जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या -09/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
रामसिंह चेतीवाल पुत्र औम प्रकाष उम्र 32 साल जाति खटीक निवासी वार्ड नम्बर 6 कस्बा, सूरजगढ तहसील चिड़ावा जिला झुन्झुनू (राज0) - परिवादी
बनाम
नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा कार्यालय स्टेषन रोड़, झुंझुनू जरिये शाखा प्रबंधक तहसील व जिला (राज0) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ताद सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री कमल कुलहरि, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री भगवान सिंह शेखावत, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांकः 03.02.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 02.01.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी से एक स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) पालिसी नम्बर 371103ध्48ध्10ध्8500001705 ली थी, जो दिनांक 09.03.2011 से शुरू होकर दिनांक 08.03.2012 तक वैध थी। पालिसी की प्रीमियम 829/-रूपये परिवादी ने विपक्षी को जरिये एस.बी.बी.जे. शाखा, सूरजगढ के अपने बचत खाता से भुगतान किया। उक्त पालिसी के तहत परिवादी स्वंय व उसके वारिसान श्रीमती पूनम, रोहित व भावना मेडिक्लेम पालिसी में बीमित हैं। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया कि परिवादी के पुत्र रोहित की तबीयत खराब होने पर दिनांक 04.05.2011 को सवाई मानसिंह चिकित्सालय, जयपुर में भर्ती करवाया । रोहित के रीड की हड्डी पर गांठ होना बताया। जिसका दिनांक 27.07.2011 को एस.एम.एस. अस्पताल, जयपुर में आपरेषन किया जाकर दिनांक 04.08.2011 को छुट्टी दे दी गई। रोहित के आपरेषन वाले स्थल पर इन्फेक्षन होने से पुनः दिनांक 05.08.2011 को डाक्टर को दिखाया तो दुबारा दिनांक 06.08.2011 को एस.एम.एस. अस्पताल, जयपुर में भर्ती कर लिया तथा दिनांक 31.08.2011 तक इलाज किया । रोहित के दो बार आपरेषन व इलाज पर कुल 24,457/-रूपये खर्च हुये । परिवादी ने अपने पुत्र रोहित के इलाज पर हुये खर्चे का क्लेम फार्म भरकर मय सम्पूर्ण असल बिलों के पत्रावली विपक्षी के यहां पेष की । विपक्षी द्वारा दिनांक 29.11.2011 को एक परिपत्र भेजा जिसमें मांगे गये आवष्यक दस्तावेजात की पूर्ति परिवादी द्वारा करदी गई। विपक्षी ने दिनांक 30.01.2012 व 06.01.2012 को परिपत्र भेजकर सूचित किया कि परिवादी की मेडिक्लेम पत्रावली नो क्लेम के कारण बंद करदी गई है। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में परिवादी ने अपना परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करके मेडिक्लेम राषि 24,457/-रूपये का भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) पालिसी नम्बर 371103ध्48ध्10ध्8500001705 लिया जाना स्वीकार करते हुये कथन किया है कि परिवादी को बार-बार पत्र देने के बावजूद समय पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये। परिवादी के क्लेम बाबत बीमा कम्पनी द्वारा अंलकित हैल्थ केयर प्रिपेड से जांच करवाई गई जिसके अनुसार रोहित के बीमारी पहले से थी तथा पालिसी की शर्ता संख्या 4.1 का उल्लंघन होने से परिवादी का क्लेम देय नहीं बनता है। इस संबंध में विपक्षी द्वारा परिवादी से बार-बार पत्र लिखकर स्पष्टीकरण चाहा, परन्तु परिवादी ने कोई जवाब नहीं दिया। बीमा कम्पनी का कोई सेवा दोष नहीं है।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ हंै कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) पालिसी नम्बर 371103/48/10/ 8500001705 ली गई । परिवादी द्वारा एक वर्ष का प्रीमियम 829/-रूपये विपक्षी के यहां जमा करवाया गया। उक्त पालिसी के तहत परिवादी स्वंय व उसके वारिसान श्रीमती पूनम, रोहित व भावना मेडिक्लेम पालिसी में बीमित थे। परिवादी के पुत्र रोहित की तबीयत खराब होने पर दिनांक 04.05.2011 को सवाई मानसिंह चिकित्सालय, जयपुर में भर्ती करवाया तथा उसके रीड की हड्डी पर गांठ होने से इलाज चला तथा आपरेषन हुये। रोहित के आपरेषन व इलाज पर कुल 24,457/-रूपये खर्च हुये। परिवादी की ओर से विपक्षी के यहां नियमानुसार मेडिक्लेम दावा हेतु सभी दस्तावेजात पेष किये गये।