सीपीजे पृष्‍ठ 345(एनसी) के मामले में माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि बीमा कंपनी क्‍लेम रेपुडिएशन लेटर में लिखित आधारों से इतर कोई अन्‍य आधार क्‍लेम का प्रतिवाद करने के लिए नहीं उठा सकती। रेपुडिएशन लेटर पत्रावली का कागज सं.-3/5 है। इस रेपुडिएशन लेटर में बीमा कंपनी ने यह उल्‍लेख किया है कि मृतका अंशु देवी के शव की पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध नहीं कराये जाने के कारण बीमा दावा अस्‍वीकृत किया गया है। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा भुन्‍दूराम की उपरोक्‍त रूलिंग के दृष्टिगत पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध न कराये जाने विषयक आधार के अतिरिक्‍त अन्‍य बिन्‍दुओं पर बीमा कंपनी को परिवाद का प्रतिवाद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती अन्‍यथा भी बीमा कंपनी ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना की स्‍कीम पत्रावली में दाखिल नहीं की है, जिस कारण यह स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है कि परिवादी के लिए यह आज्ञापक था कि वह बैंक को पूर्व सूचना देते हुए अंशु देवी की मृत्‍यु के 30 दिनों के भीतर बीमा कंपनी के समक्ष बीमा दावा प्रस्‍तुत करता।
  11. बीमा पालिसी में परिवादी नामिनी था, इस तथ्‍य का बीमा कंपनी प्रतिवाद नहीं कर पायी। नामिनी द्वारा परिवाद योजित किया गया है। मृतका का पति हमारे विनम्र अभिमत में परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार नहीं था।

माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा अमर सिंह बनाम बलविन्‍दर सिंह आदि (2003) 2 एससीसी पृष्‍ठ-518 की निर्णयज विधि में यह अवधारित किया गया है कि-  

                     “It Was An Accidental Death. Absence Of Pm                      Report In  Such Circumstances, Is Just A                          Technically ”

12-ओरियंटल इंश्‍योरेंस कंपनी बनाम ममता सिंह व एक अन्‍य, III(2016) सीपीजे पृष्‍ठ-269(एनसी) की निर्णयज विधि में मामले के तथ्‍य यह थे कि बीमित इलेक्‍ट्रोक्‍यूशन के कारण मरा था। बीमा कंपनी को मृतक की पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध नहीं करायी जा सकी थी। बीमा कंपनी ने पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध न होने के कारण बीमा दावा अस्‍वीकृत कर दिया था। उक्‍त संदर्भ में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई कि-

"The proceedings under Section 174 have a very limited scope. The object of the proceedings is merely to ascertain whether a person has died under suspicious circumstances or an unnatural death and if so what is the apparent cause of the death”

13-माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय और माननीय राष्‍ट्रीय आयोग की उपरोक्‍त रूलिंग्‍स के दृष्टिगत वर्तमान मामले में पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध नहीं होने के आधार पर परिवादी का बीमा दावा बीमा कंपनी द्वारा अस्‍वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था। पत्रावली में अवस्थित प्रथम सूचना रिपोर्ट, मृतका के मृत्‍यु प्रमाण पत्र, मिम्‍हेंस अस्‍पताल, मेरठ में मृतका का इलाज करने वाले चिकित्‍सक द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र इत्‍यादि से यह भली-भॉंति प्रमाणित है कि मृतका अंशु देवी की मृत्‍यु दिनांक 29-10-2015 को सड़क दुर्घटना में आयी चोटों की वजह से हुई थी। इस दृष्टिकोण से भी मृतका की पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध न होने के कारण परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत नहीं होना चाहिए था और बीमा दावा अस्‍वीकृत करके बीमा कंपनी ने त्रुटि की है।

14-उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवादी को अंशु देवी की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप उसकी बीमा राशि अंकन-2,00,000/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज वाद दायरा तिथि तावसूली विपक्षी-1 व 2 बीमा कंपनी से दिलायी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्‍त मामले के तथ्‍यों और परिस्थितियों को देखते हुए विपक्षी-1 व 2 से परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप  में अंकन-5,000/-रूपये और परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन-2,500/-रूपये अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी न्‍यायोचित दिखायी देता है। तद्नुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।         

  •  

     परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी-1 व 2 बीमा कंपनी स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी-1 व 2 को आदेशित किया जाता है कि विपक्षी-1 व 2 इस आदेश से एक माह के अंदर प्रश्‍गनत बीमा क्‍लेम की राशि अंकन-2,00,000(दो लाख) रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादी को अदा करें।

     विपक्षी-1 व 2 अंकन-5,000/-रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन-2,500/-रूपये परिवाद व्‍यय भी परिवादी को अदा करें।

 

    (सत्‍यवीर सिंह)                                          (पवन कुमार जैन)

       सदस्‍य                                                 अध्‍यक्ष

     आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

   (सत्‍यवीर सिंह)                                           (पवन कुमार जैन)

      सदस्‍य                                                  अध्‍यक्ष

दिनांक: 15-02-2018

 

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