द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे कार की बीमित राशि 2,01,963/- रूपया (दो लाख एक हजार नौ सौ तिरसठ) ब्याज और परिवाद व्यय सहित दिलायी जाऐ। शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षति की मद में 50,000/- रूपया अतिरिक्त दिलाऐ जाने का भी परिवादी ने अनुरोध किया।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपनी कार सं0- यू0पी0-21 वाई /5059 का बीमा विपक्षी सं0-1 व 2 से कराया था। पालिसी दिनांक 29/6/2010 से 28/6/2011 तक के लिए वैध थी। परिवादी की कार 26/27 अप्रैल, 2011 की मध्य रात्रि में चोरी हो गयी जिसकी एफ0आई0आर0 उसने दिनांक 27/4/2011 को थाना सिविल लाइन्स, मुरादाबाद में दर्ज करायी। दिनांक 28/4/2011 को चोरी की सूचना विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में दी गयी। सूचना के बावजूद विपक्षीगण ने बीमा राशि का भुगतान परिवादी को नहीं किया जबकि परिवादी ने सभी सम्बन्धित प्रपत्र विपक्षीगण को उपलब्ध करा दिऐ हैं। परेशान होकर परिवादी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भी भिजवाया इसके बावजूद भी विपक्षीगण ने क्लेम अदा नहीं किया। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ सूची कागज सं0- 3/6 के माध्यम से परिवादी ने बीमा पालिसी, एफ0आई0आर0, विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस, एफ0आई0आर0 स्वीकृति के न्यायालय के आदेश, कार की आर0सी0 और विपक्षी सं0-2 को चोरी की सूचना दिऐ जाने विषयक प्राप्त कराऐ गऐ पत्र की फोटो प्रतियों और कानूनी नोटिस भेजे जाने की असल रसीदों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र कागज सं0- 3/7 लगायत 3/14 हैं।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 12/1 लगायत 12/2 प्रस्तुत किया गया। प्रतिवाद पत्र में परिवादी की कार का बीमा विपक्षी सं0-1 व 2 से होने के तथ्य को विशिष्ट रूप से इन्कार नहीं किया गया है। विपक्षीगण की ओर से कहा गया कि परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है, विपक्षीगण को न तो कार चेारी होने की सूचना परिवादी ने दी और न ही क्लेम दर्ज कराया, उसने अन्य औपचारिकताऐं भी पूरी नहीं की। न्यायालय से एफ0आर0 स्वीकृति के आदेश भी उसने नहीं दिऐ। विपक्षीगण ने कानूनी नोटिस प्राप्त होने से भी इन्कार किया और यह कहते हुऐ कि फोरम को सुनवाई का अधिकार नहीं है, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 13/1 लगायत 13/3 दाखिल किया। इसके साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुरादाबाद के आदेश दिनांकित 05/10/2011 की प्रमाणित प्रति, जिसके द्वारा कार चोरी की एफ0आर0 स्वीकार की गयी, दाखिल किया गया। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मुरादाबाद के मण्डलीय प्रबन्धक श्री रमन ओवराय ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 15/1 लगायत 15/3 दाखिल किया। परिवादी ने विपक्षीगण को अभिकथित रूप से चोरी की सूचना प्राप्त कराऐ जाने विषयक मूल पत्र दिनांकित 28/4/2011 भी दाखिल किया जो पत्रावली का कागज सं0-18 है।
- अवसर दिऐ जाने के बावजूद पक्षकारों ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थितनहीं हुऐ। विपक्षी सं0-3 पर तामीला दिनांक 28/9/2012 के आदेशों से पर्याप्त मानी गयी थी उसकी ओर से चूँकि परिवाद में कोई उपस्थित नहीं हुआ अत: दिनांक 05/10/2012 के आदेश से विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध इस परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गयी।
8 - विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से इस बात से इन्कार नहीं किया गया है कि परिवादी की अभिकथित रूप से चोरी गयी कार दिनांक 29/6/2010 से 28/6/2011 तक की अवधि के लिए विपक्षी सं0-2 से बीमित थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट कागज सं0-3/8 से प्रकट है कि दिनांक 26/27 अप्रैल, 2011 की मध्य रात्रि में परिवादी की कार चोरी हो गयी। परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट बिना किसी देरी के दिनांक 27/4/2011 को थाना सिविल लाइन्स, मुरादाबाद में दर्ज करा दी। न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति कागज सं0-13/5 के अवलोकन से प्रकट है कि चोरी के इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुरादाबाद द्वारा दिनांक 05/10/2011 को पुलिस द्वारा प्रेषित अन्तिम रिपोर्ट स्वीकार कर ली गयी। न्यायालय के इस आदेश के अवलोकन से प्रकट है कि अभियुक्त तथा परिवादी की चोरी गयी कार का पता न चल पाने के कारण पुलिस ने न्यायालय में अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित की थी। पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-18 के अवलोकन से प्रकट है कि चोरी से अगले दिन अर्थात् दिनांक 28/4/2011 को परिवादी ने इस चोरी की सूचना विपक्षी सं0-2 को दे दी थी। यधपि विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से कागज सं0- 18 को फर्जी तैयार किया जाना और इस पर बीमा कम्पनी की मोहर व हस्ताक्षर फर्जी होना कहा है किन्तु विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से ऐसा कोई अभिलेख दाखिल नहीं किया गया है जिसका कागज सं0-18 पर अंकित रिसिविंग एवं मोहर से मिलान करके हम विपक्षीगण के इस कथन को प्रमाणिक मान सकें कि कागज सं0-18 पर बीमा कम्पनी की मोहर तथा रिसिविंग के हस्ताक्षर फर्जी हैं। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से मात्र यह कह देने से कि कागज सं0-18 फर्जी है, यह प्रपत्र फर्जी अथवा कूटरचित नहीं माना जा सकता।
9 - परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि चोरी की एफ0आई0आर0 लिखाने और विपक्षी को चोरी की सूचना देने में यधपि परिवादी ने कोई विलम्ब नहीं किया और अभिकथित चोरी के समय बीमा पालिसी वैध थी इसके बावजूद परिवादी को बीमा की धनराशि भुगतान न करके और दावे को पैंडिग रखकर विपक्षी सं0-1 व 2 ने सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी है। विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने प्रतिवाद किया और कहा कि परिवादी ने उनके समक्ष कभी भी कोई बीमा दावा प्रस्तुत ही नहीं किया ऐसी दशा में बीमा दावे के सैटिल किऐ जाने का कोई अवसर उनके पास नहीं था। मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने और विपक्षी को चोरी की सूचना देने में परिवादी ने त्वरित गति से कार्यवाही की और उसने कोई विलम्ब नहीं किया। परिवादी के इस आचरण को देखते हुऐ हम विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से किऐ गऐ इस कथन से सहमत नहीं हैं कि परिवादी ने कोई बीमा दावा प्रस्तुत ही नहीं किया। यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाये कि परिवादी ने कोई बीमा दावा प्रस्तुत नहीं किया तब भी मामले के तथ्यों के दृष्टिगत परिवादी को बीमा पालिसी में उल्लिखित कार की बीमित राशि प्राप्त करने से वंचित किया जाना हमारे मत में न्यायोचित नहीं होगा। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आलोक में उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी को कार की बीमा राशि 2,01,063/- रूपया ( दो लाख एक हजार नौ सौ तिरसठ) 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी सं0-1 व 2 से परिवादी को दिलायी जाये। इसके अतिरिक्त 2,500/- रूपया (दो हजार पॉंच) परिवाद व्यय भी परिवादी को दिलाया जाना हम न्यायोचित समझते हैं। इस धनराशि के भुगतान से पूर्व परिवादी को भुगतान सम्बन्धी आवश्यक आवश्कताऐं पूरी करनी होगी।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 2,01,963/- रूपया (दो लाख एक हजार नो सौ तिरसठ) की वसूली हेतु यह परिवाद के पक्ष में, विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। उक्त के अतिरिक्त विपक्षीगण से परिवादी 2,500/- रूपया (दो हजार पॉंच सौ) परिवाद व्यय भी पाने का अधिकारी होगा। विपक्षी सं0-1 व 2 को अधिकार दिया जाता है कि वह इस निर्णय के एक माह के भीतर परिवादी से भुगतान सम्बन्धी औपचारिकताऐं पूरी करा सकते हैं। इस निर्णय के अनुपालन में धनराशि का भुगतान परिवादी को दिनांक 20/7/2015 तक कर दिया जाये।
(सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
20.05.2015 20.05.2015
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 20.05.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
20.05.2015 20.05.2015