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि परिवादी के क्लेम बाबत बीमा कम्पनी द्वारा अलंकित हैल्थ केयर प्रिपेड से जांच करवाई। जिसके अनुसार रोहित के बीमारी बीमा कराने से पहले की थी। इसलिये बीमा पालिसी की शर्त संख्या 4.1 के अनुसार बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन होने पर परिवादी का क्लेम देय नहीं बनता।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उपरोक्त तर्क से सहमत नहीं है। क्योंकि विपक्षी द्वारा जिस अलंकित हैल्थ केयर प्रिपेड से जांच करवाई जाना बताया गया है उसके द्वारा जांच कर बीमारी के संबंध में ऐसी कोई रिपोर्ट पेष नहीं की गई है जिसके आधार पर यह माना जावे कि पालिसी जारी करने से पूर्व रोहित किसी प्रकार की बीमारी से पीडि़त था। यदि इस प्रकार की कोई संभावना थी तो विपक्षी को मेडिक्लेम पालिसी जारी करने से पूर्व बीमाधारी की जांच करवाई जानी चाहिये थी तथा प्रपोजल फार्म में इस तथ्य को अंकित किया जाना चाहिये था। प्रपोजल फाॅर्म भी विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से पेष नहीं किया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उक्त दस्तावेज पेष नहीं किये जाने से वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल सकता है। इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त मेडिक्लेम पालिसी जारी करने से पूर्व रोहित किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो तथा उसने लम्बे समय तक किसी अस्पताल में इलाज कराया हो, यह साबित नहीं कर पाई है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने ऐसा कोई चिकित्सीय प्रमाण पत्र व इलाज की पर्चियां पत्रावली में पेष नहीं की गई है।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि प्रपोजल फोर्म भरते समय व पालिसी जारी करने से पूर्व रोहित स्वस्थ था तथा किसी भी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं था। परिवादी के पुत्र रोहित के बीमार होने पर उसे एस.एम.एस. अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उसका दो बार आपरेषन हुआ तथा इलाज के समस्त असल बिल एवं पर्चियां परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां पेष किये जा चुके हैं। प्रपोजल फार्म पत्रावली में पेष करने का दायित्व विपक्षी बीमा कम्पनी का था परन्तु विपक्षी द्वारा पत्रावली में प्रपोजल फार्म समय पर पेष नहीं किया गया है। बीमा क्लेम हेतु परिवादी की ओर से सम्बंिन्धत आवष्यक दस्तावेजात भी पेष किया जाना प्रतीत होता है फिर किस आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी ने क्लेम देने से इन्कार किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी ने पेष नहीं किया है। बीमा कम्पनी की पालिसी की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं होने से बीमा कम्पनी क्लेम अदायगी के उत्तरदायित्व से विमुख नहीं हो सकती है। इसलिये परिवादी विपक्षी से बीमा क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी है।
अतः परिवादी का परिवादपत्र विरूद्ध विपक्षी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी से 24,457/-रूपये (अक्षरे रूपये चैबीस हजार चार सौ सतावन) बतौर मेडिक्लेम बीमा क्लेम राषि क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त मेडिक्लेम बीमा राषि पर दायरी परिवाद पत्र दिनांक 02.01.2013 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 03.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।