द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण से उसे मेडि-क्लेम तथा दवाओं आदि में व्यय किऐ गऐ 50,000/- रूपया और मानसिक कष्ट की मद में 1,00,000/- रूपये इस प्रकार कुल 1,50,000/- रूपया दिलाऐ जाऐं। परिवाद व्यय की मद में उसने 2,000/- रूपया अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि वर्ष 2005 में परिवादी ने अपने, अपनी पत्नी तथा पुत्र श्रीश अग्रवाल के स्वास्थ्य सम्बन्धी सुरक्षा की दृष्टि से एक मेडि-क्लेम पालिसी दिनांक 18/12/2005 को विपक्षी सं0-1 से ली थी। पालिसी का प्रीमियम निरन्तर जमा होता रहा और दिनांक 18/12/2007 तक यह जारी रही, जिसका नं0- 460808/48/06/754 था। अचानक मई,2007 में परिवादी के सीने में तेज दर्द हुआ। परिवादी ने तुरन्त दिनांक 05/05/2007 को मुरादाबाद में डा0 अनुराग मेहरोत्रा को दिखाया उन्होंने दवा देकर परिवादी को घर भेज दिया, फायदा न होने पर परिवादी ने दिनांक 7/8 मई, 2007 की मध्य रात्रि लगभग 1.00 बजे पुन: डा0 अनुराग मेहरोत्रा को दिखाया। परिवादी को उन्होंने तुरन्त एडमिट कराया। अगले दिन अर्थात् 08/05/2007 की रात्रि 8.00 बजे परिवादी को छुट्टी दे दी गयी। परिवादी के अनुसार फिर भी उसे आराम नहीं हुआ तो दिनांक 18/05/2007 को उसने एस्कोर्ट हास्पिटल नई दिल्ली में दिखाया जहॉं परिवादी को एन्जियोग्राफी एवं एन्जियोप्लाटी की सलाह दी गई। दिनांक 19/05/2007 को उसे एस्कोर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया उसकी एन्जियोग्राफी की गई। दिनांक 20/05/2007 को वहां से परिवादी को डिस्चार्ज कर दिया गया। परिवादी के अनुसार डा0 अनुराग मेहरोत्रा के यहां उसके लगभग 10,000/- रूपया और दिल्ली एस्कोर्ट अस्पताल में लगभग 22,000/- रूपया इस प्रकार कुल 32,000/- रूपया उपचार में खर्च हुऐ। दिनांक 14/07/2007 को परिवादी ने अपना मेड-क्लेम विपक्षी सं0-1 के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे उन्होंने स्वीकृति हेतु विपक्षी सं0-2 को भेजा। परिवादी क्लेम के भुगतान हेतु निरन्तर विपक्षीगण से अनुरोध करता रहा, किन्तु विधि विरूद्ध तरीके से हाई ब्लड प्रेशर की 5 वर्ष पुरानी बीमारी को आधार बनाकर परिवदी का क्लेम विपक्षीगण ने अस्वीकृत कर दिया। परिवादी के अनुसार पालिसी लेते समय विपक्षी सं0-1 ने परिवादी, उसकी पत्नी और पुत्र की प्रारम्भिक जांच कराई थी, किन्तु जांच में उसे कोई बीमारी नहीं पाई गई। परिवादी ने आरोप लगाया कि उसका क्लेम विधि विरूद्ध तरीके से अस्वीकृत किया गया है, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी ने परिवदी के साथ सूची कागज सं0-3/4 के माध्यम से मेडि-क्लेम पालिसी का कवरनोट, डा0 अनुराग मेहरोत्रा के चिकित्सीय पर्चे, जॉंच रिपोर्ट, ई0सी0जी0 की रिपोर्ट, खर्चे के बिल बाउचर, डा0 अनुराग मेहरोत्रा द्वारा दी गई डिस्चार्ज समरी, एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सीय पर्चे, खर्चें के बिल बाउचर, जॉंच रिपोर्ट, एन्जियोग्राफी रिपोर्ट, परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 के समक्ष प्रस्तुत किऐ गऐ मेडि-क्लेम के प्रपत्र और परिवादी का क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी विपक्षी सं0-2 के पत्र दिनांकित 25/05/2007 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/5 लगायत 3/45 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/2 लगायत 12/5 दाखिल किया गया जिसमें उसने बीमा शर्तों और प्रतिबन्धों के अधीन दिनांक 19/12/2006 से 18/12/2007 तक की अवधि हेतु परिवादी को मेडि-क्लेम पालिसी जारी किया जाना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया है। विपक्षीगण के अनुसार परिवादी का दावा बीमा पालिसी की क्लाज सं0 4.1 के अधीन पूर्व विधमान बीमारी के कारण अस्वीकृत किया गया जो सही है। विपक्षीगण ने सेवायें प्रदान करने में कोई त्रुटि अथवा लापरवाही नहीं बरती। जॉंच में यह पाया गया कि परिवादी विगत 5 वर्षों से हाईपरटेंशन से पीडि़त है अत: उसका क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की। अग्रेत्तर यह भी कहा गया कि पालिसी की क्लाज 2.3 के अनुसार बीमित का इलाज हेतु कम-से-कम 24 घण्टे भर्ती रहना आवश्यक है। डा0 अनुराग मेहरोत्रा के यहां परिवादी दिनांक 08/05/2007 को केवल 7.00 घण्टे भर्ती रहा अत: डा0 अनुराग मेहरोत्रा के सन्दर्भ में परिवादी द्वारा किऐ गऐ व्यय भुगतान योग्य नहीं हैं। विपक्षीगण ने उक्त कथनों के आधार पर परिवाद सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- साक्ष्य में परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-25/1 लगायत 25/4 दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से बीमा कम्पनी के सहायक प्रबन्धक श्री रमन ओबराय का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-29/1 लगायत 29/4 दाखिल हुआ। साक्ष्य शपथ पत्र के साथ विपक्षीगण ने बीमा कवरनोट, बीमा पालिसी की शर्तें, एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सीय पर्चें और डा0 अनुराग मेहरोत्रा द्वारा जारी दिनांक 06/05/2007 की डिस्चार्ज समरी की नकलों को संलग्नक के रूप में दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-29/5 लगायत 29/14 हैं।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने पत्रावली में अवस्थित चिकित्सीय प्रपत्रों और चिकित्सा पर हुऐ व्यय के भुगतान की रसीदों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि अचानक सीने में तेज दर्द होने पर परिवादी ने दिनांक 05/05/2007 को डा0 अनुराग मेहरोत्रा को हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट मुरादाबाद में दिखाया। डा0 साहब ने दवा देकर परिवादी को घर भेज दिया। फायदा न होने पर दिनांक 7/8 मई, 2007 की रात्रि में परिवादी को हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद में भर्ती होना पड़ा, जहॉं से उसे 8 मई, 2007 की रात 8 बजे डिस्चार्ज किया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का अग्रेत्तर तर्क है कि स्थिति में सुधार न होने पर दिनांक 18/05/2007 को परिवादी को एस्कोर्ट अस्पताल नई, दिल्ली में दिखाया गया जहॉं अन्त:रोगी के रूप में वह 19 एवं 20 मई, 2007 को भर्ती रहा और उसकी एन्जियोग्राफी हुई। परिवादी के अधिवक्ता के अनुसार हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद में इलाज के सिसिले में परिवादी का लगभग 10,000/- रूपया और एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली में लगभग 22,000/- रूपया इस प्रकार कुल 32,000/- रूपया खर्चा हुआ। विपक्षीगण ने परिवादी का मेडि-क्लेम विधि विरूद्ध तरीके से अस्वीकृत कर दिया और ऐसा करके उन्होंने परिवादी को सेवा प्रदान करने में त्रुटि और लापरवाही की।
- प्रत्युत्तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद के चिकित्सक डा0 अनुराग मेहरोत्रा द्वारा दी गई डिस्चार्ज समरी कागज सं0-29/14 और एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सीय पर्चे कागज सं0- 29/13 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद में परिवादी चॅूंकि 24 घण्टे से कम अवधि के लिए भर्ती रहा था अत: बीमा पालिसी की शर्त सं0 2.4 जो बीमा पालिसी की शर्तों के पृष्ठ कागज सं0-29/8 पर दृष्टव्य है, के अनुसार हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद का व्यय परिवादी को देय नहीं पाया गया। एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली के खर्चे के सन्दर्भ में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि चिकित्सीय पर्चे कागज सं0-29/13 के अनुसार परिवादी को विगत ढ़ाई वर्षों से हाईपरटेंशन की शिकायत थी। प्रकट है कि हाईपरटेंशन की बीमारी को परिवादी ने मेडिक्लेम पालिसी लेते समय छिपाया था अत: बीमा पालिसी की शर्त सं0- 4.1 जो पत्रावली के कागज सं0-29/9 पर दृष्टव्य है, के अनुसार एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली में हुआ परिवादी का व्यय भुगतान योग्य नहीं पाया गया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि परिवादी का क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने न तो सेवा में कमी की है और न ही किसी प्रकार की कोई त्रुटि की।
- हमने बीमा पालिसी की शर्त सं0-2.4 और शर्त सं0-4.1 का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया। शर्त सं0-2.4 में ऐसा उल्लेख नहीं है कि यदि बीमित व्यक्ति 24 घण्टे से कम अवधि हेतु अस्पताल में भर्ती रहेगा तो उसे बीमा क्लेम दिया ही नहीं जायेगा। शर्त सं0- 2.4 में अपवाद भी दिऐ गऐ है जो निम्न है:-
This condition will also not apply in case of stay in hospital of less than 24 hours provided:
- The treatment is such that it necessitates hospitalization and the procedure involved specialized infrastructural facilities available in hospitals and
- Due to technological advances hospitalization is required for less than 24 hours only.
11 - डा0 अनुराग मेहरोत्रा के हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद के चिकित्सीय प्रपत्रों कागज सं0-3/7 लगायत 3/24 के अवलोकन से प्रकट है कि हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद में परिवादी की इकोकारर्डियोग्राफी की गई थी। हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद की डिस्चार्ज समरी कागज 3/24 के अवलोकन से प्रकट है कि hospitalization के दौरान टैक्नोलोजीकल एडवांसेज और विशिष्ट सुविधाओं की उपलब्धता की बजह से परिवादी को अचानक हुऐ सीने के दर्द को डा0 अनुराग मेहरोत्रा ने कन्ट्रोल कर लिया था। इस प्रकार परिवादी का मामला बीमा पालिसी की शर्त सं0- 2.4 के अपवाद से आच्छादित है और इस आधार पर कि हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद में परिवादी 24 घण्टे से कम समय के लिए भर्ती रहा था, उसका बीमा दावा अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिऐ।
12 - एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली में इलाज के सिलसिले में हुऐ परिवादी के व्यय की प्रतिपूर्ति से विपक्षीगण ने इस आधार पर इन्कार किया है कि परिवादी बीमा पालिसी लेने से पूर्व हाईपरटेंशन से ग्रसित था और इस तथ्य को उसने प्रपोजन फार्म में छिपाया।
13 - Iv (2014) CPJ 124 (Punj.), Aviva Life Insurance, Claim Department & Ors. V/s Sharanjit Kaur .... मा0 पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, चंडीगढ के मामले में निम्न व्यवस्था दी गई है:-
‘’ We hold that the repudiation of insurance contract by the opposite parties was not justifiable on the ground of suppression of disease of hypertension as hypertension is a life style disease easily controllable with conservation medication. ’’
14 - सरन जीत कौर के उक्त मामले में मा0 पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, चण्डीगढ़ द्वारा दी गई उपरोक्त विधि व्यवस्था के दृष्टिगत एस्कोर्ट अस्पताल नई दिल्ली में परिवादी के इलाज में हुऐ व्यय की प्रति पूर्ति से विपक्षीगण द्वारा इन्कार नहीं किया जा सकता।
15 - पत्रावली में अवस्थित बिल बाउचर/ रसीदों के अवलोकन से प्रकट है कि हार्ट लाइन इन्स्टीट्यूट, मुरादाबाद में हुऐ इलाज के सिलसिले में परिवादी के 7,608/- रूपये तथा एस्कोर्ट नई दिल्ली में इलाज के सिलसिले में परिवादी के 18,220/- रूपया व्यय होना प्रमाणित हुआ है। इस प्रकार बिल बाउचर के अनुसार कुल व्यय 25,828/- रूपया हुआ। इलाज के सिलसिले में निश्चित रूप से कुछ आनुसांगिक व्यय भी हुऐ होगें। सभी खर्चों के बिल बाउचर/ रसीदें इलाज के दौरान एकत्रित किया जाना सम्भव नहीं होता। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के दृष्टिगत आनुसांगिक व्यय हम लगभग 4,000/- रूपये निर्धारित करते हैं। हमारे मत में इस प्रकार परिवादी का कुल व्यय 30,000/- रूपया आता है। यह धनराशि ब्याज सहित परिवादी को विपक्षीगण से दिलाया जाना हम न्यायोचित समझते हैं। ब्याज की दर 9 प्रतिशत वार्षिक होगी।
16 - उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी का क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने सेवा में कमी और त्रुटि की है। परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के रूप में विपक्षीगण से 30,000/- रूपया दिलाया जाना हमारे मत में न्यायोचित एवं पर्याप्त होगा। इसके अतिरिक्त मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी को 5,000/- अतिरिक्त दिलाया जाना भी हमारे में न्यायोचित एवं पर्याप्त होगा। तदानुसार परिवाद सव्यय स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित 30,000/- (तीस हजार रूपये केवल) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में, विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादी परिवाद व्यय के रूप में विपक्षीगण से 2,000/- (दो हजार रूपये केवल) तथा मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति की मद में 5,000/- (पाँच हजार रूपया केवल) अतिरिक्त पाने का अधिकारी होगा। इस धनराशि का भुगतान परिवादी को 2 माह की अवधि में किया जाये।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
27.08.2015 27.08.2015 27.08.2015
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 27.08.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
27.08.2015 27.08.2015 27.08.2015